RE: Chodan Kahani रिक्शेवाले सब कमीने
. "तुमसे मतलब.......चुपचाप अपना काम करो...."-लड़की ने रिक्शेवाले को घुड़का।
"ये तो कोई बात नहीं हुई बेवी जी........आपने तो हमारा देख लिया और जब अपनी बारी आई तो गुस्सा दिखा रही हैं। जैसे की हम रिक्शेवालों की इज्जत कोई इज्जत ही नहीं है।....."- रिक्शेवान अब कहाँ बाज आने वाला था।
"मैंने थोड़ी न कहा था तुमको दिखाने के लिये......."-लड़की ने भी जवाब दिया।
रिक्शेवान की नजर आस-पास उगे अरहर के खेतों पर बड़ी बारीकी से फिर रहीं थीं।
थोड़ी दूर आगे जाकर हल्का सा सन्नाटा दिखा तो ढीढता पर उतर आया-
"देखिये बेवी जी......जो हो लेकिन आपने मेरा देखा है.....अब आपको भी अपना दिखाना पड़ेगा वरना मैं सब को बता दूँगा की आपने मेरा लौड़ा देखा है......पूरे स्कूल में आपकी बदनामी हो जायेगी......"
. रिक्शेवाले की ऐसी ढीढता देखकर लड़की का दिल जोरों से धड़क उठा।
"त...तुम चाहते क्या हो?"
"कुछ नहीं......भला मैं गरीब आदमी आपसे क्या चाह सकता हूँ.....आज तक मैंने किसी गोरी लड़की की झाँट नहीं देखी बस एक बार आप दिखा दीजिये सारी बात यहीं कि यहीं खत्म हो जायेगी....."
"नहीं.......तुम किसी को बता दोगे तो..."- लड़की को भी लगा कि बात अगर इतने से खत्म हो रही है तो क्या फायदा आगे बढ़ाने से। दिखा-विखा कर फुरसत लो।
रिक्शेवान की आंखों में मानों कमीनेपन के हजारों जुगनू चमक उठे।
मुँह में पानी आ गया।
मंझा हुआ खिलाड़ी था शिकार को फाँसना अच्छी तरह से आता था।
"मैं भला किसी को क्यों बताउंगा.......आपने मेरा देखा मैने आपका देखा...हिसाब बराबर....कहानी खतम.....लेकिन यहाँ नहीं......"
"तो फिर कहाँ...?"-लड़की की योनि इस बात से चुनचुनाने लगी थी कि आज पहली बार कोई आदमी उसे देखने वाला था।
"अंदर...अरहर के खेत में.......यहाँ सड़क पर कोई आ गया तो आपकी भी बदनामी होगी और मेरी भी....."
रिक्शेवाले ने रिक्शे को सड़क के एक किनारे खड़ाकर दिया।
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