Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:16 AM,
#60
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
रेखा और संध्या दोनों बीपी सिंह के गले लग जाती है,
रेखा-"आप कैसे हो"
बीपी सिंह-"में ठीक हूँ रेखा,मुझे तो लगा था में अकेले ही तड़प तड़प कर मर जाऊँगा,सूरज की बजह से मुझे दोबारा एक नई जिंदगी मिल गई"
बीपी सिंह संध्या के आगे हाँथ जोड़ता है।
बीपी सिंह-"संध्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया अब में बहुत खुश हूँ,मुझे मेरा परिवार मिल गया" संध्या गले लग जाती है।
बीपी सिंह की आँखों में आंसू आ जाते हैं, पूनम और तनु भी अपने पापा के गले लग जाती हैं, इस प्रकार फेमिली ड्रामा सुबह से लेकर शाम तक चला, सभी लोग बैठ कर खाना खाते हैं,और बहुत सारी बाते करते हैं ।
अब रात में सोने की तयारी होती है, बीपी सिंह अपने कमरे में जाता हैं जहाँ संध्या और रेखा सोती थी । संध्या रेखा के पास आकर कहती है ।
संध्या-",दीदी आप उनके साथ सो जाओ,में सूरज के रूम में सो जाती हूँ"
रेखा-"दीदी आप सो जाओ,में कहीं और सो जाउंगी"
संध्या-"नहीं दीदी आप ही जाओ, और हाँ ज्यादा तेज आवाज़े मत निकालना, बरना मेरी हालात ख़राब हो जाएगी"
रेखा-"मतलब समझी नहीं"
संध्या-" दीदी वो सेक्स आराम से करना"रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"तो आप ही चली जाओ"
संध्या-"नहीं दीदी आप ही जाओ"यह कह कर संध्या रेखा को भेज देती है और खुद सूरज के कमरे में आकर अपनी मेक्सी उतार कर नंगी हो जाती है और सूरज से लिपट कर लेट जाती है ।
सूरज-"क्या हुआ माँ,आज आप पापा के पास नहीं गई",
संध्या-"मुझे तो सिर्फ तू चाहिए,मेरी चूत में सिर्फ तेरा ही लंड घुसेगा और किसी का नहीं",संध्या सूरज का लोअर उतार कर मुह में लेकर चूसने लगती है, सूरज भी चार दिन से चूत का प्यासा था, सूरज और संध्या 69 की पोजीसन में आकर एक दूसरे का अंग चाटने चूसने लगते हैं, संध्या सूरज के ऊपर लेट कर मुह में लंड डालकर चुस्ती है और सूरज के मुह पर संध्या की चूत थी,सूरज अपनी जीव्ह घुसेड़ कर चूत चाटता है, काफी देर तक चाटने के बाद सूरज उठ कर संध्या की चूत में लंड घुसेड़ कर चोदने लगता है ।
इधर रेखा बीपी सिंह के कमरे आकर अपने पति से लिपट कर लेट जाती है, बीपी सिंह रेखा को बहुत प्यार करता है लेकिन चोदता नहीं है, रेखा इंतज़ार करती है की उसका पति उसे चोदे लेकिन बीपी सिंह सो जाता है, रेखा को लगता है शायद सफ़र करने की बजह से थक गए होंगे इसलिए सो गए, थोड़ी देर बाद रेखा अपनी चूत को ऊँगली से शांत करके सो जाती है, इधर सूरज दो बार संध्या को चोद कर सो जाता है, सुबह सबकी आँख खुलती है सब लोग फ्रेस होकर डायनिंग टेवल पर आते हैं, संध्या और रेखा किचेन में थे ।
संध्या-"रात क्या हुआ दीदी,आपने बताया नहीं" संध्या मजे लेते हुए बोली।
रेखा-"कुछ नहीं हुआ,वो बहुत थके हुए थे जल्दी सो गए" रेखा शरमाती हुई बोली।
संध्या-"ओह्ह्ह दीदी,कोई बात नहीं आज कोसिस करना" 
आज पुरे दिन सभी लोग बीपी सिंह के साथ मार्केट शॉपिंग करने जाते हैं।
रात 11 बजे फिर से रेखा कमरे में जाती है लेकिन बीपी सिंह बेचारा अपनी हार्ट और शुगर की दवाई खा कर गहरी नींद में सो चूका था। रेखा बेचारी फिर से ऊँगली से अपने आपको शांत करती है ।
इधर संध्या सूरज से चुदवाती है। 
दूसरे दिन सुबह बीपी सिंह अचानक अमेरिका से फोन आने के कारण चला जाता है ।
सुबह सभी लोग अपने अपने काम पर चले जाते हैं।
पूनम तान्या के साथ कंपनी जाने लगी थी,तनु अपने कॉलेज जाती है ।
रेखा के जिस्म की प्यास दिन व् दिन बढ़ती जा रही थी। दो तीन दिन ऐसे ही बीत जाते हैं। एक दिन रेखा चुदवाने के लिए अमेरिका जाने का मन बना लेती है । बीपी सिंह अमेरिका की दो टिकेट भेज देता है । रात के दस बजे फ्लाइट थी। रेखा सूरज से जाकर बोलती है, आज कई दिन रेखा सूरज बात करती है ।
रेखा-'सूरज आज अमेरिका जाना है" सूरज चोंक जाता है।
सूरज-'कितने बजे जाना है माँ"
रेखा-"आज रात दस बजे फ्लाइट है,तैयार हो जाना"इतना कह कह कर रेखा चली जाती है।
रेखा तैयारी में जुट जाती है, रात ठीक 9 बजे सूरज और रेखा एअरपोर्ट जाकर अपनी फ्लाइट में बैठ जाते हैं। फ्लाइट में भी रेखा ज्यादा बात नहीं करती है सूरज से। दुसरे दिन शाम पांच बजे दोनों अमेरिका पहुंचते हैं, एअरपोर्ट पर हेलिना उन्हें रिसीव करने आती है । (हेलिना को सूरज एक बार चोद चूका था,हेलिना बीपी सिंह की कंपनी में चीफ सेक्रेटरी की नोकरी करती है) हेलिना शार्ट ड्रेस पहनी थी,जिसमे उसकी आधे से ज्यादा बूब्स बाहर दिखाई दे रहे थे,और निचे शार्ट स्कर्ट,हेलिना सूरज को देख कर गले लगा लेती है, और एक किस्स करती है । रेखा ये सब देख कर चोंक जाती है । हेलिना दोनों को गाडी में बैठा कर घर ले जाती है। बीपी सिंह उनका इंतज़ार ही कर रहा था, रेखा इतनी बड़ी हवेली देख कर दंग रह जाती है । बहुत ही सुन्दर घर था । बहुत से नोकर चाकर घर की साफ़ सफाई में जुटे हुए थे । सभी लोग फ्रेस हो जाते हैं।
रात के समय में सूरज अपने कमरे में जाता है और रेखा अपने कमरे में। रेखा आज बीपी सिंह के कमरे में जाते ही एक नायटी पहन लेती है और अंदर ब्रा पेंटी उतार देती है ।
आज रेखा अपने पति को उकसाने का पूरा इंतज़ाम कर चुकी थी ।

रेखा मेक्सी पहन कर अपने कमरे में जाती है, बीपी सिंह कमरे में बैठा लेपटोप पर अपने बिजनेस से सम्बंधित कार्य करने में व्यस्त था। बीपी सिंह बिना रेखा को देख कर बोलता है ।
बीपी सिंह-'रेखा तुम सो जाओ,में जरुरी काम कर रहा हूँ, समय लगेगा" रेखा फिर से आज मायूस हो जाती है, रेखा ने सोचा अमेरिका जाकर अपनी 22 साल की प्यास बुझाएगी, लेकिन आज फिर से बेचारी मन मार कर रह जाती है ।
रेखा-"मुझे भी नींद नहीं आ रही है, आप अपना काम कर लो,जब तक में ऊपर घूम कर आती हूँ" 
बीपी सिंह-"ठीक है रेखा घूम आओ"बीपी सिंह बिना देखे ही बोलता है, रेखा की उम्मीदें टूट चूकी थी, रेखा कमरे से निकल कर ऊपर छत पर जाती है, रेखा जैसे ही ऊपर आती है उसे सूरज खड़ा दिखाई देता है, सूरज को देखते ही रेखा चोंक जाती है। इधर सूरज भी रेखा को देख कर चोंक जाता है।
सूरज रेखा के पास आकर खड़ा हो जाता है।
सूरज-'क्या हुआ माँ,आप अभी तक सोई नहीं" 
रेखा-"नींद"रेखा बस इतना ही बोलती है ।
सूरज-"कैसा लगा अमेरिका आकर"
रेखा-"ठीक है"
सूरज-"माँ आप मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही हो,किस बात पर नाराज़ हो" 
रेखा-" नहीं! में तुझसे नाराज़ नहीं हूँ" 
सूरज-'फिर आप मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही हो,उस रात गाँव में जो हुआ में उसकी माफ़ी मांग चूका हूँ, अँधेरे के कारण गलती से हो गया"
रेखा-"मुझे उस काली रात की याद मत दिला सूरज, उस रात जो हुआ वो नहीं होना था" 
सूरज-" माँ उस दिन जो हुआ,गलती से हुआ फिर आप मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही हो" 
रेखा-"में उस रात की घटना भूल नहीं पा रही हूँ सूरज,इसलिए में बात नहीं करती हूँ,जब भी में तुझे देखती हूँ मुझे बही पल याद आ जाता है,में क्या करू सूरज?" रेखा की आँख में आंसू थे,सूरज रेखा को गले लगा लेता है।
सूरज-"माँ चुप हो जाओ,में आपको रोता हुआ नहीं देख सकता हूँ" रेखा को आज बड़ा सुकून सा मिलता है सूरज को के गले लगने से।
रेखा-" में तुझसे नाराज़ नहीं हूँ सूरज,कुछ ही समय के इस परिवर्तन को समझ नहीं पा रही हूँ,उलझ सी गई हूँ" 
सूरज-"क्या बात है माँ,कोई परेसानी हो तो मुझे बताओ" 
रेखा-"कुछ नहीं सूरज" 
सूरज-"माँ बताओ" रेखा कुछ देर सोचने के बाद बोलती है ।

रेखा-"सूरज मुझे एक बात सच बताएगा" 
सूरज-"हाँ माँ बोलो" 
रेखा-"उस रात तू उत्तेजित हो गया था मुझे देख कर"रेखा गाँव उस रात की बात छेड़ती है जब सूरज का लंड अचानक गले लगने के कारण रेखा की चूत में घुस जाता है और सूरज उत्तेजना में रेखा की गांड मसलते हुए पल भर में ही झड़ जाता है । सूरज सोचने लगता है की माँ को अब क्या जवाब दे ।
सूरज-"हाँ माँ,लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नहीं है,हालात ऐसे बन गए थे की में भी मजबूर हो गया" 
रेखा आँखे फाड़े सूरज को देखती है ।
रेखा-"कोई बेटा अपनी माँ को देख कर कैसे उत्तेजित हो सकता है" 
सूरज-" माँ आप हो ही इतनी सुन्दर,कोई आपको उस समय देखता तो उत्तेजित हो जाता"
रेखा-'क्या में बाकई में सुन्दर हूँ,मुझे देख कर कोई भी उत्तेजित हो सकता है" 
सूरज-"हाँ माँ बिलकुल हो सकता है" रेखा सोचती है की उसका बेटा उत्तेजित हो सकता है तो उसके पिता उत्तेजित क्यूँ नहीं हो रहें हैं ।
रेखा-" तेरे पापा मेरी तरफ देखते भी नहीं है,और तू कह रहा है में बहुत सुन्दर हूँ", 
सूरज-"क्या पापा आपको देख भी नहीं रहे हैं, मतलब अभी कुछ हुआ नहीं है" रेखा हैरानी से सूरज को देखती है ।
रेखा-" कुछ हुआ नहीं है मतलब,क्या कहना चाहता है" 
सूरज-"कुछ नहीं माँ,बस ऐसे ही मुह से निकल गया" सूरज शर्मा गया।
रेखा-" में जानती हूँ,तू क्या कहना चाहता था,ऐसा कुछ नहीं हुआ है, तेरे पापा को अपने बिजनेस के काम से फुरसत ही नहीं है" रेखा मायूस होती हुई बोली।
सूरज-"माँ इसमें पापा का कोई दोष ही नहीं है,आप थोडा मोर्डन कपडे पहनो,पापा खुद अपने आपको रोक नहीं पाएंगे" रेखा सूरज की इस बात पर शर्मा जाती है ।
रेखा-"मतलब मेरे कपडे ठीक नहीं है" सूरज ऊपर से लेकर निचे तक रेखा को देखता है ।
सूरज-"माँ साडी छोड़ कर मोर्डन ड्रेस पहनो,और ये बाबा आज़म ज़माने की मेक्सी को छोड़ कर हॉट और शार्ट नायटी पहनो,फिर देखना पापा कैसे आपके आगे पीछे भागेंगे" रेखा सूरज को देख कर मुस्कराई फिर शर्मा गई ।
रेखा-" मुझे शर्म आती है सूरज ऐसे कपडे पहनने में"
सूरज-"अरे माँ यहाँ अमेरिका में कैसी शर्म,आपने हेलिना आंटी को नहीं देखा,कैसे हॉट ड्रेस पहनी हुई थी,वो तो आपकी उम्र की हैं, अमेरिका में कैसी शर्म" रेखा का मूड ठीक हो गया था सूरज से बात करके।
रेखा-" तेरे सामने कपडे पहनने में शर्म आएगी मुझे"
सूरज-" मुझसे कैसी शर्म माँ,में तो आपको देख चूका हूँ"अचानक सूरज के मुह से निकल जाता है,रेखा फिर से शरमाती है ।
रेखा-"वो तो अचानक तूने गाँव में देख लिया था,बिजली चमकने की बजह से" रेखा शरमाती हुई बोली।
सूरज-"उससे पहले भी देख चूका हूँ माँ"रेखा चोंक जाती है ।
रेखा-"कब?"
सूरज-"जिस दिन आप बाथरूम में बेहोश हुई थी,और उस दिन जब हम गाडी से गाँव जा रहे थे" 
रेखा-"लेकिन उस दिन तो मैंने नायटी पहन रखी थी,फिर कैसे देखा"रेखा हैरान थी ।
सूरज-" आप गहरी नींद में सो चुकी थी,आपकी नायटी कमर पर थी" रेखा समझ जाती है उस दिन रेखा ने अपनी चूत में उंगली की थी,झड़ने के बाद ही सो गई थी।
रेखा-" ओह्ह्ह तूने लाइट जलाई थी गाडी में"
सूरज-" सॉरी माँ,आप की चीख सुनकर मैंने लाइट जलाकर देखा था"सूरज बात बदल देता है ।
रेखा-"तूने सच में देखा था"
सूरज-"हाँ माँ,लेकिन कुछ देख नहीं पाया था"
रेखा-"ओह्ह फिर तो अच्छा किया"
रेखा-"चल अब सो जा,बहुत रात हो गई है" रेखा औए सूरज दोनों नीचे आ जाते हैं,रेखा और सूरज का कमरा बराबर में ही था। रेखा अपने कमरे में जाने बाली थी,तभी सूरज रेखा को रोकता है।
सूरज-" माँ इस मेक्सी को उतार देना शायद पापा उत्तेजित हो जाएं"सूरज मुस्करा कर बोलता है। रेखा शर्मा जाती है ।
रेखा-'हट बदमाश,अपनी माँ से ऐसी बात करता है"रेखा मुस्करा कर अपने कमरे में चली जाती है,
कमरे में जाते ही उसे फिर झटका लगता है उसके पति खर्राटे मार कर सो रहे थे, रेखा बेचारी बेड पर लेट कर अपनी मेक्सी को उठा देती है, रेखा को बिना ऊँगली किए नींद नहीं आती है,यह उसका रोज का काम बन चूका है ।
रेखा जैसे ही अपनी चूत पर ऊँगली रखती है तो चोंक जाती है,उसकी चूत पहले से बहुत गीली थी,
रेखा-"(मन में) ये क्या सूरज से बात करते करते ये कब गीली हो गई"
रेखा उंगली करने लगती है तभी उसके जहन में सूरज आ जाता है और उसका मोटा लंड, रेखा जब ऊँगली अंदर बाहर करती है तो ऐसा लग रहा था जैसे सूरज का मोटा लंड चूत में अंदर बाहर हो रहा है, रेखा तेजी से ऊँगली चलाने लगती है और एक सिसकी के साथ झड़ जाती है,झड़ते समय रेखा के मुह से "ओह्ह्ह्ह ससुराज" निकलता है। रेखा सफाई करके सो जाती है ।
सुबह 7 बजे आँख खुलती है ।

रेखा की नींद सुबह 7 बजे खुलती है, बीपी सिंह फ्रेस होकर नास्ता करने नीचे जा चुका था, रेखा को रात की बात याद आती है जब वो ऊँगली करते समय सूरज को याद कर रही थी,और उसके नाम से ही झड़ गई। रेखा हैरान थी की उसने सूरज के बारे में कैसे सोच लिया, रेखा को बहुत ग्लानी महसूस होती है । रेखा के मन में सूरज का लंड पुनः आते ही झकझोरती हुई उठी और बाथरूम में जाकर शॉवर के नीचे नाहने लगी । इधर सुबह सूरज उठकर टहलने चला गया था, घर आते ही नहा कर फ्रेस हो गया। अमेरिका आकर उसे कोई काम धंधे की टेंसन नहीं थी,इसलिए अपने कमरे में आकर लेपटोप चला कर टाइम पास करने लगता है ।
इधर रेखा फ्रेस होकर नीचे डायनिंग टेवल पर आती है,घर में खाना बनाने बाली सभी नोकरानी अंग्रेजिन ही थी, उनकी ड्रेस भी शार्ट थी । रेखा आँखे फाड़े उन लड़कियों को ही देखती है।
रेखा आते ही बीपी सिंह को गुड़ मॉर्निंग बोलती है ।
बीपी सिंह-"रेखा जग गई तुम" 
रेखा-"हाँ जग गई, आप कहीं जा रहे हो क्या?" 
बीपी सिंह-"हाँ रेखा,आज जरुरी मीटिंग है,इसलिए जल्दी जाना है" रेखा उदास हो जाती है ।
बीपी सिंह-"उदास मत हो मेरी जान,बस कुछ दिन की परेसानी है,सभी कंपनी को सूरज के हवाले कर दूंगा,फिर हम दोनों हमेसा एक साथ रहेंगे" बीपी सिंह रेखा को गले लगाते हुए बोला।
रेखा-"मुझे आज आपके साथ मार्केट जाना था,कुछ कपडे खरीदने" 
बीपी सिंह-" में सूरज से बोल देता हूँ,सूरज ने यहाँ की मार्केट देखी है" रेखा सूरज के साथ शर्म की बजह से नहीं जाना चाहती थी,लेकिन अब मॉर्केट सूरज के साथ जाना उसकी मज़बूरी बन चुकी थी।
रेखा-" रहने दीजिए में फिर कभी कपडे खरीद लूंगी"
बीपी सिंह-"चली जाओ रेखा, और हाँ थोड़े मोर्डन कपडे खरीद लेना,जब तक अमेरिका में हो तब तक साडी मत पहनो" 
रेखा-"ठीक है जी"
बीपी सिंह-" में सूरज से बोल देता हूँ, हेलिना को साथ भेजता हूँ" बीपी सिंह फोन करता है हेलिना को और घर आने के लिए बोलता । बीपी सिंह सूरज को बोलता है कमरे में जाकर ।
बीपी सिंह-"सूरज बेटा तुम अपनी माँ के साथ मार्केट चले जाना" 
सूरज-"ठीक है पापा" बीपी सिंह कंपनी चला जाता है, रेखा सूरज के कमरे में आती है ।
सूरज-"अरे माँ आप आओ बैठो" सूरज बेड से खड़ा होकर स्वागत करते हुए बोला। रेखा बेड के सामने पड़े सोफे पर बैठ जाती है ।
रेखा-"तेरे पापा कुछ कह कर गए हैं क्या"
सूरज-'हाँ माँ, पापा आपके लिए कपडे खरीदने के लिए बोल कर गए हैं, मार्केट कब चलना है?"
रेखा-"जब तेरा मन हो तब"
सूरज-" माँ अभी चलें कहीं घूमने,आते समय मॉल से कपडे खरीद लेंगे" 
रेखा-" मन तो मेरा भी कर रहा है अमेरिका घूमने का, में तैयार होकर आती हूँ" रेखा जाने के लिए खड़ी होती है,तभी सूरज रोकता है ।
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