RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
शहर के कमरे के का र्रूम अजय आज अपनी सोच में डूबा था और खाना खा कर सीधे रूम में आ गया ,निधि और रानी अपने कमरे में ख़रीदे हुए कपड़ो में बीजी थे वही सोनल विजय के साथ हाल के एक कोने में रखे सोफे पर लेती थी ,वो विजय के गोद में अपना सर रख कर लेटी हुई थी और विजय उसके बालो को सहला रहा था ,यार आज डॉ चुतिया के पास गए थे ने क्या हुआ वहा,
क्लिनिक की बारे में सोचकर उसे मेरी की याद आ जाती है,और उसके चहरे पर एक मुस्कान खिल जाती है,जिसे सोनल भाप जाती है,क्या हुआ मेरे हीरो क्यों मुस्कुरा रहा है ,
"अरे यार क्या बताऊ,उसकी सेकेटरी मेरी वाह "सोनल ने उसे आश्चर्य से देखा
"क्या वाह कर रहा है,तेरे जैसे कमीने सिर्फ एक चीज के लिए लडकियों को देखते है,"विजय सोनल को घुर के देखता है जो हलके हलके मुस्कुरा रही थी,
"बहुत बात करने लगी है तू,(थोड़ी देर रूककर )ऐसे सच भी है,लेकीन आज तो मजा ही आ गया ,"विजय एक अगड़ाई लेते हुए कहा ,सोनल को समझ तो आ गया था की उसका कमीना भाई क्यों कुछ तो कर के आया होगा ,उसने आँखों से इशारा किया क्या हुआ
विजय हसता हुआ उसे सारी बाते बताता गया और सोनल मुह खोल के उसकी करतूत सुनती रही ,जब उसे पता चला की विजय के साथ KLPD हो गया तो वो जोर जोर से हसने लगी की उसका पेट दुखने लगा,वो सोफे एस गिरते गिरते बची वही विजय बुरा सा मुह बनाया हुआ था ,जब सोनल का हसना थोडा कम हुआ तो उसने विजय के मुह को अपने हाथो से दबाया ,
"कोई बात नहीं भाई उसकी भी ले लेना ,ऐसे उसने तुझसे वादा किया है तो निभाएगी ही ना,ऐसे उसका नाम सुनकर तेरा शेरखान बिलकुल तन गया है ,"सोनल फिर से हसने लगी ,विजय का डंडा खड़ा होकर सोनल के सर को चुभ रहा था,विजय थोडा असहज हो गया पर सोनल के हसने पर उसे थोड़ी रहत मिली ,उसने सोनल के गालो पर एक चपत मारी
"अपने भाई से ऐसा मजाक करती है,"सोनल उसे घूरती है
"भाई ,वाह रे मेरे भाई,तुझे बताने में और करने में तो शर्म नहीं आई अब तू भाई बन रहा है साले"विजय और सोनल दोनों मुस्कुरा पड़े ,विजय सोनल को धयन से देखता है,माथे पर लगा छोटा सा टिका जो उसके गोरे मुखड़े को प्यारा बना रहा था,वो एक ढ़ीले से टी शर्ट और बोक्सर में थी जो उसके घुटनों के ऊपर था ,कपड़ो के ढीले पण के बावजूद उसके कटाव साफ़ दिख रहे थे,उसके छातिके उन्नत पहाड़ विजय की कोहनी से हलके रगड़ खा रहे थे ,जिसका आभास दोनों को ही नहीं था ,वासना का कोई नामो निशान उनके बीच नहीं था ,पर विजय उसकी सुन्दरता में खो गया था और सोनल भी अपने भाई की मर्दाना छाती में उगे बालो को अपने हाथो से सहला रही थी ,उसे तो सिर्फ उसके भाई ही मर्द लगते थे बाकी लडको में वो ,वो वाली बात ही नहीं पाती थी ,
"क्या देख रहा है भाई,"सोनल धीरे से कह पायी
"बस देख रहा हु मेरी बहन कितनी सुन्दर है,"
"झुटा कही का ,तेरी itams से जादा सुंदर थोड़ी होंगी तेरी बहने "विजय उसे अपने बाजुओ में भरकर अपने सर को निचे उसके चहरे के पास लाता है ,
"दुनिया में कोई ऐसी लड़की नहीं है जो मेरी बहनों से सुंदर हो ," विजय सोनल के गालो पर अपने होठो को रख देता है ,लेकिन हटाता नहीं और अपनी थूक से उसे गिला कर देता है,सोनल के चहरे पर एक मुस्कान खिल जाती है और वो अपनी बाजुओ को विजय के गले में डाल लेती है और अपनी ओर खिचती है ,विजय उठाकर उसे देखता है ,सोनल की प्यारी मुस्कराहट में वो खो जाता है ,
"भाई आई रेली लव यु ,तू हमेशा मुझे ऐसे ही प्यार करेगा ना ,"विजय सोनल के नाक से अपनी नाक रगड़ता है ,
"कोई शक"सोनल हस पड़ती है और उसे अपनी बांहों में भर लेती है ,थोड़ी देर में दोनों उठकर अपने रूम में जाते है वह निधि और रानी अब भी कपड़ो को लेकर ही बाते कर रही होती है निधि अभी भी वही सुबह वाला स्कर्ट पहने बैठी थी ,विजय पीछे से जाकर उसे कस कर पकड़ लेता है,
"क्या मेरी खरगोश तुझे सोना नहीं है क्या,"सब उसे प्यार से खरगोश बुलाया करते थे ,निधि उसकी बांहों में मचल कर अपना सर उठा कर उसके गले को किस कर लेती है,ये देख कर रानी की आँखों में आंसू आ जाता है ,
"क्या हुआ दीदी "
"मुझे किशन की बहुत याद आ रही है ,हम सब यहाँ साथ है और वो वहा अकेला ,"
"कोई बात नहीं दीदी कल तो जा ही रहे है ना ,"
"हा और तू फिकर मत कर वहा उसका ख्याल रखने के लिए लाली है ना,"सोनल की बात से रानी रोना बंद कर उसे मार देती है वही सोनल और विजय हसने लगते है ,लाली किशन की पर्मनेट वाली जुगाड़ थी ,(जुगाड़ ही कहूँगा क्योकि गर्ल फ्रेंड कहना गलत होगा ),निधि सब को हस्ते हुए देखकर सबका मुह देखने लगी उसे ये बात समझ नहीं आया की लाली दीदी किशन भईया का धयान कैसे रखेंगी ,आखिर उसने विजय से पूछ ही लिया ,,विजय मुस्कुरा कर उसके गालो में किस कर लिया
"कुछ नहीं मेरी खरगोश चल रात हो चुकी है तू सो जा ,कहा सोएगी "
"अरे ये तो भईया की चमची है वही सोयेगी उनके साथ "
"मुझे भईया बिना नींद नहीं आती समझी "निधि ने अपना बुरा सा चाहरा बनाते हुए कहा ,जिसपर सभी हस पड़े
"तो शादी के बाद क्या करेगी जब अपने पति के साथ सोना पड़ेगा "
"भाग जाओ मुझे नहीं करना शादी वादी आप कर लेना ,मैं नहीं छोड़ने वाली अपने भाइयो को"निधि की प्यारी बातो ने सभी के चहरे पर फिर से एक मुस्कान खिला दिया और वो सभी के गालो में किस करके वह से अजय के रूम चली गयी .....
अजय अपने ही सोच में गुम बिस्तर में शून्य को निहारते बैठा था,वो अपने माँ बाप के कातिलो के बारे में सोच रहा था ,की अगर तिवारी नहीं तो और कौन और कैसे पता लगाया जाय ,और क्या करने वाले है .....या क्या कर सकते है ,
अपनी सोच में घूम अजय को पता ही नहीं लगा की निधि कब उसके कमरे में आई ,अजय का बस एक छोटी निकर में लेटा था निधि ने कमरा बंद किया और अजय के पास जाकर खड़ी हो गयी ,तभी अजय के दिमाग ने उससे कहा की अपनी बहनों का सोच की इस लड़ाई में तू उनकी रक्षा कैसे करेगा उसे सबसे पहला ख्याल निधि का ही आया ,निशि उसकी जान ,निधि,
निधि का चहरा उसके सामने आ गया वो अपनी प्यारी बहन के लिए तड़फ गया ,क्या उस मुसीबत का साया निधि पर भी पड़ सकता है,नहीं मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगा,वो मेरी जान है अपनी जान देकर भी उसे आच नहीं आने दूंगा ,अजय की आँखों में अनायास ही आसू की बुँदे छलक पड़ी जो निधि ने देख लिया ,वो अजय के इस हाल से व्यथित हो गयी ,वो अजय के सामने जाकर बैठ गयी अजय की नजर जैसे ही उसपर पड़ी उसने उसके गालो को अपने हाथो से छुआ उसे अब भी ये एक सपना ही लग रहा था,निधि हलके से मुस्कुराई,उसने उसके गले में अपने हाथ डाल कर अपनी ओर खीच लिया ,निधि किसी गुडिया सी जाकर अजय के बांहों में समां गयी ,
"मेरी जान जब तक मैं हु तुझे कुछ नहीं होने दूंगा ,मैं अपनी जान भी तुझपर कुर्बान कर दूंगा मेरी बहन,मेरी जान "अजय रोने लगा निधि को कुछ समझ नहीं आ रहा था की भईया ये क्या बोल रहे है,वो अजय को जकड कर उसके सीने में छुप गयी अजय ने भी उसे कसकर जकड़ा,और उसे सहलाने लगा ,अजय को ये अजीब लग रहा था की वो सपने में भी उसे इतना कैसे फील कर पा रहा है ,उसने अपने को झटका और निधि को अपने से अलग किया,निधि के चहरे पर उदासी थी और आँखों में पानी ,
"क्या हुआ मेरी जान "उसने निधि के गालो को सहलाते हुए कहा ,
"आप रो क्यों रहे हो ,"निधि के प्यारे से बोल ने अजय के चहरे पर मुस्कान ला दि ,
"कुछ नहीं तू नहीं थी ना मेरे पास इसलिए ,"
"अब तो हु ना ,"निधि उसके आंसुओ को अपने होठो से पि गयी और फिर उसकी बांहों में समां गयी ,अजय ने उसे फील किया आज वो स्कर्ट पहने थी ,
"निधि ये सपना है या सच ,"निधि हलके से हस पड़ी
"ही ही ही क्यों क्या हुआ ,"
"रोज तो तू,nighty या टी शर्ट पहनती है और आज ये स्कर्ट और रोज तो तू अंदर कुछ नहीं पहनती और आज तो तूने पहना है "अजय का हाथ उसके कुलहो पर था ,वो उसकी पेंटी को छूते हुए बोला ,जिससे निधि खिलखिला कर हस पड़ी ,
अजय स्तब्ध सा उसे देख रहा था ,
"क्या भईया अभी तो दीदी के रूम से आ रही हु,आप भी ना पता नहीं कहा गम हो ,चलो चेंज करके आती हु आज नयी nighty लायी हु देख के बताना कैसी है ,"निधि वह से उठ गयी ,उस भोली बच्ची को तो अजय की बात से कोई फर्क नहीं पड़ा पर अजय जरुर असहज हो गया,ये क्या बोल गया मैं,यानि वो सच में मेरे सामने थी ,उसने उठकर एक गिलास पानी पिया सामने देखा तो निधि उसके सामने ही कपडे बदल रही थी वो एक आइने के सामने सिर्फ अपने अंतःवस्त्रो में थी और फिर वो उसे भी उतारकर अपनी नयी nighty पहनने लगती है ,
ऐसे तो अजय निधि को बचपन से ही बिना कपड़ो के देख रहा था,पर आज कुछ हुआ ,कुछ ऐसा जिसे अजय भी नहीं समझ पा रहा था,वो अपनी बहन के बदन से नजरे नहीं हटा पा रहा था,क्या शारीर दिया था बनाने वाले ने निधि को बिलकुल साचे में ढला हुआ,गोरा बदन की छू दो तो गन्दा हो जाय,तरसा हुआ संगमरमरी उसके नव यौवन से उन्नत वक्ष ,जो अपनी पूरी गोलियों में थे ,और दर्पण से भी साफ़ झलक रहे थे ,निचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि ,फिर एक पर्वत सा गोलाई लिए कमर का निचला हिस्सा ,दर्पण से उसके जन्घो के बीच का जंगल दिख रहा था ,और केले के ताने से उसके सुडोल जंघा,वाह कुदरत ने भी बड़े प्यार से बनाया था,
अजय बिलकुल ही निर्दोष और मासूम निगाहों से निधि को घुर रहा था पर जब निधि अपनी झीनी सी काले रंग की nighty जो उसके एडी से कही ऊपर थी और निताम्भो को बस ढक पाने में समर्थ थी ,उसके उजोर दो पतले से धागे सम्हाले हुए थे ,लेकिन पर्दारसी होने के कारन पूरा शारीर हो दिख रहा था,निधि अजय को घूरता देख शर्मा गयी और अपनी निगाहे निचे कर ली ,अजय ने अपने हाथो से उसे अपने पास आने का इशारा किया पर वो हया की मूर्ति सी बस लाज की घूँघट ओढे सर झुकाय कड़ी थी ,अजय मुस्कुराता हुआ उसे देखने लगा ,शर्माती हुई उसकी बहन और भी प्यारी लग रही थी वो उठा और उसके पास आकर उसे पीछे से जकड लिया ,
"मेरी बहन शरमाने लगी है "दोनों के जिस्म की गर्मी ने उन्हें एक मादक अहसास दिया जिससे निधि के मुह से अनायास ही आह निकल पड़ा ,
"आप ऐसे घुरोगे तो शर्माऊगी ही ना ,क्यों घुर रहे थे ऐसे ,"निधि अपना सर उठा कर अजय को देखती है ,और अजय अपने होठो को उसकी आँखों में रख देता है,
"क्योकि मेरी प्यारी बहना रानी आज बहुत ही प्यारी लग रही है ,"निधि ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपने भाई के प्यार में खो गयी,अजय के होठो को अपने आखो में महसूस करके वो शांत हो गयी और अपने होठो को ऊपर उठाया और एडी को ऊपर उठाकर उसने अजय के होठो पर के चुम्मन रसीद कर दि ,अजय ने भी अपने बहन को मुस्कुराते हुए पलटा और उसे अपने मजबूत हाथो से उठा कर अपनी बांहों में ले लिया ,वो चलता हुआ बिस्तर पर जाकर बड़े ही प्यार से उसे वह लिटाया और उसके बाजु में आकर लेट गया,निधि उसकी ओर पलट कर उसके छाती के बालो से खेलने लगी ,अजय उसके सर में अपना हाथ फिरता हुआ अपनी बहन के प्यार को महसूस करने लगा ,
"भईया वो सुमन है ना ,माल वाली लड़की .उसे मैं अपने साथ रखूंगी ,उसे मैंने गाव बुला लिया है और वो कल हमारे साथ ही जाएगी ,भईया क्या आप उसकी माँ और भाई का खर्च उठाओगे "अजय निधि के दिल को जानता था ,वो बड़ी ही मासूम और नर्म दिल की थी बस कभी कभी उसका बचपना भारी हो जाता था और अजय के लाड प्यार की वजह से जिद्दी हो गयी थी ,
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