RE: Hindi Chudai Kahaniya पड़ोसी किरायेदार की ख्...
कोमल ने टीवी खोल दिया और अपनी सलवार मेरे सामने ही उतार दी कुरता घुटने तक आ रहा था। उसके बाद अपनी कुर्ती भी ऊपर करके उतार दी। उसने सफ़ेद पारदर्शी ब्रा और काली पैंटी पहन रखी थी।
मेरा लोड़ा उसकी कसी चूचियाँ और गदराई जांघें देखकर खड़ा हो गया। मैंने अपने लौड़े को दबाया जैसे सांत्वना दे रहा हूँ कि थोड़ी देर रुक जा।
मैं बोला- आप खुल कर बातें करेंगी या खोल कर?
अंगड़ाई लेती हुई कोमल ने अपनी ब्रा पीछे से खोल दी, उसकी गोल गोल गदराई हुई दोनों चूचियाँ बाहर निकल आईं।
कोमल बोली- आपकी संतरे खाने वाली इच्छा भी तो पूरी करनी है। सुंदर सामने को कसी हुई गुलाबी चूचियों और काली निप्पल ने मेरा लोड़ा खड़ा कर दिया था, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने आगे बढ़कर उसकी चूचियाँ दबाते हुए मुँह में भर लीं और चूसने लगा।
कोमल ने मुझे अपने से चिपका लिया।
वो बोली- राहुल जी, चुदने का बड़ा मन कर रहा है, आधे महीने से ज्यादा हो गया लंड डलवाए हुए।
अपना लंड मेरी भोंसड़ी में डालिए ना ! 100 से ज्यादा लंड खा चुकी निगोड़ी, अब बिना लंड के नहीं रहा जाता। कोमल ने मेरा नेकर उतार दिया था और वो मेरा 7 इंची लंड सहला रही थी।
कोमल बोली- राहुल जी, इसे देखकर तो और भी चुदने का मन कर रहा है। अब मन मत करिये।
उसने मेरा कुरता भी उतरवा दिया और अपनी पैंटी भी उतार दी। नंगी चूत पर नाम मात्र की झांटें थीं। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और बेकाबू सी होती हुई चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद वो टांगें फ़ैला कर लेट गई और बोली- राहुल, फक मी ! चोदो अपनी कोमल रांड को चोदो ! अब नहीं रहा जा रहा है।
मैंने उठकर उसकी चूत पर अपना लंड फिराया और चूत के अंदर घुसेड़ दिया। उह आह से कोमल सिसकारी मारने लगी, उसने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर से बाँध लीं और चुदने में पूरा साथ देने लगी, टट्टे बार बार उसकी चूत के दरवाज़े से टकरा रहे थे, गरम साँसों के बीच दो युवा चुदाई में मग्न थे, होंट एक दूसरे से चिपके जा रहे थे। चुदाई की आह उह पूरे कमरे में गूँज रही थी।
कुछ देर बाद हम दोनों साथ साथ झड़ गए। इसके बाद कोमल आधा घंटा मुझसे चिपकी रही। रात का एक बज़ रहा था।
कोमल बोली- भूख लग रही है, आलू के परांठे खाएंगे? मैं भी भूखा था, मैंने हां कर दी।
कोमल ने उठकर कुरता पहन लिया और मुझे भी सिर्फ कुरता पहनने दिया हम दोनों के कुरते घुटने से नीचे तक आ रहे थ
कोमल परांठे बनाने लगी। कोमल ने 2-2 मोटे परांठे अपने और मेरे लिए बना लिए। परांठे खाकर हम लोग छत पर आ गए। मैंने और कोमल ने एक दूसरे की कमर में कुरते के अंदर से हाथ डाल रखा था।
चांदनी रात के 2 बज़ रहे थे हवा अच्छी चल रही थी। एक दूसरे के नंगे चूतड़ों पर हमारे हाथ फिसल रहे थे, बड़ा अच्छा लग रहा था। हम दोनों छत की मुँडेर पर बैठ गए।
कोमल बोली- मैंने अपने माँ बाप को शादी के लिए बोल दिया है। 2-3 महीने में शादी हो जानी चाहिए। बिना चुदे मुझसे अब रहा नहीं जाता है। जब तक मेरी शादी नहीं हो रही, तब तक महीने में एक दो बार तुम मुझे चोद दिया करो ना। बाहर तो चुदवाने की मेरी हिम्मत अब है नहीं।
मेरे मन में लड्डू फूट पड़े, मैंने कहा- अँधा क्या चाहे दो आँखें ! तुम्हारी चुदाई से तो मुझे ख़ुशी ही मिलेगी।
मेरा तो अभी भी तुम्हे। एक बार और चोदने का मन कर रहा है।
हम लोग छत की मुंडेर पर बैठ कर ये बातें कर रहे थे।
कोमल उठी और उसने मुस्करा कर मुझे देखा और जमीन पर बैठते हुए मेरा कुरता ऊपर उठाकर लोड़ा मुँह में ले लिया और एकाग्रता से लोड़ा चूसने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उसे हटा दिया और मुंडेर पर हाथ रखकर घोड़ी बना दिया। उसने टांगें फ़ैला ली थीं, चूत पीछे से चांदनी रात में साफ़ दिख रही थी। मैंने लोड़ा उसकी चूत के द्वार पर पीछे से लगा दिया, एक जोर का झटका देते हुए उसकी चूत में पेल दिया।
आराम से लोड़ा अंदर तक घुस गया, कोमल की चुदाई होने लगी। चुदने में वो वो पूरा सहयोग कर रही थी, अपनी गांड आगे पीछे हिलाते हुए चिल्ला रही थी- चोद हरामी चोद।
मैं भी उत्तेजित होकर एक कुतिया की तरह उसे पेल रहा था और बुदबुदा रहा था- रांडों की रांड ले खा ! याद रखेगी कि किसी चोदू ने तेरी चोदी थी। 10 मिनट तक इसी तरह वो चुदती रही।
उसके बाद बोली- थोड़ी गांड भी पेल दो! पता नहीं फिर कब चुदने का दिन आएगा। मैंने लंड बाहर निकाल लिया।
कोमल बोली- पहले तुम दो तीन उंगली कर रास्ता बना लो, फिर चोदना।
लेकिन गांड चुदवाना इतना आसान नहीं था।
मैं गांड में डालने को उतावला हो रहा था, रजनी फिर झुककर घोड़ी बन गई, दम लगाते हुए मैंने लोड़ा उसकी गांड में घुसाना शुरू कर दिया।
ओई उह ओइ ओह की तेज दबी सी आवाज़ निकली। उसकी गांड में अंदर तक लंड घुस चुका था। मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी शुरू कर दी। कोमल मीठे दर्द वाली सिसकारियां भरने लगी। उसकी चूचियों को दबाते हुए मैंने गांड में लंड की स्पीड बढ़ा दी, बड़ा मज़ा आ रहा था।
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