Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:12 AM,
#33
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
विजय ने उसके गालो को पकड़ कर उसे हिला दिया ,रेणुका हस पड़ी और बड़े ही गौर से देखने लगी…
“क्या सच में आप मुझसे सिर्फ दोस्त बनकर रह सकते हो …”
“ह्म्म्म पहले शायद नही रह पता पर कुछ दिनों से पता नही मेरे साथ क्या हुआ है की मुझे अब लड़कियों की इज्जत करने का दिल करता है”
रेणुका ने उसे थोड़े आश्चर्य से देखा और खिलखिला के हस पड़ी 
“अच्छा सचमे”
विजय भी थोड़ा झूठे गुस्से में मुह बनाया और हस पड़ा,
“हा सचमे...लेकिन तुम उस चोमू के प्यार में कैसे पड़ गयी”
अब रेणुका ने झूठ गुस्सा अपने मुह पर लाया 
“वो जैसे भी है पर सच में वो बहुत ही प्यारे है और मेरी बहुत ही फिकर करते है ,और हा आपके जैसा तो कोई मुझे नही कर सकता पर वो जितना भी करते है मैं उसमे खुश हु,सच में ठाकुर साहब मैं उनके साथ बहुत ही खुश हु….”बोलते बोलते रेणुका के आंखों में एक चमक सी आ गयी ,विजय भी अपना हाथ बढ़ाकर उसके सर को प्यार से सहला दिया और बड़े ही प्यार भारी आंखों से रेणुका को देखा ,
“हमारे बीच जो भी हुआ उसे अब भूलने का समय आ गया है ,और हा तुझे खुश देखकर मुझे बहुत खुशी हुई ,”
रेणुका विजय को अपनी ओर खिंच कर उसकी बांहों में समा गयी ,
“छोटे ठाकुर आप बहुत ही अच्छे हो मैंने कभी नही सोचा था की आप ऐसे मान जाओगे सचमे अगर आप जिद करते तो मैं आपने को कभी नही रोक पाती….मै हमेशा आपको अपना दोस्त मानूँगी सबसे अच्चा दोस्त,धन्यवाद छोटे ठाकुर अपने मुझे मेरी नजर में गिरने नही दिया…”
रेणुका के आंखों में आंसू था वही विजय के मन में एक अजीब सी खुशी थी वो कभी भी किसी लड़की के साथ जबरदस्ती नही करता था पर पहली बार उसके उसे एक अलग सी खुशी मिल रही थी जो कभी उसकी अय्याशी का समान थी आज वो किसी और की बीवी थी और उसे भी विजय बड़ी इज्जत से देख रहा था ……….
किसी ने सच ही कहा है की लडकिया प्यार करने ,इज्जत करने के लिए होती है आप उसे जितना प्यार और सम्मान दोगे उससे कही ज्यादा वो आपको लौटती है ,लडकियो से हिंसा और जबरदस्ती करने वाला तो मर्द ही नही होता…
आज विजय को असली मर्द होने का अहसास हुआ……..

वक्त निकलने लगा था और निधि और सुमन दोनो ही कॉलेज जाने लगे थे ,विजय उनको छोड़ने और लेने जाता था लेकिन उसे काव्या से मिलने का मौका ही नही मिल पता,उसने देखा उसका नम्बर लिया और उससे बातें करने लगा,दोनो रात को घंटो ही बाते किया करते थे,लेकिन उससे आगे बढ़ने का समय ही नही मिल पा रहा था ,वही अब निधि के और नए भाई धनुष की भी उनसे बहुत जमने लगी थी ,ऐसे तो धनुष हमेशा से ही अकेले गांव में रहकर पला था और उसके खून में ही जमीदारो वाली बात थी पर वो निधि और सुमन के लिए बहुत ही सुलझा हुआ लड़का होता था,तीनो से कॉलेज के छात्र और यहां तक की टीचर भी घबराते थे ऐसे तो किसी को इनसे कोई भी प्रॉब्लम नही थी पर क्या करे लोगो को डरने की आदत पड़ चुकी थी,
कॉलेज को बने हुए पहला ही साल था पर वहां सभी इयर के बच्चों ने एडमिशन लिया हुआ था,जो बच्चे अभी तक शहर में पड़ रहे थे या कॉलेज नही जा सकने के कारण वहां की वो लडकिया जो डिस्टेन्स से पढ़ाई कर रहे थे सबके लिये ये कॉलेज एक उम्मीद ले के आया था ,वही एक और उम्मीद यहां पनप रही थी वो थी ठाकुरो और तिवारियो के सत्ता को तोड़कर अपनी नई सत्ता स्थापित करने का प्रयास………
ऐसे तो अभी तक ऐसा कुछ बड़ा प्रयास नही किया गया था और उसकी जरूरत भी बहुत ज्यादा नही थी पर लोगो के पड़ने के कारण और शहर से जो लड़के फिर से गांव आये थे उन्होंने एक नए वर्ग का निर्माण करना शुरू कर दिया था,वो वर्ग ना तो बहुत ही पढ़ा लिखा और ना ही अनपढ़ था ,ना ही ज्यादा गरीब था और ना ही ज्यादा अमीर एक मध्यमवर्ग का निर्माण एक नई क्रांति का संकेत था,ये किसी को मिटाना नही चाहते थे बस अपनी एक नई पहचान बनाना चाहते थे ,ऐसे तो अब बाजारों में बाहर और वही से आने वाले लोगो ने पैसे कमाने शुरू कर दिए थे और सर्विस क्लास लोगो की संख्या भी बढ़ गयी थी ,इसलिए अब ठाकुरो और तिवारियो के अलावा कई लोग ऐसे थे जिनके पास पैसा तो था,बहुत नही पर था,लोगो के पास कारे थी महंगी गाड़िया भी लोगो के पास थी ,वही घरों में उपयोगी सभी समान लोगो के पास आने शुरू हो गए थे ,लोगो के रिस्तेदार गवर्मेंट के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक थे ,कुछ लोग राजनीति में भी अच्छा नाम कमा रहे थे ,मतलब की एक नए से और शक्तिशाली मध्यमवर्ग और निम्न उच्चवर्ग का उदय वहां हो रहा था………
सत्ता का टकराव अभी तक जो दो बिंदुओं के बीच था वो एक नए बिंदु की ओर बढ़ सकता है ये तो किसी को भनक भी नही थी पर पहली भनक पड़ी जब कॉलेज का इलेक्शन होने वाला था...पहला इलेक्शन था और वहां दोनो शक्तिशाली परिवार के बच्चे पढ़ रहे थे….
ये स्वाभाविक था की प्रेजिडेंट के लिए अगर वो खड़े हो जाते है तो कोई दूसरा खड़ा भी ना हो,लेकिन नया संघर्ष यही से शुरू हुआ जब धनुष ने फैसला किया की वो चुनाव में खड़ा होगा,उस कॉलेज में लगभग 15-20 गांव के लोग आते थे वही जहा वो कॉलेज था वो खुद एक विकसित कस्बा था,वहां के एक सेठ के बेटे अभिषेक ने भी फार्म भर दिया,वो लास्ट ईयर का स्टूडेंट था और शहर से यहां एडमिशन लिया था वहां उसे राजनीति की थोड़ी समझ भी थी, 
सभी ने सोचा था की एकतरफा चुनाव होगा,पर भईया इंडिया डेमोक्रेटिक देश है….
माहौल में तनाव सा फैल गया और वहां के सभी पैसे वाले सेठ और बिजेनसमेन जो प्रायः वहां के मूल निवासी नही थे और ठाकुरो और तिवारियो से जिनका कोई मतलब नही था वो एक होकर अभिषेक का साथ देने लगे,बात छोटी सी थी पर अभिषेक राजनीति का पुराना खिलाड़ी रह चुका था और उसने छात्रों को इकट्ठा करने की अपनी कबिलियात को भुनाया और साथ ही अपने बाप की मदद से कॉलेज के बाहर भी अपना समर्थन खड़ा कर लिया,लोग बोलने लगे की एक आजाद देश में चुनाव में खड़ा होने का हक तो सभी को है तो क्यो हम ठाकुरो और तिवारियो के गुलाम बने फिरे,कॉलेज के चुनाव की बातें कॉलेज से निकालकर बाहर बाजारों और घरों में होने लगी अभी धनुष और अभिषेक ने बस अपना नामांकन डाला ही था लेकिन अभिषेक ने बातो को ऐसे फैलाया की सभी जगह गहमा गहमी सी फैल गयी थी ,बात इतनी फैली की सीधे महेंद्र तिवारी के कानों में पड़ी,बात बड़ी नही थी पर अपनी जमीदारो वाली शान का क्या करे,अगर सचमे धनुष चुनाव हार गया तो उनकी साख का क्या होगा,इससे उनकी इज्जत पर सीधे धक्का लगता,महेंद्र भी सोच में पड़ गया और उसने वही किया जो वो हमेशा से करते आ रहा था,अभिषेक के बाप के घर पहुचा और उसे चेतावनी दे डाली,लेकिन साला अभिषेक तो बड़ा खिलाड़ी निकल गया उसने ना सिर्फ उसका वीडियो रिकॉर्ड किया बल्कि वहां लोगो को इकठ्ठा कर लिया,ऐसे भी लोग तिवारियो से थोड़े से नाराज रहते थे और अब तो उनके पास एक नेता भी आ गया था जो खुद भी मारने को तैयार था और ऐसे भी अभिषेक ने पहले से ही सभी को भड़का के रखा था,सभी उसके समर्थन में कूद पड़े और महेंद्र को जनमत के सामने झुकना पड़ा और वहां से वापस आना पड़ा,
ये उसके लिए और भी बड़ी चोट थी क्योकि अभिषेक ना केवल उस वीडियो को फैला रहा था,वो भी फैला रहा था की देखो जिससे तुम डरते हो वो कुछ भी नही है मेरे घर में आया था और दुम दबा के उसे भागना पड़ा…..
इज्जत को बड़ा आघात लग रहा था और धनुष का हारना भी लगभग तय दिख रहा था,इससे ना केवल महेंद्र बल्कि धनुष भी टेंशन में रहने लगा,राजनीति की समझ ना होने से पॉवर खोखली से रह जाती है और डेमोक्रेटिक देश में पॉवर का उपयोग दिमाग से ही किया जाता है…
निधि को धनुष का ये चहरा देखे नही जाता था और साथ ही अब लोगो की हिम्मत भी बढ़ने लगी थी और ऐसे ही एक वाकये ने अजय विजय को मैदान में आने को मजबूर कर दिया…

शहर का एक आलीशान बार जो तिवारियो का था ,एक पर्सनल कमरे में एक सोफे पर महेंद्र बैठा था,पास ही बजरंगी भी बैठा था,तभी कमरे में अजय विजय और कलवा आते है,सभी को देखकर महेंद्र खड़ा हो जाता है और सभी से गले मिलता है,
सभी बैठकर बातें करने लगते है महेंद्र बहुत ही परेशान सा दिख रहा था वो पूरी बात अजय को बताता जाता है जिसे सुनकर विजय का खून तो खोलता है पर अजय बड़े ही ध्यान से सुन रहा है…...
महेंद्र अपनी बात का अंत करता है …….
“मैं सभी सह सकता हु लेकिन उन्हेंने जो मेरी बेटियों (निधि और सुमन)के साथ किया वो ,हिम्मत कैसे हो गयी उनकी उनसे ऐसे बात करने की,और ये साला इंस्पेक्टर भी उन्हें अरेस्ट करने को तैयार ही नही,सभी मंत्री साले मुह फेर कर बैठ गए,क्या हो गया है हमारी इज्जत का सभी कहते ही की वो अपना हाथ नही फसा सकते अरे साले हमारा दिया ही तो खा रहे है और अब ….”ये कहते हुए महेंद्र अपना पूरा पैक एक सांस में खत्म कर देता है…..तभी एक वेटर आकर पेग बनाने लगता है ,कलवा और अजय मना कर देते है पर विजय ललचाई निगाह से उसे देखता है पर अजय के पास होने से वो भी मना कर देता है जिसे महेंद्र देख लेता है उसके चहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ….वो कोल्ड्रिंक मांगता है और विजय के कोल्ड्रिंक में चुपके से दो बड़े पेग मिला कर उसे पीने का इशारा करता है ,विजय के चहरे पर चमक आ जाती है ,अजय भी उसे शराब मिलते देखता है पर कुछ नही कहता...अजय बोलना शुरू करता है ……..
“मामाजी अब ये हमारी इज्जत पर बात आ गई है,और ये लड़का (अभिषेक)बहुत ही चालक है इसे दिमाग से ही हराया जा सकता है ताकत से नही,कोई भी नेता अपना हाथ सीधे इस मामले में नही डालेगा उन्हें भी तो वहां से वोट चाहिए.,आप फिक्र मत करो मैं देख लूंगा,धनुष चुनाव भी जीतेगा और हमारे सभी विरोधी जमीन में भी मिल जाएंगे.लेकिन मार से नही प्यार से,आप कुछ भी नही करेंगे अब से पूरा मामला मैं देखूंगा….”
एक शांति सी वहां पर छा गयी ,कलवा और बजरंगी वीर को याद करने लगे कैसे वो बड़े से बड़े मसलो पर बड़े ही शांत ढंग से सोचता था,अजय पर वीर की छाप साफ दिखती थी…….
“सबसे पहले हमे इस इंस्पेक्टर का ट्रांसफर किसी ऐसे जगह करवाना होगा की सभी को समझ आ जाय की हमारे खिलाफ जाने से क्या होता है….पर सीधे नही इसका कोई पुराना मामला निकलना पड़ेगा,फिर हमे धनुष का एक संगठन बनाना पड़ेगा जो बहुत मजबूत हो और जिसमे सभी तरह के लोग हो ,ताकि हमे सबकी सहानुभूति मिल सके,गरीब पिछडो को साथ लेना होगा,जो आपके और हमारे घरों में खेतो में मजदूरी करते है उनके बच्चों को आगे लाकर उन्हें भी दूसरे पदों में खड़ा करना होगा...फिर रही सेठो की बात तो उनकी लाइफ लाइन उनका धंधा है,उन्हें तोडना है तो उनके सभी धंधों पर चोट करना होगा,अगर तिवारी और ठाकुर अपना धंधा मिला ले और बांट ले तो हमारे सामने वो कुछ भी नही है,हर समान हम उनसे सस्ते में खरीदेंगे और सस्ते में ही बेचेंगे,उनके माल की कमी बाजार में कर देंगे उन्हें माल ही नही मिल पायेगा,फिर देखते है साले कैसे नही आते हमारे पास…आपकी नदी के किनारे जो बगीचे की जमीन है वहां से आने जाने वाली सभी गाड़ियों रो रोककर उनसे पैसे लो,आपकी जमीन से गाड़ी निकल रहे है तो आपका पैसा लेना भी जायज है और इससे उनकी लागत भी बढ़ जाएगी,लेकिन सभी सेठो से दुश्मनी नही की जा सकती कुछ को अपनी तरफ भी मिलना पड़ेगा,जो हमारे पुराने वफादार है और जो अभी चुप बैठे हुए ही उन्हें अपनी तरफ मिला लेते है ,कम से कम वो दुसरो को बस भड़का दे तो उनकी ताकत कम हो जाएगी,20 % भी हमारे तरफ आ गए तो पूरा मार्केट हम अपनी तरफ खिंच लेंगे,रही कॉलेज की बात तो जो लड़के अभी तक नही पड़ पा रहे थे उन्हें ये बताओ की ये कॉलेज ही हमने यहां खुलवाया है ,धनुष को हर बच्चे से अच्छे से बात करने को कहो,निधि और सुमन अब लड़कियों को मिलने का काम करेंगी……...जब बड़े घर के बच्चे गरीबो से प्यार से बात भी कर दे तो वो उनके गुलाम हो जाते है ,प्यार की ताकत बहुत होती है मामाजी,और प्यार बस दिखावे का ना हो वो सचमे उनकी समस्या सुने और समझे तो कुछ ही दिन में सब हमारे ही हो जाएंगे ,और रही उन लड़को की बात जो मेरी बहनों को सुना कर गए तो उनका कुछ भी करने की अभी जरूरत नही है उनमे से कई खुद ही आकर उनसे माफी मांगेंगे..बाकियों को इंस्पेक्टर ठाकुर सम्हाल लेगा…(सभी उसे देखते है) हा हालात को देखते हुए उसकी पोस्टिंग यहां करनी होगी वो हमारा भरोसेमंद आदमी है ,अगर कुछ मार पिट की नोबत आती है तो सब कुछ आराम से निपटा लेगा……….बस जीत हमारी ही होगी और लोग भी हमे पहले से ज्यादा प्यार और इज्जत देंगे,ये महज एक चुनाव नही है ये हमारे वजूद को और भी पुख्ता करने का समय है…………..”


सभी अजय को ध्यान से अपलक देख रहे थे उसका दिमाग पूरी प्लानिंग करके आया था,सभी उसकी बात से सहमत थे…………..
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RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस) - by sexstories - 12-24-2018, 01:12 AM

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