RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अपने कमरे में एक चेयर में बैठा हुआ अजय कमरे की छत को निहार रहा था,बीते समय की हर घटना उसके दिलो दिमाग में एक साथ ही चल पड़ी ,वो कड़ियों को जोड़ रहा था,लेकिन कुछ भी समझ नही आ रहा था,देखने को तो सब कुछ ही बड़ा शांत सा चल रहा था लेकिन असल में शायद कोई तूफान उनका इंतजार कर रहा था,पहले तो उसे अपने दुश्मनों का पता था लेकिन अब ….ना जाने कौन कब कहा से वार कर दे ,उसे अपनी चिंता तो कभी भी नही थी लेकिन अपने परिवार की चिंता उसे हमेशा ही सताती,
“भइया क्या हुआ आप आज बड़े ही चिंता में लग रहे हो ,कोई परेशानी है क्या “निधि की कोमल आवाज से अजय का ध्यान उधर गया,
“नही कोई बात नही बस ऐसे ही “
“क्या ऐसे ही ,अब तो मूझे बताया करो अब मैं बड़ी हो गई हु और अगर हम चुनाव जीत गए तो मैं मंत्री बन जाऊंगी ,सोचो अपनी छोटी सी बहन जिसे आप कुछ भी नही बताते वो मंत्री बन जाएगी “
अजय उसकी बातो पर हँस पड़ा ,
“ह्म्म्म क्या बताऊ तुझे “
निशि अजय के पैरो के पास बैठ कर अपना सर उसके गोद में रख लेती है ,
“अपना हर दर्द ,”
अजय उसके सर को यू ही थपथपाता है ,
“सोच रहा था की ना जाने जिंदगी किस मोड़ पर ला रही है,पहले तिवारियो का पंगा था अब ये इलेक्शन ,सालो से इस दिन का इंतजार किया था जब सब कुछ मिल रहा है तो एक अजीब सा डर दिमाग में भर गया है…”
“आप अगर डर जाओगे तो हमारा क्या होगा,मेरा भाई कभी भी डर नही सकता मैं तो मान ही नही सकती की आप डर गए “
“अच्छा ,डर नही एक बेचैनी तो है ना “
“तो मूड थोड़ा ठिक कर देती हु “
निधि अपने नाइटी को ऊपर करके उसके गोद में बैठ जाती है ,अब निधि का चहरा अजय के चहरे के पास ही था,उसके उजोर अजय के सीने से लग रहे थे और वो अजय के जांघो के बीच अपने जांघो को फसाये बैठी थी जिससे उसकी योनि का हिस्सा अजय के लिंग से टकरा रहा था,वो अपने बालो को खोले हुई थी जिससे वो और भी सेक्सी लग रही थी ,दोनो के रिस्ते में अब इतना खुलापन आ गया था की वो कुछ भी करने से हिचकिचाते नही थे,अजय ने अपने हाथो से उसके नितम्भो को पकड़ा ,अपनी आदत के अनुसार निधि अब भी नंगी ही थी वो उसके नरम नरम नितम्भो को अपने हथेलियों से और भी पास खिंचता है ,निधि एक नजर अजय को देखती है और फिर उसके होठो को अपने होठो में भर लेती है,
दोनो ही बहुत देर तक एक दूसरे के होठो का रसपान करते है ,
“अब बेचैनी कम हुई “
“तेरी बांहो में तो दुनिया भूल जाता हु ,मेरी जान “
वो कसकर उसके कमर को पकड़ कर अपनी ओर खिंचता है और फिर से उसे अपने सीने से लगा कर उसके होठो को चूमने लगता है,”
इधर
“तुम पागल हो गए हो भाई “
आरती अपने भाई सुरेश पर भड़क गई
“मैंने क्या गलत कहा है आरती “
“तुमने सब कुछ तो गलत कहा है ,तुम मुझे कह रहे हो की मैं इस परिवार से गद्दारी करू ,आखिर क्या मिलेगा मुझे इससे “
“क्या मिलेगा,जो अभी तक इस परिवार ने तुम्हे दिया क्या वो सही था,अपनी प्रतिष्ठा के कारण मेरी कम उम्र की बहन ने विधवा की जिंदगी बिताई क्या ये सही था,क्या तुम्हारे अरमानो को प्रतिष्ठा की आड़ में कुचल देना सही था आरती,तुम फिर से शादी कर सकती थी लेकिन नही तिवारियो की मर्यादा,उनकी इज्जत के कारण तुम्हे इस उम्र में विधवा की जिंदगी जीनी पड़ रही है क्या ये सही है ………….”
आरती खामोश थी ,
“तुम्हे ये किसने भड़का दिया है ,तुम तो ऐसे नही थे ,एक तुम ही तो जिसे मैं अपना कह सकती हु ,ये लोग बहुत ही खतरनाक है भाई और अब तो इनके सबसे बड़े दुश्मन ठाकुर भी इनसे मिल गए है ,अब इन्हें हराने की बात सोचना भी गलत होगा…”
“हमे इन्हें हराना नही है आरती हमे इनसे लड़ना नही है ,हमे तो बस उनलोगों का थोड़ा सहयोग करना है बाकी सब उन्हें ही करने दो,”
“लेकिन क्या ये सही होगा”
“हा बिल्कुल जो इन लोगो ने किया है उसके सामने ये कुछ भी नही है ,तुम्हे बस इनकी जानकारी उन तक पहुचानी है बस ,”
“लेकिन भाई “
“मैंने तुम्हारे मा बाप को तुम्हारी याद में तड़फकर मरते देखा है और इसकी वजह ये लोग ही है ,मेरे लिए यही एक वजह काफी है इनसे बदला लेने का,आज जब खुद तकदीर ने हमे ये मौका दिया है तो हमे ये क्यो नही अपना लेना चाहिए ,मैं एक छोटे से नॉकरी में हु मेरे लिए इनसे लड़ना बहुत ही मुश्किल है लेकिन वो लोग इनके गुरुर को तोड़ कर रख देंगे ,”
सुरेश आरती का हाथ पकड़ लेता है ,
“देख बहन ये एक ही मौका कुदरत ने हमे दिया है ,अब ज्यादा सोच मत ऐसे भी हमे कुछ भी तो नही करना है ,किसी को पता भी नही लगेगा की क्या हुआ है,तुम्हे जो जानकारी मांगी जाय वो देना है ,”
आरती की आंखे अब भी पूरी तरह से सहमत नही थी लेकिन फिर भी उसने अपना सर हा में हिला दिया ………..
इधर
शाम होने को थी और कलावा बगीचे में कुछ काम कर रहा था तभी रानी की नजर कलवा पर पड़ी ,वो बार बार एक जगह को खोदता फिर थोड़ा ऊपर को देखता फिर उस जगह को खोदता,
रानी के समझ ही नही आ रहा था की आखिर कलवा इस तरह बेवजह क्यो जमीन खोद रहा है ,तभी उसने ऊपर देखा उसकी मा चम्पा वहां बैठे हुए चाय पी रही थी ,वो अभी किसी से बात कर रही थी ,वो भी कभी कभी कलवा की तरफ देखा करती लेकिन दोनो ही बस एक दूसरे से नजर बचाकर एक दूसरे को देख रहे थे,रानी को उनकी निगाहों में कुछ कुछ होता है वाली फीलिंग देख रही थी वो भी कन्फ्यूज़ थी,ऐसे तो वो कल रात से ही समझने की कोशिस कर रही थी की कुसुम के साथ क्या गड़बड़ चल रही है लेकिन यहां ये नजारा देखकर उसके माथे पर फिर से एक लकीर पड़ गई ,आखिर इस घर में ऐसा हो क्या रहा था जो सबसे छुपा था,
कलवा का गठीला बदन किसी भी लड़की को आकर्षित कर सकता था,इस उम्र में भी उसके पेट में चर्बी का नामोनिशान नही था,सपाट पेट और बड़े गठीले भुजाओं के मालिक काले कलवा का कालापन उसे और भी मजबूत दिखता और वो भी बड़ा आकर्षक लगता था,वो भी दिन हुआ करते थे जब की चम्पा और कलवा प्यार की पींगे हाँकते थे और आज ये दिन है जब उनके बीच फिर से एक आकर्षण का बीज पनपने लगा था ,ये बीज इतना फलने वाला था ये तो वक़्त ही बताता लेकिन अभी तो रानी के लिए ये एक पहेली ही थी वो तो कभी सपने में भी इस रिस्ते के बारे में सोच नही सकती थी ………..
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