RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर
अजय और नितिन बैठे बाते कर रहे थे,साथ ही विजय धनुष और अभिषेक भी थे
“भइया हमे बहुत ही सोच समझकर काम करना पड़ेगा “
“हम्म अभिषेक तूम कालेज के अध्यक्ष हो कितने लड़के है हमारे साथ “
जब से इन भाइयो ने अभिषेक को उल्टा लटकाया था वो बेचारा भीगी बिल्ली की तरह रहता था और साथ ही उनकी हर बात माना करता था,अजय को पता था की इसे बस में रखना बहुत जरूरी है क्योकि उसके अंदर प्रतिभा थी जिसका उपयोग जिसका उपयोग अजय को अपनी पार्टी के लिए करना था ,
“भइया लगभग सभी “
“लगभग का क्या मतलब होता है “विजय की दमदार आवाज से अभी थोड़ा घबराया ,अजय ने उसे शांत रहने को कहा ,
“भइया कुछ लोग पहले से पुरानी पार्टी के मेम्बर है ,और वो कुछ ना कुछ पदों में भी है उन्हें तोडना मुश्किल है “
“हम्म कोई बात नही दूसरी पार्टीयो में भी तो कोई होना ही चाहिए ,अभी अगर हम उन्हें अपने साथ लाने की कोशिस करेंगे तो वो नाजायज मांगे करेंगे उससे अच्छा है की उन्हें हम ऐसे हराये की वो हारकर हमारे साथ आने पर मजबूर हो जाय ,इस साल पहला इलेक्शन विधानसभा का होगा,फिर लोकसभा अगले साल से शुरू होने वाला है ,उसके बाद पंचायत चुनाव और निगमो के चुनाव होंगे ,हमे अपना बेस इतना मजबूत रखना है की पहले 2 इलेक्शन में भले ही हमे कम सीटे मिले लेकिन स्थानीय चुनाव तक हमारा परचम लहराए,एक एक गांव के एक एक बूथ तक हमारी पहुच होनी चाहिए ,हर जगह से जितने भी लोग है सभी को इकट्ठे करो ,सभी कार्यकर्ता को से जो भी वोट ला सकता है अपनी शक्ति दिखाने को कहो हम सबसे पर्सनली मिलेंगे,जो भी योग्य होगा उसे सीट दी जाएगी ,और पद भी ,निर्वाचन आयोग में पार्टी की मान्यता के लिए दरखास्त दे दी आई है ,कुछ ही दिनों में हमे हमारा नाम और चुनाव चिन्ह भी मिल जाएगा ,हमे तुरंत शक्ति प्रदर्शन के लिए रेलिया निकालनी शुरू करनी होगी ,बहुत काम है दोस्तो भीड़ जाओ पूरे प्रदेश में फैल जाओ और चुन चुन कर उम्मीदवार लाओ जो अपने इलाको का नेतृत्व करे ,,,,
उसी शाम फिर से एक मीटिंग होती है जिसमे करीब 100 लोग शामिल थे अधिकतर लोग युवा ही थे ,ठाकुर-तिवारी परिवार के सभी बच्चे वहां मौजूद थे और अजय के नेतृत्व में सभी को उनकी जिम्मेदारी बांटी जा रही थी ,सबसे ज्यादा काम अजय , निधि धनुष के पास था ,बाकियों को बस अपने ही क्षेत्रो में जाने का काम दिया गया था ,जिसका जैसा समर्थ था वैसा काम उन्हें मिल गया था ,निधि को पार्टी का प्रेजिडेंट बनाया गया,वही धनुष को मुख्यमंत्रि का उमीदवार घोषित कर दिया गया ,अभिषेक पार्टी का महासचिव था ,साथ ही हर इलाके में गांव और ब्लाक लेवल तक और शहरों में जिला से वार्डो तक के प्रतिनिधियो की लिस्ट भी जारी कर दी ,ये काम कई दिनों का था लेकिन अजय ने होशियारी दिखाई थी और पहले से ही लिस्ट तैयार रखी थी ,जैसे सालो से वो उसी काम में भिड़ा हुआ हो ,एक एक प्रतिनिधि हैरत में था की अजय उन्हें पर्सनली जानता है,उनके इलाको की समस्याओं को जानता है ,
असल में अजय ने इसकी प्लानिंग सालो में ही की थी ,वो पूरे इलाके में घूमता रहता था और कई लोगो से मिलता जो की सामाजिक और राजनीतिक रूप से एक्टिव थे ,वो अलग अलग पार्टी के या स्वतंत्र काम करने वाले थे ,अजय सभी को लिस्टेड करता रहता था और उनके काम पर नजर भी रखता था ,उसने अपनी पार्टी का इतना बड़ा खांचा बना दिया था की विरोधी पार्टीयो के पसीने आने वाले थे ,जो उन्हें बच्चा समझ कर मजाक में ले रहे थे ……...
ये बात दूसरे दिन के अखबारों की हेडलाइन होने वाली थी ,अखबार से बहुत से लोग भी वँहा शामिल थे और उन्हें खूब पिलाया गया ,और खूब खातिरदारी की गई ,ये सभी काम विजय और नितिन के सुपुर्द था ,अजय विजय और नितिन पर्दे के पीछे से काम करने वालो में थे,धनुष और निधि के चहरा सामने होना था,और किशन राकेश और बाकियों को इससे दूर ही रखा गया था ,ज्यादा से ज्यादा अपने क्षेत्र में कुछ प्रचार के लिए उनका उपयोग होता ….
अब बस देर थी पार्टी के नाम के आने की और चुनाव चिन्ह के मिलने की …….
वही हवेली पहुचने के बाद सबको इंतजार था सुमन के गुड न्यूज़ की जो शायद आज रात होने वाला था ,......
जिन हसीन पलो का इंतजार किशन और सुमन को था वो आ ही गया था ,सुमन ने दुनिया से लड़कर अपना कौमार्य अपने पति के लिये बचाया था वही किशन भी अपने हवसी और चंचल स्वभाव को त्यागकर बस सुमन का ही हो गया था,दोनो के लिए ये रात बहुत ही खास थी ,उनकी सुहागरात तो मन चुकी थी लेकिन अब भी सुमन का जिस्म पूरी तरह से किशन का नही हुआ था,समर्पण की एक इंतहान अभी भी बाकी था,
सुमन भी जानती थी की आज कुछ हो सकता है और वो इस बात से थोड़ी डरी डरी सी थी ,
वो काम में व्यस्त थी,चम्पा के साथ घर के काम कर रही थी ,ऐसे यही काम वो रोज किया करती थी ,सीता मौसी अपनी पोती को साड़ी में देखकर गदगद हो रही थी वही चम्पा अपनी बहु और अपनी सौतेली बेटी के ऊपर पूरा प्यार लुटा रही थी ,ये बात तो सुमन को भी पता थी ,लेकिन सुमन अब इस बारे में सोचना नही चाहती थी ,लेकिन मन है …….
मन तो मन ही है ,वो बातो को घुमा फिरा कर सामने ले ही आता है ,सुमन बार बार ये बात भुलाने की कोसीसे करती थी की वो और किशन एक ही खून है ,खून के रिस्ते से वो भाई बहन ही है ,लेकिन फिर भी वो दिल के किसी कोने में इस बात को भूल नही पा रही थी ,
‘क्या मुझे किशन जी को ये बता देना चाहिए ‘
उसके मन ने खुद से ही ये सवाल किया
‘नही नही पागल हो गई हो क्या ,अगर ऐसा हुआ तो अनर्थ हो जाएगा,घर में बवाल हो सकता है,उस समय चम्पा मा की क्या मजबूरियां थी इसपर किसी का भी ध्यान नही जाएगा ,किशन शायद खुद भी डिप्रेशन में आ जाए ‘
उसने मन ही मन इस बात को ना खोलने की सोची लेकिन वो अपने भाई से ही कैसे जिस्म का रिस्ता बना सकती थी……..????
वो बड़ी उधेबुन में बैठी रही ,काम खत्म होने पर चम्पा ने उसे कमरे में जाने को कहा वो हा बोलकर वहां से तो निकल गई लेकिन कमरे में जा ना सकी,वो छत में जाकर बैठ गई वो अपने इसी खयालो में पागल हुए जा रही थी ,उसे समझ नही आ रहा था की आखिर वो करे तो क्या करे ….
वो रोये जा रही थी ,
रानी ने उसे गुमसुम देखा था,जब वो छत में जा रही थी तो उसके चाल से ही उसे समझ आ गया था की कुछ गड़बड़ है वो उसका पीछा करने लगी ,आखिर वो सुमन के जाने के थोड़ी देर के बाद धीरे धीरे ऊपर जाने लगी ,उसने जब सुमन को रोते हुए पाया तो उसे समझ ही ना आया की आखिर ऐसा क्या हो गया की वो ऐसे रो रही है ,क्या मा ने कुछ कहा,नही वो इसे क्यो कुछ कहेगी ,तो भाई ने ? हा ये हो सकता है ,
थोड़ी देर हु ही उसे देखती रही फिर जाकर सुमन के पास ही खड़ी हो गई ,उसे देखकर सुमन हड़बड़ाई और उठी ,वो अपने आंसू पोछने लगी ,
“क्या हुआ भाभी “
“कुछ भी तो नही “
“तो बिना कारण के आप रो रही है ??”
“वो वो मा की याद आ गई “
रानी के चहरे में हँसी आ गई
“भाभी आप को जब झूट बोलना नही आता तो क्यो बोलती हो ,बताओ ना क्या हो गया “
सुमन चुप थी उसे समझ ही नही आ रहा था की आखिर वो उसे क्या जवाब दे ,रानी उसके पास जाकर उसकी बांहे पकड़ती है ,
“आज जो होने वाला है उसके लिए रो रही हो क्या “
सुमन को याद आया की आज क्या होने वाला है ,
“नही नही ….नही तो “
रानी फिर से मुस्कुराई
“या मेरा भाई आपको पसंद नही है ,जबरदस्ती शादी तो नही की ना आपने,...हर मर्द की तमन्ना होती है की वो सुहागरात में अपनी पत्नी को अपना बना ले लेकिन आपने वो करने नही दिया ,आज आप यहां बैठी हो ,जबकि भाई वहां बेसब्री से इंतजार कर रहा है, मुझे तो लगता है की तुम्हारे दिल में कभी भाई के लिए प्यार था ही नही “
रानी एक ही सांस में सब कुछ बोल जाती है वही सुमन बस उसे देखते रह जाती है,उसके मुह से कोई भी बात निकल ही नही रही थी,उसे समझ ही नही आता की रानी को कैसे समझाए
“ऐसा नही है रानी “वो बड़ी ही मुश्किल से ये बोल पाई
“तो कैसा है ,अगर ये सच नही है तो बताओ की क्या सच है,”
रानी इस बार ने थोड़ी जोर से कहा ,और बदले में सुमन भी जोरो से रोने लगी ,वो वँहा से जाने लगी लेकिन रानी ने उसका हाथ जकड़ लिया
“तुम ऐसे नही जा सकती “
“नही रानी मुझे छोड़ दो सच इतना कड़वा है की तुम उसे सह नही पाओगी इसे मुझतक ही रहने दो ,वो मेरा इंतजार कर रहे होंगे मुझे जाने दो “
रानी के चहरे में फिर से एक मुस्कुराहट आ गई लेकिन ये मुस्कुराहट भी बहुत कड़वी थी
“नही भाभी “
इस बार उसकी आवाज नरम थी ,उसने जानबूझ कर ये सोच कर ही उसे कड़वे वचन कहे थे की वो टूटकर सच बता दे लेकिन रानी को भी इसका आभास हो गया था की सुमन इतनी जल्दी नही टूटने वाली
“भाभी जी ,अगर आपके दिल में भाई के लिए प्यार नही हो तो शायद आप कभी खुस नही रह पाएंगी और ना ही भाई खुस रह पायेगा ,आपके हाथो में दो जिंदगियां है “
“मैं उनसे बेपनाह प्यार करती हु रानी ,मेरी जान भी उनकी एक हँसी के सामने कुर्बान है “
रानी उसका हाथ छोड़ देती है और सुमन भी जल्दी से वहां से निकल जाती है ,लेकिन रानी के दिमाग में ये बात घर कर गई के आखिर ऐसा कौन सा सच है जो सुमन उससे छुपा रही है ,खैर उसे जो जानना था उसे समझ आ गया था की सुमन की ओर से कोई भी देरी नही है वो तो अपने को किशन के नाम ही कर बैठी है………
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