RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
"आअह्ह्ह्ह भाई ये क्या कर रहे हो,"जैसे विजय को होश आया वो जल्दी से उसे छोड़ा और उठाने को हुआ पर सोनल ने अपने हाथो से उसके सर को दबा दिया ,
"सॉरी बहन वो ...."सोनल फिर मुस्कुरा पड़ी
"सॉरी की क्या बात है ऐसे बहुत अच्छा था,मुझे तो पसंद आया ,"विजय भी मुस्कुरा दिया
"तो मुझे हटाई क्यों "
"तो क्या करती तू भाई है मेरा समझे कमीने कही के "उसने प्यार से कहा
"जब तक तू है तब तक तो मुझे सम्हाल लेगी फिर मैं क्या करूँगा ,रेणुका के जाने का पता नहीं क्यों बहुत दुःख हो रहा है "विजय में अपना मुह बनाकर कहा की सोनल को हसी आ गयी,
"तुझे दुःख नहीं हो रहा बेटा तेरी जल रही है की अब तेरे आईटम की कोई और लेगा ,"सोनल हसने लगी ,विजय ने उसकी कमर कसकर दबाया और अपनी ओर खीचा
"तेरी तो "
"आह हा हा हा ,"सोनल ने अपना हाथ उसके सर पर दबाया ,
"मुझे किस कर ना भाई जैसा कर रहा था ,"
"क्यों तू तो मेरी बहन है ना "सोनल फिर हस पड़ी
"तो क्या हुआ जब बहन बोले तो करना चाहिए समझे "सोनल इतराते हुए बोली
"भाग जा तू ,,नहीं करूँगा किस तुझे अब "सोनल ने आँखे चौड़ी की वही विजय झूठे गुस्से में भी हस पड़ा ,सोनल ने उसे अपनी और खीचा
"साले देखती हु कैसे नहीं करेगा "सोनल उसका चहरा अपने ओर खीचने लगी और विजय हसता हुआ अपने सर को इधर उधर करने लगा ,सोनल को भी हसी आ रही थी,और वो हस्ते हुए उसके होठो को अपने होठो तक लाने की कोसिस करने लगी पर वो जल्द ही थक गयी और रोनी सी सूरत बनाकर उसे छोड़ लेट गयी ,विजय को अपनी प्यारी बहन की ये सूरत पसंद नहीं आई और उसने अपने होठो को उसके होठो के पास लाकर रोक दिया सोनल मुस्कुरा उठी और उसके गले में अपनी बांहे डाल दि ,पर ना ही विजय ने ना ही सोनल ने होठो को मिलाया वो बस एक दुसरे के होठो की गर्मी को अपने होठो से महसूस करने लगे ,विजय थोडा और निचे हुआ तो उसके होठ सोनल के होठो पर टकरा गए ,पर जुड़े नहीं ,
"जनाब अब छू भी लीजिये ,या हमें ही पहले करना पड़ेगा ,"सोनल ने मुस्कुराते हुए कहा ,
"कुछ करना नहीं है जान बस होने दे ना ,तू बहन है मेरी तुझे प्यार कर सकता हु जितना तू चाहे जैसा तू चाहे पर बस प्यार हो तभी और प्यार होता है किया नहीं जाता ,ये तू ही कहती थी ना ,"
"हा मेरे समझदार भाई ,"सोनल उसके सर को दबाती है और अपने होठो से उसके निचले होठो को चूसने लगती है ,विजय अब भी कुछ नहीं कर रहा था,सोनल ने आखे बंद कर दि ,विजय ने बस कुछ देर तक अपनी बहन के होठो को फिल किया और जब उससे रहा नहीं गया तो उसने अपने हाथो को उसके सर के पीछे किया और उसके होठो पर अपने होठो को भर दिया सोनल के मुह से एक गहरी सांस निकली और उसने भी अपने बांहों का घेरा जकड लिया और विजय को जोर से अपनी ओर खीच लिया ,विजय ने अपने होठो को उसके होठो में घुसा दिया और दोनों की आँखे बंद हो गयी दोनों ही बस एक दुसरे की नाजुकता और अपने लिए प्रेम को महसूस कर रहे थे ,...दो होठ ही नहीं बल्कि दो जाने मिल गयी थी,दो सांसे मिल गयी थी ,दो धड़कने मिल गयी थी,दो जस्बात मिल चुके थे,करने को कुछ भी नहीं था बस जो था वो प्यार था ,बस एक दूजे में खो जाने की आशा और एक ही चाह....वो बहुत ही धीरे धीरे एक दुसरे के होठो को चूम रहे थे ,जब वो अलग हुए तो दोनों के ही आँखों में आसू की बुँदे थी,दोनों नाम आँखों से एक दूजे को देखते है,आँखे नाम थी और चहरे पर मुस्कान एक अजीब सी चमक चहरे में था एक संतुष्टि का भाव उन्हें घेरे हुए था,
दोनों फिर एक दुसरे को देखते है और विजय अपने होठो को उसके पास लाता है और उसके होठो पर हलके से किस कर उसे अपने बांहों में समां कर अपनी ओर खिचता है सोनल भी अपने भाई से लिपट कर उसके चहरे को देखते हुए उसके सांसो से अपनी सांसे मिलाती हुई निढल सी उसकी बांहों में सो जाती है ,,,,,...........
इधर अजय के कमरे में ,
निधि चम् चम् करती हुई कमरे में आती है तब तक अजय नहीं आया हुआ होता ,वो बचे खुचे काम निपटा कर कमरे में प्रवेश करता है कमरे में निधि को देखकर उसके चहरे में एक मुस्कान आ जाती है ,वो बहुत ही थका हुआ होता है और निधि दर्पण के सामने खड़ी हुई अपने को निहार रही थी ,अजय भी अपने कपडे निकल कर एक निकर पहन लेता है निधि को देखता हुआ हसता है ,
"अभी तक अपने को देख रही है मेरी बहन "निधि उसे देखकर एक हलकी सी हसी में हस्ती है और उसके पास जाती है अजय अपने कपडे उतर रहा होता है ,
"भाई बहुत थक गयी हु आज तो मैं ,मैं नहाने जा रही हु आप भी चलोगे क्या ,"
"नहीं अभी थोड़ी एक्सेरसयिस कर लेता हु फिर नहाऊंगा,"
"ओके तो जल्दी से करो फिर दोनों साथ नहायेंगे,"अजय उसकी बात सुनकर हलके से मुस्कुराता है ,लेकिन कुछ कहता नहीं क्योकि उसे पता था की अगर निधि ने कह दिया तो कह दिया ,अजय जाकर थोड़ी मोड़ी एकसरसाइज करता है ,जब पसीने से लथपथ हो जाता है तब थोड़ी देर के लिए हवा में बैठ कर अपने पसीने को सुखा रहा होता है ,की निधि भी उसके पास आकार बैठ जाती है ,और उससे लिपट जाती है ,
"अरे तू कपडे तो चेंज कर ले ,अभी तक इतने भरी कपड़ो में घूम रही है ,"निधि हसते हुए वहा से उठ कर अपने कमरे में चली जाती है वापस आने पर वो एक काली nighty पहने थी ,अजय को पता नहीं कुछ दिनों से क्या हो जा रहा था की वो अपने बहन के जिस्म से नजरे ही नहीं हटा पता था ,उसका निधि के लिए प्यार तो सबको ही -पता था पर यु जो उसे एक आकर्षण की अनुभूति हो रही थी वो उसके समझ में नहीं आ रही थी,निधि मुस्कुराती हुई उसके पास जाती है ,अजय भी नहाने को तैयार हो जाता है ,अजय बाथरूम में जाकर एक टब में लेट जाते है ,हलके गर्म पानी में उसे बहुत सुकून मिल रहा था ,वो निधि को देखकर पास आने का इशारा किया निधि ने अपनी nighty वही उतर कर रख दिया और नग्गे है आकर अजय के ऊपर लेट गयी ,निधि का ऐसा करना अजय के लिए कोई नयी बात तो नहीं थी पर उसे निधि के अंगो का जो अनुभव हो रहा था वो उसके लिए बहुत ही आश्चर्य जनक था ,क्योकि वो निधि के नग्गे और गुप्त अंगो को छूने से बच रहा था ,आज तक उसकी कोई भी लड़की से दोस्ती या महोब्बत नहीं रही ,उसने नारी को जाना ही नहीं था ,जो उसे पता था वो अपनी बहनों से या मौसी से पर वो केवल और केवल प्यार ही था ,
अजय की उम्र तो अब शादी की हो चली थी उसके भाइयो का सम्बन्ध कई लडकियों से था ,उसे भी वासना का पता था ,और उस क्रिया का भी जो एक मर्द और ओरत के बीच होता है पर वो निधि को एक बच्ची ही मानता था ,पर ना जाने क्यों उसे लगने लगा था की अब समय आ गया है की निधि से दुरी बनायीं जाय ,वो पगली शर्म से अनजान थी ,लेकिन अजय के लिए ये भी आसान नहीं था,निधि से दुरी वो बना भी ले लेकिन निधि ,निधि उससे दूर नहीं हो सकती .....
निधि अपने भाई की विशाल छाती पर सर रखे अपने शारीर को बस उसके हवाले कर लेटी थी ,उसके स्तनों की नुकीली गोलाईया अजय के सीने में दब रही थी वही पानी से भीगा उसका चिकना बदन अजय के बालो से भरे शारीर पर रगड़ खा रहा था ,ऐसे तो ना ही अजय को ना ही निधि को इससे कोई भी आपत्ति थी ,ना ही उनके बीच वासना की कोई झलकी भी थी पर अजय ने ठान लिया था की इस बारे में वो निधि से बात करेगा ,
"निधि ,.....निधि सो गयी क्या ,"
"नहीं भाई ,बस इतना अच्छा लगा रहा है की कुछ बोलने का मन नहीं कर रहा ,"निधि ने अचानक हलचल की और अजय से अपने को रगडा,अजय उसे अपनी मजबूत बांहों में घेरा हुआ उसके सर को सहला रहा था वही निधि अपने स्तनों को उसके बालो से भरे छाती पर रगड़ रही थी ,इसमें तनिक भर भी वासना नहीं थी पर एक अजीब सा सुकून दोनों को मिल रहा था ,
"सुन ना मेरी जान ,तू अब बड़ी हो गयी है ,अब इस तरह से हमारा रहना ठीक नहीं है ,"अजय ने डरते हुए कहा क्योकि उसे निधि का गुस्सा नहीं झेलना था ,निधि भी सर उठाकर उसे देखती है ,
"क्या ऐसे रहना मतलब "
"मतलब की नंगे रहना ,मैं तेरा भाई हु ,"
निधि ने हलके से सर उठाकर उसे देखा
"तो ,तो क्या हुआ की आप मेरे भाई हो "
"अब तू बड़ी हो गयी है बहन "
"तो ,"निधि ने रूखे हुए स्वर में कहा
"तो अब तुझे और मुझे ऐसे नहीं रहना चाहिए और क्या ,"
"क्यों "निधि के सवाल थे बड़े ही आसान पर आसान से सवालो के उत्तर देना कभी कभी बहुत मुस्किल हो जाते है ,
"क्यों क्या बोला तो बड़े हो गए है ,"
"तो "निधि ने मुस्कुराते हुए कहा
"तो ऐसे नहीं रहना चाहिए ,"अजय ने प्यार से उसके सर को सहलाते हुए कहा ,
"क्यों "निधि की मुस्कान और बड गयी थी ,
"अरे क्यों क्या यार बोल तो रहा हु की अब हम लोग बड़े हो गए है ,अब तू भी बच्ची नहीं रही बड़ी हो गयी है "अजय ने हलके से झल्लाते हुए कहा
"तो ................."एक शांति सी छा गयी और अजय ने निधि को घुर के देखा और निधि खिलखिला कर हस पड़ी ,अपनी गुडिया को हसते हुए देखकर फिर अजय सब भूल गया
"खरगोस कही की "अजय ने उसके बालो को पकड़कर उसका सर उठाया और उसके गालो में किस करने लगा ,निधि भी हसते हुए अपने भाई के प्यार का मजा लेने लगी ,दोनों के शारीर गिले होने के कारण आपस में बखूबी फिसल रहे थे अजय के हाथ उसके कुल्हो पर चले गए और वो उसे सहलाने लगा ,उसका हाथ अपने निताम्भो पर महसूस कर निधि को भी बहुत अच्छा लगने लगा और वो ऊपर उठाकर अजय के होठो को अपने दांतों से काट लिया ,अजय के चहरे पर एक मुस्कान ने घर कर लिया वो उसके बालो को पकड़कर अपनी ओर खीचा और उसके होठो पर अपने दांत लगाने लगा निधि ने अपने चहरे को हस्ते हुए हटा लिया और पलट गयी अजय का हाथ फिसलता हुआ उसके योनी के ऊपर आ गया वो उसके योनी के बालो को सहला रहा था वो की पानी से भीगे होने के बाद भी शायद घने होने के कारण पूरी तरह से भीगे नहीं थे ,अजय ने अपना हाथ ऊपर लाया जो सीधे उसके पेट से होता हुआ उसकी स्तनों के पहाड़ो पर आकर रुक गया उसके हाथ बिना किसी प्रयास के ही चल रहे थे वही निधि भी अपने भाई के प्यार में डूबी हुई उसके चहरे हो अपने बांहों में समायी अजय के गालो पर अपने चुम्मानो की बारिश कर रही थी ,
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