RE: Hindi Chudai Kahaniya पड़ोसी किरायेदार की ख्...
रात को 10 बजे खाना खिलाने के बाद चारु मेरे पास आकर बैठ गई, उसने बिना ब्रा- पैंटी के मैक्सी पहन रखी थी।
मैंने उसे उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी मैक्सी के सारे बटनों को खोलकर मैं उसकी चूचियाँ सहलाने लगा।
चारु बोली- चूत में खुजली बढ़ गई है।
मैंने उसके होंटों पे होंट लगाते हुए कहा- खुजली तो बढ़ेगी ही ! दवा तो तुम्हारी मेरे पास रखी है।
मैंने पलंग के नीचे से दवा निकाल ली और बोला- अपनी चूत रानी को खोलो, क्रीम लगा देता हूँ।
उसने अपनी मैक्सी उतार दी, अब वो पूरी नंगी थी और जाँघों को चौड़ा करके मेरी गोद में बैठ गई, मैं अपनी उंगली से उसकी चूत में क्रीम की मालिश करने लगा।
चारु बोली- मामाजी के घर में खुजली कम हो गई थी लेकिन कल रात को ये चढ़ गए और चोदने लगे। 20 दिन से नहीं नहाए हैं, कुछ कहती हूँ तो मारने लगते हैं। मेरे पीछे सस्ती रंडी भी चोद आते हैं, बड़ी दुखी हूँ, बहुत गंदे रहते हैं।
मैने चारु से पूछा- तुमने ऐसे आदमी से शादी क्यों की।
चारु अपनी कहानी बताने लगी, बोली- मैंने घर से भाग कर शादी की थी, तब मैं 21 साल की थी। पापा की पोस्टिंग अहमदनगर में थी।
आकाश अहमदनगर में मेरे पड़ोस में किराए पर रहने वाली आंटी के भांजे थे, इनसे दो साल से मेरे सम्बन्ध चल रहे थे। इन्होंने मुझे ये बता रखा था कि ये एक कम्पनी में मैनेजर हैं।
हर शनिवार और रविवार को आंटी के घर आते थे। पापा ने अपने एक दोस्त के बेटे से मेरी शादी तय कर दी थी, तुम्हारी तरह बहुत सुंदर और एम बी ए लड़का था, मुझे भी पसंद था।
लेकिन मैंने अकाश के साथ सेक्स कर लिया था। मेरे मन में यह बात बैठी हुई थी कि जिसके साथ सेक्स कर लो, वो ही पति होता है।
इनसे शादी के लिए पापा मम्मी राजी नहीं थे, मैं इनके साथ भाग गई और इनसे शादी कर ली, माँ बाप ने नाता तोड़ लिया। मुझे धीरे धीरे इनकी असलियत पता लगने लगी ये दसवीं फ़ेल थे और बहुत दारु पीते थे।
जिस कम्पनी में मुझे ये मैनेजर बताते थे, उसमें ये मजदूर थे। अब मैं क्या कर सकती थी। मैं बी लिब पास हूँ।
"अगर मेरी शादी माँ बाप की पसंद से हो जाती तो मैं आज शायद बहुत खुश होती।” चारु बोलते बोलते रोने लगी थी।
मैंने उस लड़के का नाम पूछा लेकिन चारु ने मुझे नाम नहीं बताया। चारु की आँखों से आंसू बहने लगे।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके आँसू पोंछे और होटों से होंट चिपका कर एक गहरा चुम्बन लिया। थोड़ी ही देर में वो भी अपना गम भूलकर मेरे रंग में रंग गयी। वो भी गरम होने लगी।
चारु ने मेरे हाथ अपने स्तनों पर रख लिए और मेरे हाथ के ऊपर अपने हाथ रख दिए। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। 10 मिनट तक हम एक दूसरे की आँखों में देखते हुए ऐसे ही लेटे रहे।
इसके बाद चारु ने मेरी उंगली अपनी चूत में घुसवा ली और बोली- मालिश करिए ना ! आपसे मालिश करवाना अच्छा लगता है।
11 बज़ गए थे, सुरेखा ने मेरा पजामा खोल कर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरे हाथ उसकी चूत और जाँघों पर चल रहे थे। सुरेखा पूरे मन से लोड़ा चूस रही थी।
लेकिन मेरा मन तो उसे चोदने का था। डॉक्टर ने मना कर रखा था, इसलिए में उसे चोद भी नहीं सकता था। थोड़ी देर बाद उसे उठाकर मैंने बिस्तर पर लेटा दिया।
नंगी होकर चारु किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी, उसकी चूचियाँ दबाते हुए मेनें अपना लंड उसकी चूचियों के बीच घुसा दिया।
उसकी चूचियों के बीच ही में चुदाई करने लग गया। थोड़ी देर की, इस चुदाई के बाद ढेर सा वीर्य उसके बदन पर गिर गया।
5 मिनट हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे उसके बाद उसने उठकर अपना बदन साफ़ किया और मुझसे चिपक कर एक पप्पी ली और अपनी मैक्सी पहन कर अपने कमरे में चली गई।
|