RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
उसकी बात से सभी थोड़े सोच में पड़ गए फिर महेंद्र उठाकर उसको गले से लगा लेता है ………...
इधर
घने जंगल में एक छोटी सी पहाड़ी के नीचे एक पत्थर में बैठा वो शख्स अभिषेक को दखते ही उसपर बरस पड़ा…
“क्या सोचा था मैंने की तू दोनो परिवार को हराकर उनकी इज्जत को मिट्टी में मिला देगा लेकिन तू साले दोगला निकल लड़की और सत्ता के लालच में तूने मुझे धोखा दिया …”
वो शख्स बंदूक की नोक अभिषेक के माथे पर टिका देता है,
“अगर धोखा ही देना होता तो तुम्हारे पास क्यो आता “
अभिषेक की बात सुनकर वो थोड़ा सा शांत होता है….
“चुनाव जीतकर भी क्या हो जाता ,लेकिन सोचो अगर अजय की लाडली मेरी हो जाय तो क्या होगा...ऐसे भी मैं उसे पाना चाहता था,मेरा काम भी हो जाएगा और उसके जरिये तुम्हारा काम भी हो जाएगा ,और मेरे नाम वापस लेने से निधि के ऊपर मेरा सॉलिड सा इम्प्रेशन पड़ा है ,जो लड़की मुझे बिल्कुल भी भाव नही दे रही थी अब वो अजय से मेरी सिफारिस करती है ,तुझे क्या लगता है की अब भी मैं उसे नही पटा पहुँगा ,”
“हम्म्म्म पटा उसे और जितना चाहता है चोद उसे ,मैं चाहता भी यही हु की उसके घर की सभी लड़कीयो को मैं रंडी बना कर रख दु”
उसके आंखों में खून सा उतर गया था,
“चोदने के अलावा भी आता है तुम्हे कुछ ….इससे तो मैं उसकी पुरी की पूरी जायजाद भी हड़प सकता हु….”अभिषेक ने एक शैतानी हँसी हँसी ...और उस शख्स के चहरे पर भी एक मुस्कान खिल गयी…….
इधर डॉ बाली से बात करके तिवारियो की सच्चाई से परिचित करता है,पर बाली वो बात मानने को तैयार ही नही था,
“मैं ये मान ही नही सकता की मेरे भैया भाभी को तिवारियो ने नही मारा है मैं जानता हु की तुम बस मुझे बहलाने को ये सब कह रहे हो ,तिवारियो से मैं बदला ना लू ये तो हो ही नही सकता……..”
“तुम्हे क्यो लगता है की तिवारियो ने वीर को मारा था,”
“मुझे लगता नही मुझे ये यकीन है….”
“क्यो ऐसे क्यो तुम्हे यकीन है”
“मैं उनकी फितरत हमेशा से जानता हु…..”
डॉ कुछ देर तक शांत ही रहा….दोनो ओर से एक सन्नाटा था…
“चलो छोड़ो वो सब और बताओ की क्या चल रहा है …”
बाली थोड़ा गुस्से में था..
“क्या चलेगा,बस साले सभी पागल हो गए है इन्हें लगता है की मुझे कुछ भी पता नही है ,पर मैं सब कुछ जानता हु की यहां क्या हो रहा है…...उस महेन्द के बेटे के साथ मिलकर सुमन और निधि घूम रही है और अजय को कोई भी परवाह ही नही है…….पता नही इस बात पर अजय को कैसे यकीन हो गया की उसके पिता को तिवारियो ने नही मारा है,,,मैं बता देता हूं की मैं कुछ कर जाऊंगा,भूल जाऊंगा की वो मेरे ही भाई का खून है……..”
डॉ को कुछ भी समझ नही आ रहा था की बाली को कैसे समझाए और वो भी इतने गुस्से में है,सब सोच रहे थे की बाली को कुछ भी पता नही है पर उसे सब कुछ पता था...पर वो अजय की इज्जत के कारण कुछ कह नही रहा था उसे लग रहा था की वो इस घर में बिल्कुल ही अकेला हो गया है,अजय विजय ,कलवा सुमन निधि सभी अपने ही धुन में रहते थे किसी को भी इस बात की फिकर नही थी की उसे कैसे लग रहा है….
इधर तिवारियो के बड़े भाई गजेंद्र भी कुछ दिनों के लिए गाँव आ चुका था ,महेंद्र ने उसे बहुत समझने की कोशिस की पर वो भी बेकार ही रहा,उसे अब भी यही लगता था की ठाकुरो के कारण ही उनके बहन की जान गयी है….
गजेंद्र ने महेंद्र और धनुष को भी ये धमकी दे दी की अगर ठाकुरो के परिवार से किसी से भी कोई दोस्ती रखी तो वो उन्हें ही जान से मार देगा…
कुछ दिन और ही ऐसे ही बीत गए,दोनो परिवारों के बुजुर्गों के कारण पूरे ही माहौल में एक तनाव सा पैदा हो गया था,...
एक दिन डॉ गांव आये हुए थे और बाली के साथ बैठे चाय पी रहे थे,साथ ही अजय , विजय और किशन भी बैठे थे ,की एक लड़का जो की निधि के खुफिया बॉडीगार्ड के तौर रखा गया था दौड़ते हुए वहां आया सर से खून की धार निकल रही थी,गाड़ी को पटक कर वो इतने तेजी से घर के अंदर घुसा की उसकी सांसे फूल गयी थी वो हफ़ता हुआ जाकर सबके सामने खड़ा हो गया…
“ठाकुर साहब “उसने जोर जोर से कहा
“क्या हुआ ,ये क्या हाल बना रखा है क्या हुआ तुझे तपन “अजय और विजय उसे देखकर खड़े हो गए थे,दोनो के चहरे पर चिंता और अनहोनी के डर के भाव साफ दिख रहे थे,
“ठाकुर साहब वो निधि ….निधि …”
“क्या हुआ निधि को “इसबार बाली और डॉ भी खड़े हो चुके थे बाली के इस सवाल से पूरा घर गूंज गया …
“निधि को वो धनुष उठाकर ले गया “वो टूटती हुई सांसो से कह पाया ,
“उठाकर ले गया “अजय ने धीरे से कहा ..
“वो दोनो आज सुबह कॉलेज के लिए निकले पर वो और सुमन कॉलेज ना जाकर सीधे मंदिर गये ,मैं उनके साथ ही था ,वहां धनुष और निधि ने शादी कर ली और उनके गुंडों ने हमारे आदमीयो को बहुत मारा ,सबको बंदी बना लिया है मैं जैसे तैसे वहां से भाग पाया हु,वो निधि और सुमन को लेकर तिवारियो के बंगले से गए है…”उसने सभी कुछ एक ही सांस में कह दिया ………
बाली जैसे जमीन पर गिरने वाला था ,उसे डॉ ने सम्हाला लेकिन अजय का चहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था,विजय और किशन को समझते देर नही लगी की अब आगे क्या करना है,तुरंत ही वहां गाड़ियों का काफिला सा लग गया ,सभी हथियार जो भी घर में कही भी छुपे थे वो निकल के लाए गए,बाली अब थोड़ा सम्हाल चुका था…
“देखा देखलिया ना ,क्यो बे चूतिए क्या कहा था तूने मुझसे की वो सुधार गए है ,सब कुछ भूल जाऊ देख लिया ना कमीनगी तो उनके खून में है ...मेरी भोली भाली दी बेटी को गुमराह करके ले गए साले ….”
“ले तो गए चाचा पर अब खून की नदिया बहेंगी ,उसके परिवार में मैं किसी को भी नही छोडूंगा”
एक गरजती आवज ने सबके दिलो को चिर कर रख दिया ये आवाज अजय की थी ,
“लेकिन हो सकता की वो एक दूसरे को प्यार करते हो ,और निधि अपने मर्जी से उनके साथ गयी हो “
डॉ ने थोड़ा डरते हुए कहा …
“मैंने अपनी बहन से बहुत प्यार किया है डॉ और उसने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया….अब वो क्या उसकी लाश भी इस घर में नही आएगी ,जिसे वो अपना ससुराल समझ कर निकली है उसे उसी जगह पर दफना कर आऊंगा….”
इतना कह कर ही अजय एक गाड़ी में बैठता है और वहां से निकल जाता है,लेकिन उसके बात से बाली के प्राण तक कांप जाते है,बूढा सा हो चला बाली अपने को ऐसा असहाय कभी भी महसूस नही किया था,आज उसका ही बेटे के समान भतीजा अपनी सबसे प्यारी बहन को मारने की कसम खाकर निकला था वो भी अपने दुश्मनों के कारण ,वो उठ खड़ा हुआ ,...
“नही नही डॉ उसे रोको उसे रोको ,वो उन कमीनो की गलती की सजा मेरी फूल सी बेटी को नही दे सकता “बाली के इतने कहने तक सभी गाड़िया वहां से जा चुकी थी ,बाली और डॉ दौड़ाते हुए बाहर जाते है और डॉ की गाड़ी से उनके गाड़ी के पीछे चलने लगते है ….
तिवारियो का बंगाल किसी किले से कम ना था ,इस एक कदम से खून की नदिया बहना तो तय था ,,.....
तेज गाड़ियों का काफिला तिवारियो के बंगले पर पहुच चूका था,ये बंगला कम और कोई किला सा ज्यादा लग रहा था,चारो ओर बस बंदूक लिए लोग मौजूद थे ,जो बस किसी के इशारे के इंतजार में थे की एक इशारा और गोलियों की बौछार हो जाय,बंगले के बाहर सभी गाड़िया रुक गयी और बंदूक धारी लोगो ने अपनी पोजीशन लेनी सुरु कर दी,अजय बिना किसी की परवाह किये सीधा गेट को एक लात मार कर खोल देता और अंदर आ जाता है,उसके साथ ही कुछ 50 की संख्या में लोग है जो विविध हथियारों से लेस है,सभी बंदूक धारी अपने अपने निशाने को सेट कर चुके थे,चाहे वो अजय के लोग हो या तिवारियो के सभी को पता था की किसे मरना है और कब मरना है ,हाथो में तलवार लिए लोग अपने प्रतिद्वंदी के आंखों में सीधे ही देखते हुए बढ़ रहे थे सभी को पता था की बस एक इशारा और खून की नदिया बहने वाली है………..
अजय विजय किशन सबसे आगे होकर चल रहे थे,तिवारि भी अपने घर के बाहर आ चुके थे,महेंद्र ,गजेंद्र ,बजरंगी,एक साथ खड़े थे वही रामचंद्र अपने वीलचेयर में बैठा था जिसे सुमन पकड़े थी ,निधि और धनुष घर की बाकी महिलाओं के साथ खड़े थे लेकिन सभी घर से बाहर आ चुके थे जैसे की वो इन्ही का इंतजार कर रहे हो ,विजय के इशारे से उसके सभी लोग थोड़ी दूर ही रुक गए लेकिन सभी विजय के एक इशारे के मोहताज थे ,वही तिवारियो के सभी लोग महेंद्र एक इशारे का इंतजार कर रहे थे,सभी ने अपने लक्ष्य साध लिए थे….
पीछे डॉ ,बाली और कलवा भी पहुच चुके थे और सभी अजय के बराबर में आकर खड़े हो गए…
बाली को देखकर गजेंद्र ने एक कातिल सी मुस्कान छोड़ी जिससे बाली का कालेजा ही जल गया,अजय और उनके बीच कुछ ही फासला रह गया था की अजय निधि को देखकर वही रुक गया ,निधि अजय को देखकर भागते हुए उसके पास आने लगी उसकी आंखों में बस आंसू थे ,उसने धनुष का हाथ पकड़ा और अजय के पास चली गयी ,..............
अजय की आंखों से खून और पानी साथ ही निकल रहा था,वो लाल आंखे जो किसी को भी डरा दे,अजय ने पिस्तौल की नोक धनुष की ओर कर दी,धनुष और निधि अजय से कुछ एक हाथ की ही दूरी पर थे,
इससे पहले की कोई कुछ भी बोले निधि ने बंदूक की नोक अपने सर पर टिका दिया,
“भईया मैं अपनी मर्जी से यहां आयी हु ,”
अजय ने एक गर्जना की …
“तो फिर पहले तुझे मरूँगा “
बाली अजय के इस गुस्से को देखकर सहम गया ,लेकिन तभी एक और जोरो की गर्जना हुई जो गजेंद्र की थी ,
“खबरदार ...ये तेरी बहन नही अब मेरी बहू है,इसे छूने से पहले तुझे मेरी लाश से गुजरना पड़ेगा.”
उस लंबे चौड़े आदमी की गर्जना से पूरा माहौल ही कुछ पलो के लिये शांत हो गया ऐसा लगा की उसकी आवाज अभी भी लोगो के कानो में गूंज रही हो ,
“क्या मेरे प्यार में कभी कोई भी कमी आयी थी जो तुने इतना बड़ा कदम उठा लिया,कितना प्यार किया था मैंने तुझे और तू इसके लिए मुझसे लड़ने को तैयार हो गयी है ….तुझे मा बाप सा प्यार दिया मैंने और तू ………..”
अजय के हाथ अब काँपने लगे थे ,निधि की वो प्यार से भारी हुई आंखे जिनमे बस प्यार के सिवाय कुछ भी ना था,वो बड़ी बड़ी आंखे आंसुओ से भरी थी जिनमें एक भी आंसू आता था तो जो भी अपने होठो से उसे पी लेता था आज वही उसके माथे में बंदूक टिका कर खड़ा था…….
तभी एक हँसी माहौल में गूंज गयी ,ये गजेंद्र ही था….वो बाली की तरफ मुखातिब हुआ
“देखा बाली एक भाई का प्यार देखा ,मैं भी अपने बहन को ऐसे ही प्यार करता था ,और तू और तेरा भाई इसीतरह मेरी प्यारी सी बहन को मुझसे दूर ले गए,याद है वो दिन जब मैं अपनी बहन के सर पर यू ही पिस्तौल टिका कर खड़ा था ,और वो वीर के सामने ऐसे ही खड़ी थी…..
बाली और गजेंद्र दोनो के आंखों में वो दृश्य घूम गया और दोनो की ही आंखे नम हो गयी ,गजेंद्र को निधि में अपनी बहन का चहरा दिख रहा था,उसके दिल ने अब सबर का बांध तोड़ दिया था और वो फुट फुट कर रोने लगा,
“नही अजय तू उसे नही मार पायेगा ,मैं भी नही मार पाया था ,मेरे भी हाथ यू ही कांप रहे थे जैसे की तेरे कांप रहे है…...मैं भी तेरी मा से उतना ही प्यार करता था जितना की तू अपनी बहन से करता है……..मेरी बहन मेरी प्यारी बहन ,तुमने उसे मार डाला बाली तुम मेरे बहन के हत्यारे हो और अब ये मेरी बहु है देखता हु कौन इसे हाथ लगता है ”
माहौल में कुछ अजीब सी तब्दीली हो रही थी ,जो लोग गुस्से से भरे हुए हाथो में हथियार लेकर खड़े थे उनकी आंखे भी अब नम थी,
“आप नही मार पाए होंगे पर मैं इसे नही छोडूंगा,इसने मेरी इज्जत,से खेला है ,इसने मेरे भरोशे को चकनाचूर कर दिया,,,”अजय फिर से गरजता है और अपने हाथो और निधि के सीधा कर देता है ,तभी बाली दौड़ता हुआ आकर उसका हाथ नीचे कर देता है और एक जोर का झापड़ अजय के गालो में रसीद करता है ,
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