Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:08 AM,
#20
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
सुमन को देखते ही महिला उठी और आकर उसे अपने सीने से लगा लिया ,पर जब उसे भान हुआ की साथ में कोई और भी है वो उस वक्ती को देखती है और अपने किये पर शर्मिंदा होती है ,
"डॉ साहब आइये ना ,माफ़ कीजिये हमारे घर में आपको बैठाने के लिए खुर्शी भी नहीं है ,यहाँ आइये "सुमन ने बड़े प्यार और इज्जत से डॉ को बिस्तर पर बैठने का इशारा किया डॉ बहुत ही ख़ुशी से इस आग्रह कोई स्वीकार करते है ,
"माँ ये डॉ चु....ये डॉ साहब है हमारे मालिक के खास दोस्त है और यहाँ के जाने माने इंसान है,और डॉ साहब ये मेरी माँ है "
डॉ के चहरे पर एक हलकी सी मुस्कान आ गयी लेकिन उन्होंने बता ही दिया ,
"नमस्ते मेरा नाम डॉ चुन्नीलाल है लोग मुझे प्यार से चुतिया डॉ कहते है "जहा डॉ की बात से सुमन शर्मिंदा सी हो गयी और डॉ को गुस्से से देखती है डॉ एक मुस्कान सुमन की ओर देते है वही सुशीला के चहरे का भाव बदलने लगता है ,
"चुतिया डॉ "उसकी माँ हलके आवाज में कहती है मानो अतीत की किसी यादो में कोई भुला हुआ सा याद ढूंड रही हो ,उसके चहरे के भाव को दोनों जन पढ़ लेते है ,
"क्या हुआ माँ "सुमन थोड़ी सी घबरा जाती है ,
"आप ही डॉ चुतिया है ,"वो बड़े ही आश्चर्य से डॉ को देखती है ,
"जी हा क्या आप मुझे जानती है "
"हा हा यानि नहीं जानती तो नहीं पर मैंने आपके बारे में बहुत सुना है "वो बहुत ही उत्तेजित होकर कहती है जैसे उसे कोई पुरानी बात याद आ गयी हो 
"किससे "डॉ उसे इस तरह व्यवहार करता देख उत्सुकता से पूछता है 
वो बताना शुरू करती है ,उसकी आँखों में पानी की धार थी जो कडवे अतीत की यादो से आई थी वही सुमन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की क्या बाते हो रही है और क्यों ...लेकिन डॉ ......डॉ के चहरे पर एक ख़ुशी साफ़ तौर से खिल गयी थी उसका चहरा चमकने लगा था ........

इधर घर में अजय के पास फोन आता है जिसे सुनकर उसका चहरा ख़ुशी से खिल जाता है ,बाली उसके चहरे के भाव देखकर 
"क्या हुआ अजय खुश लग रहे हो "
"हा चाचा कलवा चाचा इस घटना के बारे में जानकर वापस आ गए है ,"
बाली भी ख़ुशी से झूम गया 
"अब कलवा आ गया है तो कोई फिकर नहीं है मुझे ,डॉ को फोन लगा तो "
जी चाचा ,अजय डॉ को काल करता है 
"हल्लो अजय "
"डॉ साहब कलवा चाचा वापस आ गए "
"वो तो होना ही था ,वो आज भी उस घर का वफादार है और तुम्हारे परिवार पर कुछ आंच आये और वो ना आये ये तो नहीं हो सकता ना "
"जी डॉ हम लोग आज ही गाँव निकल रहे है ,आप भी चले कलवा चाचा आपको देखकर खुश हो जायेंगे "
"नहीं अजय मैं एक दो दिन में आता हु ,सुमन को लेकर और यार तुम भी बाद में जाना क्या जल्दी है बूढ़े के लिए अपने बूढ़े बाली चाचा को भेज दे,तू आया है तो थोडा एन्जॉय करके जाना "अजय को हसी आ गयी बाली वही बैठा उसे पूछता है क्या हुआ वो कुछ नहीं में सर हिलाता है ,
"नहीं डॉ साहब अभी एन्जॉय करने का समय नहीं है मैं और बाली चाचा गांव को निकल रहे है,किशन और विजय को दो दिनों के लिए यही छोड़ रहा हु,आप लोग साथ ही आ जाना "
"अच्छा ठीक है "
अजय और बालि गांव को निकल जाते है वही अब विजय और किशन भी थोड़े रिलेक्स हो जाते है ,कलवा का आना ही काफी था सभी को रिलेक्स करने के लिए ....दिन भर की थकान ने सभी को जल्द ही नींद के आगोश में सुला दिया ,,,
सुबह से ही सोनल और रानी कॉलेज के तैयार होने लगे वही विजय और किशन को समझ नहीं आ रहा था की वो आज क्या करे ,
"अरे भाई हमारे साथ कॉलेज चलो ना ,पर किसी को मत बताना की आप हमारे भाई हो "सोनल ने रानी को आँख मरते हुए कहा 
"लेकिन हम वहा क्या करेंगे और हम तो आजतक कॉलेज नहीं गए हम अखंड देहाती लोग है वह तुम्हारे दोस्तों के सामने तुम्हारी इज्जत जाती रहेगी ,"किशन ने यु ही कहा जिसपर सोनल की आँखों में गुस्सा भर गया ,
"किसकी इतनी हिम्मत है की मेरे भाइयो को कुछ बोल दे ,तुम लोग हमारी शान हो समझे ,और अब चुप चाप चलो हमारे साथ ,"सोनल के गुस्से को देखकर विजय को हसी आ गयी और वो उसे पीछे से पकड़ लिया .........
"अरे मेरी जान को गुस्सा आ गया ,ठीक है हम साथ चलेंगे पर तुम अपने दोस्तों से क्या कहोगी हम कोण है ,बॉयफ्रेंड "
"अरे यार भाई तुम लोग भी ना कौन पूछेगा यहाँ ,और बोल देंगे दोस्त हो "सोनल विजय की बांहों में मचलते हुए बोलती है ,
"ओके दीदी हम लोग भी तो बोर हो रहे है चलो कम से कम आपकी सहेलियों को ही लाईन मार लेंगे "किशन की बात सुनकर रानी और सोनल जोरो से हस पड़े विजय और किशन को समझ नहीं आया की क्या हुआ 
"भाई माँ ने हमें सब बता दिया है की कैसे तू और सुमन ....ही ही ही अब भी लाइन मरना है किसी को ...ही ही "रानी हस्ते हुए बोली और सोनल ने उसका साथ दिया 
वही विजय और किशन हस्तप्रद से खड़े थे ,किशन के दिमाग में ये नहीं आ रहा था की माँ को कैसे पता चला वही विजय को ये नहीं समझ आ रहा था की आखिर इस कमीने के कर क्या दिया जो चाची को भी पता चल गया....
"माँ ने यानि क्या बता दिया "
"अरे यही उस दिन गार्डन में ...."रानी बोलती हुई किशन के बांहों में झूल जाती है और उसका चहरा अपने हाथो में भर लेती है ,
"भाई मैं बहुत खुश हु की तुझे प्यार हो गया ,गार्डन में माँ ने तुम्हे देख लिया था ,सुमन अच्छी लड़की है और माँ भी इससे बहुत खुश है और मैं भी आखिर पहली बार मेरे कमीने भाई को किसी लड़की से प्यार हुआ "रानी की आँखों में आंसू था वही वो उसके चहरे को चूम रही थी ,विजय सोनल को पकडे हुए था, सोनल उनका प्यार देख खुद को रोक नहीं पायी और अपना सर उठाकर विजय को देखती है सोनल के भीगे हुए नयना विजय को प्यार का संकेत दे रहे थे वो अपना सर झुकता है और अपने होठो को उसके होठो के पास लाता है ,वो दोनों ये भी भूल जाते है की यहाँ किशन और रानी भी है सोनल भी तड़फती हुई अपने होठो को विजय के होठ से लगाती है विजय का जीभ अपने आप ही सोनल के होठो में चला जाता है ..........दोनों एक दुसरे की गहरइयो में गोते लगाने लगते है वो प्यार के अहसास में दुनिया को भूल चुके होते है ,विजय सोनल को पीछे से पकड़ा था उसके हाथ सोनल के कमर को जकड़े हुए थे वही सोनल के हाथ विजय के सर को पकडे हुए थे ,
वही रानी और किशन दोनों को आँखे फाडे देख्र रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे ये दोनों कोई प्रेमी युगल हो ....हा वो प्रेमी तो थे पर एक रिश्ते के बंधन में बंधे हुए ...रानी किशन को देखती है उसकी आँखों में एक अजीब सा आश्चर्य होता है जैसे पूछ रही हो ये क्या हो रहा है किशन भी रानी को देख कर अपने कंधे उचकता है ,पर दोनों को इस तरह से देखना उनके मनो को भी थोडा भीगा देता है ,,,रानी किशन से चिपकी हुई ही खड़ी थी वो ऊपर उठकर किशन के होठो को चूम लेती है ,किशन उसे झूठे गुस्से से देखता है वही रानी उसे एक मुस्कान देती है ,जब तक विजय और सोनल भी अलग हो जाते है दोनों को जब ये आभास होता है की सामने रानी और किशन है दोनों शर्म से गड जाते है .........
"ओह हो प्रेमी जोड़ा ,शर्म नहीं आती आप लोगो को आप भाई बहन हो या बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड जो होठो में होठो को भरकर चूस रहे हो ,और विजय भईया आपतो इमरान हासमी बन गए हो ऐसा लग रहा था दीदी के होठो को खा ही जाओगे "रानी हलके झूटे गुस्से और एक मुस्कान के साथ कह गयी ,सोनल शर्म से लाल हो गयी थी वही विजय भी अपनी नजरे नीची किये खड़े थे ,किशन अब भी आँखे फाडे उन्हें देख रहा था उसे समझ ही नहीं आ रहा था की क्या कहू और क्या करू .....ये गलत है या सही है उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ,
"क्यों क्या हुआ अब सर झुकाए क्यों खड़े हो आप लोग "रानी ने फिर से कहा 
"वो रानी वो बहन "सोनल कुछ बोलने की कोसिस करती है पर कुछ बोल नहीं पाती 
"हा क्या हुआ बोलो बोलो "
"मैं सोनल से बहुत प्यार करता हु ,और ठीक है की वो मेरी बहन है पर मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता ,और तू भी मेरी बहन है तुझे अगर ये गलत लगता है तो हमें सजा दे तेरा पूरा हक़ है हमपर ...तू मार दे या जान से ही मार दे बहन अगर प्यार करना और जाताना गलत है तो हा हमसे बहुत बड़ी गलती हुई है और हम ये गलती हमेशा करेंगे "विजय ने अपने ठोस से शब्द रख दिए उसके बोलने में एक विस्वास था जो सभी को हिला कर रख दिया,
रानी के आँखों में आंसू आ गए और सोनल ने विजय को अपनी बांहों में भर लिया ,और उसकी छाती में सर छुपा कर अपने को उसके हवाले कर दिया जैसे अब उसे कोई भी नहीं रोक सकेगा ,
"भाई मैं जानती हु आप एक दूजे से बहुत जादा प्यार करते हो ,और आप कुछ भी करो वो गलत नहीं हो सकता ,क्योकि प्यार में कुछ भी गलत नहीं होता,पर ये दुनिया की नजरो में गलत है आप हमारे सामने ये कर दिए पर दुनिया के सामने ना करे ,ये दुनिया प्यार को नहीं समझ पाती,अगर भाई बहन भी एक पार्क में बैठे बाते कर रहे हो तो भी लोग उसे गलत निगाहों से ही देखते है ,और मैं तो हमेशा चाहती हु की हमारा प्यार ऐसे ही बना रहे"रानी की आँखों से आसू आ रहे थे विजय सोनल को छोड़कर रानी को अपनी ओर खिचता है और अपनी बांहों में भर लेता है वही किशन की आँखों में भी आंसू आ जाते है और सोनल उसके गले से लग कर उसके गालो में एक चुम्मन देती है ,किशन के चहरे पर एक शरारती मुस्कान आती है और वो अपने होठो पर उंगली रखकर सोनल को इशारा करता है की यहाँ ,सोनल झुटा गुस्सा दिखा कर उसे एक मुक्का मरती है और उसके सीने से लग जाती है , सभी हसने लगते है ,किशन सोनल के बालो को सहलाता है और तभी सोनल अपना सर उठाकर किशन के होठो पर हलके से किस करती है और मुस्कुराते हुए फिर उसके छाती पर अपने चहरे को छुपा लेती है ,किशन भी मुस्कुराता हुआ उसके सर पर एक किस करता है..............

अजय घर पंहुचा सभी कलवा के आने से बहुत खुश दिख रहे थे ,खासकर सीता मौसी ...
सीता मौसी और चंपा आज एक साथ ही बैठे थे पास ही कलवा भी बैठा था,वही निधि भी कान में हैडफ़ोन डाले चंपा के गोद में सोयी थी ,अजय और बाली ने जब ये सब देखा तो वो भी दिल से खुश हो गए ,ये पहली बार था जबकी बाली ने चंपा को अपनी भतीजियो पर यु दुलार दिखाते देखा था,कलवा के आने से घर में एक सकारात्मक उर्जा का संचार हो रहा था ,कालवा ने जब दोनों को देखा तो अपनी बांहे फैला कर खड़ा हो गया दोनों उसके गले से लग गए ,जब सब कुछ सामान्य हुआ तो सभी बैठकर मस्तिया करने लगे थे ,कलवा को घर के बाकी बच्चो की याद सता रही थी ,अजय ने उसे भरोसा दिया की वो बस दो दिनों में ही वापस आ जायेंगे .....सबसे खास बात आज ये थी की चंपा भी सबके साथ साथ थी ,वो किसी किसी बात पर हलके से मुस्कुरा देती ,बाली चोर नजरो से उसे देख लिया करता कभी वो चोर नजरो से बाली को देख लेती ,पर दोनों के बीच कुछ भी बाते नहीं होती ,सालो का वैमनस्य था दोनों के बीच ऐसे कैसे ठीक हो जाता ,वही कलवा दोनों की इस दुविधा को समझ रहा था ,
कालवा से आश्रम के बारे में सुन सुन कर वह की खूबसूरती की बाते सुन सुन कर निधि को फिर से वहा जाने का मन करता है और वो चंपा के गोदी से उठकर जाकर अजय को पकड़ लेती है ,
"भाई मुझे फिर से आश्रम जाना है "
"हा चलेंगे ना "
"अभी "
"पागल है क्या अभी कहा जायेंगे ,कितना समय हो गया है शाम होने वाली है "
"नहीं अभी "निधि अजय को कसकर पकड़ लेती है ,जिसे देख सभी हस पड़ते है 
"और चड़ा के रख अपनी इस दुलारी को,कितनी जिद्दी हो गयी है "सीता मौसी उसकी टांग खिचती है ,सभी हस पड़ते है पर निधि को जैसे किसी की बातो से कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था,अजय की दुविधा देख कलवा कहता है 
"बेटा अभी नहीं जा सकते वहा और अगर चले भी गए तो क्या ही देख पाओगे ,कल सुबह चले जाना ताकि दिनभर घूम के आ जाओ "
"अरे काका कल तो कोई भी नहीं आया होगा ,कुछ दिन बाद चल देंगे जब सभी आ जायेंगे "
"आप लोग मुझे कही नहीं घुमाने नहीं ले जाते ,मैं घर में बैठी बोर हो जाती हु , मुझे आज के आज जाना है मैं कुछ नहीं जानती ,फिर मेरा कॉलेज चालू हो जाएगा तो कहोगे की पढाई करो ,कॉलेज छोड़कर कहा जाओगी ,"निधि का मुह फुल चूका था ,अजय को बुरा तो लगा पर वो जानता था की शाम होने को है और वहा जाना खतरों से खाली नहीं है ,और वो रात तक वापस भी नहीं आ सकते ...अजय को देखकर कलवा उसे अलग से बुलाता है ,
"देखो अजय अगर निधि जिद ही कर रही है तो तू उसे वहा ले जा ,वहा आश्रम में रात को सोने का इंतजाम हो जायेगा और वहा नहीं जाना चाहोगे तो मेरी एक झोपडी है ,जहा मैं रहता था , तुम वहा रुक जाना ,जो झरना तुमने देखा था बस उसके पास ही है ,तुमने देखा भी होगा ,"
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