RE: Hindi Chudai Kahaniya पड़ोसी किरायेदार की ख्...
कोमल की गांड की 5 मिनट तक चुदाई चालू रही, इसके बाद वो मेरे वीर्य से भर गई। हम दोनों नीचे आ गए और कोमल के कमरे में एक दूसरे से चिपक कर सो गए। कोमल और मैं सुबह सुबह 7 बजे उठे और एक दूसरे की बाहों में चिपक गए, मेरा लंड कोमल की फुद्दी में घुसने की कोशिश करने लग गया।
हम एक दूसरे के बदन को चुमने लगे मैंने लंड को सेट किया और कोमल की फ़ुद्दी मे घुसा दिया। कुछ देर तक हमने सुबह की चुदाई का मज़ा लिया, इसके बाद हम उठकर तैयार होने चले गए। सुबह 8 बजे कोमल ने नाश्ता बनाया और मैं खा पीकर ऑफिस चला गया।
दो दिन बाद चारु का लाइब्रेरी ऑफिसर के लिए इंटरव्यू था। चारु को भाभी के साथ इंटरव्यू देने जाना था, मैंने कहा- 2-3 फोटो रख लो। चारु अंदर गई, एक प्लास्टिक का बैग ले आई और अपनी फोटो निकालने लगी। तभी मेरी नज़र एक पोस्टकार्ड साइज़ फोटो पर गई।
फोटो को देखने पर कुछ जाना पहचान सा लगा, फोटो उल्टी पड़ी हुई थी। मैंने उसे सीधा किया तो हैरान रह गया, ये तो मेरा ही फोटो था। जो मैंने 3-4 साल पहले अपनी MBA की पढाई ख़त्म करने के बाद खिंचवाई थी।
मैंने उससे पूछा- यह कहाँ से आई तुम्हारे पास?
चारु सकपका गई और बोली- तुम्हारे कमरे से उठा ली थी।
और वो तेजी से अपनी फोटो निकाल कर वहां से चली गई।
मैंने सोचा कि मेरे पास तो यह फोटो यहाँ है नहीं, फिर? शायद कहीं मिल गयी होगी इसे। मैंने सर को झटका दिया और ऑफिस चला गया। भाभी की मदद से चारु इंटरव्यू दे आई और सेलेक्ट हो गई। 15 दिन बाद चारु को ज्वाइन करना था।
आकाश को जब यह बात पता चली तब आकाश ने दारु पीकर उसकी पिटाई कर दी। 15 दिन निकल गए। आकाश ने ने चारु को नौकरी नहीं करने दी। इस बीच कोमल की शादी तय हो गई और वो चली गई। आकाश जब भी चारु को पीटता था, मुझे बहुत गुस्सा आता था। लेकिन वो उसका पति था अगर मैं कुछ करता तो वो उसे गलत समझ कर और पिट देता।
दिन पर दिन दारु की लत से आकाश कमज़ोर होता जा रहा था। एक दिन उसकी 2-10 बजे की शिफ्ट थी रात को वो घर नहीं आया कोई नई बात नहीं थी, दारु के नशे में कई बार वो अड्डे पर ही सो जाता था। लेकिन अगले दिन भी 2 बजे तक नहीं आया। सुबह सुबह चारु मेरा दरवाजा पीटने लगी।
मैंने बाहर निकल कर उसे पूछा- क्या हुआ चारु?
चारु बोली- इन्हें गए हुए दो दिन हो गए है, अबतक कोई पता नहीं है।
सबको चिंता हुई पता किया तो पता चला दारु के अड्डे पर जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की तबियत खराब हो गई थी सब लोग अस्पताल में भरती हैं।
जब हम लोग अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि आकाश और 2 लोग मर चुके हैं, उसने ज्यादा ही शराब पी ली थी। चारु तो ये सुनकर ही बेहोश हो गई थी। उसके रिश्तेदारों को खबर की गयी। चारु के घर से कोई नहीं आया था, आकाश के एक मामा आए थे, सब काम 3 दिन में ख़त्म हो गया।
चारु की तबियत खराब रहने लगी। मेरा उससे मिलना भी बहुत कम हो गया। वो कभी कभी ही दिखाई देती थी। उसके घर में मेरी जाने की हिम्मत नहीं होती थी कि कहीं वो गलत न समझ ले। एक दिन जब में ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था। चारु मेरे पास आई।
उसने मुझसे रोते हुए कहा- मुझे लाइब्रेरी की नौकरी दिला दो। मैं जिंदगी भर आपका एहसान नहीं भूलूंगी। अपने मेरे लिए इतना किया है, भगवान क लिये इतना और कर दीजिये।
मैंने अपने पूरे प्रयास के बाद उसे वो नौकरी दिला दी। धीरे धीरे चारु की गाड़ी चल निकली। वो अब सारा दिन लाइब्रेरी में बिताती और शाम को वापस आती थी। तीन-चार महीने में वो सामान्य हो गई। उसने दुबारा सुबह बेफिक्र होकर नहाना शुरू कर दिया। मुझे फिर से वही चारु नज़र आने लगी।
मेरा उसके साथ संबंध काफी पहले ही टूट सा गया था। एक दिन फिर रात को वो मेरे लिए दूध लेकर आई जैसे पहले लाती थी। उसने मुझे दूध दिया और मेरे पैरो के पास बेठ गयी उसने अपना सिर मेरी गोद में रख दिया।
मैं बोला- चारु यहां ऊपर आकर बैठो न।
चारु बोली- क्यों क्या मैं यहां नहीं बैठ सकती। अब मैं बिल्कुल अकेली हो गयी हूँ। आकाश तो मुझे कभी बच्चा दे ही नही सकता था। काश उसके जीतेजी मैने आपसे एक बच्चा ले लिया होता। मैं उसी के सहारे आगे जी लेती।
मैंने उसे ऊपर उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। उसके होंठो को चूमने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। फिर मैं उसे बिस्तर पर ले गया। उसने मैक्सी पहनी हुई थी। उसे धीरे धीरे चूमते हुए मैं मैक्सी ऊपर करने लगा।
मैक्सी ऊपर ले जाकर मैने पूरी निकाल दी। वो अब ब्रा और पैंटी में थी सिर्फ। मैंने उसके निप्पल को चूमते हुए ब्रा भी निकाल दी। और उसके चुचो को चूसने लगा।
चारु भी गर्म हो रही थी, कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
मैंने सोचा इस वक़्त कौन आ गया। जो भी हो अब अगर चारु को अंदर देख लिया, वो भी इस हालत में तो क्या होगा। अभी मैं यही सोच रहा था कि...किसी के सीढ़ियां उतरने की आवाज आई।
मैं थोड़ा निश्चिन्त हो गया, लेकिन वो था कौन। चारु भी उठकर अपने कमरे में चली गयी। तभी नीरा भाभी का फोन आया।
मैं बोला- हेल्लो भाभी, क्या हुआ।
भाभी बोली- कुछ नहीं, वो मैं ऊपर गयी थी। तो मुझे चारु नहीं दिखी। आपको पूछने के लिए आपका दरवाजा खटखटाया शायद आप सो चुके थे।
मैं बोला- नहीं चारु तो बाहर ही है, अभी छत से आई है। और आज थकने की वजह से नींद आ गयी थी।
मैंने उन्हें झूठ बोलकर चुप कर दिया। और वापस आकर सो गया।
रोज की तरह में सुबह सुबह ऑफिस के लिए तैयार हो गया था। तभी चारु अपना और मेरा दोनों का नाश्ता लेकर आई। उसने एक पिंक बोर्डर वाली व्हाइट साड़ी पहनी थी। वो उसमें एक दम 24 साल की कोई अविवाहित लड़की सी मालूम पद रही थी।
तब से वो आकाश की वजह से ऐसे रहती थी। लेकिन अब वो एक दम प्रोफेशनल की तरह रहती थी। आखिर जरूरत भी थी। आज के जमाने मे वक़्त के साथ चलना पड़ता है। वो नाश्ता मेज पर रखकर मेरे पास ही आकर बैठ गयी।हमने नास्ता किया।
और साथ ही निकल चले, मैं उसे उसकी लाइब्रेरी छोड़ते हुए ऑफिस पहुंचा।
और शाम को भी ऑफिस से आते हुए उसे लेते हुए आया। अब ये हमारा रोज का रूटीन बन गया था। वो मेरे साथ एक तरह से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही थी। और साथ ही वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी बन गयी थी।
इसी तरह से धीरे धीरे वक़्त बीत रहा था। धीरे धीरे एक साल बीत गया। एक साल बाद कम्पनी ने मेरा प्रमोशन किया और साथ ही ट्रांसफर भी पूना हो गया। शाम को ऑफिस से लौटते वक़्त मैं चारु को लेकर एक रेस्टॉरेंट में पहुंचा। मैंने उसे अपने प्रमोशन की खबर दी तो वो बहुत खुश हुई।
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