Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:05 AM,
#10
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
"हा बिलकुल ऐसे भी वहा तू अकेली हो जाती है ,कुसुम पढ़ी लिखी भी लगती है उसे हम तुम्हारे साथ कॉलेज में दाखिला भी दिला देंगे और उसका और उसके परिवार का पूरा खर्च उठायेगे "निधि उछल पड़ी और अजय के चहरे को किस करने लगी वो उसके पुरे चहरे को भिगो दि,अजय हसता रहा ,
"चलो बहुत हुआ प्यार अब सो जाओ कल सुबह जल्दी उठकर तैयार होना है ,और जल्दी से गाव जाना है,"निधि ने लास्ट किस उसके होठो पर दि और उसके सीने से लगकर सोने लगी ...

सुबह ही सब तैयार होकर चलने को हुए ,सुबह से सुमन भी अपना समान पकड़कर आ चुकी थी,आ उसने एक हलके रंग का सलवार कमीज पहने था,उसके कपड़ो से ही उसके असली आर्थिक हालत का पता चल रहा था,लेकिन निधि को वो बिलकुल भी पसंद नहीं आया उसने तुरंत उसे अपने कमरे में ले जाकर अपने कपडे पहनने को दे दिया ,एक जीन्स और कमीज में अब उसका रूप कुछ खिलने लगा था,सब गाव के लिए निकल पड़े,गाव में उनका स्वागत करने को पूरा घर मौजूद था ,सिवाय उनके चंपा चाची के,निधि में सबको सुमन से मिलवाया ,रानी दौड़कर किशन के गले लग गयी वही सोनल सीधे बाली चाचा के तरफ भागी,अपनी बच्चियों को देखकर बाली भी बहुत खुस था,किशन को रानी छोड़ ही नहीं रही थी,सोनल उसके पास पहुच कर उसके गले से लग गयी,रानी ने भी अपने आशु पोछे और और किशन ने भी ,सोनल ने धीरे से पूछा ,
"और मेरे भाई ,लाली भाभी कैसी है,"किशन का चहरा लाल हो गया,
"क्या दीदी आप भी ना सबके सामने ,वो तो खड़ी है देख लो ना,"रानी और सोनल खिलखिला पड़े और सीता मौसी की तरफ बढे,मौसी ने बड़े ही प्यार से दोनों को दुलारा,और अजय को देखते हुई बोली 
"रेणुका की तो शादी कर दिया तूने अब तेरी दोनों जवान बहनों का भी कुछ सोच ,इनके भी हाथ पीले कर दे अगले साल "रानी और सोनल ने बुरा सा मुह बनाया वही मौसी और अजय हस पड़े...
"मौसी इन्हें पड़ने दो जितना पड़ना चाहे फिर तो शादी करना ही है ,हम तो नहीं पढ़ पाए पर अपनी बहनों को तो खूब पढ़ाउंगा ,"दोनों लडकिय अजय से आकर चिपक गयी ,
"देख कही जादा पड़कर वही शादी ना कर ले "मौसी ने दोनों को चिढाते हुए कहा 
"इनका भाई अभी मारा नहीं है ,जो इन्हें भाग के शादी करना पड़े ,मेरी बहने जिसे पसंद करेगी इनकी शादी उनसे ही करूँगा,अपने आप को बेच दूंगा पर अपनी बहनों के लिए हर खुसी ला के दूंगा,"अजय जैसे खुद से बात कर रहा था,दोनों उसके चहरे को देखने लगे वही मौसी के चहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान घिर गयी ,और रानी और सोनल की आँखों में अपने भाई का प्यार देखकर पानी आ गया ,उन्होंने अपनी एडी उची की और एक प्यार भरी पप्पी अजय के गालो में दि ...
"चढ़ा ले इन्हें भी ,एक तेरी छोटी है ,इतना चढ़ा के रखा है,"मौसी ने प्यार से अजय को देखते हुए कहा ,अजय ने निधि की और देखा वो सुमन को घर दिखा रही थी और नौकरों को उसके रूम तैयार करने को कह रही थी ,सुमन बेचारी को अपने भाग्य पर जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था,जो लड़की उसे गलिया देकर मार रही थी उसके कारन उसकी जिन्दगी सवर गयी ,वो निधि को बड़े ही प्यार और सम्मान से देख रही थी,जिसे वो उसके लिए भगवन हो,वही किशन की नजरो को विजय ने पढ़ लिया जो सुमन को देखे जा रहा था,विजय उसके पास जाकर बोला,
"सोचना भी मत साले ,निधि और भईया का हाथ है उसपर,"किशन के चहरे पर एक कातिल मुस्कान खिल गयी ,
"अच्छा इसलिए आप अभी तक पीछे हो "विजय भी हस पड़ा 
"अरे यार इतनी तो लडकिय छानी है हमने एक नहीं सही ,"
"ह्म्म्म बात तो सही है भईया पर इस लड़की में कुछ तो बात है ,"विजय उसे घूरता है 
"क्या बात है बे हवसी ,लाली से जादा खुबसूरत है क्या,बेचारी सवाली सी दुबली पतली है "
"भईया ये थोड़ी तैयार हो जाए और आँखों में काजल लगा ले ना तो देखना आप भी दीवाने हो जाओगे"विजय हँसाने लगा
"तुझे ही मुबारक हो ऐसी कलि मैं तो खिले हुए फूलो को भी रुला देता हु ये तो मर जायेगी ,"किशन विजय की ओर देखता है ,
"ह्म्म्म तो मैं इसे खाऊंगा ,लेकिन थोडा आराम से रिस्क जादा है निधि को पता चला तो मार डालेगी .."दोनों हसने लगे..
रानी किशन के पास पहुचती है ,
"भाई माँ कहा है ,"
"होगी अपने कोपभवन में ,इस घर में कुछ ख़ुशी हो तो उन्हें ही सबसे जादा तकलीफ होती है ना "किशन छिड़ते हुए कहता है,रानी के आँखों में आंसू आ जाता है ,
"भाई ऐसा मत बोल ,आपके और मेरे सिवा उनका है ही कोण इस दुनिया में ,"सोनल भी पास आ जाती है ,वो समझ चुकी थी की रानी क्यों दुखी है ...
"चल रानी चाची से मिलकर आते है ,"सोनल ने उसके कंधे पर हाथ रखा ,रानी उसके सीने से लग के रोने लगी विजय भी ये सब देख कर उनके पास पहुचता है ,वो रानी के कंधे पर हाथ रखता है ,
"देखो भले ही चची हमारे बारे में जो भी सोचे पर हमारे लिए तो वो माँ जैसी है है ना ,"विजय बोलता चला गया 
"पहले इस घर में जो हुआ वो हुआ पर अब हम सबको मिलकर उन्हें फिर से हसना होगा ,हम सब यहाँ खुसिया मनाये और हमारी माँ वह अकेली बैठी रहे ये कैसे हो सकता है,"
"पर भईया आप तो जानते हो माँ की आदत वो इस घर की खुशियों में कभी सरिक नहीं होती ,पापा तो उनसे बात भी नहीं करते वो अकेले ,"किशन बोलते हुए थोडा उदास सा हो गया,
"अब नहीं मेरे भाई हम सब की मिलकर उन्हें मनाना चाहिए ,चाचा उन्हें नहीं माफ कर पाए पर अजय भईया ने उन्हें हमेशा ही अपनी माँ माना है ,और अब चाची को हम फिर से अपने परिवार का हिस्सा बनायेंगे,"सोनल ने चहकते हुए कहा की सभी को उम्मीद की एक किरण दिखने लगी सभी चंपा के कमरे की तरफ जाने लगे ,
रानी और किशन कमरे में जाते है वही सोनल और विजय बाहर ही रुक जाते है ,दोनों को देखकर चंपा उछल पड़ी और दौड़कर रानी को अपने सीने से लगाकर रोने लगी ,
"मेरी बच्ची तू आ गयी "
"हा माँ और आप निचे क्यों नहीं आई सब लोग थे बस आप नहीं थी "चंपा के आँखों में पानी आ गया और उसका गला भर सा गया था,वो थोड़ी देर तक बस चुप ही रही ,फिर बड़ी मेहनत करके कुछ बोल पायी ,
"बेटी मैं वहा आकर सबकी ख़ुशी ख़राब नहीं करना चाहती थी ,"सोनल और किशन कमरे में आते है ,जिसे देख कर चंपा थोड़ी असहज सी हो जाती है ,
"आपको किसने कहा की आपके आने से किसी को तकलीफ होगी ,बल्कि आपके आने से तो हमें ख़ुशी होती ,आप भी तो हमारी माँ है ना "अब तक सोनल के आँखों में भी पानी आ चूका था,चंपा अपना सर निचे किये थी और कोई भी जवाब नहीं दे रही थी,विजय ने आगे बड़ते हुए चंपा के हाथो को थाम लिया ,
"चाची हम बचपन से ही माँ के प्यार के लिए तरसे है ,बाप का प्यार तो हमें बाली चाचा और अजय भईया ने दिया है ,पर क्या हम आपके बच्चे नहीं है ,सालो पहले जो हुआ वो बस हादसा था,उसकी अपने आपको और हमें इतनी बड़ी सजा मत दीजिये ,आप हमारी माँ है चाची ,"चंपा नज़ारे निचे किये हुए रो रही थी ,जिस परिवार को उसने आजतक इतनी नफरत दि थी वही उसे इतना प्यार करता है चंपा ने कभी सोचा ही नहीं था,जब से अजय ने उसकी जान बचायी थी वो अंदर से पश्चाताप में जल रही थी ,लेकिन वो कभी भी ये किसी से नहीं कह पायी थी ,,बाली आज भी उससे उतनी ही नफरत करता था जीतनी वो पहले किया करता था,इधर सोनल और विजय भी रोने लगे थे किसे पता था की इस विशाल देह में भी एक मासूम सा धडकता दिल है ,चंपा से अब रहा नहीं गया वो मुड़ी और जाने को हुई लेकिन उसी समय किसी ने उसके पैरो को जकड लिया एक सुबकी सी उसके कानो को सुनाई दि ....उसने बिना निचे देखे ही खुद को आगे धकेला पर वो मजबूत हाथ थे जिसके कारन वो हिल भी नहीं पा रही थी ,उसने मजबूर होकर निचे देखा तो उसका मुह खुला का खुला रह गया ...अजय उसके पैरो को पकड़ा र्रो रहा था ,चंपा ने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी ,हुआ ये की अजय ने जब सबको जाते देखा तो वो भी धीरे से उनके पीछे चल दिया उनकी बाते सुनकर उससे रहा नहीं गया और वो अंदर आकर चंपा के पैरो को पकड़ लिया,
"चाची क्या हमसे कोई गलती हुई है जिसके वजह से आप हमसे दूर रहती है ,क्या हमें आपके प्यार पाने का कोई हक़ नहीं है ,"ये चंपा के लिए बहुत ही जादा था उसके सब्र का बांध अब टूट ही गया वो फफक कर रो पड़ी और अजय को उठा कर उसे अपने सीने से लगा लिया ,
"नहीं अजय मैं तुम्हारी गुनाहगार हु,मेरी वजह से ही भईया भाभी की मौत हुई है ,मैंने ही तुम्हारे चाचा को उनके भाई से अलग किया ,पूरी गलती मेरी है मेरे बेटे ,मैं माफ़ी के काबिल नहीं हु,वीर भईया तो भगवान थे जिन्होंने मुझ जैसी लड़की को इस घर की बहु बनाया पर मैंने क्या किया इस घर को तोड़ने की कोशिश की ,अगर मैं ना होती तो शायद भईया भाभी जिन्दा होते और इसपर भी तुमने मेरी जान बचाई ,तुम भी वीर भईया जैसे हो मेरे बेटे और मैं अब तुम्हारी खुशियों में नहीं आना चाहती ,"चंपा अजय को ऐसे गले लगायी थी जैसे जन्म की प्यासी को ,जैसे कई जन्मो से इसी पल का इन्तजार था ,आज वो अपने गुनाहों की माफ़ी मांग रही थी जो वो हमेशा मांगना चाहती थी ,अजय उससे अलग हुआ और उसके चहरे को अपने हाथो में थाम लिया उसने बड़े प्यार से उसे देखा,
"चाची जो भी हुआ वो तो हो चूका है ,अब हम नयी सुरुवात करते है ,आप हमारी माँ है और हमारे खुशियों और दुःख में सरिक कोने का आपको पूरा हक़ है ,हम सब यही चाहते है की आपके चहरे में फिर से एक मुस्कान आ जाय,"चंपा के चहरे में एक मुस्कान फैली वो कोई सामान्य मुस्कान नहीं थी ,बहुत ही दर्द के बाद जेहन से आई थी ,उसमे ममता भी था और पश्चाताप भी ,उसमे दर्द भी थी और खुसी भी ,चंपा ने अजय के माथे को चूम लिया ,उसके नयना अब भी धार बहा रहे थे..बाकि सभी बच्चे भी आकर उनसे लिपट गए ,थोड़े इमोशनल ड्रामे के बाद सब अलग हुए और अपने कमरों में गए ,...

सभी लोग बस शादी की तैयारियों में व्यस्त थे ,लडकिया सजने सवारने की तैयारिया कर रही थी ,ऐसा लग ही नहीं रहा था की किसी नौकरानी के बेटी की शादी है ,सभी उसे घर का सदस्य ही मान कर जुटे हुए थे ,घर को सिंपल सा सजाया गया था,और पूरा परिवार बहुत खुस नजर आ रहा था,सुमन भी अब घर में घुल मिल गयी थी वो हर वक्त ही निधि के साथ रहती और जो निधि कहती बस वही करती ,निधि को तो जैसे एक प्यारी सहेली मिल गयी थी,सुमन भी कुछ ही दिनों में खिलने लगी थी ,निधि उसे किसी गुडिया जैसे सजाती थी ,उसने उसे नए नए कपडे दे रखे थे ,लगता ही नहीं था की वो कोई आश्रित है ऐसा ही लगता था की वो परिवार की कोई सदस्य है,सभी भाई बहन मिलने की खुसिया मना रहे थे और अब चंपा भी पूरी तरह साथ थी ,अजय बाली को मना चूका था बाली चंपा से बात तो नहीं करता पर उसके वहा होने से कोई समस्या भी नहीं थी,इधर बारात के एक दिन पहले निधि की जिद थी की हल्दी के कार्यक्रम के साथ महंदी और डांस का भी कार्यक्रम करे,ऐसे अजय को ये सब आफत सा लग रहा था ,पर बहनों की खुशियों को नजरंदाज भी नहीं कर पा रहा था,उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था ,सभी घर के लोग हल्दी खेलने में बिजी थे सब एक दुसरे को दौड़ दौड़ कर हल्दी लगा रहे थे ,बस सबकी हसी ठहाको से पूरा घर गूंज रहा था,काम करने वाले नौकरों और मजदूरों को भी नहीं छोड़ा जा रहा था,वो बेचारे थोड़े नर्वस भी थे ,इतने बड़े घर की लडकिय उन्हें हल्दी लगा रही थी ,कुछ की आँखों में पानी था तो कोई उन्हें दुवाए दे रहा था,ठाकुरों की यही बात उन्हें सबसे अलग और लोकप्रिय बनाती थी की वो इंसानों का सम्मान करते थे और उनसे इंसानों जैसे ही बर्ताव करते थे,,,
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