RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
कभी वो कई लोगो का बिस्तर गर्म करती नही थकती थी,और उसके अदाओं ने ना जाने कितनो को पागल बना रखा था,दोनो ही एक दीवार से खुद को अलग पा रहे थे और उस दीवार को तोडना दोनो की हसरत थी,लेकिन ….
मजबूर आकांक्षाओं की दीवार एक ही चोट में धराशायी हो जाती लेकिन वो चोट पहले कौन लगाता,वो अपनी नजर झुकाए बालकनी में चली गई ,और हवा के हल्के झोको ने चम्पा को उस आग से कुछ आराम दिया,उसने अपने पल्लू के पर्दे को हटा कर अपनी उरोजों को सांस लेने के लिए खुला छोड़ा वो उसे मसल कर अपनी भावनाओ को सकून दे रही थी,
नीचे कलवा अभी अभी कुछ काम निपटा कर लौट रहा था,चम्पा के कमरे के नीचे एक सन्नटा होता था,वो जगह उनके बगीचे की थी,कलवा अपनी अकेली रातो में वहां आकर कुछ सकून के पल बिताया करता था,दोनो की नजरे मिली और कलवा भी उस काम की मूरत को देखता रह गया,,,...
चम्पा को अपने स्थिति का आभास कलवा के नजरो से ही हुआ और उसके चहरे पर शर्म की लाली खिल गई ,वो उसे देखकर हल्के से मुस्कुराई ,वो बहुत अच्छे दोस्त थे ,कलवा कभी चम्पा का आशिक हुआ करता था और ये बात चम्पा को भी पता थी,आज इतने दिनों बाद दोनो की वही भावनाएं फिर से जाग गई ,कुछ देर को ही सही लेकिन कलवा उसे वैसे ही घूर रहा था जैसे की वो पहले घूरा करता था और चम्पा की अदाएं कुछ टिस करती हुई कलवा तक पहुच रही थी,उसके चहरे पर शर्म ने एक मुस्कान की जगह ले ली थी जो की एक कामोत्तेजक मुस्कान थी,महिलाओं की ये मुस्कान किसी भी समझदार आदमी के दिमाग को बिगड़ देती है ,ये एक सिग्नल होता है की वो महिला आपमे उत्सुक है,
कलवा का दिल सालो बाद यू जोरो से धड़का था,और अचानक ही मानो दोनो को होश आया की वो ये क्या कर रहे है……
चम्पा ने अपने को झट से ठीक किया और नजर नीची कर अपने कमरे में चली गई वही कलवा को भी ये आभास हुआ और वो भी वहां से निकल जाना ही बेहतर समझा ….
चम्पा कमरे में दाखिल हुई तो उसने बाली को जागता पाया,वो अपने बिस्तर में बैठा किसी सोच में गुम था…
“क्या हुआ नींद नही आ रही आपको “
चम्पा जुबान में अचानक ही एक मीठापन आ गया था,कुछ ही देर पहले हुए सभी वाक्यो ने उसके योनि में कुछ रिसाव शुरू कर दिया था और अपने बिस्तर में लेटकर चादर के नीचे उसे शांत करना चाहती थी लेकिन अभी बाली जाग रहा था,और उस उत्तेजना ने उसमे एक हिम्मत ला दी वो सीधे बाली के बाजू में बैठ गई,और अपना हाथ बाली के हाथो में ले लिया ,
“पता नही कुछ अजीब लग रहा है..”
बाली मुड़ने वाला ही था की चम्पा ने बड़ी अदा से अपने पल्लू को नीचे गिरा दिया,बाली की आंखे सीधा उसके ब्लाउज़ के दरार पर पड़ी...और वो अपनी थूक गटक गया,
चम्पा की हिम्मत और बड़ी वो बाली के पैजामे से झांकते उसकी मर्दानगी को देखने लगी,जो तन कर किसी रॉड की शक्ल ले चुका था,इसके आभास ने ही उसे और उत्तेजित कर दिया ,और वो अपना हाथ बाली के बालो में ले आयी और उसे अपनी ओर खिंचने लगी ,इतना बलशाली बाली भी किसी कठपुतली की तरह उसके इशारों पर खिंचा चला गया और उसके सीने से जा लगा….
बाली की सांसे अब चम्पा के दरारों पर पड़ रही थी,जिससे दोनो ही जिस्मो की आग बढ़ती जा रही थी,अब बाली से भी सहन करना कठिन हो रहा था और वो अपने मुख को खोलकर थोड़ा नीचे जाता हुआ उसके खुले जगह पर अपनी जीभ लगा दिया..
चम्पा के लिए ये सहन करना कठिन था,वो बाली के सर को अपनी छाती पर जोरो से भिच ली..और वो दीवार टूट गई ...वो संकोच की दीवार आगे क्या होने वाला था दोनो ही जानते थे और इस उमंग से ही दोनो के दिल की धड़कन तेज हो गई थी,बाली ने चम्पा की सहमति पा कर अपने हाथो और मुह को काम में लगा दिया वो धीरे धीरे बढ़ता हुआ उसके उजोरो को हर जगह से चाटने लगा और उसे निर्वस्त्र करने लगा चम्पा को भी अब ये कपड़े सुहा नही रहे थे,दोनो ही सालो के प्यासे थे और कब ये आग फुट जाय इसका कोई भी भरोसा नही था,बाली के अंदर का जानवर अब धीरे धीरे जागने लगा था,वो चम्पा के दूध को दुहने में आमादा था वो इतने जोरो से उसे निचोड़ रहा था की चम्पा को लगा की कही इनसे खून ना निकल जाय बाली अपनी जवानी में लौट गया था,वो चूसता मसलता,चम्पा के शरीर को तोड़ रहा था,और चम्पा की आहे पूरे सबाब में गूंज रही थी…
बाली ने आखिर चम्पा का वो आखरी वस्त्र भी निकाल फेका और खुद भी पूरी तरह निर्वस्त्र हो उसके उस गुफा में अपने लिंग को घुसाने लगा,दोनो ही इतने गर्म थे की कुछ ही धक्कों ने दोनो को तोड़ दिया और दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे….
जल्दी झरने का कोई दुख किसी को भी नही था क्योकि वो जानते थे की अब तो हर रात जवान होने वाली है ………..
“तुम बहुत ही कसी हुई हो ,जैसे जवानी में होती थी…”
बाली का प्यार पाकर चम्पा और भी खिल गई थी,उसने मादक अदा दिखाते हुए बाली को अपनी ओर खिंचा
“और आप वैसे ही जानवर है जैसे पहले हुआ करते थे,,..”
चम्पा की बात सुनकर बाली के अर्ध तने लिंग ने फिर से फुंकार मारी
“अब दिखता हु की जानवर किसे कहते है…”
दोनो का ठहाका पूरे कमरे में गूंज गया और बाली चम्पा के ऊपर सच में जानवरो जैसा झपटा...
किशन की शादी की शॉपिंग करने पूरा परिवार शहर गया हुआ था,शहर के उसी माल में जहा कभी सुमन उन्हें मिली थी आज वो माल ठाकुरो का था,तिवारी परिवार की तरफ से गए थे खुसबू और नितिन ,आरती स्वाभाविक था की शॉपिंग दिन भर चलनी थी ,वहां के कई दुकान भी अजय ने ही खरीद लिए थे,कुछ को महेंद्र ने ,कुछ बाकियों के भी थे...माल में चहलकदमी सुबह से जोरो पर थी ,जब खुद मालिक का परिवार आ रहा हो तो ये होना स्वाभाविक भी था,
सुमन आज उसी दुकान में बैठी थी जंहा कभी वो काम किया करती थी,वो अपने सभी साथियों को देखकर भावुक हो गई,सभी उससे ऐसे मिल रहे थे जिसे की कोई नई दुल्हन पहली बार मायके आयी हो,लेकिन सभी को पता था की अब ये यहां की कर्मचारी नही बल्कि मालकिन है, अपने आंखों में आंसू और दिल में विनय का भाव लिए वो वहां बैठी थी ,उसे तो अपनी किश्मत पर कभी कभी यकीन भी नही होता था,क्या ये एक सपना था,लोग उसे किसी महारानी की तरह से ट्रीट कर रहे थे,लेकिन उसके आंखों में बहुत ही विनम्रता उन लोगो के लिए थी होती भी क्यो ना कभी वो भी उन्ही में से एक हुआ करती थी,
सुमन का साथ निधि ने कभी नही छोड़ा,सभी उसको देख कर ही पहचान गए की यही वो लड़की है जिससे हुई लड़ाई ने सुमन की पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी,वक़्त भी कैसे कैसे खेल खेलता है,जिस चीज के लिए सुमन को अपनी नॉकरी से भी हाथ धोना पड़ा था वही चीज उसे नॉकर से मालकिन बना दिया…
इधर कुछ जवा दिलो के लिए ये ट्रिप किसी पिकनिक से कम नही था ये वो मौका था जहा वो एक दुसरे को निहार सकते थे,खुसबू नितिन और सोनल तो यहां आये ही इसी लिए थे की वो अपने सनम की कुछ झलक देख पाए,
विजय ने भी उन्हें थोड़ा स्पेस देने की सोची और किशन को लेकर लड़कियों के साथ बैठ गया ,जिसे कभी लड़कियों के साथ शॉपिंग करना पसंद नही था वो दोनो लवंडे आज शादी की शॉपिंग में सबका हाथ बटा रहे थे,ऐसे वो सचमे लड़को को बोझिल करने वाला होता है,पर आज दोनो ही उसे इंजॉय कर रहे थे,किशन के पास तो इसका वाजिब कारण भी था लेकिन विजय के पास क्या कारण था???सिर्फ सोनल और नितिन को स्पेस देना या खुसबू को अजय से बात करने का कोई मौका देना…??
इसके अलावा भी एक कारण उसके सामने था,वो थी सफेद साड़ी में लिपटी हुई एक अधेड़ उम्र की विधवा महिला ,जो की अपने सौंदर्य और पहनावे के तरीके से ना तो अधेड़ लग रही थी ना नही विधवा,आरती की कमाल की खूबसूरती ने विजय को सोचने पर मजबूर कर दिया था,वो ऐसे तो उसकी मामी थी और उसे किसी गंदे नजर से देखने का उसका कोई मूड भी नही था लेकिन आरती के वो इशारे जो अक्सर कोई महिला किसी को आकर्षित करने को करती है ,विजय को अंदर से तोड़ रही थी ,वो लड़कियों के मामले में हरामी लड़का था और उसे हर बात साफ समझ आ रही थी की क्यो विजय के देखने पर ही आरती अपने पल्लू को सम्हालती है जिससे कुछ छिपता तो नही बल्कि कुछ दिख ही जाता है और क्यो वो विजय के नजर पड़ते ही अपने कमर की साड़ी को थोड़ा हटा लेती है,जिससे उसकी पतली कमर का वो भाग सामने आ जाता है….
विजय पका हुआ खिलाड़ी था वो हर इशारे अच्छे से समझ रहा था और वो उसे और भी अच्छे से समझने के लिए वहां बैठा हुआ था ,दोनो में एक खेल चल रहा था जिसे बस दोनो ही जानते थे,और किसी को भी इसकी भनक तक नही लग रही थी होती भी कैसे सभी अपने कामो में इतने मसरूफ थे की उन्हें इनपर ध्यान देने की फुरसत ही नही थी,विजय ने आखिर मर्यादाओ के बंधन को तोड़कर आगे बढ़ने की सोची जब खुद लड़की तैयार है तो ट्राय करने में क्या जाता है,ऐसे भी हवस में रिस्ते नही देखा करते ,
विजय जाकर आरती के पास बैठ गया,दोनो की नजर मिली और एक मुस्कान दोनो के होठो में खिल गया,
विजय ने एक अंगड़ाई ली और उसका हाथ सीधे जाकर आरती के स्तन से टकराया,वो ऐसे था की आरती भी इसकी फिक्र ना करती अगर उसे पता नही होता की विजय का असली मकसद क्या था,विजय ने फिर से रिएक्शन देखा उसकी इस हरकत ने आरती के होठो की मुस्कान को और भी चौड़ी कर दि थी,जिससे विजय का लिंग एक जोरदार झटका लगा दिया,
उसके बालो से आने वाली खुसबू ने ऐसे भी उसे पागल बना दिया था ,और उसकी तरफ से आ रहे इस इशारे से वो झूम सा गया,उसने एक कदम आगे बढ़ाने की सोची और अपना हाथ आरती के पीछे से ले जाकर उसके खुले हुए कमर पर रख दिया ,आरती को इतनी हिम्मत की उमीद नही थी उसे लगा था की ये भी किसी आम ठरकी की तरह होगा उसे क्या पता था की ये सभी ठरकीयो का बाप निकले गा उसे इसकी बिल्कुल भी उमीद नही थी फिर भी वो कोई रिएक्शन नही दिखाई ,इससे विजय को समझ आ चुका था की वो पूरी तरह से तैयार है उसे बस मौका चाहिए था आगे बढ़ने का,
“मामी ये सब कितना बोरिंग है ना “
विजय ने आरती से पहली बार बात की थी
“हा है तो ,ऐसे हमारा रहना भी जरूरी नही है”विजय की आंखे चौड़ी हो गई ये तो बहुत ज्यादा चालू है ,इसे खुद इतनी जल्दी पड़ी है,वो सोच में लग गया की आखिर क्या किया जाय की उसे यहां से बाहर निकाला जाय…….
इधर
सोनल खुसबू नितिन और अजय बाहर ही खड़े थे …
“तुम लोगो को नही देखना कपड़ा “
अजय ने सोनल से पूछा
“अरे भैया आप अकेले हो जाओगे ना इसलिए हम रुक गए “
“अरे जाओ मेरे साथ नितिन है ना “
नितिन ने ऐसे देखा जैसे की वो ही फस गया हो ,
“असल में मुझे भी शॉपिंग पसन्द नही “
खुसबू ने हल्के से कहा जिसे सोनल समझ गई ,
“ह्म्म्म एक काम करते है मैं और नितिन अंदर जाते है आप खुसबू का ख्याल रखो…”इससे पहले की अजय कुछ कह पता सोनल नितिन का हाथ पकड़कर वहां से अंदर चली गई,जब अजय ने खुसबू को देखा तो वो हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी ,वो लोग नीचे के फ्लोर में बैठे हुए थे,विजय अभी अभी ऊपर गया था…..
अजय को कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था उसे पता था की उसे खुसबू के साथ अकेले क्यो छोड़ा गया है पर वो रिश्तों के बंधन को तोडना नही चाहता था….
“तुम्हे कुछ चाहिए बहन “
अजय ने खुसबू को देखते हुए जानबूझ कर कहा ,जिससे उसका मुह उतर सा गया
“नही और आप मुझे बहन ना कहा कीजिये “
खुसबू ने पहली बार अजय का विरोध किया था उसके आवाज में सचमे एक गुस्सा था उसे भी पता था की अजय भी ये जानता है की उसके दिल में अजय के लिए क्या है पर फिर भी वो उससे दूर जाने की कोसीसे करता है ,
“बहन को बहन ही तो कहते है ना “
“मैं आपकी बहन नही हु ये आप समझ लीजिये “
अजय ने उसके मासूम से चहरे पर वो गुस्सा देखा जिसमे गुस्सा कम और दुख ज्यादा था,अजय ने कुछ नही कहा लेकिन कुछ ही देर की ये खामोशी एक अजीब सी बेचैनी लेके आ गया ,
“चलिए काफी पीते है,”खुसबू ने कहा
“जाओ सोनल को ले जाओ मूझे मन नही है “
खुसबू का पारा चढ़ गया और वो अजय का हाथ पकड़कर उसे माल से बाहर ले जाने लगी .
“ये क्या कर रही हो “
“आप मुझे बहन कहते है तो ठीक है हु मैं आपकी बहन अब चलिए जहा मैं ले जा रही हु “
अजय बस उसके साथ खिंचता चला गया….
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