RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
आज विजय बहुत ही बेचैन था ,बेचैनी थी की आज हमेशा उसके साथ रहने वाली उसकी आईटम किसी और का बिस्तर गर्म करेगी ,ये सोचकर भी उसका शारीर सिहर उठता था,वो रेणुका से प्यार तो नहीं करता था पर ,,,,पर ये क्या था,आज मेरी भी उसे बहुत भाव दे रही थी पर उसे उसके तरफ भी कोई आकर्षण नहीं हो रहा था ,लगभग 12 बजे ही शादी का कार्यक्रम खत्म हुआ था और लड़की की बिदाई कर दि गयी थी ,एक दो दिन रेणुका को अपने ससुराल में रहना था फिर वो वापस हवेली पर आ जाती,विजय बिदाई के बाद ही किशन के साथ पिने चला गया ,थोड़ी देर में ही किशन भी वहा से चला गया और विजय ने कुछ जादा ही पि ली थी ,वो घर के बहार बने गेरेज में बैठा पि रहा था की उसे किसी के पायलो की आवाज सुनाई दि,सामने देखा तो सोनल और किशन खड़े थे किशन ने उसकी हालत देखकर सोनल को बुला लिया क्योकि वही थी जो उसे कुछ समझा सकती थी जबकि किशन तो उसे समझाकर थक चूका था,सोनल को देखते ही उसने अपना ग्लास छिपाने की नाकाम कोसिस की और किशन को घुर के देखा ,किशन ने हसकर उसे देखा ,
"लो दीदी अब आप ही सम्हालो मैं चला बहुत नीद आ रही है मुझे ,"सोनल ने विजय को गुस्से से घुर की विजय का आधा नशा तो जाता ही रहा ,सोनल अभी भी अपने लहंगा चोली में ही थी वो विजय के पास आकर खड़ी हो गयी,
"क्या देवदास बनकर बैठा है यहाँ पर चल उठ "उसने विजय का हाथ पकड़कर उठाने की कोसिस की ,
"तू भी बैठ ना यहाँ ,या चले जा मुझे पिने दे आज "विजय को उठाना इतना आसान तो नहीं था,
"क्या बैठ जाऊ,चल ना भाई,चल एक काम कर यहाँ से चल,ओफ्फ कितने मच्छर है यहाँ पर कितनी गन्दगी है यहाँ बैठा पि रहा है ,चल तेरे कमरे में चलते है ठीक वहा बैठकर पि लेना जितना पीना है ,और मैं रात भर तेरे साथ बैठ जाउंगी,"
"आज की रात तो बैठ जाएगी बाकि रातो का क्या होगा,"विजय अपना सर उठाकर हसता है ,सोनल को गुस्सा तो आता है पर इस हालत में उसे कुछ कहना भी उसे उचित नहीं लगता,
"तू चल रहा है की नहीं ,भाई को बुलाऊ क्या "सोनल झूठा गुस्सा दिखाकर अपना तुरुप का इक्का फेकती है ,विजय भईया का नाम सुनकर ही सहम जाता है ,और बड़ी मज़बूरी सा उठता है ,सोनल उसे अपना सहारा देकर उठती है ,उसका वजन इतना था की बेचारी फुल सी सोनल दब सी जा रही थी ,विजय अपने को सम्हालता है और सोनल को अपने बांहों में कस लेता है ,और पास रखी बोतल को पकड़कर सोनल को दे देता है,
"तेरा भाई इतना भी कमजोर नहीं है की उसे सहारे की जरुरत पड़े मेरी जान ,तू बस ये बोतल सम्हाल "सोनल मुस्कुराते हुए वो बोतल पकड़ लेती है और विजय उसे अपने बांहों में उठा लेता है ,
"आउच भाई क्या कर रहा है ,नशे में है खुद भी गिरेगा और मुझे भी गिरा देगा,"सोनल एक मुस्कान लाकर विजय के सर को सहलाती है ,
"तेरा भाई तुझे कुछ नहीं होने देगा मेरी जान ,नशे में हु लेकिन इतना भी नहीं की अपनी फुल सी गुडिया को नहीं सम्हाल पाऊ "सोनल बस हस देती है ,विजय ने शायद पहली बार उसे गुडिया कहा था,
"ओह तो मैं आपके लिए गुडिया हो गयी ,"सोनल हस्ते हुए कहती है ,
"चल बे मुझे और पीना है ,कहा चले तेरे रूम या मेरे रूम "
"तुम्हारे ही रूम चलो ,मेरा रूम तो बिखरा होगा अभी "विजय उसे उठाकर अपने रूम ले जाता है और बिस्तर पर डाल देता है ,उसके हाथो से शराब की बोतल लेकर वो एक घुट सीधे ही लगाता है ,सोनल अपने भाई के इस रूप को देखकर उदास हो जाती है और उसके आँखों में आंसू की कुछ बुँदे तैर जाती है ,जिसका आभास विजय को भी हो जाता है ,वो अपने चहरे को सोनल के चहरे के पास लाता है ,सोनल को उसके मुह से आते शराब की गंध से उबाई आती है पर अपने भाई के चहरे को देखकर वो उसी में खो सी जाती है ,विजय अपने होठो से उसके आंसुओ को पि लेता है और शराब को सोनल के मुह में लगार्ता है,सोनल उठकर बैठ जाती है ,और अपने आंसुओ को पोछकर उसे घूरती है विजय ना जाने क्या कर रहा था उसे भी इसका इल्म नहीं था,
"पागल हो गया है क्या कभी देखा है मुझे शराब पीते हुए,"विजय उसे नशीली आँखों से देखता है और
"ओह मुझे लगा की रेणुका है ,"सोनल के चहरे में झूठा गुस्सा आ जाता है क्योकी वो जानती है की विजय मजाक कर रहा है ,विजय के चहरे में भी एक मुस्कान आ जाती है ,वो उसे पलटा कर उसके कमर के ऊपर बैठ जाती है,
"तुझे आज बहुत कुछ लग रहा है अब बताती हु तुझे ,"सोनल अपने उंगलियों को विजय के कमर के पास लाकर उसे गुदगुदाती है वो जानती थी की ये विजय की कमजोरी था ,विजय हसने लगत्ता और छूटने के लिए छटपटाने लगता है ,
"हा हा हा हा माफ़ कर दे बहन अब नहीं बोलूँगा कुछ हा अह प्लीज् ना ओह प्लीज् ना हा हा अह "सोनल उसे बड़े मजबूती से पकडे हुई थी और गुदगुदा रही थी ,विजय को जब बर्दास्त नहीं होता तो वो शराब की बोतल को छोड़कर सोनल के कमर को पकड़ता है और उसे पलटा कर अपने निचे ला देता है सोनल को समझ आ चूका होता की अब बाजी विजय के हाथो में है और उसकी ताकत के सामने उसकी कुछ भी नहीं चलेगी,वो मुस्कुराती हुई अपने को उसके हवाले कर देती है ,विजय उसके प्यारे से चहरे को देखता है उसने उसे पलटाया था की वो उसे गुदगुदाए और अपना बदला ले पर सोनल के प्यारे से चहरे को देखकर वो सबकुछ भूलकर बस उसे ही देखने लगा ,सोनल के मुस्कुराते हुए फडफडाते हुए होठ ,और उसकी लालिमा उसके माथे का टिका ,उसका गोरा चहरा और बड़ी बड़ी मासूम सी आँखे ,काले पलक नैनों के निचे का वो काजल ,वाह ,....................
"कितनी प्यारी है तू मेरी जान ,"विजय ने अपने नशीले बोझिल आँखों से अपने जान की खूबसूरती का दीदार किया ,सोनल भी मुस्कुरा उठी उसने अपने हाथो को विजय के सर पर रख दिया और उसे अपने ओर खीचा ,विजय उससे गले लग कर उसे अपनी बांहों में भर लिया और सर उठाकर उसके गालो में एक भीगा सा किस दे दिया ,सोनल उसका चहरा सहलाने लगी ,विजय ने उसके नाक से अपनी नाक रगड़ी और उसके होठो पर भी एक किस कर लिया ,सोनल के होठो पर मुसकान गहरी हो गयी ,लेकिन विजय ने अब उसके निचले होठो को अपने होठो पर ले लिया और उसे चूसने लगा ,सोनल की आँखे बंद हो गयी और मुस्कान ने एक बेचैनी का रूप ले लिया ,उसके मुख से एक आह निकली और उसने अपने हाथो पर जोर देकर विजय को अपने से अलग किया .
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