RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर कमरे के बहार सोनल और रानी रेणुका को बुलाने आने वाले थे ,जैसे ही वो कमरे के दरवाजे में दस्तक देने वाले होते है ,उन्हें रेणुका की आहे सुनाई देती है ,दोनों को समझ आ चूका था की अंदर क्या हो रहा है ,उनके चहरे पर एक मुसकान फैली और वो कमरे से अलग हो इन्तजार करने लगे ,कुछ ही देर में रेणुका और विजय की एक जोरदार चीख फैलती है की सोनल और रानी आसपास देखने लगते है की कोई पास तो नहीं है ,सोनल जल्दी से दरवाजा खटखटाती है ,यहाँ विजय अपनी मर्दानगी का गढ़ा पानी रेणुका के अंदर छोड़ रहा था ,की दरवाजे में हुई दस्तक से दोनों एक दुसरे को देखकर मुस्कुराते है और अलग होकर अपने कपडे सम्हालते है ,और दरवाजा खुलते ही सोनल आकर विजय के कानो को पकड़ कर खीच लेती है ,
"अरे ये क्या कर रही है ,"
"सालो तुमको यहाँ बात करने के लिए छोड़ा था की रासलीला करने "
"अरे बात ही तो कर रहे थे ,"
"हा सालो बात कर रहे थे ,बहार तक आवाज जा रही थी तुम्हारे बात की और अगर निचे वो नगाड़े नहीं बज रहे होते ना तो निचे भी पहुच जाती ,और तुझे शर्म नहीं आती रे ,बाहर तेरा शौहर बारात लेकर खड़ा है और यहाँ तू ,...छि "सोनल ने छि तो कहा पर उसके चहरे पर मुसकान साफ थी अगर रेणुका अपना सर उठाकर देखती तो शायद उसे समझ आ जाता
"अब सर क्या झुका के खड़ी है जा जाकर बाथरूम से हो आ फिर तुझे निचे भी जाना होगा ,चल "रेणुका भागती बाथरूम में घुस जाती है वही विजय सोनल के कमर को पकड़कर अपने पास खिचता है और उसके गालो में एक चुम्मन ले लेता है ,
"थैंक्स यार तूने मेरी एक मन्नत पूरी कर दि ,"सोनल अपने को छुड़ाती है ,
"चल भाग साले तेरी मन्नत नहीं ये तेरी हवस है और जल्दी से निचे जा भईया तुझे ढूंढ रहे है "
विजय जल्दी से सोनल को एक किस करता है
"मेरी बहन ग्रेट है "और वहा से निचे चला जाता है ,
इधर किशन अपने किये पर पछता रहा होता है ,उसने कभी किसी से माफ़ी नहीं मांगी थी,पर आज ना जाने उसका दिल ये क्यों कर रहा था की वो जाय और सुमन से माफ़ी माग ले ,लेकिन वो उससे नजरे चुरा रहा था जिसका आभास सुमन को हो चूका था,ऐसे तो किशन आज भी नशे में था,पर उसके तेवर बदले से थे ,निधि और सुमन बैठे इधर उधर की बाते कर रहे थे,तभी निधि ने सुमन से कुछ लाने को कहा ,सुमन उठ कर निधि के रूम की और बढ़ी रास्ते में उसे किशन आता हुआ दिखा,किशन का धयान उसपर नहीं था ,की अचानक उसने सुमन को देखा और नजरे झुकाए थोडा अलग जा कर खड़ा हो गया ,इस बात को सुमन ने नोटिस कर लिया और उसके पास से गुजरती हुई वो रुक गयी ,किशन अपनी नजरे दूसरी तरफ किये हुए था,उसे जैसे ही आभास हुआ की सुमन उसके पीछे ही खड़ी है वो झट से पीछे मुड़ा,
"तुम "किशन की आवाज भी भारी हो चली थी ,वही सुमन उसे घूरे जा रही थी ,
"कुछ कहना है तो कह दीजिये ठाकुर साहब क्यों खुद को जला रहे है ,हम तो गरीब लोग है हमारे इज्जत की कोई कीमत नहीं होती ,फिर आप क्यों यु अपना चहरा उतारे घूम रहे है "सुमन अभी भी उसे घुर रही थी,
"मैं वो मैं "किशन के लिए कहना मुस्किल था क्योकि उसे खुद ही नहीं पता था की उसे क्या कहना है ,उसके शब्द बड़ी मुस्किल से निकल पाए,
"मुझे माफ़ कर दो ,मुझसे गलती हो गयी ,मैंने आज तक कभी भी किसी के साथ यु जबरदस्ती नहीं की है ,पर कल शायद नशे में ...."किशन आगे कुछ नहीं कह पाया उसकी नजरे अभी भी निचे थी ,वही सुमन के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी,
"आप एक नौकर से माफ़ी मांग रहे है ठाकुर साहब ये तो आपको शोभा नहीं देता ,आप तो मेरी माँ और मेरे भाई को मरने वाले थे ,आप कल जो भी करते मैं आपको ना नहीं कह पाती पर क्या हुआ की आप मुझ अभागन को बक्स दिए "किशन शर्म से पानी पानी हो रहा था,ना जाने कितनी लडकियों की इज्जत से खेलने वाला शख्स आज खुद शर्मिंदा खड़ा था,
"मुझे अपनी बहने याद आ गयी ,तुम्हारी बाते मुझे दिल से दहला गयी ,मैं तुम्हारी जगह अपनी बहनों को रखा और मेरी रूह काप उठी,मैंने कितनी ही लडकियों के साथ,,,,,,पर आज तक मैंने किसी से जबर्दस्ती नहीं की है ,मुझे माफ़ कर दो और पता नहीं तुममे ऐसा क्या है की मैं अपने को रोक नहीं पाया ,तुम मुझे अच्छी लगती हो पर वो ,,,....ओओह सॉरी मुझे .....यानी मेरा मतलब है की मैं ......मैं जबर्दस्ती नहीं करना चाहता था,लेकिन वो ..." किशन को कहने को शब्द नहीं मिल रहे थे वही किशन का मतलब समझ सुमन की दिल की धड़कने बदने लगी उसे समझ नहीं आ रहा था की वो कैसा रियेक्ट करे ,जो आदमी कल उसकी इज्जत लुटने वाला था वो आज उससे डर रहा है यही नहीं वो कह रहा है की वो मुझे पसंद करता है ,सुमन बड़े ही उलझन में फस चुकी थी ,वो ये भी जानती थी की किशन झूट नहीं कह रहा है और ना ही एक्टिंग ही कर रहा है ,उसने छोटी सी उम्र में बहुत दुनिया देखि थी ,उसे अच्छे बुरे का ज्ञान तो था ,ना जाने कितने लोग उसे बुरे नजरो से देखते थे ,और ना जाने कितनो ने उसे खरीदने की और पटाने की कोसिस की थी पर उसने कभी आपने आत्मसम्मान से समझोता नहीं किया था ,लेकिन आज जो शख्श उसके सामने था वो झूट नहीं कह रहा था ,उसे तो पता ही नहीं था की वो कुछ कह गया वो बात उसके दिल के किसी कोने से अनजाने में निकल गयी थी जिसे वो रोकना चाहता था,पर किशन की बातो में कितनी भी सच्चाई क्यों ना हो सुमन को ये पता था की किशन उससे दिल से प्यार नहीं कर सकता ,और कर भी लिया तो कभी उसे अपना नहीं बनाएगा ,कहा किशन कई करोडो का मालिक और कहा वो एक नौकरानी,....उसने अपने होठो में आती मुस्कान को सम्हाला और इस बात के आभास ने उसके होठो में मुस्कान की जगह एक दर्द भरी उदासी ला दि ,वो अपने मुफलिसी के दर्द का अहसास कर मुस्कुरा पड़ी ,
"हम नौकर है साहब ,हमें पसंद कीजिये ,हमारा इस्तमाल कीजिये लेकिन दिल से ना लगाइए,"सुमन के होठो की दर्द भरी मुस्कान ने किशन के दिल को छल्ली छल्ली कर दिया ,सुमन वहा से चली गयी और किशन ......वो बस उसकी बातो की गहराई और दर्द के आभास को महसूस करता खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा........
इधर
अजय और बाली बैठे बाते कर रहे थे की एक नौकर भागता हुआ उनके पास आया ,
"ठाकुर साहब वो कोई मेहमान आये है साथ में कोई मेमसाहब भी है ,"अजय ने बड़े ही आश्चर्य से उसे देखा वो बाली के साथ बहार गया ,एक बड़ी सी कार खड़ी थी और एक औरत काले कलर की साड़ी पहने उस कार के पास खड़ी थी ,उसके गोर रंग और मादक जिस्म पर वो साड़ी कमाल की लग रही थी ,कहा जाय तो जैसे सनी लिओन काले साड़ी पहन कर खड़ी हो ,अजय उसे पहचानने की कोसिस कर ही रहा था की बाली के मुह से निकला ,
"अरे मेरी तुम लोग आ गए ,"अजय को याद आया की ये तो मेडम मेरी है ,डॉ चुतिया की सेकेटरी ,उसने नजरे घुमाई उसे डॉ कार से थोड़ी दूर अजय के गार्डन में एक पौधे को बड़े गौर से देखते हुए दिखाई दिए ,मेरी आगे बढकर बाली के गले लगती है और फिर अजय के इससे अजय थोडा गबरा जाता है जिसे देखकर बाली और मेरी दोनों हस पड़ते है ,
अजय और बाली फिर डॉ के पास जाते है ,
"अरे डॉ साहब क्या देख रहे हो ,"बाली उसके पास जाता है डॉ उठकर उससे गले मिलता है ,और अजय उसके पैर छूता है पर डॉ उसे भी अपने गले लगा लेता है ,
"कुछ नहीं यार बस इस पौधे को देख रहा हु ,ये बूट जोलोकिया है ना ,"सब उन्हें आश्चर्य से देखते है ,
"ये तो मिर्ची का पौधा है डॉ साहब ,अभी इसमें मिर्च नहीं आये है पर हमरे एक दोस्त ने इसे गिफ्ट दिया था ये इसे असम से लाये थे ,बस एक ही पौधा है ,"
"हम्म सायद तुम्हे नहीं पता इसका नाम है बूट जोलोकिया ये विश्व की सबसे तीखी मिर्चियो में एक है ,इसे नागा चिली भी कहते है और बहुत से नाम है इसके ,इसे अलग ही रखना और कभी नग्गे हाथो से नहीं छूना ,अगर इसमें मिर्च लग जाय तो बढ़िया है वरना ऐसे मौसम में ये सायद ही होगा ,"डॉ बड़े गंभीरता से बता रहे थे की मेरी ने कहा ,
"विजय कही दिखाई नहीं दे रहा है "उसकी बातो से जहा अजय घबरा जाता है वही डॉ के चहरे में मुस्कान आ जाती है ,
"आप लोग अंदर आइये ना "अजय बड़े requast के भाव से कहता है ,
विजय जब निचे आया तो उसे मेरी और डॉ दिखाई दिए ,मेरी को देखकर उसके दिल की धड़कने बढ़ने लगी थी,मेरी से उसकी नजरे मिली तो दोनों के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,
"आज तो ये माल ही लग रही है इसे तो मैं घोड़ी बनाकर चोदुंगा,"विजय ने मन में कहा ,वही किशन भी मेरी को देखता ही रहा ,और विजय से उसके बारे में पूछा ,विजय ने उसे सिर्फ फॉर्मल इनफार्मेशन दे डी ,दोनों जाकर डॉ और मेरी से मिले ,और फिर अपने कामो में बिजी हो गए ,
बारात आ चुकी थी ,कार्यक्रम अपने सबाब पर था,दुल्हे की तरफ से भी जादा लोग नहीं थे ,अजय को शादी जल्द से जल्द निपटाने की जल्दी थी इस शादी के कारन वो कई दिनों से अपने काम में धयान नहीं दे पा रहा था,उसे शहर के माल की डील भी पूरी करनी थी ,वो डॉ और बाली के साथ बैठा हुआ था वही मेरी निधि और सुमन के साथ बाते कर रही थी ,सोनल और रानी दुल्हन को तैयार करने में बिजी थे और विजय और किशन बरातियो को खिलाने पिलाने में ,डॉ और बाली बात कर रहे होते है ,
"अरे बाली इस लड़के के घर में कौन कौन है ,"
"बस डॉ साहब बाप, सौतेली माँ और 3 भाई और है इसके वो दूसरी माँ से ही है ,"
"और इसकी माँ "
"उसका देहांत हो गया है ,काफी पहले इसकी माँ के देहांत के बाद इसके बाप ने दूसरी शादी की और फिर पास के ही गाव में आकर रहने लगे ,पहले इसका बाप शहर में रहता था,वही काम करता था ,वो रहा उसका बाप किशोरीलाल "डॉ उसे ध्यान से देखता है ,एक दुबला पतला सा आदमी लेकिन चहरे पर एक तेज झलक रहा था,और व्यक्तित्व में एक तेज दिखाई पड़ रहा था,
"दिखने में तो ये अच्छे घर का लगता है ,और इसका बेटा तो इसके जैसे बिलकुल नहीं दिखता देखो ना ,"डॉ की बात सुनकर बाली हसने लगा ,डॉ भी हसने लगा ,
"अरे डॉ साहब आप भी ना ,हमेशा चीजो को शक की निगाह से देखते है ,मैं इसके बाप को कई सालो से जानता हु ,जब से वो शहर छोड़ कर इधर बसा ,अच्चा आदमी है सीधा साधा सा मेहनती है ,बेचारा "
"सीधा साधा ,ह्म्म्म चहरे से तो लगता नहीं "डॉ ने हलके से कहा ,
"मिलवाओगे नहीं "डॉ ने बाली से कहा ,
"हा हा क्यों नहीं ,अरे अजय जरा किशोरीलाल को बुला तो ."अजय जाकर उसे बुलाता है वो आकर हाथ जोड़े खड़ा हो जाता है ,
"ये डॉ साहब है ,हमारे खास दोस्त है शहर से आये है ,"किशोरीलाल हाथ जोड़कर नमस्कार करता है,
डॉ पास पड़े एक कुर्सी को दिखाते हुए कहते है "अरे बैठो बैठो "
किशोरीलाल हाथ जोड़ता हुआ "अरे साहब आप लोगो के साथ बैठे ये हमारी औकात कहा ,"डॉ के चहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ,
"अरे आज तो तुम दुल्हे के बाप हो बैठो ना यार "डॉ जिद करके कहता है ,वो बाली की ओर देखता है ,बाली भी उसे बैठने का इशारा करता है,वो डरते हुए वहा बैठ जाता है,
"तो तुम शहर में काम करते थे ,"डॉ ने सवाल किया ,
"जी साहब "
"कहा "
"जी वो .....वो शारदा काटन मिल में ,मिल बंद हुआ तो काम की तलाश में इधर आ गया ,"
"ह्म्म्म कहा के रहने वाले हो ,"
"जी बिहार का "
"लहजे से तो बिहारी नहीं लगते ,"
"वो ......वो बचपन से ही मिल में काम कर रहा हु ना ,बचपन में घर से भाग गया था और यहाँ आकर काम करने लगा फिर कभी वापस ही नहीं गया ,"
"हम्मम्मम्म पहली पत्नी कहा की थी तुम्हारी "थोड़ी देर एक सन्नाटा सा हो जाता है,किशोरीलाल के आँखों में आंसू आ जाता है ,बाली को लगता है की डॉ कुछ जादा ही सवाल जवाब कर रहे है ,वो इशारे में डॉ को रुकने को कहते है वही डॉ बाली को बस चुप रहने को कहता है ,
"पता नहीं कहा की थी मिल में मजदूरी करती थी ,उसका भी कोई नहीं था और मेरा भी कोई नहीं था तो मैंने उससे शादी कर ली ,पर मिल में लगी आग से वो ,"वो फफक कर रो पड़ा ,डॉ को याद आया सालो पहले मिल में आग लगी थी ,आग छोटी थी और एक औरत के जलने की खबर आई थी जिससे बहुत बवाल भी मचा था ,
"लगता है बहुत ही जादा प्यार करते थे अपनी बीवी से ,"
"जी हा ,मुझे माफ़ कर दीजिये की मैं इस तरह ,"
"नहीं नहीं मुझे माफ़ करो की मैंने तुम्हारे जख्मो को कुरेद दिया ,"डॉ उसके कंधे पर अपना हाथ रखते है और उसे शांत करने लगते है ,
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