RE: Hindi Chudai Kahaniya पड़ोसी किरायेदार की ख्...
मैंने उनके हाथ अपनी तरह से नल से बाँध दिए और उनकी चूचियाँ कस कस कर दबाने लगा। शावर खोलकर उनकी निप्पल नोच नोच कर कड़ी कर दीं और उनकी चूत के दाने को अपनी उँगलियों से रगड़ने लगा। भाभी की सिसकारियाँ गूंजने लगीं, चूत से पानी बहने लगा।
अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। उसकी चूत का जैसे चस्का लग गया था, मेरे लंड को। 10 मिनट बाद उन्हें मैंने खोल दिया हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए।
मेरा लोड़ा उनकी चूत में घुस गया। 5 मिनट एक दूसरे से चिपक कर चुदाई का खेल खेलते हुए हम नहाए, उसके बाद अलग हो गए।
कपड़े पहन कर भाभी और मैं 1 से 4 मूवी देखने बाहर चले गए। जब हम शाम को मूवी देखकर घर आये, तभी भाई साहब का फोन आया उन्होंने बताया कि वो कुछ ही देर में घर पहुंच जाएंगे।
मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया। खाना तो हम बाहर खाकर ही आये थे। रात को भाईसाहब और बच्चे आ गए। मैं 10 बजे सो गया। एक अच्छे रविवार का अंत हो गया।
अगले दिन सुबह बाहर कुछ खट पट हुई तो मुझे लगा चारु आ गई है। मैंने झांककर देखा तो चारु का पति आकाश था। बाहर निकल कर मैंने हाल चाल पूछे।
आकाश के बदन से गन्दी बदबू आ रही थी और मुँह से दारु की दुर्गन्ध आ रही थी।
मुझे चारु की किस्मत पर दुःख हुआ।
बातों बातों में आकाश ने बताया कि चारु दो दिन बाद आएगी।
दो दिन बाद सुबह नल चलने की आवाज़ आई मैंने देखा तो 5 बज़ रहे थे। चारु नहाने की तैयारी कर रही थी, मतलब वो वापस आ गई थी।
मैने दरवाज़े से झाँककर देखा। सच में चारु ही थी, वो अब भी मेरा दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। मैंने चारु को अभी तक नहीं बताया था कि मैं रोज़ उसे नहाते हुए देखता हूँ। उसको नहाते हुए देखने का अलग मज़ा था।
थोड़ी देर में चारु नंगी होने लगी। आज उसने अपनी पैंटी भी पहले ही उतार दी थी। नंगी होकर सुरेखा नहाने लगी।
आज इतने दिनों के बाद चारु को फिर से नंगा देख रहा था में, मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।चारु अपने पूरे शरीर पर साबुन घुमा रही थी, और उसी के साथ साथ मेरा हाथ मेरे लंड पर घूम रहा था।
रोज़ की तरह चूचियाँ हिल रही थीं, जाँघों पर साबुन लगते समय चूत पूरी चमक रही थी।
नहाने के बाद चारु अपने कमरे में चली गई। फिर में भी तैयार होने चला गया। आठ बजे रोज़ की तरह नाश्ता लेकर मुझसे मिलने आई और मेरी बाँहों में चिपक गई। मैंने उसका एक चुम्बन ले लिया।
चारु बोली- अरुण 2-10 की शिफ्ट में हैं। 15 दिन ये रात को 1 बजे आएँगे। तो मैं रात में आपसे बातें करुँगी इतना कहकर वो चली गई।
मैं ऑफिस चला गया। पूरा दिन ऑफिस में मन नहीं लगा। पता नहीं कैसा जादू सा कर दिया था, चारु ने मुझ पर, मुझे हमेशा उसी की याद आती थी।
जैसे तेसे आज का दिन खत्म करके में घर पहुंचा। चारु ऊपर अपने कमरे में नहीं थी। मेरे सिर में दर्द हो रहा था, अगर चारु होती तो में उसे चाय बनाने को बोलता।
लेकिन चारु तो थी ही नहीं, में नीचे की तरफ चल दिया। तभी मैने देखा कि चारु का दरवाजा बाहर से बंद है। लेकिन उस पर ताला नही लगा था।
मतलब चारु घर में ही थी। मैने सोचा वो भी नीचे ही होगी, तो में नीचे पहुंचा। कोई दिखाई नहीं दे रहा था। नीरा के अंदर वाले कमरे से कुछ आवाजें आ रहीं थीं।
में उसी तरफ चल दिया। मैंने कमरे का दरवाजा खोला। लेकिन ये क्या अंदर का नज़ारा देखकर मेरी आंखे फटी की फटी रह गयीं।
थोड़ी देर में उस अप्सरा को ऐसे ही देखता रहा। फिर एक दम जैसे मुझे होश सा आया। मैंने दरवाजा बंद किया और भागकर ऊपर आ गया।
मेरे सर का दर्द तुरंत गायब हो गया था। मैं जैसे ही ऊपर आया मेरे ठीक पीछे पीछे चारु भी ऊपर आ गयी। मैं उस से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। फिर भी मैने हिम्मत करके उसकी तरफ देखा।
वो खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी। मैं भी मुस्कुरा दिया।
चारु बोली- क्या काम था, नीचे कैसे पहुंच गए।
मैं बोला- अरे वो सिर में दर्द हो रहा था, तो तुम्हे ढूंढते ढूंढते पहुंच गया। वैसे वो थी कौन।
मेरे उस लड़की के बारे में पूछने पर चारु का चेहरा उतर गया। फिर भी वो खुश दिखने का ढोंग करते हुए बोली।
चारु बोली- वो नीरा भाभी की चचेरी बहन है। नीरा भाभी के देवर के लिए उसे पसंद किया है। इसलिए बुलाया है, कल वो लोग इसे देखने आएंगे यहीं पर।
मैं फिर बोला- हां वो तो ठीक है, लेकिन तुम लोग नंगी होकर क्या कर रही थीं।
चारु बोली- नंगी वो थी, मैं और भाभी तो सिर्फ बेठे थे।
मैं हँसते हुए बोला- हाँ तो तुम दोनों क्या उसका फिगर चेक कर रही थी।
चारु भी हँसने लगी और बोली- फिगर तो तुम चेक कर रहे थे। कैसे नज़रें ज़मा कर देख रहे थे उसे।
चारु फिर बोली- अभी अभी हम बाज़ार से आये थे शॉपिँग करके, तो वो अपने कपड़े चेक कर रही थी, कि तभी तुम पहुंच गए।
फिर चारु अंदर किचन में चली गयी और मैं कमरे में।
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