RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
बाली गुस्से से भरा था पर उसकी आंखे कुछ अलग ही कहानी कह रही थी उसे वो लम्हा बार बार याद आ रहा था जब उसकी भाभी गजेंद्र के सामने वीर की रक्षा के लिए खड़ी थी और गजेंद्र इतना क्रूर होकर भी अपनी बहन पर गोली नही चला पाया था ,लेकिन आज अजय जो निधि पर अपनी जान छिड़कता था आज उसे मारने को उतावला है ,उसकी आंखे रोती नही तो क्या करती…
“तू अपनी बहन को मरेगा,जिसे तूने अपनी गोदी में खिलाया है उसे मरेगा तू ,एक गलती क्या उसने इतनी बड़ी कर दी ,क्या तेरी इज्जत तेरा प्यार इतना बड़ा हो गया की तू इसे मरेगा…..
क्या एक भाई जो अपनी बहन से प्यार करता हो वो उसे मार सकता है …”बाली ने गरजते अजय का गिरेबान पकड़ लिया ,
“हां चाचा सही कहा अपने ,”अजय की आवज अब कुछ धीमी थी
“एक भाई जो अपनी बहन से प्यार करता है वो उसे नही मार सकता,”
लेकिन फिर अजय गरजा …
“लेकिन ये बात आप लोगो को कौन समझायेगा जो दिल में नफरत की ऐसी आग लेकर चल रहे है…”बाली अब उससे अलग हो गया था ,और वो आश्चर्य से अजय को देख रहा था ,वही गजेंद्र भी उतने ही आश्चर्य से भरा हुआ था…
“यही तो मैं आपको इतने दिनों से समझा रहा था की मेरी माँ को इन्होंने नही मारा है,ये उनसे इतना प्यार करते थे की उन्हें मार ही नही सकते...और मामा आप(अजय गजेंद्र की तरफ देखता है ) ,आज बहन की बहुत याद आ रही है,बहुत प्यार उमड़ रहा है ,हम चार बच्चों को उसने जन्म दिया तब कहा थे आप,मेरे पिता पर आपने हमले करवाये ,तब कहा था आपका प्यार ,कभी अपने अहंकार को छोड़कर आप मेरी माँ से मिलने आये ,अभी ये जानने की कोशिस की कि आपके भांजे भांजियों कहा है,जिंदा है या मर गए ,अब याद करके रोने से क्या होगा मामाजी अगर अपने अहंकार छोड़ दिया होता तो शायद मेरी माँ और मेरे पिता दोनो ही इस दुनिया में होते….शायद हमारी इसी दुश्मनी का फायदा कोई और उठा ले गया…
और छोटे मामा(गजेंद्र का सबसे छोटा भाई जो की वीर की गोली से मारा गया था) को मेरे पिता ने नही मारा था ,वो एक गलती थी आप भी जानते ही की मेरे पिता ऐसे नही थे ,वो मेरी मा की खुसी के लिए जान भी दे सकते थे,सबको लगा था की छोटे मामा पिता जी की गोली से मारे गए पर वो गोली किसी और ने चलाई थी जिसका निशाना मेरे पिता थे,पर किश्मत से वो गोली मामाजी को लगी….अपने तो कभी उस पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ने की भी जहमत नही उठाई होगी….”
अजय का इतना बोलना था की गजेंद्र और बाली की नजरे मिली जैसे की कोई बहुत पुरानी दीवार एक झटके में मोम सी पिघलकर बह गयी हो….गजेंद्र से रहा नही गया वो दहाड़े मार कर रोने लगा...इतना मजबूत दिखने वाला शख्स ऐसे रोयेगा किसे पता था ,सभी लोग जो वहां खून की होली खेलने आये थे वो अपने आंसू पोछ रहे थे….बाली आवक का गजेंद्र को देख रहा था ,वो कभी अजय को देखता तो कभी गजेंद्र को ...गजेंद्र उठता है और बाली के गले से लग जाता है ...बाली भी उसे ऐसे कसकर पकड़ लेता है जैसे उसे अपने बड़े भाई मिल गए हो,इतने दिनों की या कहे पीढियो की दुश्मनी ऐसे खत्म हो जाएगी किसी ने नही सोच था...दोनो अलग होते है,...
बाली अजय को देखता है,और अपनी आंसू पोछते हुए कहता है …
“जो हुआ उसे भूल जाओ अजय हम धनुष और निधि की शादी धूमधाम से कराएंगे ,”
“हा अजय जो गलती एक बार हमसे हुई थी वो दोहरानी नही चहिये “
अजय के होठो में एक मुस्कान आ जाती है ,वो निधि को देखता है ,निधि के आंखों में अब भी आंसू थे ,वो अपनी रोनी सी सूरत लिए बाली को देखती है ,
“किसकी शादी ,मैं तो अभी बच्ची हु ,और धनुष मेरा भाई है ,”
वो अजय को देखती है ,
‘अब बहुत हुआ भैया देखो आप ने मुझे कितना रुला दिया ,सच में कभी ऐसा हुआ तो आप मुझे मार दोगे “निधि की मासूमियत को देखकर अजय के दिल में एक प्यार की लहर सी उठ गयी और उसने उसका हाथ खीचकर अपने सीने से लगा लिया ,और उसके गालो और माथे को चूमने लगा जैसे की वो बहुत ही दिनों बाद उससे मिली हो...सच में अजय के लिए नाटक में भी निधि के ऊपर गुस्सा करना कितना कठिन था आज उसे पता चला ,और निधि भी अपने भाई के झूठे गुस्से को देखकर ही सचमे रो पड़ी थी जिसे देखकर अजय के हाथ काँपने लगे थे…
“नही मेरी जान मैं सपने में भी ये नही सोच सकता मेरी रानी “
गजेंद्र और बाली कभी एक दूजे को देखते तो कभी अजय और निधि को उन्हें तो अभी भी समझ भी आ रहा था की ये हो क्या रहा है,बजरंगी दौड़कर कलवा के गले लग जाता है और सुमन इन दोनो के वही विजय महेंद्र के गले से लग जाता है ,सभी के आंखों में आंसू थे ,रामचंद्र अपने परिवार को देखकर अपने आंसुओ को रोक ही नही पा रहा था ,धनुष उसके कंधे पर हाथ रखे खड़ा था,
‘ये हो क्या रहा है “बाली एक आश्चर्य भरे स्वर में कहता है ,
“आप दोनो को समझने के लिए बस एक छोटा सा नाटक “
महेंद्र अपने कानो को पकड़ता है ,और बाली के गले से लग जाता है ,
“लेकिन ये ….”
बाली उस लड़के की तरफ इशारा करता है जो खून से सना हुआ भागता खबर देने आया था,
“वो विजय भैया ने बोला तो ….”
उसके चहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी और अब सबके चहरे पर मुस्कान आ गयी थी ,सब एक दूजे के गले से लग रहे थे….
अंत में अजय और सभी बच्चे रामचंद्र के पास पहुचते है वो सभी के गले से लगता है ,
“अजय आज तुमने वो पुरानी जिम्मेदारी निभा दी जो ना मैं निभा पाया था ,ना ही तुम्हारे माता पिता निभा पाए...बेटा तुमने दोनो परिवारों को एक कर दिया है “रामचंद्र उसके माथे को चूमता है…
“ऐसे ये आईडिया किसका था ,”बाली एक स्वाभाविक से प्रश्न करता है …..
“डॉ साहब का “
बाली और गजेंद्र सबसे दूर खड़े हुए डॉ को देखते है जो की अभी हल्के हल्के से मुस्कुरा रहा था...वो दोनो जाकर डॉ के गले से लग जाते है …….
सभी ओर खुशिया फैली हुई थी वही जंगल के एक पत्थर पर बैठा वो शख्स बड़ा ही गंभीर लग रहा था,अभिषेक भी वही था जो बहुत ही खुश दिख रहा था ,
“मेरी तो फट ही गयी थी जब मुझे ये पता चला की धनुष और निधि ने शादी कर ली ,साला सारे सपने ही चूर हो गए थे ,अब थोड़ा अच्छा लग रहा है,”उसने अपने पेंट के ऊपर से ही अपने लिंग को मसला और एक आह भरी,जिसे उस शख्स ने देख लिया और उसके चहरे पर गुस्से का भाव आ गया,वो अपनी जगह से उठता है और पास ही पड़े लकड़ी से अभिषेक पर हमला कर देता है ,वो उसे पिटे जा रहा था,
“मादरचोद मेरी सालो की मेहनत बर्बाद हो गयी और तुझे अपने ही लंड की पड़ी है,तुझे बस निधि की चुद के अलावा और कुछ सूझता नही क्या,...अगर दोनो शादी कर लेते तो शायद दोनो परिवारों में फिर से वैसे ही दुश्मनी हो जाती और मेरा काम आसान हो जाता और तू कह रहा है की ठीक ही हुआ”
“लेकिन लेकिन सोचो ना अगर मैं निधि को पटा लेता हु तो पूरी दौलत …..”
अभिषेक उससे बचने की ही सोच रहा था वही वो शख्स बस उस मारे जा रहा था ,
“साले मुझे दौलत नही चाहिये मुझे उनकी बर्बादी चाहिये ,दोनो परिवार के लोगो की बर्बादी मैंने तुझपर फालतू में ही भरोषा कर लिया साले तुझे तो आज मार ही डालूंगा….”अभिषेक की हालात खराब हो रही थी उसके घुटनो पर एक वार होता है और वो चिल्ला पड़ता है”
“आह नही मुझे छोड़ दो मैं तुम्हारे बहुत काम आने वाला हु “
“तू मादरचोद मेरे क्या काम आएगा मैं खुद ही सब कर लूंगा,”
“नही नही “
जब उसका मन भर जाता है तो वो अभिषेक को छोड़ देता है …..
“आज के बाद बोलने से पहले सोच लेना की क्या बोल रहा है वरना आज तो तुझे छोड़ रहा हु फिर कभी नही छोडूंगा,उनकी बर्बादी ही मेरे जीवन का एक मात्र मकसद है समाझ गया की नही,चल तुझे हॉस्पिटल छोड़ देता हु “
अभिषेक लंगड़ाते हुए उठता है और वो उसे उठाकर वहां से निकल जाता है ,....
इधर
सभी लोग बहुत ही खुस थे और इसी सिलसिले में रामचंद्र गजेंद्र से कहता है की नितिन और खुसबू को भी यही बुला लो,अपने परिवार से सबका परिचय हो जाएगा ,वैसे ही यही प्लान अजय और बाली भी कर रहे थे,बिजय के चहरे पर सोनल का नाम सुनते ही मुस्कान आ जाती है….वही किशन भी रानी से मिलने को लेकर बेताब हो जाता है ,उसका चहरा देख कर सुमन हस पड़ती है उसके साथ ही अजय ने सुशीला(सुमन की मा जो बेटे की पढ़ाई के कारण फिर से शहर चली गयी थी,इसबार उसे परमानेंट यहां रखने के लिए लाया जा रहा था,बजरंगी उसे अपने पास रखना चाहता था ) और उसके बेटे को भी लाने की बात की जिससे सुमन भी बहुत खुश थी पर पास ही चम्पा खड़ी थी जो उसे एक अजीब से निगाह से देखती है,जिसे देखकर सुमन चुप हो जाती है वही किशन को भी उसकी मा के भाव समझ आ जाते है,वो विजय के पास चला जाता है,और उसके कानो में…
“भाई के बात करनी है अकेले में चल ना “
विजय उसे देखता है कुछ समझने की कोशिस करता है पर उसे कुछ भी समझ नही आता वो उसके साथ चल देता है ,
“क्या हो गया,”
“यार कुछ भी समझ नही आ रहा है ,की मा को क्या हो गया है,”
“क्या हो गया है चाची को”
“पता नही मेरे और सुमन को लेकर उनका व्यवहार कुछ अलग ही हो रहा है ,”
विजय की आंखे चढ़ जाती है,वही किशन उस दिन हुए हर बात को बताता जाता है…..
“ये बड़ी ही अजीब बात है ,अब तो चाची को और भी कुछ प्रॉब्लम नही होनी चाहिये थी,मैं चाची से बात करता हु “
“नही भाई इतने सालो के बाद तो मा हमारे परिवार का हिस्सा बनी है और उसे सुमन से कोई भी परेशानी नही है बस उसे मेरे और उसके रिस्ते को लेकर परेशानी है ,’”
“बिना बात किये कुछ भी समझ नही आएगा की क्या परेशानी है और चाची से नही तो चाचा से बात करता हु “
“पागल हो गया है क्या ,जानता नही की पापा इतने सालो के बाद तो मां से बात करना शुरू किये है मैं नही चाहता की कोई ऐसी बात हो जाय की वो दोनो फिर से अलग हो जाय….”
“ह्म्म्म तो कौन किससे बात किया जाय ,अच्छा मैं कलवा चाचा से बात करता हु वो दोनो के नजदीक रहे है वो चाची से बात कर लेंगे ….”
“हा ये ठीक रहेगा ….“
इधर
सभी को बुलावा भेज दिया जाता है,खुसबू और सोनल दोनो ही गांव जाने के खबर से बहुत ही खुश थे ,नीतिन अपने भाई बहन के साथ तुरंत ही निकल गया वही सोनल और रानी को लाने सुबह के ही विजय और किशन निकल पड़े…
इधर विजय ने कालवा से ये बात की और सुमन और किशन की प्रॉब्लम के बारे में बताया,कालवा को तो पहले से ही ये पता था की आखिर क्यो चम्पा उन दोनो के प्यार को स्वीकार नही कर रही है पर बच्चों के प्यार को भी समझ सकता था और इसलिए वो चम्पा से बात करने पहुचा,इस समय बाली घर में नही था और डॉ भी चले गए थे,सो उसे यही समय उचित लगा ,कलवा चम्पा के कमरें में जाता है उसे देख चम्पा चहक उठती है,
“इतने दिन हो गए कभी फुरसत से बात करने की नही सोची आज क्या बात है की हमारे द्वार पर आ रहे हो “
उसकी बात सुनकर कालवा को वही पुरानी चम्पा याद आ गयी जो कभी उसकी दोस्त और बाद में दुश्मन हुआ करती थी ,जवानी के दिनों में उसने और बजरंगी ने उससे बहुत मस्ती की थी ,सभी यादे उसके जेहन में एक चित्र की तरह एक ही पल में गुजर गयी ,जो उसकी आंखों से चम्पा को भी समझ आ गया और वो भी कुछ असहज हो गयी ,उसने कालवा से बाहर चलकर बात करने को कहा,कालवा भी समझता था की इसतरह उसके कमरे में बात करना उचित ना होता,ऐसे किसी को कोई भी परेशानी तो नही होती पर जो भी उनके बीच हो चुका था वो इन्हें इसतरह अकेले में बात करना गवारा नही कर रहा था….
दोनो कमरे के बाहर जाकर एक गैलरी में बैठे और बाते करने लगे ऐसे तो दोनो को ही ये समझ नही आ रहा था की आखिर बात कहा से स्टार्ट की जाय,...
“जो हमारे बीच हुआ वो सब पुरानी बाते थी कालवा इन्हें हमे भूल जाना चाहिये,”
“तुम्हे क्या लगता है की मैं इन सभी बातो को याद कर रहा हु “
चम्पा के होठो पर एक मुस्कान सी खिल गयी,
“बीती बातो को भुलाना इतना भी तो आसान नही होता ना,क्या करे ना चाहते हुए भी वो जेहन में आ ही जाती है “
चम्पा ने धीरे से कहा
“हा ये तो है,पर मैं यहां तुमसे कुछ और बात करने आया हु ,देखो चम्पा हमने तो हमारी सारी जिंदगी दुसरो से लड़ने में ही निकल दी,हमे तो नफरतों और तन्हाई के सिवा कुछ भी हाथ नही लगा,तुम्हारी और मेरी दोनो की कहानी एक सी ही है,(चम्पा की नजरे नीची थी और आंखों में पानी जो शायद कालवा को भी महसूस हो रहा था पर वो उसे कुछ भी कहना चाहता ,शायद जो दर्द चम्पा के सीने में दफन था आंसू बनाकर बाहर आ रहा था,)
लेकिन हमे अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नही करना चाहिये ,उन्हें वो प्यार मिला है जो हमे कभी भी नही मिल पाया और तुम उसे उनसे छीनना चाहती हो ,नही चम्पा ये अन्याय होगा,ये अन्याय होगा बच्चों पर ,तुम हमारी गलती की सजा उन्हें क्यो देना चाहती हो …”
चम्पा ने अपने आंसू पोछे
“तुम हमारी गलती क्यो कह रहे हो कालवा,गलती तो सिर्फ मेरी ही थी मैंने ……..”बोलते हुए वो रुक गयी और कुछ देर का सन्नाटा वहां फैल गया ,
“गलती मेरी ही थी चम्पा की मैंने बाली को नही रोका ,तुमसे मैं इतनी नफरत करता था की ….”
चम्पा कालवा को देख कर हल्के से मुस्कुराती है ,
“नफरत ….हा कालवा मैंने काम है ऐसा किया की तुम मुझसे नफरत करो ,ये तुम्हारी गलती नही थी की मैं तुम्हारे भाई के साथ सो गयी,ये तुम्हारी गलती नही थी की मैंने तुम्हारे भाई के बच्चे को अपने पेट में रखा ,ये तुम्हारी गलती नही थी कालवा की मैंने बाली को फसाया और उससे शादी करके फिर से तुम्हारे घर में आ गयी ,मेरे ही कारण तुमने इतने सालो का वनवास काटा...ये तुम्हारी गलती नही है कालवा की वही बच्चा आज बड़ा होकर अपनी ही सौतेली बहन के प्यार में पड़ गया है…..तुम्हारी तो बस एक ही गलती थी की तुमने मुझ ऐसी बाजारू लड़की को इतना प्यार किया जो कभी भी उसका प्यार समझ नही पाई...जो उसके सामने ही उसके भाई के बांहो में जाकर सो गयी,जिसने उसके दोस्त को फसाया सिर्फ अपने फायदे के लिए जिसने तुम्हारा दिल तोड़ा ये जानते हुए भी की तुम मुझसे कितना प्यार करते हो...हा कालवा मुझे हमेशा से पता था की तुम मुझे कितना प्यार करते हो पर मैंने हमेशा इसी प्यार का फायदा उठाया और तुम्हे असीमित दुख पहुचाया ….हो सके तो मुझे माफ कर दो कालवा हो सके तो मुझे माफ कर दो ….
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