Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
12-26-2018, 10:46 PM,
#16
RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
थोड़ा दर्द तो होगा ही"*-*-*-*-*-*-*-*-*

कॉलेज के दिनों से ही मेरा एक बहुत ही अच्छा दोस्त था जिसका नाम सुरेश था। हम दोनों के बीच बहुत ही अच्छी समझ थी, दोनों को जब भी मौका मिलता तो हम चुदाई कर लिया करते थे। जितनी बार भी हम चुदाई करते, सुरेश किसी नए और अलग तरह के आसन के साथ चुदाई करता था।

आप कह सकते हैं कि हमने कामसूत्र के लगभग सभी आसनों में चुदाई की, यहाँ तक कि उसकी शादी के बाद भी हम दोनों को जब भी समय और मौका मिलता हम चुदाई किया करते थे।

मुझे आज भी याद है कि एक बार मैं उसके सामने नंगी हो कर उसको उकसा रही थी, तभी उसने मेरे सामने अपनी मुठ मार कर अपना सारा वीर्य मेरे चेहरे और मेरे मम्मों पर छिड़क दिया।

मैंने तब तक कभी भी गाण्ड नहीं मरवाई थी। एक बार एक रात को ब्लू फिल्म देखने के बाद मुझे भी गाण्ड मरवाने की इच्छा हुई। चूँकि मैं जानती थी कि गाण्ड मरवाने के साथ साथ दर्द भी सहन करना होगा इसलिए मैं असमंजस में थी। फिर मैंने निर्णय किया कि मैं अपनी यह इच्छा सुरेश से ही पूरी करूँगी क्योंकि उसका लण्ड तो साढ़े छः इंच लंबा है परंतु उसके लण्ड की मोटाई कोई दो इंच ही है।

साथ ही मैं आश्वस्त थी कि चाहे कुछ भी हो जाए सुरेश मुझे कभी कोई तकलीफ नहीं पहुँचाएगा।

एक बार जब उसकी पत्नी अपने मायके गई हुई थी तो हमने जानवरों की तरह बहुत जोरदार चुदाई की। चुदाई के बाद जब हम दोनों बिस्तर में लेटे हुए आराम कर रहे थे तब सुरेश ने मुझे सहलाते हुए मेरी गाण्ड मारने की इच्छा जाहिर की। हालाँकि मैं भी चाहती थी कि वह मेरी गाण्ड मारे परंतु तब तक भी मन में कुछ संकोच था।

अब चूँकि मैं सुरेश पर विश्वास करती थी इसलिए मैंने सब कुछ उस पर छोड़ने का फैसला कर लिया। उसने मुझे घोड़ी की तरह बनने को कहा और मैं बिस्तर पर अपने हाथों और घुटनों के बल घोड़ी की तरह बन गई। सुरेश ने मेरी कुँवारी गाण्ड का निरीक्षण करना शुरू कर दिया। कभी वो मेरे मम्मे दबाता, कभी मेरी कमर सहलाता और कभी मेरी गाण्ड को सहलाता चूमता।

फिर उसने मेरी गाण्ड को चाटना शुरू कर दिया। उसके एक हाथ की उँगलियाँ मेरी चूत के होठों को और दूसरे हाथ की उँगलियाँ मेरी गाण्ड के छेद को सहला रहीं थी। मैं जानती थी कि वो सिर्फ अभी सब तरफ से देख रहा है परंतु इसके बाद मेरी गाण्ड को चुदना ही है।

"छोड़ दो मुझे सुरेश....!" मैंने उसको कहा।

"चिचियाना बंद करो शालिनी !" उसने जोर से कहा,"तुम भी जानती हो कि तुम भी मज़ा लेने वाली हो।"

असल में उसका मेरी गाण्ड को देखने का तरीका ही मेरी चूत और मेरी गाण्ड को गरमाने के लिये बहुत था और यह तो सुरेश को दिखाने के लिये सिर्फ एक दिखावा था कि मैं बहुत ही डरी हुई हूं परंतु उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने के लिये मैं भी बेताब थी।

चूँकि मैं जानती थी कि एक बार उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुस गया तो वह प्यार से मेरी गाण्ड नहीं मारेगा क्योंकि थोड़ी देर पहले ही उसने मेरी चूत को बहुत क्रूरता से चोदा था और अभी तक मेरी टांगों में हल्का सा दर्द था।

तभी सुरेश ने मेरी चूत से अपनी उँगलियाँ बाहर निकाल कर कहा,"तुम अभी भी उत्साहित हो शालिनी?"

मैं उत्साहित थी क्योंकि उसकी उँगलियाँ मेरी चूत को चोद रहीं थी। लेकिन मैं अभी तक गाण्ड मरवाने के लिए आश्वस्त नहीं थी इसलिए मैंने सिर्फ एक आह सी अपने मुँह से निकाली।

तब वो बाथरुम में गया और तेल की शीशी लेकर आया और बहुत सा तेल अपनी उँगलियों में लगाने लगा,"देखो शालिनी, तुमको थोड़ा सा तो झेलना पड़ेगा और चूँकि तुम मेरी सबसे खास दोस्त हो इसलिए मैं तुमको दर्द नहीं दे सकता।" सुरेश ने अपनी एक ऊँगली मेरी गाण्ड के छेद में डालते हुए कहा।

उसने ठीक कहा था, मुझे दर्द नहीं हुआ पर जैसे ही उसकी ऊँगली का स्पर्श मेरी गाण्ड के अंदर हुआ मैं चिंहुक उठी।

और जैसे ही सुरेश ने अपनी ऊँगली थोड़ी और अंदर तक डाली मेरे मुँह से थोड़ी अजीब सी आवाज़ निकली और मैंने अपनी गाण्ड को जोर से हिलाया। मुझे उसकी वह ऊँगली भी अपनी गाण्ड में बहुत बड़ी लग रही थी और मैं सोच रही थी कि उसका लण्ड मेरी तंग गाण्ड में कैसे घुसेगा और कितना दर्द करेगा।

उसकी ऊँगली से भले मेरी गाण्ड में ज्यादा दर्द नहीं हुआ पर उसका लण्ड तो ऊँगली से ज्यादा लंबा और मोटा था। उसने धीरे अपनी ऊँगली मेरी गाण्ड में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी ताकि मेरी गाण्ड नर्म और अभ्यस्त हो जाए।

मैंने अपना चेहरा तकिये में दबा लिया और कराहने लगी।

"आराम से ! बस अब तुमको मज़ा आने लगेगा शालिनी।" सुरेश ने कहा।

जैसे ही अपनी दूसरी ऊँगली भी मेरी गाण्ड में डाली, मैं फिर से चिंहुक उठी और उससे दूर होने की कोशिश करने लगी पर सफल नहीं हो सकी। अबकी बार मैं जोर से चिल्ला उठी और तकिये को अपने दाँतों से काटने लगी। अब मेरी कुंवारी गाण्ड के लिया दर्द सहना बहुत कठिन हो गया था क्योंकि मैं जानती थी कि उसका लण्ड मेरी गाण्ड के लिये मोटा है और मैं उसको सहन नहीं कर पाऊँगी।

पर सुरेश रुका नहीं और अपनी दोनों उँगलियों को मेरी गाण्ड के अंदर-बाहर करता रहा ताकि मेरी गाण्ड का छेद कुछ खुल जाए।

अब उसने अपने लण्ड पर तेल लगाना शुरू किया और फिर अपने लण्ड के सिरे को मेरी गाण्ड के छेद पर रगड़ने लगा तो मैं बहुत ही उत्सुकता से उसके लण्ड का अपनी गाण्ड में घुसने का इंतज़ार कर रही थी परंतु उसने अपना लण्ड मेरी ऊपर उठी हुई गाण्ड की अपेक्षा मेरी चूत में डाल दिया। मैं खुशी के मारे जोर जोर से अपने को पीछे की ओर धकेलने लगी ताकि उसके लण्ड का पूरा मज़ा ले सकूँ।

कुछ धक्कों के बाद उसने अपना लण्ड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर धक्का देने लगा।

जैसे ही उसके लण्ड का सिरा मेरी गाण्ड में घुसा, मैं जोर से चिल्लाई और उससे दूर जाने की कोशिश करने लगी परंतु उसने मेरी कमर से मुझे पकड़ लिया और मैं उसकी मज़बूत गिरफ्त से छूट नहीं पाई। उसके लण्ड के सिरे ने मेरी गाण्ड के छेद को उसकी उँगलियों से भी ज्यादा खोल दिया था। हालाँकि उसका लण्ड तेल और मेरे चूत के रस से बहुत ही चिकना था परंतु फिर भी मुझे दर्द हुआ।

मैंने उसको छोड़ देने को कहा परंतु सुरेश ने मेरी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और मेरी गाण्ड के छेद को अपने दोनों हाथों से और खोल कर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालने में लगा रहा।

जैसे ही उसका लण्ड थोडा सा और अंदर गया तो मैंने अपनी गाण्ड के छेद को अपने पूरे जोर से भींच लिया ताकि उसका लण्ड बाहर निकाल जाए पर सुरेश ने मेरी गाण्ड पर धीरे धीरे चपत मारनी शुरू कर दी और चपत मारते हुए कहा कि मैं अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ दूँ।

जैसे ही मैं गाण्ड के छेद को हल्का सा ढीला किया उसका लण्ड और अंदर तक घुस गया। अब उसने मेरी कमर को अपने मज़बूत हाथों से पकड़ लिया और एक ही झटके में बाकी का लण्ड मेरी कुंवारी गाण्ड में घुसेड़ दिया।

मेरी चीख निकल गई, लगा कि जैसे जान ही चली जायेगी।

तब थोड़ी देर तक सुरेश ने कोई हरकत नहीं की, केवल मेरी गाण्ड और पीठ को सहलाता रहा और फिर उसने पूछा,"क्या बहुत दर्द हो रहा है? लण्ड बाहर निकाल लूँ क्या?"

मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था परंतु मैं जानती थी कि सुरेश अपना लण्ड किसी भी हाल में मेरी गाण्ड से बाहर नहीं निकालेगा। इसलिए तकिये में अपना मुँह दबा कर सिर्फ कराहती रही। थोड़ी देर के बाद सुरेश ने अपना लण्ड धीरे-धीरे बाहर निकालना शुरू किया तो मुझे लगा कि शायद अब मैं छूट जाऊंगी पर वह सिर्फ एक खुशफ़हमी थी। कोई आधे से ज्यादा लण्ड बाहर निकलने के बाद उसने फिर से लण्ड मेरी गाण्ड में डालना शुरू
कर दिया।

मैंने सुरेश को कहा- मुझे बहुत दर्द हो रहा है !

तब सुरेश ने कहा कि अब वो धीरे धीरे करेगा और जैसे ही उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में दुबारा डालना शुरू किया तो ऊपर से और तेल डालने लगा।

तेल डालने से मेरी गाण्ड का छेद और भी ज्यादा चिकना हो गया और अब उसका लण्ड आराम से गाण्ड के अंदर घुस रहा था। चार पाँच बार उसने बड़े ही धीरे धीरे अपना लण्ड मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर किया और फिर मेरी पीठ ओर गाण्ड को सहलाते हुए सुरेश ने पूछा,"अब भी बहुत दर्द हो रहा है क्या शालू?"

पहले जहाँ मुझे दर्द हों रहा था, वहीं अब मुझे भी मज़ा आ रहा था और अब मैं भी गाण्ड मरवाने का आनन्द ले रही थी। मैंने अपनी पूरी शक्ति से अपनी गाण्ड को सुरेश की तरफ धकेला और कहा,"बस ऐसे धीरे धीरे ही करना इससे दर्द नहीं होता !"

"ठीक है तो मैं रुक जाता हूँ और अब तुम आगे पीछे हो कर अपने आप से गाण्ड मरवाओ !" सुरेश ने कहा।

सुरेश ने मेरी कमर को पकड़ लिया ताकि लण्ड बाहर ना निकल जाए और मैंने धीरे धीरे से अपने आप को आगे पीछे करना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद जैसे सुरेश का संयम टूट गया और उसने कहा,"बस शालिनी, अब मेरी बारी है। अब मैं अपने तरीके से तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।"

सुरेश ने एक जोरदार धक्का मारा तो मैं समझ गई कि अब गाण्ड की असली चुदाई का समय आ गया है।

सुरेश ने मुझे अपना मुँह तकिये में दबाने को कहा और जैसे ही मैंने अपनी गर्दन नीचे की ओर की, उसने अपनी गति बढ़ानी शुरू कर दी और अब जोर जोर से मेरी कमर को पकड़ कर धक्के देने लगा। मेरी आह निकल रही थी।

धीरे धीरे मैंने अपना एक हाथ अपने नीचे किया और अपनी चूत के होठों को छुआ। मुझे जैसे बिजली का झटका लगा। फिर मैंने अपनी हथेली अपनी चूत पर रगड़नी शुरू कर दी। अब मैं पूरी तरह से गाण्ड मरवाने का मज़ा ले रही थी और तकिया में मुँह दबाए चिल्ला रही थी। और सुरेश अब अपने असली रंग में मेरी गाण्ड मार रहा था।

"चोदो और जोर से चोदो ! सुरेश मेरी गाण्ड को चोदो ! सुरेश ओहहहह ओहहहह!!!! मैं झड़ने वाली हूँ सुरेश!!!" मैं जोर से चिल्लाई और झड़ने लगी।

अब सुरेश भी क्रूरता से मेरी गाण्ड में अपना लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था। एक बार फिर उसने अपना लण्ड अपनी पूरी शक्ति से मेरी गाण्ड में धकेल दिया और मेरी गाण्ड को जोर से दबाते हुए उसमें ही झड़ने लगा। उसका गर्म-गर्म वीर्य मेरी गाण्ड में भर रहा था। तब वो मेरे ऊपर ही गिर पड़ा उसका लण्ड अभी भी मेरी गाण्ड में ही था और हम दोनों हांफ रहे थे।

"देखा?" सुरेश ने मेरी पीठ को चूमते हुए कहा,"मैंने कहा था ना शालिनी कि तुमको बहुत मज़ा आएगा !"

मैं हल्के के कराही, मेरी गाण्ड अभी भी उसके ढीले होते हुए लण्ड की चुदाई से दर्द कर रही थी।

उस रात उसने कुल तीन बार मेरी गाण्ड मारी और अगले दो दिनों तक मेरी टांगों और गाण्ड में दर्द होता रहा।
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