Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:04 AM,
#7
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर .....
डॉ के केबिन से निकलते ही मेरी की कातिल हसी ने विजय को मदहोश कर दिया वो उसके पीछे पीछे किसी पालतू की तरह जाने लगा,मेरी की बलखाती कमर और उभरे हुए गांड ने विजय की सांसे बढ़ा दि थी,एक तो मेरी का कातिल शारीर उसपर उसकी कातिल अदाए,विजय की हालत ही ख़राब थी,मेरी उसे बहार बने काउंटर पर ले गयी,और वही सोफे पर बैठा दिया,
"आप क्या पीना पसंद करेंगे,"बड़ी ही लिज्जत से अपने छातियो को विजय की ओर झुकाती हुई बोली ,विजय की निगाहे उसके बंद कबुतारो पर अटक गए जो बस फुदकने के लिए बेताब थे,विजय ने अपने सूखे गले से थूक को निगला और बड़ी मुस्किल में कह पाया ,
"जो आप पिला दे,"मेरी उसकी ये हालत देख जोर से हस पड़ी,और अपनी होठो पर अपनी जीभ फिर कर बोली ,
"चाय काफी या पानी क्या पियोगे,"विजय ने अपने मन में सोचा ,साली अगर मेरे गाव में होती तो अभी तक इसे पटक के चोद चूका होता,क्या करू भईया भी साथ है ,चांस लू या रहने दू,नहीं नहीं भाई को पता चल गया तो ,ये साली बहका रही है,कुछ तो हिम्मत दिखानी पड़ेगी हम भी ठाकुर है,विजय ने अपना गला साफ़ करते हुए अपने चहरे पर एक स्माइल लायी और 
"मेडम जी दूध नहीं मिलेगा क्या,"विजय के चहरे पर एक हसी खिल चुकी थी की उसकी पूरी हिचक जाती रही ,वो पहले तो मेरी के बड़े बड़े बालो को देखा फिर उसके चहरे को मेरी के होठो में भी एक मुस्कान आ चुकी थी,
"नोटी बॉय ,दूध पीना पी तो टॉयलेट में आ जाओ,"विजय के तो जैसे बांछे खिल गए ,वो बड़ी बेताबी से मेरी के पीछे आया ,टॉयलेट में पहुचते ही मेरी ने दरवाजा बंद कर दिया ,और उसके ऊपर टूट पड़ी जैसे सदियों से पयासी हो ,ऊपर उसके शर्ट से बहार निकलते कबूतर विजय के लिए खास आकर्षण थे उसने देर नहीं करते हुए उसके शर्ट के बटन खोलने लगा ,पर मेरी ने उसका सर पकड़ कर अपने होठो के पास ले आई और उसके होठो को अपने होठो में भरकर चूसने लगी ,जैसे विजय को कुछ समझ नहीं आ रहा हो ,आज तक वो ही लडकियों पर भरी रहा था ,पर आज ये क्या हो रहा था ,एक औरत उसपर भरी हो रही थी ,विजय ने अपनी ताकत का इस्तमाल किया और मेरी को अपने दोनों हाथो से हवा में उठा दिया मेरी तो जैसे चुहक ही गयी ,विजय उसके कमर को पकड कर उसे किसी गुडिया की तरह उठा लिया और उसके जन्घो को अपने सर तक ले आया ,उसने उसकी स्कर्ट में अपने सर को घुसा दिया ,और बड़े ही सुखद आश्चर्य में पड़ गया क्योकि मेरी ने कोई भी अन्तःवस्त्र नहीं पहने था,उसकी कोरी बिना बालो की योनी उसके होठो के पास थी,उसने अपना सर उठाया और अपने होठो पर मेरी को बैठा दिया मेरी उसकी ताकत से हस्तप्रद सी हो गयी वही जैसे ही विजय ने अपनी नथुनों से उसकी योनी को जोर से सुंघा उसके नथुनों से आती हवा ने मेरी के योनी पर प्रहार किया और मेरी की योनी ने तेजी से पानी छोड़ना शुरू कर दिया विजय अपने जीभ को निकाल कर सीधे ही उसके योनी के दोनों फाको के बीच रगड़ने लगा,उसे उस नमकीन पानी का आभास हो गया मेरी विजय के सर में बैठी थी और उसके बालो को अपने हाथो से जकड रखा था,वो विजय के जानवरों जैसे ताकत और तरीके की दीवानी होती जा रही थी ,आज तक ना जाने कितने लोगो को उसने अपने जिस्म का स्वाद चखाया था पर ये पहला शख्स था जो मेरी पर भारी पड़ रहा था,और उसे अपने काबू में कर लिया था,मेरी के दिल से यही बात निकली साला मर्द तो यही है,बाकि सब तो ...???
विजय अपने जीभ का कमाल दिखा कर मेरी को पागल ही कर दिया था,विजय के अंदर का जानवर जगाने लगा था जो की जब जाग जाये तो बड़ा ही खतरनाक हो जाता है ,विजय उसकी योनी को ऐसे खा रहा था जैसे कोई कुत्ता किसी चाकलेट केक को खाए ,अपने पूरा सर उसने उस छोटे से छेड़ में डालने की ठान ली थी,उसके दांत जब जब योनी को रगड़ते मेरी की आहे निकल पड़ती उसे इतना मजा आ रहा था की उसके आँखों से आंसू आने लगे ,
"अआह्ह्ह आह्ह ओ ओ ओ बेबी बेबी सक इट सक इट ,माय होली जीजस मैं मर जाउंगी ओह ओह ओह बेबी ,नो नो नो "विजय ने अपने दांतों से उसकी योनी की दीवारों को काटना चालू कर दिया हलके हलके किये वार ने मेरी की हालत इतनी ख़राब कर दि की वो विजय के बालो को नोचने लगी ,उसने पूरी ताकत से विजय के बालो को उखाड़ने लगी पर विजय नहीं माना वो रोने लगी ,हा लेकिन वो आंसू मजे के थे मजे के अतिरेक के ,वही विजय को पहली पबार इतनी दुधिया गोरी और चिकनी चुद मिली थी जिसके फांके भी गुलाबी थे वो उसे कैसे छोड़ देता ,मेरी अपने सर झुका के विजय के गले तक ले आई और उसके दांतों से जो भी चमड़ी आई उसने अपने दांत गडा दिए ,पर वो तो साला हवसी जानवर ,सांडो की ताकत वाला विजय था इस फूल का प्रहार उसपर क्या असर करता पडले में वो उसका कमर उठा कर अपने दांतों को उसकी योनी में रगड़ दिया ये प्रहार मेरी नहीं सह पायी और एक जोरदार चीख के साथ झड गयी ,उसे इसका भी भान नहीं रहा वो क्लिनिक में है,विजय का चहरा पूरी तरह से भीगा हुआ था उसने उसके पानी को चूस चूस कर पिया उसे भी इस बात का इल्म ना रहा था की वो क्लिनिक में है ,उसने मेरी को निचे उतरा तो मेरी जैसे मरी हुई थी,बिलकुल बेसुध लेकिन उसके चहरे पर तृप्ति के भाव थे पर विजय का डंडा तो अब पुरे जोर में खड़ा था जसने उसके स्कर्ट को निकल फेका पर मेरी की हालत देख थोडा रिलेक्स करने की सोची मेरी को अपने सीने में चिपका लिया ,मेरी बेसुध सी उसके ऊपर अपने को पूरी तरह से छोड़ चुकी थी ,थोड़ी देर बाद रिलेक्स होकर जैसे ही मेरी आँखे खोली उसने विजय को पकड़ कर एक जोर का किस उसके होठो में दिया 
"थंक्स विजय तुमने जो किया वो कोई नहीं कर पाया "
"अरे थंक्स छोड़ अब मेरा भी..."विजय इतना ही बोला था की दरवाजे में खटखट हुई ,आवाज अजय की थी जिसे सुनकर विजय का खड़ा डंडा पूरी तरह से मुस्झा गया उसे याद आया की मेरी किस तरह चीखी थी,वो डर और शर्म से पानी पानी हो गयी वही मेरी की हसी निकल पड़ी,विजय ने उसका मुह दबाया और 
"बस आता हु भईया दो मिनट "विजय बड़ी ललचाई नजरो से उसके योनी को देखा फिर उसके तरबूजो को ,उसका चहरा यु उदास हो गया था जैसे किसी बच्चे के हाथो से कोई चोकलेट छीन ले,मेरी उसकी ये स्थिति देख उसके गालो में बड़े ही प्यार से किस किया और 
'कोई बात नहीं मेरी जान ,मेरी इस गुलाबो में आजतक सिर्फ दो ही मुसल गए है,एक तो डॉ का और एक मेरे पति का लेकिन तुझे भरोसा दिलाती हु तीसरा तेरा होगा,तूने तो मुझे खुस ही कर दिया "विजय को उसकी बात से थोड़ी रहत मिलती है वो जल्दी अपनी हालत दुरुस्त कर वह से निकलता है मेरी अब भी अंदर थी बहार अजय नहीं होता वो अपने भाई की इज्जत बचने के लिए क्लिनिक के बहार निकल गया था,विजय सर निचे किये हुए अजय के पास पहुचता है ,अजय उसके चहरे के डर को देखता है और उसे अपने भाई पर बड़ा प्यार आता है ,और उसके चहरे पर एक मुस्कान आ जाती है पर वो कुछ कहता नहीं और वो घर की ओर चल देते है,.....

जब दोनों घर पहुचे तब तक सभी देविया तैयार होकर अपने भाइयो का वेट कर रही थी,सोनल और रानी ने सामान्य सा टी शर्ट और जीन्स पहना हुआ था पर निधि कही दिख नहीं रही थी,
"निधि कहा है ,"अजय ने पहला प्रश्न किया 
"वो तैयार हो रही है ,"सोनल ने चिढ़ते हुए कहा ,उसकी बात सुन कर अजय को समझ आ गया था की जरुर निधि इन दोनों को परेशान कर दि होगी ,
"कैसे अभी तक तैयार नहीं हुई "
"अरे भईया महारानी जी को कोई भी कपडा पसंद ही कहा आता है ,मेरे और रानी के सभी कपडे देख लिए बड़े मुस्किल से एक स्कर्ट उसे पसंद आया है ,प्लीज् आज उसके लिए उसकी पसंद के बहुत सारे कपडे ले दीजियेगा नहीं तो वह जाकर हमें परेशां करेगी,"सोनल थके हुए आवाज में बोली ,जिसपर अजय हस पड़ा 
"हा ठीक है उसे जो भी पसंद आएगा सब ले लेना और तुम लोग भी अपने लिए अच्छे कपडे ले लेना ,और हा मैं तो भूल ही गया था ,तुम सब अपने लिए डिसाईंनर लहंगा भी ले लेना और रेणुका के लिए भी तो लेना है कपडे ,और सबके लिए 2-3 लेना नहीं तो वहा जाकर झगड़ोगी "सोनल और रानी का चहरा खिल गया ,ऐसे तो वो अजय से कुछ मांगने में हिचकिचाते थे पर निधि हो तो उन्हें कोई गम नहीं ,निधि को आगे करके अजय से अपनी हर मांग पूरी कर लेते थे ,लहगे का आईडिया भी सोनल ने निधि के दिमाग में डाला था,दोनों खुस थे की आज तो जी भर के शोपिंग करेंगे ....तभी निधि बहार निकली और सब उसे बस देखते ही रह गए वो इतनी प्यारी लग रही थी उस ब्लैक स्कर्ट में,उसका दुधिया गोरा मासूम सा चहरा जो अपनी जवानी के उत्कर्ष में था ,काले रंग में और भी खिल के आ रहा था,चहरे की लाली और कौमार्य का तेज, सादगी का श्रृंगार उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी ,सभी बस उसे आँखे फाडे यु देख रहे थे की निधि भी शर्मा गयी ,उसका शर्माना अजय और विजय के आँखों में पानी ला गया ,अपनी सबसे प्यारी बहन को उन्होंने पहली बार यु बड़े होने के अहसास में देखा था ,निधि हमेशा ही झल्ली जैसे रहा करती थी जिससे उसकी सुन्दरता और उसका यौवन निखरकर बाहर नहीं आता था ,दोनों भाई अनायास ही उसके पास गए और उसके एक एक गालो को चूम लिया ,निधि और भी शर्मा गयी ,अजय और विजय ने उसकी कमर के पीछे से अपने हाथ मिलाये और मुठठी बढ़ कर एक झूले सा तैयार कर दिया वो दोनों निचे बैठ गए ,ये किसी नाटक जैसा हो रहा था निधि को भी समझ नहीं आ रहा था की उसके भाई कर क्या रहे है ,अजय ने उसे इशारा किया की इसपर बैठ जा वो उनके हाथो से बने झूले पर बैठ गयी और उनके कंधो को पकड़ लिया उन्होंने अपनी गुडिया को उठा लिया ,और सोनल और रानी के पास पहुचे अब तक ये सब देखकर दोनों के आँखों में भी आंसू आ चुके थे ,वही निधि अपने भाइयो का अपने लिए प्यार देखकर अपने को रोक नहीं पायी और उसकी आँखों ने सब्र का बांध तोड़ दिया ,वो निचे उतरी और अपने छोटे से हाथो से अपने विशालकाय भाइयो को लपेट लिया ,दोनों उससे लिपट कर उसके सर पर एक किस किया ,सोनल अपने आंसुओ को पोछती हुई बोली,
"अगर ये इमोशनल ड्रामा हो गया हो तो चले बहुत देर हो रही है ,और आप लोग को और भी तो समान खरीदना है ना,हमें तो कपड़ो में और लेडिस के itams में ही रात हो जायेगी ,"सब अलग हुए और अजय ने भी अपने आंसू पोछे जिसे देख कर सोनल और रानी हस पड़े ,उन्हें हसता देख अजय अपने को थोडा सम्हाला और विजय की तरफ देखा जो दबी सी हसी हस रहा था,अजय थोडा असहज होते हुए 
"अब तुझे क्या हुआ "
"भाई आपको रोता देखा तो हसी आ गयी ,कल की बात अलग थी पर आज भी ,ही ही ही "रानी हस पड़ी अजय भी मुस्कुरा दिया 
"तुम लोग क्या मुझे पत्थर समझते हो ,मैं भी इन्सान हु,मेरा भी दिल है,हा पहले की बात अलग थी ,पहले मैं बड़ा था और तुम सब छोटे थे ,लेकिन अब तो मेरी सबसे छोटी बहन भी बड़ी हो गयी है ,अब बड़ा भाई नहीं तुम्हारा दोस्त बनकर रहने का समय आ गया है ,तो अब तक मैं हमेशा अपने जस्बातो को दबाता रहा पर अब ना तुम्हे मुझसे डरने की जरुरत है और ना ही मुझे ,अब मैं भी तुम्हारे साथ हसूंगा तुम्हारे साथ रोया करूँगा ,"अजय का इतना बोलना था की तीनो लडकिय दौड़कर उसके गले लग गई वही विजय दूर से उन्हें देख रहा था ,जब सब उसे छोड़ी तो उसने विजय को देखा वो ऐसे जैसे देख रहा था जैसे वो भी उसके गले लगाना चाहता हो पर कोई तमीज उसे रोके हुई थी ,अजय ने उसे देखा उसकी ओर मुड़ा और अपनी बांहे फैला दि ,विजय की आँखों में आंसुओ की नदी बह गयी वो दौड़ के आया और अजय को ऐसे कस के जकड लिया जैसे कभी छोड़ेगा नहीं ,ये जिंदगी में पहली बार हुआ था जब अजय और विजय गले मिल रहे थे ,अभी तक तो बड़े भाई का मान उनके प्यार पर भरी पड़ जाता था पर आज क्या हुआ था,अजय के मन में वो बाते चल रही थी 
अजय मन में :-"आज मेरे भाई बहन मेरे दोस्त बन गए ,जो जिम्मेदारी मैं एक बड़ा और जिम्मेदार भाई बनकर नहीं निभा पाउँगा वो शायद मैं इनके करीब आकर इनका दोस्त बन कर निभा पाऊ,डॉ ने कहा है की मेरे परिवार पर खतरा है कैसा खतरा ,मेरे परिवार में किसी को आंच नहीं आना चाहिए ,मुझे इनका दोस्त बनना है पर अपनी मर्यादा को भी नहीं भूलना है,मैं आज भी इनका वही बड़ा भाई हु बस थोडा सा खुला हुआ ......"
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