Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:08 AM,
#18
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
किशन उसके बालो में अपनी उंगलिया फिरता है 
"प्यार अगर करने से होता तो क्या बात थी ,ये तो बस हो जाता है ,और जब तक मेरी सांसे है तब तक तुम्हारे साथ रहूँगा ,मुझे कसम है मेरे परिवार की मेरे बहनों की ,हां अगर ये सांसे ही अटक गयी तो ..."
सुमन ने अपने उंगलिया उसके होठो पर रख दिए किशन उसे देख कर अपने आँखे से हसने लगा ,सुमन बिना कुछ कहे उसके पास आई और उसके होठो के निचले फांको को काट लिया ,
"ख़बरदार आप आईंदा ऐसा बोले तो ,"दोनों ने एक दुसरे की आँखों में देखा 
"और हा मैं आपसे वो सब नहीं करूंगी ,वो सब शादी के बाद ,"सुमन इठलाते हुए बोली 
"क्या सब "किशन भी उसके मजे लेने की फ़िराक में बोल पड़ा 
"अरे वही सब जो आप उसदिन मेरे साथ करना चाहते थे और आज विजय भईया मेरी मेडम के साथ कर रही है ,और आप कमीने कही के कान लगा कर सुन रहे थे "सुमन ने एक मुक्का उसे मारा किशन हस पड़ा 
"अरे मेरी जान उसमे बहुत मजा है ,"
"होगा पर मेरे साथ नहीं करोगे शादी से पहले "
"तो किसके साथ करूँगा"
"किसी के साथ नहीं "किशन की आँखे चौड़ी हो गयी 
"यार लेकिन मुझे तो इसकी आदत है हर सप्ताह एक दो बार तो करना पड़ता है ,जान या तो तुम मान जाओ या ........."सुमन ने अपनी आँखे बड़ी करके उसे देखा 
"कितने कमीने हो आप लोग बस वही चलता है ना आपके दिमाग में ,"वो थोड़ी देर के लिए शांत हो गयी 
"अच्छा मैं आपको इतना प्यार दूंगी की आपको उसकी जरुरत ही नहीं पड़ेगी और अगर पड़ेगी तो कर लेना किसी से भी मैं मना नहीं करुँगी "किशन उसे बड़े प्यार से देखता है 
"सच्ची"
"मुच्ची"
किशन फिर उसे पकड़कर अपनी ओर खिचता है वही सुमन भी खिलखिलाते हुए उससे चिपक जाती है और किशन उसके होठो में अपने जीभ को घुसा देता है ,
ये दो प्यार के पंछी अपने में मस्त थे वही दो आँखे इन्हें देखे जा रही थी,घर की गेलरी से चंपा अपने बेटे को देख रही थी ,चंपा विजय और किशन के करतूतों के बारे में तो जानती थी पर आज मामला कुछ अलग था ,वो सुमन के लिए किशन के प्यार को पहचान पा रही थी वही उसके चहरे पर एक सुखद आश्चर्य के भाव आ गए थे ,की उसका कमीना बेटा आज प्यार में पड़ गया है ,वो दोनों को दुवाए देती अंदर चली जाती है ,

शाम होने को थी और डॉ और मेरी सभी से विदा लेकर वापस शहर चले जाते है ,चंपा का मिजाज बड़ा ही खुश था की उसके बेटे को प्यार हो गया है वही अजय और विजय अपने बहनों से सम्बन्ध को लेकर दुविधा में थे की ये क्या हो गया है ,बस होठो से होठो का मिलना ही इतनी बेचैनी ला सकता है ये किसी को भी अहसास नहीं था,निधि अब बस अपने खयालो में खोयी थी तो सोनल भी बस विजय के सपने देख रही थी,वही कुसुम और किशन एक दूजे के ख्वाबो में थे और अजय और विजय निधि और सोनल के ,पूरा घर बस एक प्यार का मंदिर सा हो गया था ,जहा किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की आखिर हो क्या रहा है ,क्या ये सही है या गलत ,.........बस सभी अपने अपने ही दुनिया में भटक रहे थे ,मेरी ने बड़े ही गंभीरता से और नम आँखों से विजय को विदा किया था जो सोनल को और दुसरे सदस्यों को भी दिखाई दे रहा था,पर सोनल के दिल में एक कसक सी उठी थी की आखिर क्यों ये हुआ ,क्यों मेरे भाई के लिए मुझसे भी जादा प्यार एक लड़की लिए हुए है ,............
शाम ढलने को थी और सभी एक अजीब उदासी के साए में थे फिर से रात आने को थी ,और कोई भी उसका सामना करने को तैयार ना था,केवल निधि को छोड़कर क्योकि निधि के लिए ये बस प्यार का एक नया आयाम था जबकि बाकियों के लिए प्यार की नयी परिभाषा ,,,...........
निधि हमेशा की तरह अजय के रूम में जाती है वही सोनल और विजय अपने अपने कमरों में थे ,अजय और निधि आपस में लिपटे पड़े थे,निधि मासूम बच्ची सी नींद के आगोश में थी वही अजय उसे अपने सीने से लगाये पुचकार रहा था ,अपनी जान से भी जादा प्यारी बहन को अपनी बांहों में कसा हुआ बस उसके अहसास में गुम था,निधि हमेशा की तरह ही एक झीनी सी nighty में ही थी और हमेशा की तरह बिना किसी अंतःवस्त्रो के थी ,अजय के हाथ उसे सहला रहे थे और निधि गहरी नींद में भी अपने भाई को जकड़े हुए सो रही थी,अजय के हाथ धीरे धीरे निधि के कमर के निचे आते है ,nighty के ऊपर से भी उसके निताम्भो की गोलइयो का आभास अजय कर पा रहा था,नाजुक और नर्म नर्म उसके नितंभ कितने मखमली और मुलायम लग रहे थे की अजय वहा से अपने हाथ ही नहीं हटा पा रहा था,वो धीरे धीरे उसे सहलाने लगा,अजय ने हलके से जोर लगाया और निधि नींद में ही कसमसा गयी ,
"भईया ह्म्म्म " निधि ने मचलते हुए कहा 
अजय सर उठाकर उसे देखता है पर निधि की आँखे अभी भी बंद थी और वो नींद में ही थी ,
अजय फिर से उसकी निताम्भो में अपने हाथ ले जाकर सहलाता है ,पर इस बार वो nighty के निचे से हाथो को ले जाता है ,,निधि के नग्गे निताभो का अहसास अजय के जिस्म में एक कपकपी सी दौड़ जाती है ,उसे यकीं नहीं हो रहा था की वो ये सब कर रहा है वो भी अपनी सबसे प्यारी बहन के लिए क्या ये गलत है ,,,,,,,,,,,,,
अजय ने अपने हाथो को पीछे खीचा और निधि को अपने से अलग करने की कोशिस की पर निधि ने उसे और भी जोरो से जकड लिया ,,
"हम्म्म "
अजय की धड़कने बढ़ रही थी वो ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था जिससे की उसके प्यार भरे इस रिश्ते की मर्यादा पर आंच आये, वो बेचैन सा वहा लेटा होता है ,आंखे तो खुली हुई थी, नींद का नामोनिशान नहीं था,....वो यही सोच में था की उसे आखिर क्या हो गया है क्या वो अपनी बहन को प्यार भी नहीं कर सकता ,...पर क्या ये प्यार था या वासना थी ...
नहीं नहीं मैं कभी अपने बहन के बारे में ऐसा नहीं सोच सकता ,ये प्यार ही है ,बस ये प्यार अब थोडा जिस्मानी हो रहा है ,और क्या हो रहा है हम तो हमेशा से ही ऐसे रहते है इसमें गलत क्या है की मैं अपनी बहन के जिस्मो से खेल रहा हु मैं उसे पसंद करता हु ,उसे प्यार करता हु इसमें कुछ भी गलत नहीं है ,,मैं उसके बिना नहीं रह सकता वो भी मुझसे दूर नहीं रह सकती तो दिक्कत क्या है , मैं क्यों इतना सोच रहा हु इस बारे में क्यों मैं तकलीफ में हु,...मैं अपनी बहन को सब तरह से प्यार करूँगा ,जो उसे अच्छा लगेगा मैं करूँगा कभी भी उसे अपने से अलग नहीं होने दूंगा .वो मेरा प्यार है मेरी चाहत है मेरी जान है मैं हमेशा ही उसका रहूँगा .....
अजय अपने खयालो में खोया था उसके आँखों से आंसू की बुँदे छलकने लगी,निधि के मासूम चहरे को देखता हुआ वो ये बाते अपने मन में अपने आप से कह रहा था ,वो उसके लिए सबसे इम्पोर्टेंट थी और अब उसके मन में कोई भी गलानी के भाव नहीं थे वो जनता था की प्यार में सब जायज है ,पर प्यार की परिभाषा क्या है ,???????????
रिश्तो की परिभाषा क्या है और समाज कोण होता है हमें ये बताने वाला की किस रिश्ते को हम किस तरह निभाए..हमारी मर्यादाओ का ठेका लेने वाला समाज हमें एक वक्त की रोटी भी नहीं खिला सकता तो मैं उसकी फिकर क्यों करू ....
अजय निधि के चहरे के पास अपने चहरे को ले जाता है और उसके होठो को अपने होठो में रखकर उसके निचले होठो को चूसने लगता है ,निधि नींद में कसमसाती है पर वो अपने भाई का साथ देने लगती है ,अजय की बेताबी अब और भी बढ़ रही थी वो अपनी फूलो सी नाजुक बहन की पूरी नाजुकता को महसूस करना चाहता था ,उस अनखिले फुल की नाजुक कोमलता को प्यार से खिलाना चाहता था ,उसके सुगंध से भर जाना चाहता था ....वो निधि के होठो को जोर से चूसने लगता ही की निधि की नींद भी खुल जाती है अजय की आंखे बंद थी और वो उसके होठो को चुसे जा रहा था ,निधि भी उसके सर को अपने हाथो से जकड़कर उसे अपनी ओर खीच लेती है और उसका साथ देते हुए अपने जीभ को अजय के होठो से भीतर जाने देती है ........
"पुच पुच पुच ,"दोनों के होठ आपस में जंग लड़ रहे थे ,अजय अपने पुरे बल का प्रयोग कर उसे खाने लगा था ,निधि की हालत भी ख़राब थी वो अजय की बेताबी से अचंभित तो थी पर अपने भाई को पूरा प्यार देने के लिए उसका साथ पुरे दिल से दे रही थी ,अजय उसके जीभ को अपने होठो से अंदर खिचता है और फिर अपने दांतों में गडा लेता है ,अजय उसके होठो के नाजुक कलियों को बस अपने दांतों और होठो से खाने की कोशिस करने लगता है ,,.....निधि भी बेताब सी उसके सर को अपने चहरे पर पूरी ताकत से दबाये हुए उसका साथ दे रही थी ,जब अजय रुका तो निधि उसपर टूट पड़ी और उसके होठो को खाने लगी ,अजय के हाथ उसके निताम्भो पर आ गए उसने उसके नग्गे निताम्भो को अपने हाथो में भरा और उस मखमली दो पहाड़ो को दबाने लगा ,अजय का ऐसा करना निधि के लिए एक उत्तेजक प्रहार था ,वो अपने को अपने भाई के हाथो सौप चुकी थी हमेशा से ही निधि अजय की ही थी ,आज अजय को भी इसका आभास हो गया ,निधि और अधिक उत्तेजित होकर उसके होठो को चूसने लगाती है और फिर दोनों तब तक अलग नहीं होते जब तक निधि बेहोश होने की हद तक नहीं आ जाती ,निधि का साँस फूलने लगा था पर वो अपने भाई से अलग नहीं होना चाहती थी ,वही अजय निधि के होठो को ऐसे पकडे हुए था की ना ही वो खुद भी सांसे ले पा रहा था ना ही निधि ही ले पा रही थी ,दोनों अलग हुए दोनों ही हाफ रहे थे एक दुसरे को देखकर वो खिलखिला पड़े और जैसे ही थोडा होश सम्हाल के उनकी सांसे सामान्य हुई वो फिर एक दुसरे के ऊपर टूट पड़े ,अब अजय का हाथ निधि के सर पर चला गया था ,उसे लगाने लगा की निधि के होठ ही इतने नशीले और आनद दायक है की उससे मन भरने में ही उसे बहुत समय लग जायेगा ,ना जाने कैसा रस था उनके होठो में जो खत्म ही नहीं हो रहा था और कैसा जनून था की वो होठो से आगे ही नहीं बढ़ पा रहे थे ..............एक प्यार की लहरों सा जो रेला चला था दोनों उसकी लहरों में सवार बस उस सफ़र का आनद ले रहे थे ....

आज सोनल और रानी के जाने का दिन था ,सभी बहुत उदास थे, रेणुका अभी भी ससुराल से नहीं आई थी,छुट्टियों इतनी जल्दी खत्म हो जाती है किसी को भी पता नहीं चलता ,दोनों ही तैयार होकर निचे आते है इसबार किशन और विजय उन्हें छोड़ने शहर जाते है साथ में सुमन भी थी वो भी अपने माँ और भाई से मिलना चाहती थी ,साथ में कुछ पहलवान भी होते है जो अलग गाड़ी से जाने वाले थे .............आँखों में आंसू लिए पूरा परिवार उन्हें विदा करने बहार आता है ,
"घर फिर से सुना हो जायेगा ,तुम लोगो के बिना "अजय सोनल के सर पर हाथ रखकर कहता है 
"भईया आप लोग कभी कभी आया करो ना हमसे मिलने और कभी वहा भी रहा करो,"
"हा सोच तो मैं भी रहा था ,पर यहाँ का काम भी बहुत हो जाता है ना ,और ये तो हमारी मिटटी है इसे छोड़कर कहा जायेंगे ,तुम लोग अच्छे से पढाई करो निधि का भी एडमिशन इस सत्र से कॉलेज में करा दूंगा ,कम से कम वो तो मेरे पास रहेगी "सोनल और रानी अजय से लिपट जाते है ,
"वी मिस यु भईया,"
अजय भी दोनों के माथे पर एक किस करता है और उन्हें बिदा करता है ,
दोनों गाड़िया अपने रफ़्तार में थी ,जिस गाड़ी में विजय और बाकि लोग थे वो आगे चल रहा था वही पहलवानों की गाडी पीछे थी ,की अचानक ही पहलवानों की गाड़ी का चक्का हिलने लगता है ड्राईवर गाड़ी स्लो करता है और सर बहार निकल कर देखता है ,
"अरे यार साला टायर पंचर हो गया "डाइवर गाड़ी रोककर निचे उतरता है सभी पहलवान निचे उतर जाते है ,विजय की गाड़ी इतनी तेजी से जा रही थी की उन्हें ये भान भी नहीं रहा की दूसरी गाड़ी पीछे रह गयी है ,दूसरी गाड़ी के ड्राईवर ने विजय को काल कर बताया की गाड़ी पंचर है ,
"ठीक है हम लोग यही रुकते है तुम लोग स्टेपनी लगा कर आओ ,"विजय ने चिंतित स्वर में कहा 
वो घने जंगल के बीचो बीच थे दूसरी गाड़ी लगभग 2-3 किलो मीटर ही दूर थी ,एक घना सन्नाटा सभी ओर पसरा था ,वही गाड़ी में बैठी लडकियों की आवाज से वो शांति का वातावरण ध्वनित हो रहा था ,
तभी कही से एक भाला फेका गया जो आकर सीधे गाड़ी के कांच को तोड़ता हुआ ड्राईवर के सीने में घुस गया कोई कुछ समझ पाते इससे पहले कोई एक दर्जन लोग हाथो में हथियार लिए गाड़ी को घेर कर खड़े हो जाते है कुछ वक्ती टंगिये से गाड़ी के सीसे पर वार करते है ,लडकियों के चिल्लाने की आवाजे पुरे माहोल में फ़ैल रही थी ,विजय इस अचानक हुए हमले से स्तब्ध था ड्राईवर के खून के छीटे अभी भी उसके चहरे पर थे ,सभी सिमट कर एक साथ हो गए थे वही कुल्हाडियो से कांच को तोड़ने की कोसिस जारी थी ,विजय फोन निकल कर सीधे पहलवानों को फोन करता है ,सभी पहलवान गाड़ी को वही छोड़कर भागते है वही दूसरी गाड़ी का ड्राईवर अजय को कॉल कर देता है ,इधर विजय अपनी पिस्तौल ढूंढता है पर आज उसकी किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी पिस्तौल उसके पास नहीं थी ,गाड़ी के सीसे टूटने को थे विजय बाहर निकल कर लड़ भी नहीं सकता है पूरी गाड़ी उनसे घिरी हुई थी और बहार निकलने का मतलब होगा की बहा बैठी लडिकियो पर वो सीधे आक्रमण करते .....विजय और किशन की आँखे मिली और जैसे उन्होंने इशारे में ही कुछ बात कर ली किशन पीछे से एक सरिया निकलकर विजय को देता है विजय अपनी तरफ के टूट रहे काच से उस सरिये को घुसा कर सामने वाले को अपने दरवाजे से हटने को मजबूर कर देता है ,जैसे ही उसे थोडा गेप मिलता है वो फुर्ती से अपने तरफ का दरवाजा खोलता है और बहार आते ही दरवाजा बंद कर देता है किशन भी फुर्ती दिखा उसे अंदर से लॉक कर देता है ,अब विजय बाहर था,कुछ लोग उसपर तलवारों से वार करते है वो अपने सरिये से उसे रोकता है सभी उसे गाड़ी से दूर ले जाने का प्रयास कर रहे थे ताकि जल्दी से जल्दी गाड़ी का कांच तोडा जा सके और अंदर आक्रमण किया जा सके ,
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RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस) - by sexstories - 12-24-2018, 01:08 AM

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