Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:18 AM,
#39
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
उसकी नाइटी से उसके शरीर का हर हिस्सा बड़ा ही मादक लग रहा है वो भी उसे देखकर खड़ी हो गयी और उसे ऐसे देखता पाकर थोड़ी शर्मा गयी पर फिर उसने अपनी बांहे फैला कर उसे अपने पास बुलाया ,विजय दौड़ता हुआ जाकर उससे लिपट गया,दोनो जैसे सदियों के बिछड़े हो एक दूजे से चिपक गए ,
“आज तो मेरी रानी बहुत ही सेक्सी लग रही है,इतने पतले कपड़े पहन के रहेगी तो मेरी भी नियत डोल जाएगी “
विजय ने उसे शरारती निगाहों से देखा 
“मैं तो अपने भाई की ही हु,नियत डोले या कुछ भी हो जाय “
इसबार सोनल इमोशनल हो गयी थी ,उसकी आंखों में आंसू थे और वो फिर से विजय से लिपट गयी,विजय ने उसे अपने बिस्तर में लिटाया,उसके नाजुक जिस्म से आती हुई वो महक विजय के होश उड़ाने को काफी थे वो उसके बालो को सहलाता हुआ उसके यौवन को निहारता है और उसे ऐसे देखता पाकर सोनल भी शर्मा जाती है,और उसके गाल पर एक प्यारी सी चपत मार देती है,
वो सोनल के नितंबो को अपने हाथ में भर कर उसे अपने ऊपर ला देता है और उसके नितंबो को सहलाने लगता है ,सोनल थोड़ी गदराई थी ,उसके गोल नाजुक और भारी नितम्भ विजय को एक अलग ही अहसास दे रहे थे पर वो अहसास दूसरी लड़कियों से मिलने वाले हर अहसास से बहुत ही जुदा था,ना जाने आजतक उसने कितनी लड़कियों के साथ सेक्स किया था कितनो के जिस्मो से खेला था पर सोनल के साथ बात अलग थी उसके बदन को छूना उसके अंदर वासना को नही बल्कि एक अजीब से अहसास को जगती थी जिसे शायद लोग प्यार कहते थे,वो उसके लिए कुछ भी कर सकता था और सोनल भी उसके लिए कुछ भी कर सकती थी ,वो महज एक जिस्म नही थे वो भी बहन थे और उनका प्यार कोई वासना से भर हुआ खेल नही था बल्कि वो उस प्यार की अभिव्यक्ति थी जो वो एक दूसरे से करते थे,
सोनल की गोलियो को छुता हुआ विजय उसकी आंखों में खो गया,उसे अपनी बहन की आंखों में आया वो पानी पसंद नही आया वो उसे अपने होठो से पी गया ,
“हमे कितने दिनों तक अलग रहना पड़ता है भाई ,साले तेरे साथ सोने को तरस जाती हु “
“मैं भी जान “
“चल ना झूठे कही के ,तुझे दूसरी लड़कियों के साथ सोने में फुरसत मील तब ना तू मुझे याद करेगा “
“अरे इतनी सारी तो तेरी छमिया है यहां पर ,साले अय्याशी तू करता है और मुझे बोल रहा है की कोन सी लडकिया “
“नही जान अब कोई भी है,आख़िरीबार जो हुआ था वो रेणुका से हुआ था,शादी वाले दिन फिर तो कोई भी नही है,”
“अच्छा और सेठ मेडम ‘
“अरे उनके लिए तो समय ही नही मिल पा रहा है,अब सब ठीक हो गया तो अब शायद कुछ हो जाय “
“ओह तो मेरा शेर भाई कई दिनों का भूखा है “
:हा जान “
विजय ने मुह बनाते हुए कहा ,सोनल खिलखिलाकर हँस पड़ी ,और उसके गालो में एक प्यार भरी पप्पी दे दी ,
“ह्म्म्म तो मेरे भाई के भूख को मुझे ही मिटाना पड़ेगा,”उसने बड़ी ही शरारत भरे लहजे में कहा पर विजय उसे बड़े ही गंभीर भाव से देख रहा था ,
“क्या हुआ साले ऐसे क्यो देख रहा है,”
सोनल हल्के से फुसफुसाई ,और विजय उसे खीचकर अपने सीने से लगा लिया ,सोनल को भी उसके हालात का पता चल गया था वो भी बहुत ही सेंटी हो चुका था ,सोनल ने मजाक छोड़कर अपने भाई को प्यार देने की सोची और उसके होठो पर अपने होठो को सटा दिया,
विजय सोनल के होठो को भरपूर ताकत से खाने लगा जैसे की उसे और कभी ये नही मिलेगा,सोनल भी अपने प्यारे भाई पर अपना सबकुछ लुटाने को आमादा थी ,वो अपने शरीर को विजय से सटा ही दी और अपने जिस्म को उसके जिस्म में रगड़ने लगी,दोनो ही एक दूसरे में खो जाना चाहते थे और उन्हें भी वही एक तरीका पाता था…..
लेकिन एक रिस्तो की दीवार अब भी उनके बीच थी ,शायद मन के किसी कोने में….
विजय सोनल के नितंबो को सहलाने की बजाय अब उसे मसलने लगा था,वही सोनल के मुह से भी सिसकिया निकल रही थी ,उसे समझ भी नही आ रहा था की जो वो कर रही है ये सही है या गलत पर जो भी हो रहा है वो उसे सही गलत के दायरे से बाहर ही रखना चाहती थी ,इतने दिनों के बाद वो अपने भाई के साथ थी वो अपने को सही गलत के दायरे में बांधकर अपने भाई को प्यार से वंचित नही करना चाहती थी…
विजय के हाथ अब उसके नाइटी के अंदर थे ,सोनल की झीनी सी पेंटी से उसके कोमल शरीर का अहसास विजय को हो रहा था ,पहले की तरह आज वो वासना से भरा हुआ नही था ना ही उसमे कोई भी उत्तेजना आयी थी,वो तो बस सोनल को भरपूर प्यार देना चाहता था,जितना उसमे भरा है वो सब उसमे उढेल देना चाहता था…
उसका हाथ कब उसके पेंटी के अंदर चला गया उस पता भी नही चला,पुरानी आदते अपना असर जरूर दिखती है वही विजय के साथ भी हो रहा था,वो उसकी पेंटी को स्वाभाविक तौर पर ही उतारने लगा,वो तो बस सोनल के होठो के रस पीने में मगन था पर कब उसने उसके पेंटी की इलास्टिक को पकड़ कर सरकना शुरू किया उसे भी पता नही चला,हा ये सोनल को जरूर पता चला पर उसके होठो में और मन में बस एक मुस्कान आयी वो अपने भाई के आदत से वाकिफ थी,उसे पता था की उसे ये भी होश नही था की वो उसकी पेंटी उतार रहा है ,पर सोनल ने उसे नही रोका वो अब उसे रोकना ही नही चाहती थी ,ना जाने कब वो भी शादी के बंधन में बांधकर चले जाय और विजय से ऐसे मुलाकात कब हो ,वो अपना सब कुछ उसे देख देना चाहती थी पर उसे भी पता था की मर्यादाओ की दीवारे विजय को ही रोक देंगी उसे अपने भाई के प्यार पर पूरा विश्वास था,वो जानती थी की विजय का प्यार किसी वासना से प्रेरित नही है और वो अपनी सीमाओं को नही लांघेगा और अगर लांघेगा तो भी सोनल को वो सहर्ष स्वीकार था…
विजय उसे पागलो की तरह चुम रहा था,दोनो की ही आंखे बंद थी और कब विजय ने अपने नीचे के कपड़े निकल फेके उसे पता नही चला,अब दोनो जने नीचे से नंगे थे और उनके गुप्त कहे जाने वाले अंग अब गुप्त नही रह गए थे ,उनका मिलान हो रहा था वो एक दूजे में रगड़ खा रहे थे .पर इन बावरे प्यार के पंछियों को क्या फर्क पड़ने वाला था ,वो बस अपने प्यार की लहरों में सवार ना जाने कहा जाने को निकल पड़े थे ,ऐसे सफर पर जिसकी कोई मंजिल ही नही थी ,और जो उसकी मंजिल थी वो एक भाई-बहन के रिस्ते में जायज नही माना जाता था…….
सोनल की योनि और विजय के लिंग का टकराव जारी रहा पर प्यार का खुमार ऐसे छाया था की ना तो विजय के लिंग में कोई भी तनाव था ना ही सोनल के योनि में कोई गीलापन,दोनो बस एक दूजे को पकड़े हुए चुम रहे थे,लेकिन थे तो वो भी शरीर ही ना ...कब तक वो शरीर के बंधनो से बच सकते थे लगातार हो ने वाले टकराव ने आखिर धीरे धीरे विजय के लिंग में तनाव भरना शुरू कर दिया,जब हल्का ताना हुआ लिंग सोनल के योनि से टकराया तो उसे जैसे होश आया की वो क्या कर रही थी और ये सोचकर ही उसके योनि में अचानक ही एक दरिया सी बहने लगी वो विजय को जोरो से चूमने लगी,और जैसे ही वो विजय के बालो को अपने उंगलियों में फसाकर उसके चहरे की तरफ ऊपर बढ़ी उसके कमर ने ऊपर की तरफ गति की और विजय का तन चुका लिंग जो की सोनल के योनि के द्वार पर ही खड़ा था वो हल्के से योनि के अंदर चला गया ,
“आह ,मेरी जान “
सोनल के मुह से अनायास ही निकल गया ,लिंग अभी थोड़ा ही अंदर गया था पर सोनल की योनि अभी बहुत ही टाइट थी ,उसे अभी भी खुलने का मौका ही नही मिला था ,अचानक हुए इस झटके से विजय ने अपनी पुरानी आदत के अनुसार ही एक जोर का झटका दिए और इसबार उसका हाथ भी सोनल के नितंबो को थामे था,और ये झटका विजय के पूरे मूसल से लिंग को सोनल के अंदर पहुचा दिया ,वो लिंग जिसने खेली खाई भरीपूरी औरतों की सांसे रोक दी थी ,और चीख निकल दी थी आज उसकी सबसे प्यारी बहन की लगभग अनछुई योनि की दीवारों को चीरता हुआ अंदर चला गया,सोनल के मुह से चीख निकलना तो स्वाभाविक था,
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