Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:10 AM,
#27
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
सोनल और विजय के बीच जो भी हुआ इससे दोनो ही बहुत कशमकश में थे,विजय तो वहां से चला गया पर वो उस हसीन से हादसे को भूल नही पा रहा था,यही हाल कुछ कुछ सोनल का भी था ,
इधर रानी और किशन भी अपने दुनिया में मस्त थे ,दोनो एक दूजे के बांहो में बांहे डाले लिपटे हुए अपने प्यार का अहसास एक दूजे तक पहुचा रहे थे,
“भाई मन करता है की युही हमेशा आपकी बांहो में रहू पर आप फिर कल मुझसे दूर हो जाओगे….”रानी का चहरा थोड़ा सा मुरझा गया,
“क्या करे बहन जाना तो पड़ेगा ही ना,पर मैं जल्दी ही आऊंगा,अपनी प्यारी बहना के पास “किशन कहता हुआ रानी के चहरे पर एक किस करता है ,दोनो के नाक एक दूसरे से टकरा रहे थे,
“हा हा जानती हु आप मुझे याद भी नही करोगे,वहां तो आपकी सुमन होगी ना,अब तो उसके बांहो में ही पड़े रहोगे दिन भर “रानी के चहरे पर के मुस्कान आ जाती है वही किशन भी मुस्कुरा देता है ,
“अरे पागल कोई भी लड़की मेरी बहन की जगह थोड़े ले सकती है ,तुम तो मेरी जान से भी ज्यादा प्यारी हो मुझे ,और रही बात सुमन की तो हा पहली बार मुझे किसी लड़की से इतना प्यार हुआ है ,ऐसे तुझे तेरी भाभी कैसे लगती है..”
रानी के चहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल जाती है और वो किशन के होठो को प्यार से एक किस करती है ,
“मेरी भीभी भी मेरे भाई की तरह मीठी है “ रानी की हसी पूरे कमरें में गूंज जाती है ,वही किशन अपने को सम्हाल कर रानी पर टूट पड़ता है और उसके गालो पर चुममनो की झड़ी लगा देता है ……….
इधर सोनल जब बाहर आती है तो विजय की हालत देखकर बहुत चिंतित होती है,विजय बाहर सोफे में बैठा हुआ बस सिसक रहा था,चहरा लाल ,आँखों मे जैसे खून उतर आया हो,सांसो को अब भी सम्हालने के कोशिस में था, सोनल की आंखों में भी आंसू थे,वो विजय के पास जाती है और बड़े ही प्यार से उसके बगल में बैठ जाती है ,सोनल अपने नाजुक हाथो से अपने प्यारे भी के गालो को सहलाती है ,विजय जैसे नींद से जागा हो सोनल को पकड़कर फुट फुट के रोने लगता है,वो अपने मजबूत बांहो में सोनल को ऐसे जकड़ लेता है मानो वो उसे अपने में मिलाना चाहता हो,सोनल के बड़ी उभार वाली छाती में सर रखकर विजय को बड़ा सुकून मिलता है वही वही सकून सोनल के मन में भी पैदा हो जाता है,वो उसके सर को अपने हाथो से सहलाती है और बड़े ही प्यार से धीरे से उसे अपने से और चिपकती है ……..
“भाई ए भाई सुन ना,रो मत यार मैं तो तेरी ही हु ना फिर क्यो रो रहा है ,जो हुआ वो हो गया प्लीज़ रोना बंद कर “सोनल अपने भाई को मना रही थी पर खुद ही रोये जा रही थी ,बड़ी देर तक दोनो इसी तरह एक दूजे के बांहो में पड़े हुए आंसू बहाते रहे ,सोनल ने माहौल को सहज बनाने के लिए फिर अपने पुराने अंदाज में कहा …
“साले हो गया अब तेरा नाटक चल जल्दी मुझे नींद आ रही है ,”सोनल ने उसे अपने से अलग करते हुए कहा ,
विजय ने घूरकर सोनल को देखा वो अपने आंसू पोछ रही थी और एक मुस्कान उसके चहरे पर था,वो फिर से उसके गालो को धीरे से सहलाती है और एक प्यारी सी चपत उसके गालो पर लगा देती है,,विजय के चहरे पर भी एक मुस्कान खिल जाती है पर वो अब भी बहुत दुखी लग रहा था,
“सॉरी बहन में बहक गया था ,”विजय के आंखों में फिर से आंसू आने लगे,सोनल उसे घूर के देखती है 
“क्या सॉरी ,साले जब हर लड़की के साथ ऐसी हरकत करेगा तो बहकेगा ही न ,ऐसे एक बात बताऊ यार सचमे बहुत मजा आ रहा था ,काश तू मेरा भाई न होता तो मैं तुझे खीचकर अपने पास बुला लेती ,,,,(सोनल के होठो पर एक शरारती मुस्कान खिल गयी)हाय रे साली किश्मत भाई से ही इतना प्यार होना था “
विजय स्तब्ध सा सोनल को देखता है जिसे देखकर सोनल खिलखिलाकर हस पड़ती है ,विजय अब भी उसे प्रश्नवाचक निगाहों से देख रहा था ,सोनल फिर उसके गालो पर अपने हाथ ले जाती है ,
“क्यो क्या हुआ कुछ गलत कहा क्या मैंने ...तू अपने दिल से बता जिंदगी में सबसे ज्यादा प्यार तूने किस्से किया है ….”विजय की आंखे अपने आप बन्द हो जाती है उसके नजरो के सामने वो सभी लडकिया घूमने लगती है जिससे कभी उसने सेक्स किया हो ,,,उसकी नजर कुछ देर को मेरी और रेणुका पर आकर रुकती है कभी निधि और अजय पर लेकिन फिर उसे सफेद कपड़े में सोनल दिखाई देती है ,मुस्काती हुई प्यारी सी मुस्कान उसके चहरे पर थी जैसे वो कह रही हो क्यो क्या देख रहा है ,बचपन से लेकर आज तक की सभी धुंधली यादे उसके जेहन में घूमने लगती है...जो पल उसने सोनल के साथ बिताये थे वो सभी उसके जेहन में एक एक कर आने लगते है ,और आखिर में आज का उसका रूप जिसपर वो दीवाना हो गया था ,खुसी से उसका चहरे खिल जाता है और …
“आई लव यू सोनल “अनायास ही उसके मुह से निकलता है 
“लव यू भाई “सोनल की आवाज कानो में पड़ते ही वो आंखे खोलता है सोनल उसके सामने मुस्काती हुई खड़ी थी ,उसे बिल्कुल भी सब्र नही रह जाता वो उससे लिपट कर उसे अपने बांहो में जकड़ लेता है ,और उसके गालो को किश करने लगता है ,वो उसके चहरे को भिगो देता है 
“आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,लव यू ,लव यू, लव यू ,लव यू”विजय पागलो की तरह यू ही उसके चहरे पर चुममनो की बरसात कर देता है ,सोनल भी अपने भाई के अपने लिए पागलपन को देखकर बस उसके प्यार को महसूस करती है …...जब विजय उसे छोड़ता है तो सोनल उसे अपने पास खीचकर उसके होठो पर अपने होठो को ठीक कर उसके होठो को प्यार से और धीरे धीरे चूसने लगती है ,दोनो एक दूजे को छोड़ते है और एक दूजे की आंखों में देखकर हल्के से मुस्कुरा देते है …
“हो गया या और भी कुछ है चल अब सोते है ,पर अब कोई प्यार नही दिखाना नही तो फिर से बहक जाएगा “सोनल विजय का हाथ पकड़कर उसे अपने बिस्तर तक लाती है ,विजय किसी कठपुतली की तरह उसके पीछे पीछे चला जाता है ,सोनल उसे बिस्तर में लिटा उसके बाजू में आकर उसे अपने बहो में भरकर एक किस उसके होठो पर देती है ,
“लव यू भाइ गुड नाईट “

दो दिन बिता और रिस्तो ने नई करवट ले ली,वो दिन भी आया जब सबको वापस जाना था,डॉ भी सुमन और उसकी माँ के साथ वहां पहुच चुका था ,सभी गांव की ओर चल पड़े,सुमन को देखकर किशन की बांछे खिल उठी और दोनों ने नैनो की भाषा मे एक दूजे को प्यार का संदेशा भेजा, पूरे रास्ते सुमन की माँ एक दुविधा में थी,
गांव पहुचने पर डॉ ने सुमन की माँ का परिचय सबसे करवाया, लेकिन कलवा वहां नही दिख रहा था,सभी बैठ कर बाते कर रहे थे कि कलवा भी वहां आ गया,उसकी नजर सुमन की माँ पर गयी दोनो की आंखे मिली और जैसे दोनो एक दूजे को देखकर हस्तप्रद हो गए,,कुछ देर वहां एक सन्नाटा पसर गया दोनो की आंखों में आंसू थे।
“भाभी आप “
“भइया आप”
कलवा ने सुमन की ओर देखा और जाकर उसे अपने गले से लगा लिया,सभी उनको बस आंखे फाडे देख रहे थे,
“माँ ये सुशीला है,बजरंगी भइया की पत्नी और ये सुमन उनकी बेटी है,है भगवान कहा कहा नही ढूंढा मैंने आप लोगो को “
कलवा के आंखे भर गई थी वही सुमन की खुशी का कोई ठिकाना ही नही था ,जो हमेशा अपने को अकेला समझती थी आज उसे उसका असली परिवार मिल गया था,वो भी कलवा को जकड़ लेती है,
“चाचा आप मे चाचा हो”
“हा बेटी और ये तुम्हारी दादी है” कलवा सीता मौसी की ओर इशारा करता है ,सीता की आंखे खुशी से डबडबा रही थी उसने अपनी बांहे फैला दी और सुमन दौड़ कर उसके गले से लग गयी,सीता ने सुशीला को भी पास आने का इशारा किया वो भी उसके गले लग गयी,
“माँ आपका एक पोता भी है,आज वो नही आया” सुशीला ने सीता से कहा,सीता ने उसके उसके सर पर हाथ फेरा,
सभी के चहरे खुसी से खिले हुए थे,किशन ने फोन कर रानी और सोनल को भी ये बात बता दी,,,,,आज इस परिवार के लिए मानो त्योहार था ,
पर इन सबके खुशियों के बीच एक चेहरा उदास था वो थी चम्पा,,,कलवा को उसकी उदासी का कारण पता था,और चम्पा के दिमाग में बस एक ही बात गूंज रही थी,
‘सुमन बजरंगी की बेटी है’ उसका चेहरा एक अजीब से तनाव से लाल हो चुका था पर शायद उस दर्द को वो नही जताना चाहती थी इसलिए वो चुपके से अपने कमरे में चली गयी,,,....

घर मे ख़ुशियाँ छाई थी,लेकिन सबसे खुश थे किशन और सुमन,वो प्रेम के पंछी अपनी ही दुनिया मे खोये थे,जहा एक ओर सुमन को उसका पूरा परिवार मिल गया था वही किशन अपने पहले प्यार के खुमार में डूबा हुआ था,मगर चम्पा की खुशियो को मानो ग्रहण लग गया हो ,उसे क्या हुआ था ये तो कोई भी नही जानता था पर उसके चहरे की उदासी बाली की भी समझ आ गयी……

बाली अपने कमरे में जाता है ,चम्पा किसी बहुत गहरे खयालो में डूबी थी ,बाली आज सालो के बाद चम्पा और अपने पुराने कमरे में गया जहा कभी उसने ऐयासिया की थी वही कमरा जो कभी उसका हुआ करता था ,पर वीर की मौत के बाद से वो कमरा बस चम्पा का रह गया था,बाली के मन में चम्पा को लेकर फिर से एक सम्मान का भाव जागने लगा था,कलवा की कोशिशो से बाली फिर से एक नई शुरुवात करना चाहता था,वो अब चम्पा से प्यार करना चाहता था जो उसने कभी भी उससे नही किया था,चम्पा तो बस इस घर में समान की तरह बन कर रह गयी थी,उसे बाली वो स्थान देना चाहता था जो चम्पा का ही था पर उसकी गलतियों की वजह से उसे नही मिल पाया था,

बाली अपने कमरे में अपना समान पहले से रखवा लिया था ,जिससे चम्पा को ये आभास हो चुका था की बाली अब इसी कमरे में रहने वाला है ,उससे उसका सामना कैसे होगा ये तो उसे भी नही पता था,पर वो खुस थी शायद बहुत ही खुस क्योकि यही तो उसके जिंदगी की एक मात्र इच्छा रह गयी थी………..

बाली की आहट से चम्पा थोड़ी हड़बड़ा कर खड़ी हो जाती है ,
“आप ……”

“हा मैं ,”बाली उसके पास जाकर बैठ जाता है और उसका हाथ पकड़ कर उसे भी अपने पास बिठा लेता है ,इतने सालो बाद दोनो साथ थे ,पूरी जवानी उन्होंने अलग होके बिता दी…

बाली को भी ये समझ नही आ रहा था की आखिर वो कहे तो क्या कहे …...शब्द तो कुछ थे नही ,दीवार जो उनके बीच थी वो इतनी बड़ी हो चुकी थी की कोई शब्द शायद अब उसे नही तोड़ पाती...फिर भी बाली ने कुछ कहना चाहा पर उससे पहले ही चम्पा बोल पड़ी 

“मुझे माफ कर दीजिये,मैं जानती हु की मेरी गलती माफ् करने के लायक नही है पर फिर भी………..मैं आपकी बहुत इज्जत करती हु.मुझे माफ् कर दीजिये …..”

चम्पा की आंखों से पानी की एक धार बह निकली शायद सालो से वो ये बाली से कहना चाहती थी पर बाली कभी उसे ये सुनने को तैयार ही नही था….

बाली भी उसके इस जस्बात को समझता था ,उसने उसके हाथो को अपने हाथो में ले लिया,

“तुमने जो भी किया उसकी सजा तो तुम्हे मिल ही गयी ,अब उन सबको छोड़कर हमे अपनी आगे की जिंदगी जीनी है ,चम्पा के आंखों में खुसी के आंसू छलक उठे बाली ने आगे बढ़कर उसे अपने गले से लगा लिया ,चम्पा के शरीर में एक झुनझुनाहट दौड़ पड़ी जो उसके इतने दिनों से दबाये गए अरमानो की वजह से आ रहा था ,बाली उससे थोड़ा अलग हुआ ,वह भी इतने सालो की दूरी से संकोच में था पर शरीर की छुवन तो अपना काम कर गई थी ,उसने चम्पा को ध्यान से देखा ,आज भी वो उतनी ही सुंदर लग रही थी ,असल में चम्पा को सूंदर कहना थोड़ा गलत होगा उसे कामुक कहना ज्यादा सही होगा,उसने अपनी जवानी में अपनी मादकता से ना जाने कितने मर्दो को अपना दीवाना बना दिया था ,उसके विशाल स्तनों की शोभा उसके कसे हुए ब्लाउज़ में चमकीले से लगते और उसके चमड़ी की लालिमा से दमकते थे ,आज वो सौंदर्य कई सालो से अनछुई थी ,इसलिए थोड़ी सी ढीली पड़ गयी थी ,पर वो मादकता का झरना अभी भी उतना ही ताजा और मिठास से भरा हुआ था ,.......
बाली की नजर जैसे ही उस पर्वत शिखर पर गयी उसकी सांसे तेज होने लगी ,जिसका आभास चम्पा को भी हो चला था,उसे इस बात से एक झुनझुनाहट सी महसूस हुई की शायद फिर से बाली उसके यौवन का रस वैसे ही पियेगा जैसा की वो पहले पिया करता था,उसके यौवन को वो निचोड़ कर रख देगा,बाली की ताकत का अंदाज उसे था वो जब भी वासना के आग में जलता था तो सामने वाली चाहे कितनी भी मजबूत हो उसे निचोड़ कर ही दम लेता ,पुरानी यादो और नई आशंकाओ से चम्पा के बदन में एक करेंट सी दौड़ गयी उसे अपनी सालो सी सूखी पड़ी हुई योनि में एक हलचल सी महसूस हुई ,मानो आज उसने अपने प्रियतम के लिए अपना द्वार खोलने की ठान ली हो...दोनो की कुलबुलाहट साफ थी और दोनो ही एक अजीब सी मर्यादा के बंधन में बंधे थे ,मर्यादा थी उम्र की और बंधन था उस संकोच का जिसे वो सालो से जीते आ रहे थे…..
दोनो ही आगे बढ़ाना चाहते थे पर क्या करे दीवार कैसे गिरे ,बाली ने कोशिस करने की सोची पर दीवार इतना बड़ा था की एक ही झटके में गिरना उसने भी ठीक नही समझ ,आज उस उमंग की शुरुवात तो हो चुकी थी ,अब वो आग उन्हें आज नही तो कल मिला ही देगा………………..

कई आग इस घर के लोगो में एक साथ लगी थी ,अजय और निधि के बीच ,किशन और सुमन के बीच ,विजय और सोनल के बीच ,,,सोनल और नितिन के बीच ,अजय और खुसबू के बीच ,,बाली और चम्पा के बीच ,,,और एक आग और थी जिसका जिक्र अभी तक नही हुआ है ,वो आग थी रेणुका और बनवारी (रेणुका का पति ) के बीच ………

पता नही कौन सी आग किसे कब जलाने वाली थी पर जो भी होना था वो तो बस होना था ………..

किशन अपनी प्रेमिका के गले में हाथ डाले अपनी ही दुनिया में मगन अपने कमरे में बैठा था ,सुमन और किशन दोनो के बीच का प्यार अपने परवाने चढ़ने लगा था ,दोनो एक दूजे के हमेशा पास रहना चाहते थे ,किशन उसके गालो को चूमता है ,
“क्यो अब तो तुम ये नही कहोगी न की मैं कहा इतना अमिर और तुम एक गरीब की बेटी “किशन सुमन को थोड़ा और कस लेता है ,
“आप ऐसे क्यो कह रहे हो ,मैं तो आपसे तब भी उतना ही प्यार करती थी जितना आज करती हु,आप चाहे कुछ भी रहो आप मेरे पति हो “सुमन एक मुस्कान के साथ कहती है और उसके गालो को चुम लेती है ,किशन के चहरे पर भी एक मुस्कान आ जाती है ,
“अच्छा जी तो अपने पति को बस किस से मनाना चाहती हो ,मुझे तो और भी बहुत कुछ चाहिए “किशन उसे थोड़ा और जकड़ता है और सुमन हँसते हुए उसे अलग होने के लिए जोर लगती और उससे छूट जाती है ,
“मैन आपको पहले भी कहा था ना की शादी से पहले कुछ भी नही ,तो…...और आप मेरे पति है लेकिन अभी आधे है जब शादी हो जाए तो पूरे होंगे ,”सुमन एक मस्तीभरी अदा से कह जाती है और किशन का चहरा थोड़ा मायूस से हो जाता है पर उसके चहरे की मुस्कान कम नही होती ,वो फिर से अपनी बांहे फैला देता है ,सुमन ना में सर हिलती है ,किशन उसे इशारे से प्लीज् कहता है ,सुमन अपने होठो पर एक हल्की सी मुस्कान लिए उसके पास आती है और उसके सीने में सर रखकर खुद को छोड़ देती है ,,,,किशन उसके बालो को सहलाता रहता है ,उसके घने बालो में वो अपनी उंगलिया फिरता है और उसके प्यारे चहरे को धयान से देखता है ,इतनी मासूमियत थी उसके इस चहरे में पर फिर भी कितनी दृढ़ता ,एक ओज का प्रवाह था जो बहुत ही शीतल था पर इस बात को भी प्रामाणिक करता था की वो कितनी मजबूत है …………
दोनो ने अपने होठो को एक दूजे के पास लाया दो काँपते हुए होठ बस मिलने ही वाले थे की एक जोरदार आवाज ने उन्हें हिला दिया..
“किशन “ किशन और सुमन दोनो ही चौककर और घबराकर उस शख्स की और देखने लगे ,चम्पा जैसे बुखार से कॉप रही हो ,आंखे लाल और चहरा गुस्से से तमतमाया हुआ,काँपते होठो से उसके शब्द तो निकल चुके थे पर वो कपन अब भी जारी थी,दोनो ही डर गए थे ……
“ये क्या कर रहा है “चम्पा की आवाज पहले से कम पर फिर भी जोर से थी,
“मा वो वो …”किशन अपनी जगह से उठता है 
“खबरदार किशन अगर मैंने आज के बाद फिर से तुम्हे इस लड़की के साथ देखा तो ,ये लड़की निकल जा यहा से और आईन्दा मेरे बेटे के पास भी मत आना …”किशन और सुमन दोनो ही भौचक्के से चम्पा को देख रहे थे और उसके बोले हुए एक एक शब्द को समझने की कोसिस कर रहे थे,दोनो को जब यह समझ आया की उन्हें क्या कहा गया है तक देर हो चुकी थी चम्पा सुमन का हाथ पकड़कर उसे कमरे से बाहर निकल देती है और किशन की और पलटकर 
“अगर तूने आज के बाद फिर से इस लड़की से संबध रखने की कोशिस की तो तू मेरा मरा मुह देखेगा”
ये बात दोनो ने ही सुनी थी सुमन रोती हुई अपने कमरे की तरफ भागी वही किशन बस अपनी मा को देखता रहा जो अभी तक इस रिस्ते से खुस थी अचानक उसे क्या हो गया था…...
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RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस) - by sexstories - 12-24-2018, 01:10 AM

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