RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
बंसल की बात पूरी की पूरी अजय को समझ आ गई लेकिन उसे भी पता था की लोग सरकार से कितने परेशान है ,उसे भी एक्टिव पॉलिटिक्स में जाना था और ये एक अच्छा ऑप्शन हो सकता था लेकिन ………
“आपकी बात तो ठीक है सर पर अभी तो उन्हें बहुत कुछ सीखना है और जहा तक रही राजनीति की बात तो हा हम राजनीति में आ रहे है लेकिन किसी भी पार्टी के साथ नही ….जब हम आप लोगो को चंदा देकर जीता सकते है तो अपने बच्चों को क्यो नही ,हा अगर आपको सरकार बनाने में हमरी मदद लगेगी तो हम आपका समर्थन जरूर करेंगे लेकिन विधायक तो हम जीत कर ही बनेंगे और वो भी अपनी पार्टी से ….
बंसल का चहरा उतर गया उसे शक तो था लेकिन अब ये यकीन हो गया ,ये सब अजय का फैलाया हुआ जाल ही था ,वो धीरे धीरे अच्छे लोगो को दूसरी पार्टीयो से खीचकर अपनी पार्टी में मिला रहा था ,वो सभी उसके समाज सेवा कार्यक्रम का हिस्सा होते थे वो लोग अपनी पार्टीयो में रहते हुए अजय की पार्टी के साथ काम कर रहे थे ,क्योकि अजय की पार्टी कोई पॉलिटिकल पार्टी नही थी किसी को भी शक नही होता लेकिन बंसल ने ये भांप लिया था ,
“तुम तो सीधे दुश्मनी पर उतर आये यार …”
“अपने ही कहा था सर की राजनीति में कोई किसी का सगा नही होता ,”
अजय के चहरे पर एक मुस्कान आ गई
“अजय राजनीति गंदी चीज है और तुम अच्छे आदमी हो तुम्हारे जैसे आदमी को ये सब सोभा नही देगा “
“आप भूल गए की तिवारी और ठाकुर परिवार एक हो चुका है और तिवारी कमीनेपन में आप सबके बाप रह चुके है ,वही ठाकुरो का जनाधार आज भी कायम है ,आप अपनी गद्दी बचाइए बंसल साहब,हमारे क्षेत्र से तो जितने की सोचना भी भूल जाइये …..”
एक लड़का जो उनके ही सामने पैदा हुआ था ,बंसल को ऐसी बाते बोल रहा था,बंसल साहब की तो भवे चढ़ गयी लेकिन थे तो वो भी एक माने हुए राजनितज्ञ ,उन्हने अपने को शांत ही रखा
“सोच लो अजय आज तुम जितना सोचते हो उससे कही ज्यादा पवार हमारे पास है,अब जमीदरियो का दौर गया और दौर गया की लाठी के बल पर बाहुबली बने फ़िरो ,आज पुलिस और सत्ता से ज्यादा पावरफुल कोई भी नही है “
“जानता हु सर इसलिए तो कह रहा हु ,ये सत्ता आती कहा से है ,ये भी तो जनता के द्वारा ही चुनी जाती है ,और लोकतंत्र में जनता से पावरफुल कोई नही हो सकता और मेरे पास आज जनता का सपोर्ट है,हमारे पूर्वजो ने कभी यहां राज किया था,और जनता आज भी हमे अपना राजा मानती है ……….”
अजय की आंखों में ऐसी चमक बंसल ने कभी नही देखी थी ये एक अजीब सी चमक थी,अजय का रूप कुछ अलग सा हो गया था ,मानो सचमे कोई राजा हो ….बंसल के दिमाग में ये बात कौध गई,वो अजय के दादा और पिता(वीर )के साथ भी काम कर चुका था ,उसने ये चमक उसके दादा में देखी थी लेकिन कभी वीर में वो चमक नही दिखी वीर को तो अपने को सम्हालने में ही बहुत वक़्त लगा था,लेकिन अजय में वही चमक,जनता आज भी हमे राजा मानती है,बंसल उस वाक्य को खोजने की कोसिस कर रहा था ,यहां के जमीदार तो तिवारी थे ,फिर राजा ठाकुर कैसे हो सकते थे??????
तिवारियो की जमीदारी जिस राज में आती थी वो भी किसी दूसरे रियासत में थी ,हो सकता था की ये उन्ही ठाकुरो के परिवार से संबंध रखते हो जो वहां के रियासत के राजा थे ,लेकिन इसके बारे में बंसल को नही पता था,
“तुम कहना क्या चाहते हो अजय “इसबार बंसल की आवाज कुछ धीमी थी ,
“कुछ नही सर बस हम आपकी बहुत इज्जत करते है और भले ही हम राजनीतिक रूप से प्रतिद्वंदी हो जाय लेकिन आप हमारे पिता के मित्र रहेंगे और आपके लिए हमारे दिल में सम्मान कभी भी खत्म नही होगा”
बंसल के चहरे पर एक मुस्कान आ गई
“तुम्हे भी हमारी कभी भी जरूरत पड़े तो याद करना,लेकिन फिर भी मैं तुम्हे ये हिदायत दूंगा की राजनीति से दूर रहो वो तुम्हारे बस का नही है ,और मैं तुम्हारे लिए हमेशा शुभकामना करूँगा “
गाड़ी रुकती है और अजय बाहर निकलता है,और पीछे आ रही गाड़ी जिसमे कलवा सवार था बैठकर फिर से अपने हवेली की ओर चल पड़ता है…..
वहां सभी अजय का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे ,सभी मेहमान जा चुके थे केवल दोनो परिवारों के लोग ,डॉ चुतिया ,बस बचे थे …
“क्या हुआ अजय ऐसे बंसल के साथ कहा चले गए थे…”गजेंद्र चिंतित होते हुए पूछता है..
अजय उसके कंधे पर हाथ रखता है ,
“कुछ नही मामा जी बस अब हमारा राज फिर से प्राप्त करने का समय आ गया है…”
सभी उसे प्रश्नवाचक निगाह से देख रहे थे,
वो बाली की तरफ देखता है ,
“कल केशरगढ़ चलना है “
बाली उसे आश्चर्य से देखता है और अजय बिना कुछ बोले ही वहां से चला जाता है ……...
“भइया हम केशरगढ़ क्यो जा रहे है,”
निधि अपने भाई के बाहों में आकर लेट गई.
“क्योकि हमे वहां कुछ काम है “
“क्या काम है भइया “
“तुम्हे रानी बनाना है”
“अरे आप भी ना रानी तो राजा की होती है ,”
“हा वो तो है बहन ,तो राजकुमारी बनाना है “
“अरे लेकिन राजकुमारी तो वो होती है ना जिसके पापा राजा होते है “
अजय उसकी बात पर उसे देखने लग जाता है ,अजय की प्यार भरी आंखे जैसे ही निधि से मिलती है निधि उठकर उसके होठो को चुम लेती है,और फिर उससे लिपट कर उसके सीने में छिप जाती है.
“भइया बताइये ना “
“हमारे पापा राजा ही थे बेटा बस उन्होंने हमे बताया नही “
“क्या “निधि जैसे खुसी और आश्चर्य से उछल जाती है,
“हा”
“पर भइया हम कहा के राजा है”
“केशरगढ़ “
“हा हा हा “निधि जोरो से हँसती है
“अच्छा मजाक था भइया ,हम उस खण्डर के राजा है ,जहा कुछ भी नही है उससे अच्छा तो हमारी हवेली है “
“केशरगढ़ कोई किला बस नही है निधि ,वो एक जगह थी कभी,जिसके अंदर आज के कई शहर आते है, हम वहां के राजपूत ठाकुरो के वंसज है ,जिसका हमारे दादाजी को पता था लेकिन उन्होंने कभी इसका जिक्र हमारे पापा से नही किया क्योकि इसका कोई भी मतलब नही था लेकिन अब उसका बहुत मतलब होने वाला है…”अजय गंभीर था ,और निधि परेशान
“ये क्या बोल रहे हो भइया “
“तू मेरी सबसे प्यारी गुड़िया है और तुझे मैं एक राजकुमारी बनाऊंगा “
निधि अपने भाई को बड़े ही प्यार से देखते है ,
“सच में “
“हा मेरी जान सच में “वो उसके माथे में एक किस करता है ,
तभी उसकी नजर निधि के हाथो में पहने एक पतले से घड़ी पर जाती है ,वो उसने पहले कभी नही देखी थी ,
“ये घड़ी ???”
“अभी ने दी है अच्छी है ना “
“कौन अभी “
“अरे भईया अभिषेक …”
“ओह हा अच्छी है,”
अजय उस घड़ी को ध्यान से देखता है ,और थोड़ा गंभीर हो जाता है .
निधि अजय को ऐसे गंभीर देख कर उसके गालो को अपने हाथो से सहलाती है
“क्या हुआ भइया “
“कुछ भी तो नही “
“बताओ ना “
“तुम अभिषेक को पसंद करती हो ???“
निधि थोड़ा सा शर्मा जाती है साथ ही उसका दिल जोरो से धड़कता है वो अजय से सटकर सोई थी अजय को उसके धड़कन का आभास हो जाता है,
“ये कैसा सवाल है भइया,वो मेरा अच्छा दोस्त है “
“बस दोस्त है या दोस्त से कुछ जाता “
“आप भी ना कुछ भी बोलते हो दोस्त से ज्यादा क्या होगा,और मैं किसी को भी अपना भाई नही बना लेती जैसे आप बना लेते हो …”
निधि ने अपना मुह फूलते हुए कहा ,अजय ने उसे देखा जैसे पूछ रहा हो किसीके बारे में बोल रही है
“क्या देख रहे हो वो खुसबू …”
“वो हमारी बहन है समझी “
“बहन होगी आपकी मेरी तो भाभी है”
“चुपकर पागल कही की और बात मत घुमा जो पूछा वो बता ना “
“मैं बात नही आपको घुमा दूंगी मैं राजकुमारी हु वो भी केशरगढ़ की ,समझे “
निधि ने बात सचमे घुमा दिया था और अजय को पता था की उसे क्या करना है वो बात को वही छोड़ देता है और उसे अपने बहन की बदमाशियों में बहुत प्यार आता है ,
“अच्छा मेरी राजकुमारी जी पहले ये घड़ी उतार दो कही तुम्हारे अभी की घड़ी टूट ना जाय,जाओ अपने रूम के रख दो “
निधि मुह बनाते हुए चले जाती है...
“अच्छा मेरी राजकुमारी जी अब आज्ञा हो तो सो जाय …”
“राजकुमारी चाहती है की आप उससे प्यार करे ,वो पलंगतोड़ वाला “
निधि अपना जीभ निकल कर उसके होठो पर रख देती है ,और अजय उसके जीभ को अपने दांतो से दबा लेता है,और हल्के से काटता है ,निधि झूठे गुस्से से अजय के छाती में एक मुक्का मरती है ,
“चूसने को दिया था काटने को नही “
अजय बस उसे देखने लगता है ,कितनी प्यारी थी निधि ,और अभिषेक ….उसका तो पता करना पड़ेगा,अजय निधि को किसी भी के भरोसे नही सौप सकता था जबकि उसे पता था की उसके कई दुश्मन घूम रहे है,और सभी को पता था की निधि ही अजय की सबसे बड़ी कमजोरी है,अजय निधि को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाना चाहता था ना की कमजोरी…
अजय निधि को निहारते निहारते फिर से अपने विचारों में खो गया था,
“आउच ,क्या कर रही है “निधि की खिलखिलाहट उसे सुनाई दी ,निधि ने अजय निचले होठों को जोरो से काटा था,
“कहा खो जाते हो जल्दी से आओ कल सुबह जल्दी से जाना है ना “
“तेरी तो “
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