RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
“आह मेरी जान ,आह हाय विजय आह ,सालोओओओ से कोई नही कीईईईईई याआआआआआ है मुऊऊऊ झे ….आह आह आह “जोरदार धक्कों से काव्या का शरीर ही नही बल्कि पूरा बिस्तर भी हिलने लगा था….वही मेरी ने उनपर उठाकर अपने होठो को विजय के होठो से मिला दिया और दोनो के होठ मिलते ही विजय पर फिर से एक नशा चढ़ा और वो फिर से बहुत ही जोतो से धक्का देने लगा…
“मैं मर जाऊंगी थोड़ा धीरे प्लीज़ प्लीज़ “वो चिल्लाने को हुई मेरी ने फिर से अपने होठ उसके होठो पर रख दीये लेकिन विजय ने अपनी स्पीड और ताकत कम नही की ,काव्या की आंखे बाहर को हो रही थी उसका चहरा पूरी तरह से पसीने से भीग चुका था लेकिन उसकी आहे मेरी के मुह में दबकर रह जाती उसकी आंखों से आंसू आने लगे थे ,और ये देखकर विजय को बड़ा मजा आ रहा था ,सालो के बाद ऐसा हुआ था की वो किसी को ऐसे बेदर्दी के साथ पेल रहा हो …
काव्या ने खुद को पूरी तरहः से छोड़ ही दिया वो बेहाल ,बेबस और पूरी तरहः से थक चुकी थी उसे नही पता था की विजय इतना बड़ा शैतान है ,वो उसके मर्दानगी के कायल भी हो रही थी पर वो साथ ही वो अपने को बिल्कुल असहाय भी महसूस कर रही थी उसके लिए इंचभर भी हिलाना मुश्किल हो रहा था,वो झटपटाना चाहती थी पर उसके लिए ये मुश्किल था,विजय का विशाल शरीर और मेरी की पकड़ के सामने वो बेबस थी लेकिन ये भी सच था की उसे ऐसा मजा जिंदगी में पहली बार आ रहा था,वो भीग जाती और फिर से गीली हो जाती ,वो अकड़ी। और तेज फुहारे उसने छोड़े अपने चरम सुख की अनुभूति कर वो निढल हो गई,लेकिन ये तो विजय था की अभी भी उसमे पूरा खजाना बाकी था,मेरी ने विजय को रोका और खुद अपने कपड़े उतार कर काव्या के ऊपर आ गई
वो एक कुतिया के तरहः अपने घुटनो और हाथो के बल थी और नीचे काव्या थी जिसके मुह में उसने अपने स्तनों को घुसा रखा था,वही विजय को उसकी चिकनी योनि की वो दरार दिखी जिसे लोग जन्नत का दरवाजा भी कहते है,वो अपने लिंग को जो की काव्या के रास से भीगा था उस दरवाजे में लेजाकर एक जोर का धक्का दिया,मेरी अपेक्षाकृत आसानी से उस वॉर को सह गई वो ,आनद के सरोवर में तैरने लगी और विजय लगातार उसे धक्के देने लगा….मेरी के झरने के बाद भी विजय बचा हुआ था वो फिर से काव्या को देखता है जिसे देखकर वो थोड़ी घबरा जाती है ,
“फिकर मत कर जान ये तुझे बड़ा मजा देगा”मेरी काव्या के होठो पर अपने उंगलियों को फेरते हुए कहती है,इस बार मेरी भी चाहती थी की अब विजय झर ही जाय वो काव्या के पैरो को विजय के कंधे पर टिका देती है ,जिससे उसकी योनि दो फांको में साफ तौर से बंट जाती है ,विजय अपनी पूरी हवस निकलने के उद्देश्य} से पूरे जोर से धक्के लगा रहा था और आखिर वो समय भी आया की विजय ने अपने वीर्य की पहली धार सीधे काव्या के गर्भ में उतार दी,......और मानो एक तूफान शांत हो गया...तीनो एक दूसरे से लिपटे कुछ देर तक पड़े रहे पर कब तक….मेरी काव्या और विजय की आग फिर से भड़की और इसबार सभी को बहुत मजा आया ...विजय पूरे खेल में तीन बार झडा और भेदभाव ना करते हुए वो एक बार मेरी के अंदर भी झडा ,और एक बार दोनो के चहरे पर...दोनो औरते अब पूरी तरहः से नंगी थी और पसीने से भीगी हुई थी ,विजय ने ना जाने कितनी बार उन्हें चरमसुख तक पहुचा दिया था……………
“तुम पागल हो गयी हो”
“भैया वो अच्छी लड़की है ,”
“तो,जानती है ना अब वो हमारी बहन है”
“तो क्या हुआ और अपने तो मुझे प्रोमिश किया था ”
“देखो निधि तब की बात और थी अब की और है,
“क्या बदल गया”
“अरे पागल लड़की तुझे इतना भी समझ नही आता क्या,बड़ी नेता बनकर घूमती है ,अब वो हमारी बहन है “
“तो क्या हुआ “
“अब तू इस टॉपिक में मुझसे बात नही करेगी बस”
निधि अजय को घूर रही थी,
“अब ऐसे घूरना बंद कर ,और मुझे काम करने दे,इतने लोग आये है यहां और तू ये सब बात कर रही है और ये विजय कहा चला गया,”अजय वहां से जाने को होता है,लेकिन निधि ने उसका हाथ पकड़ रखा था ,
“अब छोड़ भी दे “
“आप मुझसे गुस्सा हो “
“नही जान मैं अपनी प्यारी बहन से कैसे गुस्सा हो सकता हु “
“तो जो बात मैंने कही वो करोगे ना ,खुसबू अच्छी लड़की है भइया “
“अच्छा लेकिन तुम तो उसे पसन्द नही करती ना “
“वो मेरे भइया को मुझसे छीन लेगी तो मैं उसे क्यो पसंद करूँगी लेकिन भइया सच में वो बहुत अच्छी है और वो आपसे बहुत प्यार करती है उसकी आंखों से पता चलता है…”
“मैंने कहा ना की अब उस टॉपिक में कोई बात नही “
“मैं तो करूँगी आप को गुस्सा आये तो आय “
अजय सर पकड़ लेता है,
“ठीक है करते रह बात लेकिन मूझे छोड़ दे अभी काम है ना बेटा “
“ठीक है “
अजय उसके माथे में एक प्यार भरा चुम्मन देखर वहां से निकलता है मेहमान सभी अपनी मस्ती में थे,लेकिन विजय को ना देखकर अजय थोडा चिंतित हो जाता है ,तभी उसे सोनल खुसबू और नितिन आते हुए दिखते है
“अरे सोनल अजय कहा है “
“भैया वो तो किसी काम से गए है “
“कहा “
“अरे वो मेरे ही काम से बाहर गए है “
“घर में इतने लोग आये है और तुमने उसे बाहर भेज दिया ,तुम लोग भी ना “
अजय के जाने के बाद नितिन और खुसबू उसे देखने लगते है
‘क्या देख रहे हो चलो यार पार्टी इंजॉय करते है “
खुसबू की नजर अभी भी बार बार अजय की ओर चले जाती थी,अजय ने उसे महसूस तो किया लेकिन हर बार उसे इग्नोर कर दिया,
“क्या देख रही हो मेरी जान “
सोनल ने खुसबू को कोहनी मरते हुए पूछा
“बस देख रही हु की तेरे भइया कितने अच्छे है “
वो हल्के से शर्मा गयी
“अच्छा “
“हा “
“तो बात चलाऊ क्या ,भइया “
“अरे नही “
लेकिन तब तक अजय सोनल की बात सुन चुका था और वो उसके पास आ जाता है,
“क्या हुआ सोनल “
“भइया ये खुसबू है “
“हा जानता हु ,बडें मामा की बेटी और तुम्हारी दोस्त ,और मेरी प्यारी बहन “
अजय ने अपना हाथ खुसबू के सर पर चलाया लेकिन इससे खुसबू को जरा भी अच्छा नही लगा ,वो जिसे अपना पति मानती थी वो उसे अपनी बहन बनाने में लगा था,सोनल का भी चहरा उतर गया था और अजय सब समझता भी था पर वो जानबूझ कर ऐसा कर रहा था ,वो फिर से दोनो परिवारों के बीच कोई भी दीवार नही बनाना चाहता था,तभी अभिषेक की इंट्री हुई ,
“नमस्ते सर “
“ये क्या सर सर लगा के रखा है ,तुम मुझे भैया ही कहा करो ,और ये है मेरी बहने सोनल और खुसबू,और ये है अभिषेक हमारे कॉलेज के प्रेजिडेंट और पार्टी के बड़े ही अच्छे कार्यकर्ता और धनुष निधि के बहुत अच्छे दोस्त “
अभिषेक तो खुसबू को बस देखता ही रह जाता है ,वो भी निधि से कम हसीन ना थी और सोनल वाह
‘साला इसके परिवार की तो हर लड़की माल है ‘अभिषेक मन में सोचता है
“हलो मेम “
“क्या मेम लगा के रखे हो भइया ने बोला ना तुम हमे भी दीदी ही कहो “
सोनल ने उसे खिंचते हुए कहा ,तभी निधि ,धनुष सोनल और बाकी बच्चे भी आ गए वहां विजय के अलावा सभी थे ,अजय ने उन्हें थोड़ा कंफर्ट देने के लिए वहां से जाना ठीक समझा ….
प्रदेश के कुछ मंत्री भी वहां पहुचे थे थोड़ी देर में मुख्यमंत्रि भी पहुच गए ,अजय भी उनका स्वागत करने सभी बड़ो के साथ ही खड़ा था …
“तो अजय कैसे चल रहा है तुम्हारा कारोबार “
मुख्यमंत्रि राजन बंसल साहब ने खाने की प्लेट से एक टुकड़ा उठाते हुए कहा ,सभी नेता और बड़े लोग एक साथ ही बैठे थे ,बंसल के बाजू में अजय खड़ा था और बाली और गजेंद्र उसके आजु बाजू में बैठे थे ,
“बस बढ़िया है सर आपकी कृपा है “
“यार लेकिन तुम इस कृपा का गलत फायदा उठा रहे हो …”जिसने भी उसकी आवाज सुनी वो उन्हें ही देखने लगा …
“मैं समझा नही “
“मैं तुम्हारी पार्टी की बात कर रहा हु ,देखो यहां तो विपक्ष के लोग भी आये है और सरकार में बैठे लोग भी….लेकिन यार तुम्हे क्या पार्टी बनाने की जरूरत पड़ गयी “
“अरे सर वो तो बस बच्चों के कारण ,और वो कोई राजनीतिक पार्टी नही है ,बस बच्चे कुछ काम करना चाहते है तो साथ मिलकर कर रहे है.”
“अरे तो हमारी पार्टी जॉइन करा दो उन्हें हम भी तो समाज की भलाई के लिए ही काम कर रहे है “
अजय के चहरे में बस एक मुस्कान आ गई
“अरे बंसल साहब क्या आप अजय को भड़का रहे हो ,और आप कितना समाज की भलाई के लिए काम करते हो हमे सब पता है “
ये आवाज विपक्ष के नेता की थी ,
“अरे चुप करो यार तुम सब क्या इसे संसद समझ रखा है ,तुम लोग दोस्त हो इसलिए यहां बुलाया और तुम यहां भी चालू हो रहे हो “
गजेंद्र ने दोनो को ही झपडते हुए कहा और दोनो ही बस बदले में हकले से मुस्कुरा दिए
“और अगर मेरे बच्चे राजनीति में आ गए ना बेटा तुम दोनो की गद्दी चले जाएगी समझ गए ना अपनी गद्दीयां बचा के रखो हा हा हा “गजेंद्र ने फिर कहा और सभी हस पड़े …
“हा ये बात तो है “बंसल ने भी मुस्कुराते हुए कहा
कार्यक्रम समाप्त होने को आ रहा था शाम होने वाली और विजय अभी भी दोनो स्त्रियों की ठुकाई में व्यस्त था,बंसल ने जाते हुए अजय को अकेले में बुला ही लिया …
“देखो अजय बाली और गजेंद्र दोनो ही मेरे दोस्त रहे है और दोनो ही हमे बहुत बड़ी राशि चंदे में देते है ,लेकिन मेरी बात को याद रखना अगर कभी राजनीति में आने की जरूरत महसूस हो तो हमारे ही साथ आना ,राजनीति बहुत ही खतरनाक चीज है ,मैं तुमसे ये कह रहा हु क्योकि तुम समझदार हो...और तुम इतना भी जानते होंगे की हम अगर 15 सालो से सत्ता में है तो इसकी कोई तो वजह होगी ,यहां साम दाम दंड भेद सभी का सहारा लेना पड़ता है ,और मैं कभी नही चाहूंगा की तुम्हारे जैसा इतना ताकतवर परिवार हमारे पार्टी का दुश्मन बन जाय “
इस बार बंसल के चहरे पर कोई भी मुस्कुराहट नही थी ,अजय ने उसे महसूस किया उसे कुछ अजीब सा अहसास हुआ ,जैसे बंसल उसे सीधे सीधे धमका रहा है ,
“अच्छा मैं चलता हु “बंसल अपने कार में बैठने लगा
“रुकिए मुझे आपसे कुछ और भी बात करनी है मैं आपके साथ कार में ही चलता हु थोड़ी दूर उतर जाऊंगा “
बंसल के चहरे में एक मुस्कान आ गयी जैसे उसे मनमांगी मुराद मिल गयी हो ,लेकिन वहां खड़े बाकी लोग अजय को अजीब नजरो से देखने लगे ,अजय ने कलवा को बस कुछ इशारा किया कलवा ने भी सर हिलाया और अजय बंसल के साथ उसकी गाड़ी में बैठ गया …
“तो अजय क्या कहना चाहते हो “
“बस यही की आप इतने क्यो डरे हुए है “
बंसल ने अजय को थोड़े आश्चर्य से देखा
“तुम सचमे समझदार हो अजय ,तुम्हारी पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है और उससे वो लोग भी जुड़ने लगे है जिन्हें राजनीति में जगह नही मिल पाई थी ,माना की अभी वो बस एक छात्र संगठन है लेकिन कब तक जो लोग तुम्हारे साथ जुड़ रहे है वो उसे बस एक समाज सेवी संगठन बनकर नही रहने देंगे ….और मेरे डर का कारण ये है की अगला चुनाव बस आने को ही है ऐसे में अगर तुम्हारी पार्टी ने चुनाव लड़ा तो …”
“आपको डर है की आपकी सीटे उन्हें मिल जाएगी ,क्योकि वो बहुत एक्टिव है और आपकी सरकार से लोग बोर हो चुके है “
बंसल मुस्कुराया
“विपक्ष से लड़ने को हमारे पास पूरा प्लान है ,उनकी सभी कमियां हमारे पास है ,सभी किच्छा चिट्ठा हमे पता है ,लेकिन इस बार हमारे खिलाफ भी बहुत ही जनाक्रोश है अगर तुमने पार्टी उतारी तो शायद तुम्हे कोई फायदा ना हो पर हमे घटा जरूर होगा,विपक्ष जीत सकता है ,जिससे तुम्हे कोई फायदा नही होगा ,लेकिन मेरा 4था कार्यकाल पूरा करने का सपना खतरे में पड़ जाएगा ….तुम हमारे आदमी हो और तुम्हारे दादा के साथ मैं भी लड़ा था,तुम्हारे पापा भी मेरे अच्छे दोस्त रहे है ,हम दोनो ही बहुत ही मुस्किलो से ऊपर उठे है ,तुम हमारे साथ आ जाओ...निधि और धनुष को मंत्री पद दिला देंगे हमारे ही बच्चे है दोनो ,अबतक के सबसे युवा मंत्री होंगे हमारे बच्चे उनका शौक भी पूरा हो जाएगा और मेरा सपना भी …”
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