RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अजय का यू रोना शायद की कोई समझ सकता था,नितिन उसे बस सहारा दे रहा था,...............
“छि कितनी बदबू फैला के रखे हो रूम में …”
निधि की प्यारी सी आवाज से विजय चौका जब वो अपने ओल्ड मोंक की बोलत से 4 था पटियाला पैक बनाकर तैयार था,आज उसे इसी हार्ड दारू का सहारा था,वो बड़ा ही परेशान था,निधि यू तो उसके कमरे में नही आती थी लेकिन अजय से सब सुनने के बाद वो खुद को रोक नही पाई थी…
कमरे में घुसते ही उसे रम की वो खुसबू/बदबू आयी (खुसबू उनके लिए जो पीते है और बदबू उनके लिए जो……..छोड़ो यार 0
“ये क्या कर रहे हो छोड़ो इसे”
निधि ने ग्लास हाथ से छिनने की कोसीस की लेकिन विजय की लाल आंखे उसे भी थोड़ा डरा गई …………….
“तू यहां क्यो आयी है तेरा तो एक ही भाई है ना जा उसके पास ,मुझे क्या हक है तेरे जिंदगी के फैसले लेने का,जो अजय भइया कहे वही सही है,कोई तेरी जिंदगी बर्बाद भी करदे तो हमे हक नही है बोलने का………”
विजय की आंखों में आंसू थे ,और दिल में एक अजीब सा दर्द जो उसे कभी भी फील नही हुआ था,वो शराब का सहारा ले रहा था,लेकिन शराब साली किसकी सगी है,जब दिल के गम भुलाने को पियो तो गड़े दर्द को और जगा देती है ,...
निधि बेचारी बस उसे देखती ही रह गई वो विजय को प्यार करे या उस लाचारी पर रोये उसे समझ ही नही थी ,लेकिन सोनल जो उनके पीछे खड़े सब सुन रही थी वो गुस्से में आ गई और उसके हाथ से वो ग्लास पकड़कर पटक दिया ….
विजय उसे भारी हुई आंखों से ही देखता रहा…
“हा साले तुझे कुछ भी हक नही है अपने बहनों की जिंदगी के लिए फैसला करने का किया ही क्या है तूने ……”
निधि डरकर सोनल को चुप करने गयी लेकिन उसने उसे अलग कर दिया
“क्या आता है तुझे और क्या जानता है तू अजय भइया के बारे में ,सब कुछ सहकर जिसने हमे इस मुकाम में पहुचाया आज तू उनका ही दिल दुखा आया ,तुझे तो बस यही समझ है की मारो या मारो,और तुझे क्या चाहिये दारू और लड़की ……..”
सोनल के इतने कहने पर ही विजय फफककर रोने लगा निधि जाकर उसे अपने गले से लगा ली,निधि की कमर पर विजय का सर था और वो रोये जा रहा था.लेकिन सोनल का गुस्सा शांत नही होने वाला था,
“क्या बहन की जिम्मेदारी की बात कर रहा है तू….क्या किया है तूने आज तक बहनों के लिए “
“दीदी बस करो भाई को देखो कितने दुखी है और आप हो की …”
“ए भईया की चमची जा तू जाकर अजय भइया के साथ सो जा ,मेरे भाई को मेरे लिए लिए छोड़ दे ……”
विजय और निधि सोनल का चहरा देखने लगे ….अब सबके आंखों में आंसू था,निधि तो वही बैठ गयी उसे यकीन नही हो रहा था की उसके घर में ये क्या हो रहा है,आज एक भाई किसी एक बहन का तो दूसरा दूसरे बहन का हो गया,
लेकिन कुछ ही देर में सोनल के चहरे पर एक मुस्कान आयी …
“क्यो लगा हुआ ना दर्द ….सोच कैसा लगा होगा भैया को जब तूने उन्हें ये कहा ,उन्होंने हममें कब कोई फर्क समझा जो हम समझ रहे है,और उन्होंने जो फैसला किया है वो कुछ सोचकर ही किया होगा,वो हम सबकी भलाई चाहते है,निधि ,मुझहे और रानी को अगर कोई सबसे ज्यादा प्यार करता है तो वो अजय भइया है ,साथ सोने से ही सब कुछ नही हो जाता समझे…”सोनल के साथ इसबार विजय और निधि भी हल्के से हँसे …
“माफ कर दो यार गलती हो गई बस समझ नही आया उस समय …”विजय मुस्कुराते हुए कह गया
“और भइया आई लव यू ...और मेरे भी भैया है समझी नितिन की gf “
निधि ने विजय के गालो पर एक जोर का किस किया ,लेकिन वो gf वाली बात पर सोनल उसे मारने लगी निधि विजय के पीछे छुप गई ,
,माहौल अचानक ही बदल गया था,निधि विजय के गोद में बैठ जाती है ,
“भइया इतनी बदबू है इसमें आप पी कैसे लेते हो ….”
सोनल और विजय बस मुस्कुरा दिए और जवाब में विजय ने निधि के गालो को पकड़कर एक जोर का किस ले लिया ………….
केशरगड़ की खबर जंगल में आग की तरह फैली और कुछ ही घंटे में पुरातत्व के बड़े अधिकारियो का जमावड़ा वहां हो गया,अजय की तरफ से वहां के कुछ बंदों ने सिफारिश भी करदी,और अजय के ब्लड का सेम्पल भी लिया गया,ये भी एक न्यूज़ बन गई की अजय ठाकुर नाम के शख्स ने केसरगढ़ के राजपरिवार का होने का दावा किया,डीएनए टेस्ट के बाद असलियत का खुलासा होगा,,लेकिन उस शख्स का चहरा वहां मिले मूर्ति से हूबहू मिलती है,
बंसल को भी समझ आ चुका था कि उसने देरी कर दी है और अब कुछ भी कर पाना मुश्किल है,अजय को उसका नाम तो मिल ही जाएगा,बस उसे अब राजनीति में उसे आगे बढ़ने से रोकना था,और साथ ही अपने को ज्यादा मज़बूत करना था,
इधर अभिषेक से मिस्टर x (पुनिया ) ने संबंध ही काट लिया क्योकि उसे पता चल गया था की उसे पकड़ लिया गया है,उसे इस बात का भी पता चल गया था की अजय राजनीति में आना चाहता था,उसने बंसल से बात करने की ठानी…
वो अपने दोस्त जग्गू जो की एक तांत्रिक था,के पास बैठा अपने मन की बात कर रहा था,
“तुम्हे क्या लगता है बंसल से बात करना ठीक होगा,”
“तू चुतिया है ,बंसल तो तुझे ही अजय के सामने पेश कर देगा की तू ही उसके मा बाप का कातिल है ,और भूल मत वो राजनीतिज्ञ है कोई चुतिया नही जो तेरी मदद करेगा,अजय के लिये तुझसे बड़ा गिफ्ट क्या होगा,और बंसल बदले में उसे अपने पार्टी में मिला ले तो क्या अजय मना कर पायेगा,नही …….बंसल को इतनी समझ तो होगी ना ..”
“हा यार जग्गू तू ठीक कहता है,लेकिन अब क्या एक मोहरा इतने दिनों की मेहनत से जुटाया था वो भी गया,”
“कुछ तो जल्दी करना होगा,मेरा भी लंड अब सब्र नही कर रहा जबसे इन कमसिन हसीनाओं को देखा है”
पुनिया का तो माथा ठनक जाता हैं,
“साले तुझे बस चुद दिखाई दे रहा है,इतने सालो का बदला भूल गया तू “
जग्गू ने अपने पीले और बेहद ही बेकार दांत निकले और हँसने लगा
“भाई सालो हो गए है ना ,तू क्या समझे गा,मेरे गुरु तो हाथ से भी हिलाने नही देते थे,बस जब कोई लड़की की बलि दो तब ही उसे कर सकते हो,जल्दी दिला यार …”
पुनिया गहरे सोच में पड़ गया था,की आखिर किया क्या जाय ,की अचानक उसे एक आईडिया आया ,
“क्योना तिवारियो के हवेली में सेंध डाली जाय ?????”
“कैसे “
पुनिया ने चहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गई ….
इधर तिवारियो की हवेली में ,
राकेश महेंद्र का बेटा अपने कमरे में मोबाइल पर कुछ देख रहा था की उसके कमरे का दरवाजा हल्के से खुला ,उसने नजर उठाकर देखा तो सामने आरती(वीरेंद्र रामचंद्र के सबसे छोटे बेटे की पत्नी ) खड़ी थी ,उसके हाथ में दूध का ग्लास था,वो सफेद साड़ी में भी किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी,उसकी उबलती हुई प्यासी जवानी मर्द के स्पर्श को लगभग भूल सी गई थी,उसके स्तन मलवाले से उसके तने हुए ब्लाउज़ को फाड़ने को तैयार थे,उनके बीच की घाटी की गहराई भी उसके चमकदार और मांसल स्तनों का आभास दे रहे थे,उसे देखकर ही राकेश के चहरे पर एक मुस्कान आ गई ,
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