RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
चम्पा फुट फुट कर रोने लगी ,और कालवा….जैसे बरसो से दबाया जख्म फिर से हरा हो गया पर उसे अब चम्पा पर गुस्सा नही था ,वो भी जानता था की वक़्त ने चम्पा को कितना बदल दिया है,वो उसके रोते हुए चहरे को देखता है,वही वो लड़की थी जो गांव में यू इठलाती हुई चलती थी की सभी की सांसे रुक जाय,कालवा ही वो पहला शख्स था जिसने इसके यौवन के उस नाजुक डोर को तोड़ा था,कालवा पहले तो उसे सिर्फ भोगता था पर धीरे धीरे वो इसके प्यार में पड़ गया ,लेकिन अपने यौवन के द्वार के टूटते ही चम्पा की खुजली ऐसे बढ़ी की वो मतवाली सी होकर इधर उधर मुह मारने लगी ,और लोगो के लिए वो एक रखेल की तरह हो गयी ,जिसमे सबसे अय्याश लोग शामिल थे ,एक था बजरंगी और दूसरा महेंद्र तिवारी,...ये अपने इलाके के सबसे प्रभावशाली लोग थे और बहुत ही अय्याश भी थे ,कालवा और बजरंगी उस समय एक जिस्म दो जान हुआ करते थे ,पर ना कालवा ने कभी बताया और ना ही बजरंगी कभी समझ पाया की कालवा चम्पा से इतना प्यार करता है,उसे तो ऐसे ही लगा की जैसे बाकी लडकियो को वो साथ भोगते है वैसे ही ये भी है,लेकिन चम्पा को हमेशा से ये पता था,क्योकि जब भी कालवा के सामने ही बजरंगी चम्पा को नंगा कर उसे भोगता तो कालवा के चहरे पर एक उदासी सी आ जाती ,जो चम्पा को बहुत ही पसंद आती थी ,वो उसे यू ही दर्द पहुचने में मजा लेती …आखिरकार कालवा ने सबको अपने दिल की बात बताने की ठान ली,लेकिन पहले वो चम्पा से पूछना चाहता था,उसने चम्पा से अपने दिल की बात कर ही ली ,लेकिन चम्पा ने उसका तिरिस्कार ये कहकर कर दिया की उसके आशिको में तो तेरे मालिक भी है ,तू तो बस उनका कुत्ता है ,उस समय तक बजरंगी के बाली भी चम्पा के पास आने लगा था,वो एक तरह से महेंद्र ,बजरंगी ,और बाली की रांड थी पर बाली वहां कम ही आता था और महेंद्र को भी नई नई लडकिया चहिये थी इसलिए वो बजरंगी की ही माल थी, इसका असर ये हुआ की कालवा चम्पा के पास आना ही छोड़ दिया और उसके प्रति एक नफरत से भर गया,और उसने अपने दिल की बात किसी को भी नही बताई….वक़्त बढ़ता गया और बजरंगी ने चम्पा के पेट में अपना बच्चा छोड़ दिया,उसी समय बजरंगी शहर गया और उसे सुशीला से प्यार हो गया उसके बाद वो सब कुछ भूल कर उसके ही पीछे पड़ गया ,इसी समय बाली भी चम्पा के पास आया लेकिन बजरंगी और कालवा के ना रहने के कारण तिवारियो को इसका पता चल गया ,और उन्होंने साजिस के तहत बाली को फंसा दिया ,उन्हें भी पता था की अगर बजरंगी को ये पता चलेगा तो वो कभी भी इसके लिए तैयार नही होगा,बजरंगी के आते तक बाली की शादी भी हो चुकी थी ,बजरंगी चाह कर भी कुछ नही कर पाया ,किशन बाली का नही बजरंगी का बच्चा है ये बात केवल चम्पा को ही पता थी ना ही तिवारियो को ना ही बजरंगी को,ना बाली को और ना ही कालवा को ….लेकिन चम्पा को तो कालवा को जलाने में मजा आता था,उसने कालवा को जलाने के लिए सारी बात उसे बता दी,और कालवा भी खून का घुट पीकर रह गया क्योकि किसी को अब बताने से भी कोई फर्क नही पड़ना था,कुछ दिनों बाद ही बजरंगी ने सुशीला से शादी कर ली और सुमन का जन्म हुआ,और कुछ दिनों बाद वीर की मौत और फिर दोनो भाइयो में दुश्मनी ,वीर की मौत के बाद से कालवा बहुत टूट गया था,वो इस घर में वीर के कारण ही रह रहा था,इसलिए वो वहां से जाने की ठान लिया…..
सभी यादे उसके जेहन में एक तीर सी चल गयी और उससे उठाने वाला दर्द उसके चहरे पर बस एक आंसू के रूप में बह गया,वो अपनी आंखों को पोछ कर चम्पा को देखा वो अब भी आंसू बहा रही थी ,उसने अपना हाथ चम्पा के कंधे पर रख दिया ,
“जो हुआ वो हो चुका है चम्पा अब हमारे और तुम्हारे सोचने से कुछ भी बदल नही जाएगा,मुझे अपना प्यार नही मिला और मैं जानता हु की प्यार को ना पाने की तकलीफ क्या होती है,मैं चाहता हु की बच्चों को उनका प्यार मिले ….”
चम्पा अब भी सुबक रही थी ,
“हा कालवा मैं भी यही चाहती हु पर ...वो भाई बहन है .कैसे ….नही कालवा मैं जानते हुए भी ये पाप नही कर सकती ..”
कालवा ने उसके कंधे पर रखे अपने हाथ को जोर से दबाया ,जिससे चम्पा उसकी तरफ देखने लगी .
“ये बात सिर्फ मुझे और तुन्हें पता है ….तो दुनिया के नजर में तो ये गलत नही हुआ ,और रही बात पाप की तो जब दोनो ही एक दूसरे से प्यार करते है तो क्या पाप और क्या पूण्य ….”
चम्पा ने भी अपनी सहमति में सर हिलाया ….
और कालवा को देखकर मुस्कुराई …
“क्या तुमने मुझे माफ कर दिया “चम्पा हल्के से हँसकर कहा जिसे देखकर कालवा का दिल खिल गया ,
“सालो पहले …”कालवा और चम्पा दिनों के चहरे पर एक मुस्कान थी …
पर कोई था जिसके आंखों से इनकी बात को सुनकर आंसू टपक रहे थे,वो थी सुमन …
आज शहर जाने से पहले किशन ने उसे बताया था की कालवा चाचा माँ से हमारे बारे में बात करेंगे और इससे वो बहुत ही खुस थी वो कालेज से आकर पहले चम्पा के कमरे की तरफ भागी और कालवा और चम्पा को गैलरी में बैठे बात करते देख उनकी बात सुनने लगी….पर जैसे जैसे बात आगे बड़ी सुमन के आंखों में बस पानी था,चम्पा और कालवा सच जानते हुए भी उनके प्यार के संबंध के लिए राजी हो गए थे पर क्या सुमन अपने ही भाई के साथ…….
उसका मन उत्तर देने के हालात में तो नही था….और ना मैं अभी उत्तर देने के हालात में हु,....
इधर विजय और किशन शहर पहचे ,सोनल और रानी की ख़ुर्शी का ठिकाना नही था,दोनो उनसे ऐसे लिपटे की अलग ही ना हो ,विजय को तो ऐसे लगा की जैसे कोई खालीपन भर गया हो ,वो अनचाहे ही सोनल को अपने ओर इतने जोरो से खिंच रहा था जैसे वो उसे अपने अंदर ही भरना चाहता हो ,वासना नही प्यार भी इतनी बेसब्र हो सकती है ये उन्हें देख कर जाना जा सकता था,जब सभी अलग हुए तो सभी के आंखों में आंसू था,ये अजीब सा प्यार इनके बीच था ,अजय और निधि के बीच सोनल और विजय के बीच और रानी और किशन के बीच…
ये इतना गहरा लगाव था जो कभी कभी रिस्तो की सीमा को भी तोड़ देता था,वो उफान सा आता और उनके बीच के रिस्तो की दीवार को तहस नहस ही कर देता,..
रानी ने विजय को देखा और उसके गले से लग गयी वही सोनल के लिए तो किशन मानो बच्चा था,वो भी उसे अपनी छाती से लगा ली,दोनो तैयार अपने भाइयो के इंतजार में बैठी थी,वो जल्द ही गांव के लिए निकल जाना चाहती थी ,कुछ ही देर में सुशीला और उसका बेटा(वरुण )भी वहां आ गए ,सभी गांव की ओर निकल पड़े थे….
इधर
सुनसान जंगल में वो शख्स जिसे लोग मिस्टर एक्स कहते थे,जो दोनो परिवारों का जानी दुश्मन था अलग अलग रूपो में घूमने वाला ,आज किसी की तलाश में भटक रहा था ,उसके साथ ही गांव का कोई व्यक्ति था,जो की वहां की आदिवासी भाषा में बात कर रहा था,
“यही है “उस आदिवासी ने एक गुफा की ओर दिखते हुए कहा ,एक्स उसे अपने जेब से थोड़े पैसे निकाल कर देता है और वो आदिवासी वहां से चला जाता है ,वो थोड़ा डरा हुआ भी लग रहा था,वो जल्दी से अपना रास्ता नापता है,एक्स वहां खड़े उस गुफा को देखता है,उसकी फूली हुई सांसे और आंखों ने एक अजीब सी उम्मीद के साथ ही एक भय की धार भी उसके शरीर मर दौड़ रही थी,एक सकरा सा गुफा था ,जिसमे इतनी जगह नही थी को कोई खड़ा हो सके ,बहुत हिम्मत के बाद वो बड़ी उम्मीद से वहां आया था,उसने सुन रखा था की यह कोई बहुत ही पॉवरफुल तांत्रिक रहता है ,जो की शैतान की साधना करता है,साफ था की उसका काम वही कर सकता था,अच्छे तांत्रिक तो बुरे विचार भी अपने से दूर रखते है,शैतानी साधना करने वाले को तांत्रिक कहना गलत होगा लेकिन ये तो एक मजबूरी ही है की उसे कुछ और नाम से नही पुकारा जा सकता,
उसकी सांसे सर्द हो रही थी ,एक डर की लहर से उसके शरीर में झुनझुनी सी दौड़ रही थी,पर वो हिम्मत करके उस गुफा के तरफ बड़ा,उसे अपने घुटने के बल चल कर जाना था,पता नही की आगे और कितनी सकरी हो जाय ,वो हिम्मत कर आगे जाता गया ,,थोड़ी दूर जाने के बाद वो घने अंधेरे से घिर गया,उसने अपनी टार्च जलाई और आगे के मार्ग में सरकने लगा,उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो किसी नर्क में आ गया हो ,लेकिन उसे एक आश जगी उसे कुछ रोशनी सी आती हुई दिखी,अब उसका डर और रोमांच दोनो ही बड़ गया था,उसने बहुत कुछ सुन रखा था पर उसे देखने वाला कोई भी अभी तक जिंदा नही बचा था,उसे अपने जीवन की परवाह भी नही थी उसे तो बस ठाकुरो और तिवारियो की बर्बादी से ही मतलब था,उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी पर वो फिर भी हिम्मत नही हारा और चलता गया,...
लगभग 20 मिनट ही चलने के बाद उसे के बड़ी सी जगह दिखाई दी ,जिसे वो क्या कोई भी नही सोच सकता था की जमीन के अंदर इतना भव्य सी जगह है ,एक काले राक्षस की विशालकाय मूर्ति वो देखने में ही भयानक लगता था उसके चरणों के पास बैठा वो तांत्रिक ,जो अभी आंखे मूंदे ऐसे बैठा था जैसे की वो धयन में बैठा हो ,पास में बहुत से नर कंकाल पड़े थे…..जिसे देखकर एक्स की हालात ही खराब हो गयी,पर वो हिम्मत कर उसके पास पहुचा,और उसके पैरो के पास देशी दारू और बकरे का मांस रख दिया जैसा की उसने सुन रखा था,की अचानक ही वो तांत्रिक अपनी आंखे खोल जिसे देखकर एक्स दो कदम पीछे हो गया ,पूरी तरह लाल आंखे ,जैसे जलते हुए अंगारे हो ...बड़े बड़े बाल जो बिखरे हुए थे,लंबा चौड़ा और हट्टा कट्टा उसका बदन बड़ी हुई दाढ़ी मूंछे ,और पूर्ण रूप से नग्न उसे देखकर तो कोई भी डर जाय ,वो एक्स को देखकर जोरो से हँसने लगा ,.....
“हा हा हा इतने दिनों बाद किसी ने मेरे पास आने की कोसिस की ,जो भी यहां आया वो कभी भी बाहर नही जा पाया ये देख उनके कंकाल ...तुझे किसी ने बताया नही की मैं नरभक्षी हु ...और तू यहां मरने चला आया …”
उसकी हँसी से पूरी गुफा गूंज गयी ,गुफा में एक ओर से पता नही कहा से कुछ रोशनी फैली थी और एक हल्की सी जलप्रवाह की आवाज आ रही शायद पास ही कोई जलस्रोत हो,हवा तो वहां बिल्कुल भी नही चल रही थी पर जहा रोशनी पहुच रही हो वहां कही से हवा भी आ ही रही होगी …
उसकी हँसी से एक्स में दहसत फैल गयी पर वो वहां डरने तो नही आया था वो पहले आने वालो की तरह किसी खजाने की तलाश में या और किसी प्रलोभन में नही आया था उसका मकसद कुछ जायद ही तबाही थी ,वो अपनी जान की परवाह करता तो शायद यहां कभी नही आ पता….
“मैं आपके समक्ष कुछ बहुत ही जरूरी काम से आया हु महाराज आप ही मेरा काम कर सकते है …’
“यहां हर कोई अपने ही प्रलोभनों से आता है मूर्ख ...लेकिन तूने मेरे लिए इतनी शराब और बकरा लाया इसलिए जब तक ये खत्म ना हो जाय मैं तेरी बात सुनूंगा फिर तुझे भी मार कर अपने शैतान को भोग लगाऊंगा...बोल “
वो बिना पके मांस को ही चबाना शुरू कर दिया ,जिसे देख एक्स को भी उल्टी सी आने लगी पर उसके पास समय बहुत ही कम था…
“मुझे वीर ठाकुर और रामचंद्र तिवारी के परिवार को तबाह करना है ,और मुझे आपकी मदद चाहिये …”वो थोड़ा निर्भीक होते हुए कहा ...लेकिन उनका नाम सुनकर वो अपना खाना ही छोड़ दिए वो रुक सा गया और उसके चहरे को ध्यान से देखने लगा ……
“पुनिया ….तू पुनिया है “
एक्स घबरा गया ,ये तो वो नाम था जो की उसने सालो पहले ही छोड़ दिया था….ये कौन है जो उसे इतने अच्छे से पहचानता है आज उसका ना तो पुराना नाम कोई जानता था ना ही उसका अतीत के बारे में और कुछ…
वो उसे घूर के देखने लगा ….
“तूने मुझे नही पहचाना,देख मैं हु “वो खड़ा हो गया ,लेकिन ये क्या उसके दोनो पैर लकडी के थे वो लड़खड़ाता हुआ पुनिया तक पहुचा
“देख मैं हु “
पुनिया उसे देखते हुए मानो दुखो के सागर में डूब गया ,उसके आंखों से आंसू की धार निकलने लगी वो जैसे जैसे उसके पास आ रहा था उसका दिल और भी दहल जा रहा था ,उसे पता था की उसे चलते हुए कितनी तकलीफ हो रही होगी ,वो लकड़ियां उसी ने तो बंधी थी वो अपने घुटनो पर गिर जाता है साथ ही वो तांत्रिक भी उसके पास बैठ जाता है ,और उसके चहरे को अपने हाथो में ले लेता है ,
“जग्गू मेरे भाई,उस गजेंद्र ने तेरा क्या हाल बना दिया है ….तू यहां कैसे पहुचा ...ये सब तू तांत्रिक कैसे बन गया …”
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