RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर शहर में विजय किशन ,रानी,सोनल ,खुशबु,नितिन,और राकेश सभी एक बार कम पब में बैठे हुए थे अब नितिन और विजय की कुछ कुछ बनने लगी थी जिसे देखकर उनकी दोनों बहने बहुत खुस दिख रही थी ,विजय को नितिन में अजय की छबि दिखाई दे रही थी ,होती भी क्यों ना थे तो वो दोनों एक ही खून बस पता नहीं था,नितिन के अंदर अजय सी गंभीरता थी ,सभी बैठे बैठे बाते कर रहे थे ,विजय ने कुछ और भी नोटिस किया वो था सोनल और नितिन का एक दुसरे के प्रति बिहेविअर ,उसे समझते ज्यादा समय नहीं लगा की दोनों के बीच कुछ तो हो रहा है ,सोनल का यु उसे देखना और नितिन का भी उसे नज़ारे बचाकर देखना ,विजय को समझ आ रहा था की उसकी बहन उससे कुछ छिपा रही है ,पर विजय तो इतना खेला खाया हुआ आदमी था उससे कुछ छिपा पाना थोडा मुस्किल काम था ,थोड़ी देर में जब सब बिजी हो गए तो सोनल ने खुसबू को इशारा किया ,खुसबू ने नितिन को चुटकी मार कर इशारा कर दिया तीनो समझ चुके थे की क्या करना है ,नितिन टॉयलेट के लिए निकल पड़ा वही खुशबू और सोनल भी वहा से टॉयलेट के लिए निकल पड़े ,इधर राकेश एक बहुत ही खुशमिजाज पतला दुबला सा लड़का था ,जो सोनल को दीदी और रानी को बहन कहकर पुकार रहा था ,लग ही रहा था की ये सब एक दुसरे को बहुत अच्छे से जानते है ,किशन रानी और राकेश की खूब जम रही थी ,
तीनो का थोड़ी थोड़ी देर में वहा से उठाकर जाना विजय को खटक गया वो कुछ बहाना बनाकर वहा से निकल गया ,बाकि बचे तीनो लोग एक दुसरे की बातो में इतने खोये थे की उन्हें कुछ भी पता नहीं लगा ,इधर नितिन,खुशबु और सोनल निचे बेसमेंट में पहुचे खुसबू उन्हें अकेला छोड़कर वहा से थोड़ी दूर खड़ी हो गयी नितिन और सोनल एक कार के पीछे एक दुसरे के गले में बांहे डाले खड़े थे .......
"नितिन यार मेरे भाई को हमारे बारे में कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए "सोनल नितिन के गालो में हाथ फेरते हुए बोली
"लेकिन कब तक सोनल .......कभी तो हमें ये बताना पड़ेगा ना ,मैं तुमसे प्यार करता हु और प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है ना ,मैं तो चाहूँगा की आज ही तुम विजय को हमारे बारे में बताओ "सोनल घबरा जाती है
"नहीं नितिन पता नहीं विजय कैसा रियेक्ट करेगा ,ये भाई लोग होते ही ऐसे है जब खुद करे तो सब ठीक पर जब बहन करे तो ये गुस्से से आग बबूले हो जाते है ,तुम ही सोचो खुसबू हमें मिलाने में मदद करती है पर अगर तुम्हे पता चले की खुसबू किसी से प्यार करती है तो ......तो तुम क्या करोगे "सोनल की बातो से नितिन सचमे सोच में पड़ गया पर अगले ही पल उसके होठो में मुस्कान आ गयी ,
"सोनल मेरी जान मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करता हु और उसकी पसंद मेरी पसंद होगी ,हा बस वो मेरी बहन को खुस रखे ,"नितिन एक गहरी साँस लेता है और बोलना जारी रखता है
"पता है सोनल मेरी बुआ भी किसी से प्यार करती थी ,और मेरे पापा और दादा के मर्जी के खिलाफ उन्होंने शादी की ,मेरे दादा को तो बात समझ आ गयी पर मेरे पापा कभी नहीं माने और एक खुनी जंग हो गयी ,मेरी माँ ने हमें इससे दूर ही रखा वो नहीं चाहती थी की हमारे ऊपर हमारे परिवार के खून खराबे वाले माहोल का साया भी पड़े ....खास मेरे पापा मेरी बुआ को समझ पाते वो उनसे बहुत प्यार करते थे और करते है पर क्या करे ये ईगो चीज ही ऐसी है की रिस्तो को खा जाती है .....मैं अपनी बहन के साथ ऐसा कभी नहीं होने दूंगा चाहे मुझे अपने परिवार से लड़ना पड़े या अपने सीने में गोली खानी पड़े पर मैं अपनी बहन को उसका प्यार दिलाकर रहूँगा ......."नितिन के आँखों में आंसू थे वही सोनल के आँखों में भी नितिन का अपनी बहन के लिए प्यार देखकर आंसू आ गए उसे अजय और विजय की याद आ गयी ,उसने नितिन की आँखों में अपने होठो को रखा और सारा खारा पानी अपने होठो में ले ली ,सोनल नितिन के होठो को अपने होठो के पास लायी और जैसे ही उनके होठ मिलाने वाले थे ,किसी के खासने की आवाज से दोनों चौके देखा तो एक और विजय खड़ा था वही दूसरी ओर खुसबू ,दोनों ने उनकी बाते सुनी थी और दोनों के आँखों में पानी था ,नितिन और सोनल विजय को देखकर घबरा गए पर उसके चहरे में मुस्कान देख कर सोनल को राहत मिली ...उसकी आँखों में आंसू देखकर उसे समझ आ गया की उसका भाई क्या सोच रहा था ,वही खुसबू को नितिन और सोनल ने अस्चर्य चकित होकर देखा ,हुआ ये था जब बेसमेंट में तीनो आये तो साथ ही उनके पीछे विजय भी आ गया और जब विजय सोनल और नितिन की बाते सुनने को कार के पीछे छिपा तो खुसबू ने उसे देख लिया ,खुशबु दोनों को सचेत करने आई थी पर अपने भाई की बाते सुनकर वो वही रुक गयी ,सोनल दौड़कर विजय के गले से लग जाती है और अपना सर उसके छाती में छिपाकर रोने लगती है ,दोनों का प्यार देखकर खुशबू भी नितिन से चिपक कर रोने लगती है ,थोड़ी देर बाद जब सोनल विजय से अलग होती है तो विजय नितिन को अपने गले लगने का इशारा करता है ,नितिन आकर विजय के गले लग जाता है .
"अगर मेरी बहन को थोड़ी भी तकलीफ दि ना तो काट दूंगा "विजय नितिन को छोडते हुए कहता है ,सोनल उसे एक मुक्का मरती है वही नितिन हसाते हुए उसे उसके कंधे पर हाथ रखता है ,
"भाई मैं सोनल से बहुत प्यार करता हु ,पर आप से जादा नहीं कर सकता ,क्योकि भाई बहन का प्यार बहुत ही पवित्र और मजबूत होता है ,लेकिन मैं आपसे वादा करता हु की मेरे कारन सोनल को कभी कोई तकलीफ नहीं होगी ,"नितिन का इतना कहना था की विजय फिर से उसे खीचकर अपने सीने से लगा लेता है ,दोनों कन्याए भी दौड़कर उनके गले से लग जाती है ................................
शाम ढल चुकी थी रात हो चुकी थी सभी घर पहुच चुके थे आज सोनल और विजय एक कमरे में और किशन और रानी दुसरे कमरे में सोने चले जाते है 2 दिनों बाद उन्हें जाना है फिर जाने कब मिले दोनों अपनी सबसे अजीज बहनों को भरपूर समय देना चाहते थे ...
सोनल आज बहुत खुश थी खुश होती भी क्यों ना आज उसे जो सबसे बड़ा डर था वो खत्म हो गया था ,सोनल जब बाथरूम से बहार आती है तो विजय उसे देखकर दंग रह जाता है ,वो एक झीनी सी nighty में थी ,काले कलर की वो nighty सोनल के दुधिया और भरे हुए जिस्म में खूब खिल रही थी ,सबसे आकर्षक उसके जांघ लग रहे थे ,जो की अपनी मसलता लिए हुए बिलकुल खिल कर सामने आ रहे थे ,उसकी nighty उसके कमर से कुछ ही नीच निचे तक थी ,जांघे पूरी तरह से दृश्य थी वही अगर वो थोड़ी भी झुकती तो उसकी काली पेंटी भी साफ़ दिख जाती ऐसे विजय को वो भी एक दो बार दिख ही गयी ,ये nighty सोनल के जिस्म का पूरा प्रदर्सन कर रहा था ,उसके वक्षो की सोभा भी निराली थी जो बिना ब्रा के पारदर्शी कपडे से झांक रहा था पर कपडे का रंग काला होने के कारन सिर्फ हलके हलके दिखाई दे रहा था ,लेकिन अजय की निगाहे तो सोनल की जन्घो और उसके बलखाते हुए भारी निताम्भो में टिक गयी ,सोनल को जब इसका आभास हुआ की विजय क्या देख रहा है तो वो शर्मा के पानी पानी हो गयी .......विजय ने अपनी प्यारी बहन को जब शरमाते देखा तो उसे अपनी गलती का आभास हुआ पर दोनों काफी खुले हुए थे ,वो बिस्तर से खड़ा हुआ और सोनल के पास आया और उसे पीछे से जकड लिया ,विजय बस एक निकर में था ,ना अंदर ना बाहर ही उसने कुछ पहना हुआ था,अपने बहन के जवानी को देखकर उसका लिंग भी तन चूका था जिसे छोर निगाहों से सोनल ने भी देख लिया था ,और मन ही मन मुस्कुरा गयी थी .......
विजय का उसे पीछे से पकड़ना और उसके लिंग का सोनल के निताम्भो से रगड़ खाना सोनल की तो सांसे ही रुक गयी उसके मुह से एक आह निकल गयी ,वही विजय को अपने किये पर थोडा पछतावा हुआ और वो वहा से जाने लगा तो सोनल ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास खीचा और अपने एडी उठाकर उसके होठो में अपने होठो को रख दिया ,,ये बिन बोला और अनजाना सा रिश्ता दोनों के बीच बन चूका था की वो जब भी मन करे एक दुसरे के होठो पर अपने होठो को टिका देते और एक दूजे के होठो का रसावादन करते ...दोनों एक दुसरे में ऐसे डूबे की उन्हें ये भी ख्याल नहीं रहा की वो बिस्तर तक आ गए और सोनल को बिस्तर में लिटा विजय उसके ऊपर आ गया ,,,,सोनल ने अपने हाथो से अपने भाई के सर घेरे उसे अपने पास खीच रही थी ,वही विजय भी अपनी पूरी ताकत से अपने बहन के होठो के चिथड़े निकल रहा था ,उसका लिंग अब सीधे सोनल की योनी के ऊपर रगड़ खा रहा था ,परिणाम ये हुआ की सोनल का शारीर अकड़ने लगा वो अपनी कमर को उठा उठा कर उसके लिंग को अपनी योनी में रगड़ खाने में मदद कर रही थी ,उन दोनों को पता भी नहीं था की वो ये क्या कर रहे है ,असल में वो इतने खोये थे प्यार की गहराईयो में की उन्हें भान भी नहीं रहा की वो भाई बहन है ,.....दोनों की आँखे बंद थी और दोनों के हाथ एक दुसरे के सर को पकडे थे ,विजय के हाथ सोनल के सर के ऊपर थे और उसके बालो में फसे थे वही सोनल के हाथ विजय के गले के चारो ओर और वो उसे अपनी ओर खीच रही थी ,,....
विजय का हाथ अपने आप नीछे चला गया और सीधे सोनल की योनी के ऊपर जा लगा उसने अपने निकर को निकल फेका और जैसा की उसे आदत थी उसने सोनल के पेंटी को भी निकल फेका ,उसे होस नहीं था की वो किसी और लड़की नहीं बल्कि अपने बहन के साथ है ,वो बहन जो उसे सबसे जादा प्यार करती है उसे एक पल को इसका ख्याल नहीं रहा था ,,,,वो अपनी पुरानी आदतों से मजबूर था जो उसे एक यन्त्र की तरह ये सब करा रही थी,वही सोनल को ये अहसास पहली बार हो रहा था वो भी अपने मजे में ऐसे डूबी थी की उसे भी होश नहीं रहा की वो अपने भाई के साथ है ,,
विजय ने सोनल की पेंटी निकल दि दोनों के होठ अब भी मिले हुए थे और आँखे अब भी बंद थी ,विजय ने अपने विशाल मुसल को सोनल की अनछुई योनी में घिसना शुरू किया सोनल तो जैसे स्वर्ग में पहुच गयी हो वो मजे के कारन सांसे भी नहीं ले पा रही थी ,वो अपनी आँखे खोलना भी चाहती तो उसकी आँखे नहीं खुल पा रहे थे ,वही उसके शारीर का हाल उसकी गीली योनी बयां कर रही थी ,जैसे एक सैलाब सा फुट पड़ा हो विजय हलके हलके अपने हाथो से अपने लिंग को पकड़कर धीरे धीरे सोनल की गीली योनी के दीवारों पर और थोड़े अंदरूनी दीवारों पर रगड़ रहा था ,पर उसने उसे अंदर नहीं किया वो उसी तरह सोनल को तडफा रहा था जैसे वो लगभग हर लड़की को तडफाता था ,जब तक की वो कुछ अपना कमर उठा कर के उसके लिंग को अपने अंदर ना ले ले ,पर सब और सोनल की बात बहुत ही अलग थी सोनल अभी तक अनछुई थी ,वो अपने कमर ऊपर भी कर रही थी पर लिंग फिसल जाता था उसे इससे बहुत मजा आता था ,इशार विअय भी माहिर खिलाडी के जैसे अपना सर निचे लता है और उसके वक्षो को अपने मुह में भर उनका रस पिने लगता है हवास की आग ने दोनों को अँधा बना रखा था ,दोनों को आंखे खोलकर हकीकत को देखने की भी फुर्सत नहीं मिली ,तूफान आता गया बढता गया की विजय ने एक उंगली सोनल के पूरी तरह से गिले चूत में घुसा दि ....नयी नवेली सोनल के लिए ये असहनीय वार था
"आआह्ह्ह अआह्ह्ह भाई ईईईईईईईई ..........."सोनल का पूरा शारीर अकड़ गया और जैसे एक जवालामुखी फूटा हो ,कामरस का एक फुहार बड़े जोरो से फूटा और सोनल निढल होकर लेट गयी ,पर विजय "भाई ईईईईईइ "ये शब्द विजय को चौकाने वाले थे वो सर उठा कर देखता है ,निचे उसकी बहन हाफ रही थी ,विजय का चहरा शर्म और ग्लानी से लाल हो जाता है ,वही सोनल जब आंखे खोलती है तो उसे सच्चाई का आभास होता है ,सोनल का हाल भी विजय से अलग नहीं था ,दोनों की आँखे मिलती है ,कुछ भी कहने को दोनों के पास कुछ भी नहीं था ,,,
विजय अपनी हालत को देखता है और अपनी निकर पहन कर वहा से लगभग भागता हुआ बहार निकल जाती है ,और सोनल .........सोनल अपने आँखों में आंसू लिए एक टक बस छत को घूरते रह जाती है .........
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