RE: Hindi Chudai Kahaniya पड़ोसी किरायेदार की ख्...
चारु बोली- दवा आप अपने पास रख लें। इन्होंने देख ली तो मेरी जान ले लेंगे। चारु ने मेरा हाथ उठाकर अपनी जाँघों पर रख लिया, धीरे धीरे उसकी जांघें सहलाते हुए मैं उससे बातें करने लगा। काफी आ गई, पीते-पीते मुझे पता चला कि चारु पैसों की कमी के कारण क्रीम और कॉस्मेटिक नहीं खरीद पाती है। मेरा हाथ अब उसकी जाँघों के बीच चल रहा था, उसको मज़ा आ रहा था।काफी पीने के बाद मैंने उसे 1000 रुपए के कॉस्मेटिक और क्रीम दिलवाई। इसके बाद वो बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठ गई और हाथ उसने मेरे तने हुए लंड के ऊपर रख दिया। पूरे रास्ते वो मेरा लंड सहलाती हुई आई। मैं भी बाइक 20 की स्पीड से चला रहा था। उसके बाद हम घर आ गए।
चार बज़ रहे थे, हम दोनों ऊपर आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए।
रात को चारु ने खाना 10 बजे तैयार किया ऊपर आज रात मैं और चारु अकेले थे, चारु और मैंने एक साथ खाना खाया, उसके बाद चारु बोली- मैं 11 बजे आपके लिए दूध लेकर आती हूँ।
11 बजे चारु पारदर्शी मैक्सी में दूध लेकर आई। उसकी लाल पैंटी और दूधिया चूचियाँ साफ़ दिख रही थीं। मुझे देख कर वह मुस्करा रही थी।
मैंने दूध पीते हुए पूछा- क्रीम लगवानी है? चारु बोली- लगा दीजिएगा।
उसकी आँखों में एक कामुक चमक थी। दूध का गिलास रखने के बाद मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया और अपने से चिपका लिया। उसके होंठ अब मेरे होंटों से चिपक गए थे। हम दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे।
इसके बाद मैंने चारु को बिस्तर पर गिरा दिया। उसकी मैक्सी खुल गई थी, नीचे सिर्फ एक लाल पैंटी थी, गुलाबी स्तन चमक उठे थे, जिन स्तनों को देखकर मैं 10 दिन से मुठ मार रहा था, आज वो मेरे हाथों में थे, उन्हें दबाते हुए बोला- सच, गज़ब के सेक्सी हैं तुम्हारे ये स्तन।
चारु ने मेरे मुँह में अपनी निप्पल लगा दी और बोली- आप इसे चूसो ना ! आज सुबह से मेरा बहुत मन कर रहा है कि आप मेरे इनसे खेलें।
मैंने उसके दूधिया स्तनों को दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया।
चारु की उह आह उह कमरे में गूँज रही थी। उसकी निप्पल्स तन गई थीं, मसलाई अच्छी हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मेरे हाथों से उसकी पैंटी भी नीचे उतर गई, चूत बिल्कुल चिकनी हो रही थी, शाम को ही साफ़ करी लग रही थी। मैंने उसकी चूत के होंटों पर अपनी उंगलियाँ फ़िराईं।
चारु पागल हो रही थी- बोली चोदो राहुल ! चोदो बहुत मन कर रहा है।
मैंने उठकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी जाँघों पर उसे बैठाते हुए उसकी जांघें और चूत सहलाने लगा।
मैंने कहा- एक हफ्ते तक तो चूत का दरवाज़ा बंद है।
चारु मेरे 7 इंची तने हुए लंड को दबाते हुए बोली- आज चोद दो, एक दिन से कुछ नहीं होता है। सच तुम्हें मैं अपने अंदर लेना चाहती हूँ, मेरी चूत चोदो।
उसकी चूत से काफी पानी बह रहा था, मेरा लंड भी चोदने को पागल हो रहा था।
चारु को मैंने लेटा दिया, उसने अपनी जांघें चौड़ी कर दी थीं, अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली- राहुल, अंदर घुसाओ न !
मैं आज उसे चोदना नहीं चाहता था, लेकिन उसकी वासना को देखकर लग रहा था, जैसे कि अगर आज इसे छोड़ दिया तो कहीं निकल ना जाये।
अब हमारे बीच की दूरी ख़त्म होने वाली थी, मैंने देर किए बिना अपना लोड़ा उसकी चूत की फलकों पर लगा दिया और घुसाने लगा।
थोड़ी देर में लंड पूरा अंदर था। उसने टांगें मेरी पीठ पर बांध दी थीं, हम दोनों की साँसें तेज चल रही थीं। मैंने पेलना शुरू कर दिया था।
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