RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
मधु और सूरज दोनों बेड पर एक दूसरे के सामने बैठ कर हस्तमैथुन क्रिया को अंजाम देने के लिए एक दूसरे को चुनोती दे रहे थे ।
जिस्म में जब आग भड़कती है तो अच्छा और बुरा भूल कर कामाग्नि को शांत करने के लिए किसी भी हद तक चुनौती स्वीकार कर सकते हैं । सूरज का लंड इस बात पर झटके मार रहा था की मधु मौसी मेरे सामने ही चूत में ऊँगली डालकर अपना पानी बहार निकालेगी,इधर मधु के दिमाग में भी सूर्या के मोटे लंड का दीदार करने की लालसा लगी हुई थी ।
मधु-" क्या सोच रहा है सूरज, मुठ मारेगा मेरे सामने तो में भी तेरे सामने ही अपनी चूत में ऊँगली डालूंगी, जल्दी बोल ज्यादा समय नहीं मेरे पास, एक तो मेरी चूत में आग लगी है और एक डर भी सता रहा है की कोई नीचे से ऊपर न आ जाए" मधु ने मेक्सी के ऊपर से ही अपनी चूत को मसलते हुवे बोला,यह देख कर सूरज का लंड लोअर के अंदर ही आजादी की जंग छेड़ देता है, लंड वस्त्रो से स्वतंत्र होने के लिए गुस्से से फटा जा रहा था ।
सूरज-" मौसी में तैयार हूँ आपके सामने मुठ मारने के लिए, मुझ पर भी अब रहा नहीं जा रहा है, देखो न मौसी मेरा लंड कैसे उत्तेजना के मारे फटा जा रहा है" लोअर में बने तम्बू को दिखाते हुए बोला।
मधु पर रहा नहीं गया उसने अपनी मेक्सी के अंदर हाथ डालकर अपनी चूत को मसलने लगी, मेक्सी के अंदर उसका हाथ बड़ी तेजी से चलने लगा, सूरज तो मौसी के चेहरे पर कामुकता भरे अंदाज़ को देख कर अपनी शहनशीलता खो देता है और लोअर में लंड निकाल कर बड़ी तेजी के साथ लंड को सहलाने लगता है, सूरज की नज़र मधु के हाथ पर थी जो मेक्सी के अंदर बड़ी तेजी से चल रहा था ।
मधु-" सूर्या तेरा लंड तो बाकई में गधे जैसा लंबा और मोटा है, जिस किसी चूत में घुसेगा तो चूत का भोसड़ा बना देगा" मधु सिसकती हुई बोली
सूरज-" हाँ मौसी आप मेक्सी को उतारो, मुझे आपकी रासिली चूत देखनी है, आप बड़ी चालाक हो मेरा लंड देख लिया लेकिन अपनी चूत नहीं दिखाई तुमने" मधु मेक्सी को उतार कर सूरज को चूत दिखाती हुई बोली ।
मधु-" ले बेटा सूरज देख अपनी मौसी की चूत, कितनी प्यासी है ये चूत,तेरा लंड देख कर बहुत पानी छोड़ रही है" मधु सूरज को अपनी चिकनी चूत दिखाते हुए बोली सूरज को, सूरज मधु की चूत को देख कर ललचा जाता है,उसका मन कर रहा था की चूत को चाट ले।
सूरज-" मौसी क्या में आपकी चूत को छूकर देखू, आप चाहो तो मेरा लंड पकड़ सकती हो'
मधु-" हाँ सूरज तेरे लंड को देखकर तो मेरे मुह में पानी आ रहा है' सूरज देर न करते हुए मधु की चूत पर ऊँगली फिराता है, मधु की सिसकियाँ फुटने लगती है, डिडलो से प्यास बुझाने बाली मधु सूरज को लंड को देखते ही लंड पर टूट पड़ती है जैसे कई दिनों की भूकी प्यासी हो ।
मधु 69 की पोजीसन में लेट कर सूरज के लंड को मुह में लेकर चूसने लगती है, सूरज पर भी रहा नहीं जाता है और वह भी मधु की चूत में जुव्ह डालकर चाटने लगता है।
मधु और सूरज भूके की तरह एक दूसरे की चूत का पानी चाटने में लगे हुए थे ।
मधु-"आअह्ह्ह्ह्ह सूर्या चाट मेरी चूत को, बहुत पानी छोड़ती है यह"
सूरज-" मौसी में चोदना चाहता हूँ तुम्हें, चौद कर तुम्हारी चूत की प्यास बुझाना चाहता हूँ"
मधु-" रोका किसने है बेटा चौद अपनी मौसी को, बुझा दे प्यास मेरी" इतना बोलते ही सूरज मधु को नीचे लेटा कर अपना लंड एक ही झटके में मधु की चूत में घुसेड़ देता है ।
मधु-" आआईईईई आह्ह्ह्ह्ह् उफ्फ्फ सूर्या ये क्या किया तूने दर्द हो रहा है,आराम से चोद अपनी मौसी को" सूरज लंड निकाल कर दुबारा मधु की चूत में डालता है और धक्के मारने लगता है, मधु की चुचिया किसी छोटी छोटी मटकियों की तरह हिल रही थी, सूरज मधु की चुचियो को मसलते हुए धक्के मारता है ।
मधु-"आअह्ह्ह सूरज तू नीचे लेट, में ऊपर से तुझे चौदूंगी," सूरज नीचे आ जाता है मधु लंड के ऊपर बैठ कर अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर नीचे करने लगती है ।
सूरज मधु की गदाराइ गांड को मसलता है, मधु तेज तेज लंड पर कूदने लगती है ।लंड पर कूदते समय मधु की चूचियाँ भी पुरे जोर से उछाल रही थी ।
10 मिनट चोदने के बाद सूरज मधु को घोड़ी बना कर चोदने लगता है ।
मधु-"आह्ह्ह तेरे लंड ने आज मुझे बहुत सुख दिया है सूरज,चौद अपनी मौसी को" सूरज तेजी से चोदते बोलता है ।
सूरज-"मौसी तुम्हारी चूत भी जन्नत से कम नहीं, तुम्हारी जैसी घोड़ियों ही मेरे लंड को झेल सकती है मौसी"
मधु-" एक घोड़ी और है बहुत प्यासी बेटा, उसकी चूत और गांड तो मेरे से भी अच्छी है, एक दम कुँवारी घोड़ी है मेरे पास,अगर चोदना हो तो बोल ?"
सूरज-" नेकी और पूछ पूछ मौसी, कौन है वो घोड़ी मौसी, बोलो में उसे भी चौद दूंगा" सूरज समझ गया था की मधु संध्या माँ की ही बात कर रही है, मधु तो अब तक चार बार झड़ चुकी थी, सूरज का ध्यान जैसे ही संध्या की कोमल चूत और मस्त गांड का ख्याल आता है तो बड़ी तेजी से चौदने लगता है, मधु की हालात ख़राब हो जाती है। सूरज तेज तेज धक्को के साथ ही मधु की चूत में झड़ जाता है और चौदने के बाद मधु के ऊपर ही लेट कर दोनों लोग साँसे लेने लगते है।
15 मिनट बाद संध्या आवाज़ लगाती है ।
संध्या-" अरे मधु कहाँ है जल्दी आ जा नीचे,सूर्या को भी ले आ,खाना तैयार है" मधु और सूरज जल्दी से कपडे पहन कर नीचे जाकर नास्ता करते हैं । सभी लोग खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले जाते हैं ।
आज संध्या की चूत में डिडलो लेने की जल्दी थी, कल चूत में डिडलो का जो आनंद मिला था वही आनंद आज लेने के लिए बड़ी बेसब्री का इंतज़ार कर रही थी ।
मधु और संध्या कमरे आते ही बेड पर दोनों चित हो गई ।
मधु की चूत की आग तो आज सूरज में ठंडी कर दी थी ।इसलिए वो आराम से सोना चाहती थी लेकिन संध्या की चूत में खुजली मच रही थी ।
संध्या अपनी चूत को बार बार मसलती है ।
इधर सूरज भी कमरे में आकर लेपटोप खोलता है और मधु को देखता है की कहीं मधु माँ को सब बता न दे की आज मैंने उसकी चुदाई की है ।
सूरज लेपटोप में देखता है की संध्या माँ अपनी चूत को मसल रही है मेक्सी के ऊपर से ही ।
संध्या-" मधु क्या हुआ, आज तू कुछ किए बिना ही लेट गई"
मधु-" क्या करू संध्या, तुझे कुछ चाहिए तो बोल"
संध्या-" हाँ मधु वो डिडलो मुझे चाहिए, पता नहीं क्यूँ बड़ा मन कर रहा है मेरा आज" संध्या अपनी चूत मसलती हुई बोलती है ।
मधु-" डिडलो को छोड़ ला तेरी चूत को चाट कर ही झाड़ दूँ संध्या" मधु संध्या की मेक्सी को उठाकर चूत में ऊँगली डालते हुए बोली, संध्या कसमसा गई । मधु ऊँगली को बड़ी तेजी से चलाती है, मधु ऊँगली निकाल कर संध्या की चूत में जिव्हा डालकर चाटने लगती है, मधु की चूत में भी खुजली मचती है, मधु संध्या 69 की पोजीसन में आकर चूत की चुसाई करने लगती है ।
मधु और सूरज की दमदार चुदाई के पश्चात मधु अपनी चूत जल्दबाजी में साफ़ नहीं कर पाई थी, सूरज के लंड का वीर्य अभी भी मधु की चूत में थोडा बहुत भरा पड़ा था, संध्या जैसे ही मधु की चूत में जीव्ह डालती है उसे आज मधु की चूत का पानी का स्वाद अलग सा लगता है, संध्या चूत में जीव्ह डालकर उस स्वादिष्ट पानी को चाटने लगती है तभी संध्या को झटका सा लगता है वो समझ जाती है की ये किसी आदमी का वीर्य है मधु की चूत में, संध्या मधु की चूत में ऊँगली डालकर सफ़ेद पानी को देखने लगती है, संध्या सफ़ेद पानी को देखते ही समझ जाती है की ये किसी आदमी का वीर्य है मधु की चूत में, संध्या हेरात में पड़ जाती है और सोचने लगती है की मधु किससे चुदवा कर आई है, कहीं मधु बहार किसी नोकर से तो नहीं चुदवा कर आई है, फिर उसे ध्यान आता है की मधु तो सूर्या के कमरे से आई है और वीर्य भी ताज़ा है कहीं ये मधु सूर्या से तो नहीं चुदवा कर आई है,
संध्या-" मधु एक बात बता तुझे मेरी कसम है तू सच बताएगी"
मधु-" हाँ बोल मेरी जान" संध्या की चूत चाटते हुए बोली
संध्या-" तू किससे चुदवा कर आई है,तेरी चूत पुरुष के वीर्य से भरी हुई है, कहीं तू सूर्या से तो चुद कर नहीं आई है?" मधु जैसे ही ये सुनती है उसकी साँसे अटक जाती है, मधु के क्रोधित और गुस्सा न हो जाए इस बात का डर था मधु को,सूरज भी जब ये बात सुनता है तो उसकी भी गांड फट जाती है की अब क्या बहाना बनाएगी मौसी।
मधु-" संध्या तुझे बहम हुआ है वो किसी पुरुस का वीर्य नहीं है मेरी चूत का ही पानी है" मधु यह बात डरते हुए बोलती है,लेकिन मधु का डर संध्या के सक को और मजबूत कर देता है ।
संध्या-" मुझे मत पढ़ा मधु, मैं चूत के पानी और लंड के पानी में अच्छी तरह से अंतर पहचानती हूँ, सच बता मधु तू आज शाम को सूर्या से ही चुद कर आई है न"
मधु बैठती हुई बोली ।
मधु-" मुझे माफ़ करना बहन, में बहक गई थी, हाँ सूर्या से ही अपनी प्यास बुझाई है मैंने, उसके मोटे लंड को देखकर में अपने आपको रोक नहीं पाई" जैसे ही संध्या ने यह बात सुनी उसके पैरो तले जमीन खिसक गई, अपने ही बेटे के लैंड का पानी चख चुकी थी संध्या, उसकी अंतरात्मा ग्लानि के भाव महसूस कर रहे थे, संध्या रोने लगती है,
सूरज भी यह सब देख कर बैचैन हो जाता है। सूरज डर जाता है की कहीं माँ अब मुझे घर से न निकाल दे, अगर ऐसा हुआ तो वो कहीं मुह दिखाने के लायक नहीं रहेगा, अपनी सगी माँ रेखा और पूनम और तनु दीदी को कहाँ लेकर जाएगा अब,गाँव तो वापिस जा नहीं सकता था ।
संध्या-" तुझे शर्म नहीं आई मधु, वो तेरे बेटे जैसा है, में कुछ उल्टा सीधा कहूँ उससे पहले तू इस घर से निकल जा,में तेरी सूरत भी देखना नहीं चाहती हूँ" मधु को तेज झटका लगता है,काफी देर तक माफ़ी मांगती है लेकिन संध्या एक नहीं सुनती है, मधु को लगता है की अब इस घर से निकलना ही ठीक है, मधु अपने कपडे पहन कर निकलने लगती है घर से,तभी संध्या ड्राइवर से मधु को उसके घर छोड़ने के लिए बोलती है, मधु के जाते ही संध्या कमरे में ऑस्कर फुट फूट कर रोने लगती है, सूरज बेचारा सिर्फ देखता रहता है लेकिन कुछ कर नहीं पाता है ।
सूरज बिस्तर पर लेट जाता है पूरी रात उसे नींद नहीं आती है, सुबह कब हो जाती है उसे पता नहीं चलता है ।
सूरज की आँख सुबह 8 बजे खुलती है,आज संध्या उसे जगाने नहीं आई थी ।
सूरज ही जल्दी से तैयार होकर नीचे पहुँचता है ।
संध्या माँ आज सुबह उठाने नहीं आई इससे साफ़ पता चल गया था की माँ बहुत नाराज है, माँ से कैसे नज़रे मिलाऊंगा, माँ की क्या प्रतिक्रिया होगी, कहीं माँ मुझे घर से न निकाल दे यही सब सोच कर मेरी गांड फट रही थी,
में जैसे ही नीचे गया तो देखा माँ किचेन में थी, में डायनिंग टेबल पर बैठ कर नास्ते का इंतज़ार करने लगा, लेकिन माँ ने मेरी तरफ मुड़ कर भी नहीं देखा और न ही गुड़ मॉर्निंग किया जबकि हर रौज माँ ही पहले करती थी।
में समझ गया की आज बहुत बड़ा पहाड़ टूट कर गिरने बाला है मेरे ऊपर, मेरा ह्रदय बडी तेजी से धड़क रहा था, काफी देर तक बैठने पर जब माँ ने मेरी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तो मैंने ही माँ को डरते हुए आवाज़ लगाईं ।
सूरज-" माँ गुड़ मॉर्निंग,क्या हुआ माँ आज आप मुझे उठाने नहीं आई,और हाँ मधु मौसी कहाँ है दिखाई नहीं दे रही हैं" मैंने डरते हुए और अनजान बनते हुए पूछा, जैसे ही माँ ने मेरे मुह से मधु मौसी का सुना माँ एक दम भड़कती हुई मेरी तरफ घुमी, जैसे ही मैंने माँ का चेहरा गुस्से से भरा हुआ देखा,मेरी घबराहट बढ गई,रात भर जागने के कारण माँ की आँखे लाल थी,और उन आँखों में आंसू, शायद माँ रात भर रोती रही है ।
संध्या-" क्या करेगा मधु का, बड़ी फ़िक्र हो रही है तुझे उसकी, तुझे ज़रा सी भी शर्म नहीं आई, क्यूँ किया तूने ऐसा" फुट फुट के रोते हुए बोली
मेरी तो सुनकर हवा ही निकल गई,
सूरज-" क्या हुआ माँ, ऐसा क्या किया मैंने" अनजान होते हुए बोला।
संध्या-" ये झूठ का पर्दा अपने चेहरे से हटा दे सूर्या, तूने घिनोना पाप किया है, अपनी माँ की उम्र की महिला के साथ तूने....छी मुझे बोलते हुए शर्म आ रही है, मैंने सोचा तेरी यादास्त चली गई है शायद अब तुझमे सुधार आ जाएगा लेकिन गलत थी तू कभी नहीं सुधर सकता,में तेरी शक्ल भी देखना नहीं चाहती सूर्या दूर हो जा मेरी नज़रो से" माँ रोटी हुई बोली, वास्तव में मुझे अपनी गलती का पछतावा हुआ, माँ को रोता देख मेरे आँख से भी आंसू बहने लगे,
मैंने माँ के पैर पकड़ लिए ।
सूरज-" माँ मुझे माफ़ कर दो, में अंधा हो गया था, सब इस उम्र और समय की गलती है, हालात ऐसे बन गए की मुझे सब कुछ करना पड़ा" मैंने रोते हुए बोला ।
माँ रोती हुई अपने कमरे में चली गई, में काफी देर तक माँ का इंतज़ार करता रहा,माँ ने दरबाजा नहीं खोला,जब काफी देर हो गई माँ बहार निकल कर नहीं आई तो में माँ बहार से ही बोला
सूरज-" माँ मुझे सज़ा दो, मेरी पिटाई लगाओ लेकिन प्लीज़ मुझसे नाराज़ मत हो,आपको मेरी शक्ल से नफरत है तो में यहां से चला जाऊँगा,माँ एक बार मुझसे बात तो करो" काफी देर इंतज़ार करने के बाद कोई आवाज़ नहीं आई तो में भी गाडी लेकर घर निकल गया और कंपनी चला गया, आज टेंडर की मीटिंग हमारी ही कंपनी के हॉल में थी, तान्या टेंडर को लेकर दुखी थी की कहीं ये टेंडर किसी और कंपनी न मिल जाए और में माँ की बजह से दुखी था ।
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