Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:12 AM,
#43
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
तान्या-" क्या तू भी हिलाता है हाँथ से?"
सूरज-"दीदी इस विषय को बंद कर दो,मुझे शर्म आ रही है आपको बताने में" 
तान्या-" भूल गया तू मेरा गुरु है और अपनी शिष्या की जिज्ञासा को शांत करना हर गुरु का फर्ज है, सूर्या मेरे मन में कई सवाल है उन सवालो को किसी और से में पूछ नहीं सकती हूँ, एक तू ही तो है जिससे में बात कर साकती हूँ" 
तान्या के सीधे सवाल सुनकर सूरज हिल जाता है,लेकिन तान्या की बात भी उसे ठीक लगती है,आखिर अपने सवालो के जवाब किससे पूछेगी वो,सूरज सोफे पर बैठा था और सामने तान्या बेड पर उकडू बैठ कर सूरज की बातों को ध्यान से सुन रही थी,सूरज की नज़र तान्या की टांगो के बीच में चली जाती है,चूत बाली जगह लोअर गीला हो गया था, सूरज समझ जाता है दीदी की चूत पानी छोड़ रही है। 
सूरज-" हाँ दीदी करता हूँ कभी कभी?" तान्या यह सुनकर शरमा जाती है।
तान्या-"अच्छा सुर्या यह बता यह काम करते क्यूँ है,मतलब हिलाते क्यूँ हैं?" सूरज अब बिना जिझक बोलने लगता है।
सूरज-" जब सेक्स करने का मन होता है तो हाँथ से हिला कर लड़के मजा ले लेते हैं, जिन लड़को की शादी हो जाती है या उनकी गर्ल फ्रेंड होती है वो सेक्स कर लेते हैं उनको हिलांना नहीं पड़ता" तान्या बड़े गोर से सुनती है, तभी तान्या मुस्करा कर बोलती है।
तान्या-"अच्छा इसका मतलब तेरा मन सेक्स करने के लिए करता है इसलिए तू हिलाता है" 
सूरज-"हाँ दीदी, लेकिन यह काम तो लड़कियां भी करती हैं"तान्या यह सुनकर चोंकती हैं।
तान्या-"लड़कियां कैसे करेगी इस काम को, वो क्या पकड़ कर हिलाएगी?" 
सूरज-"लड़कियां ऊँगली करती है" तान्या हैरान रह जाती है क्योंकि उसने तो कभी ऊँगली की ही नहीं।
तान्या-"क्या ऊँगली करती हैं,जब सेक्स करने का मन होता है तब" 
सूरज-"हाँ दीदी, आप नहीं करती हो कभी" तान्या अब तक काफी हॉट फील कर रही थी,जीवन में पहली बार उसे कुछ कुछ हो रहा था,जो बड़ा आनन्दायक लग रहा था तान्या को ।
तान्या-" नहीं सूर्या मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं किया" 
सूरज-" दीदी आपको सेक्स करने का मन नहीं करता कभी" 
तान्या-'अब तक तो कभी नहीं किया लेकिन कल से पता नहीं क्यूँ बड़ा अजीब सा लग रहा है मुझे" 
सूरज-"दीदी कल आपने नैला और लकी को सेक्स करते देखा तो कुछ अजीब सा महसूस किया आपने" सूरज का लंड जोर जोर से झटके मार रहा था,लोअर में तम्बू बन गया था जिसे तान्या देख लेती है।
तान्या-"नहीं सूर्या मुझे कुछ भी महसूस नहीं हुआ,क्या कोई कमी है मुझमे" घबराती हुई बोली।
सूरज-" कमी तो नहीं है दीदी,अगर कमी होती तो आपका पानी नहीं निकलता वहां से, स्खलन तो रहा है आपको" सूरज तान्या की चूत की ओर इशारा करते हुए बोला,तान्या यह देख शर्मा जाती है।
तान्या-"धत् बेशरम अपनी दीदी की ओर इशारा कर रहा है" 
सूरज-" दीदी अब शर्म कैसी आप मेरी शिष्या हो तो सटीक जानकारी तो देनी ही पड़ेगी,रात भी आपके वहां से पानी निकल रहा था" 
तान्या-"तूने देखा था पानी निकलते हुए,पता नहीं कल से ही ये प्रॉब्लम हुई है,किसी डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा क्या?" 
सूरज-" दीदी डॉक्टर की जरुरत नहीं है, एक बार आप ऊँगली कर लो,सारा पानी एक बार में ही निकल जाएगा,फिर बार बार नही निकलेगा" तान्या शर्मा जाती है।
तान्या-"नहीं सूर्या मुझे डर लगता है, ऊँगली जाएगी तो दर्द होगा" 
सूरज-"दीदी शादी के बाद क्या करोगी आप जब पेनिस अंदर जाएगा, आप अपना डर अभी ख़त्म कर लो तो अच्छा है बाद में परेसानी होगी,ऊँगली तो फिर भी छोटी होती है अन्य लड़कियां तो केला,मूली गाजर और पता नहीं क्या क्या डालती हैं" 
तान्या-" नहीं सूर्या मुझसे नहीं होगा यह, मुझे डर लगता है" 
सूरज-"दीदी ऊँगली करने में तो मजा आता है,आप बाथरूम में जाकर एक बार ऊँगली करके आओ,बरना आपका लोअर ऐसे ही गिला होता रहेगा" तान्या शर्मा रही थी,लेकिन फिर कुछ सोच कर बाथरूम में चली जाती है,लोअर उतार कर कमोड पर टाँगे फेला कर चूत को मसलती है, चूत की फांको को सहलाती है,तान्या को हल्का हल्का सुरूर चढ़ता है, तान्या होले होले चूत को रगड़ती है,चूत से लगातार पानी रिस रहा था, तान्या अपनी एक ऊँगली आराम से चूत में घुसेड़ती है,उसे ऐसा लगा जैसे लंड घुसेड़ दिया हो,तान्या घुसेड़ती है फिर निकालती है ऐसा कई बार करने से उसे मजा आने लगता है, तान्या जोर जोर से ऊँगली अंदर बाहर करने लगती है, तान्या तेज तेज सिसकियाँ लेती है, कभी चिल्लाती है, बाहर खड़ा सूरज सब सुन रहा था। सूरज बाथरूम के दरबाजे के बाहर से ही बोलता है।

सूरज-" दीदी कैसा लग रहा है आपको, 
तान्या सूरज की बात सुनकर बोलती है,तान्या की सिसकियाँ बड़ी तेजी से चलने लगती है,कभी कभी उत्तेजना के मारे कमोड पर गांड उछाल देती थी।
तान्या-"ह ह हाँ सच कहा सूर्या बहुत मममजा अ अ आ रहा ह ह है,मुझे कुछ हो रहा ह है सूर्यआआ" तान्या झड़ जाती है,चूत से पानी की पिचकारी छुट्ती है, बहुत सारा पानी निकलता है,ऐसा लग रहा था, तान्या मूत रही हो। तान्या का जिस्म ठंडा पड़ने लगता है, तान्या पानी से साफ़ करती है अपनी चूत और टाँगे,सूरज का लंड झटके मार रहा था, सूरज भी मुठ मारे बिना नहीं रह पाएगा ऐसा उसे लगता है। तान्या बाथरूम से निकलती है,पसीना से लथपथ होती है। 
सूरज और तान्या की नज़रे मिलती है,तान्या शरमा जाती है।
सूरज-" दीदी मजा आया न, अब जब भी आपका मन करे तब कर लिया करो"
तान्या-" मुझे लगता था की दर्द होता होगा,पर बाकई में बहुत अच्छा लगा, वास्तव में तू एक अच्छा गुरु है" 
सूरज-" मान गई न,अब मुझे बाथरूम जाने दो,मेरा भी मन कर रहा है बहुत" सूरज हँसते हुए बोलता है,तान्या सूरज के लंड की तरफ देखती है जो पूरा खड़ा हुआ था, 
तान्या-"ओह्ह्हो जा जल्दी से कर ले" 
सूरज-" क्या कर लू दीदी" सूरज मजाक करते हुए बोलता है।और हँसाने लगता है।
तान्या-" इसको हिला कर शांत कर ले" तान्या सुरज के खड़े लंड की ओर इशारा करती है,लोअर में तम्बू बना हुआ था,सूरज जैसे ही बाथरूम में घुसता है तो फिसल जाता है,सूरज फर्स पर पड़े पानी को हाँथ से छु कर देखता है,गाड़ा और चिपचिपा पानी पड़ा हुआ था,सूरज समझ जाता है की यह तान्या की चूत से निकलने बाला कामरस है, बाथरूम का दरबाजा खुला हुआ था, तान्या भी सूरज को फिसलता देख दौड़ कर आती है।
सूरज-"दीदी यह आपकी चु... सॉरी वेजिना से निकला हुआ पानी है,बहुत चिपचिपा और गाढ़ा है इसलिए फिसल गया" सूरज हाँथ पर लगे चूतरस को दिखाते हुए बोला। सूरज के द्वारा चूत बोलने पर शर्मा जाती है, सूरज भी चूत शब्द पूरा म बोलकर वेजाइना बोल देता है। 
तान्या-"ओह्ह सॉरी सूर्या साफ़ करना भूल गई, तू हाँथ धो ले ये गन्दा होता है" 
सूरज-" दीदी यह गन्दा नहीं होता है,लड़को को यह पानी बहुत पसंद है, इसी पानी से में अपने पेनिस की मसाज करूँगा, मुझे झड़ने में आसानी होगी" तान्या हैरान रह जाती है।
तान्या-"ओह्हो सूर्या ऐसा मत कर तेरे इंफेक्सन हो सकता है" सूरज एक नहीं सुनता है,बाथरूम का दरबाजा बंद करके लोअर से लंड को आज़ाद करता है और तान्या के चूतरस अपने लंड पर लगा कर मसाज करता है,और तेज तेज मुठ मारने लगता है, तान्या का चूतरस सुरज की उत्तेजना बढ़ा देता है और कुछ ही देर में झड़ जाता है,और सफाई करने के बाद रूम में आता है । इधर तान्या की चूत फिर से फड़कने लगती है।सूरज भी पसीने से लथपथ था, और सोफे पर लेट जाता है ।
सूरज लेटे लेटे थोड़ी देर सो जाता है, दोपहर के 12 बज जाते हैं। सूरज उठता है और फोन से खाना मंगबा लेता है, तान्या और सूरज खाना खाते हैं । 
सूरज-"दीदी आज बीच पर चलें, आज नहाने का मन कर रहा है" 
तान्या-"तू नहा लेना,में नहीं नहाउंगी,मुझे शर्म आती है पेंटी ब्रा में नहाते हुए" 
सूरज-"दीदी मुझसे कैसी शर्म, में तो आपको बिलकुल नंगा भी देख चूका हूँ" 
तान्या-" लेकिन वहां और भी तो लोग होंगे, सबके सामने मुझे शर्म आएगी सूर्या, प्लीज़ में वहां सबके सामने नहीं ब्रा पेंटी पहन कर नहा पाउंगी" 
सूरज-"कोई नहीं दीदी,फिर रहने दो" सूर्या मायूस होकर बोलता है।
तान्या-" तू नहा लेना सूर्या, में सिर्फ देखूंगी तुझे नहाते हुए" 
सूरज-"दीदी मेरा मन तो आपको पेंटी ब्रा में देखने का था" 
तान्या-'ओह्ह सूर्या मेरी ब्रा और पेंटी तो बहुत छोटी हैं, उन्हें तो पहनने का मन ही नहीं करता" 
सूरज-"लेकिन दीदी उसने तो ब्रा और पेंटी आपके साइज़ की दी थी,34 30 34 साइज़ था आपका, लगता है आपकी चूचियों का साइज़ बढ़ गया होगा" 
तान्या-"धत् पागल चूचियाँ बोलता है तुझे शर्म नहीं आती,बाथरूम में भी तूने चू बोला था,में समझ गई थी तू क्या बोलना चाहता था" 
सूरज-"ओह्ह्ह दीदी इनको चूचियाँ ही बोलते हैं और इसको चूत" 
तान्या-"ओह्ह्ह कितना गन्दा बोलता है तू,पक्का बेशरम है तू सूर्या, चूची को बूब्स और चूत को वेजिना बोला कर, तू अपने पेनिस को क्या बोलता है? 
सूरज-" लंड बोलता हूँ दीदी इसको, और मुझे तो सुद्ध देहाती भाषा बोलना अच्छा लगता है" 

तान्या-"तू पागल है एक दम और तू मुझे भी बेशरम बना कर छोड़ेगा" 
सूरज-" दीदी पागल नहीं हूँ में, बिंदास हूँ, इतना बिंदास भाई आपको नहीं मिलेगा कहीं,जो आपको ज्ञान भी दे" 
तान्या-"हाँ तू तो बिंदास गुरु है" 
सूरज-" दीदी अपने गुरु को गुरु दक्षिणा में कुछ नहीं दोगी" 
तान्या-" हाँ बोलो मेरे गुरु जी,आपको क्या चाहिए?"
सूरज-" पहले प्रोमिस करो,जो मांगूगा वो दोगी" तान्या पहले सोचती है फिर हाँ कर देती है ।
तान्या-" हाँ बोल क्या चाहिए,मिलेगा" 


सूरज-" बीच पर तो आप नहाओगी नहीं, आपको ब्रा और पेंटी में मेरे साथ बाथरूम में नहाना होगा" 
तान्या सुनकर चोंक जाती है।
तान्या-"नहीं सूर्या यह मुझसे नहीं होगा" 
सूरज-"दीदी प्लीज़ आपको ब्रा और पेंटी में देखना चाहता हूँ में, आपने वादा किया है मुझसे" तान्या बहुत देर सोचती फिर हाँ बोल देती है ।
तान्या-" ठीक है, कब देखेगा?"
सूरज-" अभी "
तान्या-" रुक में पहले बाथरूम में पहन कर आती हूँ, अभी तो पहनी नहीं है मैंने" तान्या ब्रा और पेंटी निकालने लगती है, सूरज एक हॉट ब्रा और एक पारदर्शी पेंटी उठा लेता है।
सूरज-" दीदी ये वाली ब्रा और पेंटी पहनो" तान्या देख कर शर्मा जाती है ।
तान्या-" नहीं सूरज इसमें सबकुछ दीखता है, ये नहीं" 
सूरज-" प्लीज़ दीदी यही पहनो" तान्या मान जाती है और बाथरूम में अपने कपडे उतार कर ब्रा पेंटी पहन लेती है । तान्या बाहर जाने में शर्मा रही थी, बाहर खड़ा सूरज बैचेनी से तान्या का इंतज़ार कर रहा था। तान्या शर्माती हुई दरबाजा खोल देती है ।

तान्या जैसे ही बाथरूम से निकल कर आती है, सूरज प्यासी नज़रो से तान्या के मदमस्त जिस्म को देख कर झकझोर जाता है, सफ़ेद दूधिया जिस्म पर लाल ब्रा जिसमे उसकी चुचिया समा नहीं पा रही थी, उसका कोमल पेट और उसकी नाभि चार चाँद लगा रही थी, जैसे ही नज़र पेंटी पर गई तो लण्ड ने लोअर के अंदर बगाबत सुरु कर दी, सूरज का लंड झटके के साथ संघर्ष करने लगता है और आज़ादी पाने के लिए जंग छेड़ देता है, तान्या की पारदर्शी पेंटी में उसकी कोमल अनछुई चूत की दरार साफ़ झलक रही थी, पेंटी इतनी छोटी थी सिर्फ चूत की दरार ही छुपी हुई थी,गोल और गदराई गांड साफ़ दिखाई दे रही थी, सूरज आँखें फाड़े तान्या के जिस्म को निहार रहा था,तान्या बेचारी खड़ी शरमा रही थी।
तान्या-"सूर्या तुझे शर्म नहीं आती अपनी बड़ी बहन को इस तरह आँखे फाड़े देख रहा है, अब मुझे शर्म आ रही है सूर्या" सूरज होश में आता है ।
सूरज-" दीदी रुको तो सही, बाकई में दीदी आप तो बहुत हॉट हो,सेक्सी हो, आपकी चूचियाँ देख कर मेरा मन ललचा रहा है,मन कर रहा है इन्हें निहारता रहूं, और ये आपकी लाल पेंटी पुरे बदन को और ज्यादा कामुक बना रही है" सूरज का लंड लोअर में तम्बू बना हुआ था जिसे तान्या देख लेती है।
तान्या-"कितना बेशरम है तू,अपनी ही दीदी के बूब्स देख कर तू ललचा रहा है, तेरा लालच तेरी पेंटी में तम्बू बनकर मुझे डरा रहा है" तान्या लंड की ओर इशारा करती है।
सूरज-" ओह्ह दीदी मेरा लंड ही नहीं पूरा रोम रोम खड़ा है आपकी सुंदरता देख कर" तान्या लंड शब्द सुनकर शर्मा जाती है।
तान्या-" छी कितना गन्दा बोलता है तू सूर्या, लंड की जगह पेनिस भी तो बोल सकता है तू" तान्या हलकी कामुक मुस्कान के साथ बोलती है। 
सूरज-"दीदी में गुरु हूँ आपका, मेरे द्वारा बोले गए हर शब्द से एक प्रतिक्रिया भी होती है, अब देखो न मैने लंड शब्द बोला तो आपकी चूत से पानी बहने लगा, आपकी पेंटी फिर से गीली हो गई दीदी" तान्या जैसे ही अपनी पेंटी देखती है तो हैरान रह जाती है, पेंटी भीग चुकी थी ।
तान्या-" ओह्ह्हो सूर्या तेरी बातों में ये कैसा जादू है, इस तरह से यह गीली होती रही तो मेरे सारे कपडे गंदे हो जाएंगे आज, क्या तेरे साथ भी ऐसा होता है, मतलब तेरा कच्छा भी गिला हो जाता है क्या" सूरज अपने लोअर की तरफ देखता है, फिर अपना लोअर उतार देता है, फ्रेंची पर भी सूर्या का वीर्य लगा हुआ था। फ्रेंची में उसका लंड खड़ा हुआ था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई बन्दुक रखी हो फ्रेंची में, तान्या देख कर स्तंब्ध रह जाती है, आँखे फाड़े सूरज के कच्छे को देखती है,और अपनी कल्पना में लंड की लंबाई चौड़ाई का मापन करने लगती है।
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RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है - by sexstories - 12-25-2018, 01:12 AM

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