RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
यानि तेरी तो ऐश है ,कमीना साला बहुत ही लक्की है तू "सोनल ने हस्ते हुए कहा यु तो रानी को सब कुछ पता था पर वो थोडा असहज महसूस कर रही थी अगर किशन होता तो अलग बात थी ,उसे किशन की बहुत याद आ रही थी,
"दीदी मैं चली सोने आपलोग को शर्म तो है नहीं की छोटी बहन बैठी है,और ऐसे बात कर रहे हो "रानी ने बुरा सा मुह बनाया ,सोनल हस पड़ी वही विजय ने उसे ऊपर से निचे तक घुर के देखा
"ऐसे हमारी छोटी बहन अब बहुत बड़ी हो गयी है ,है ना सोनल "और सोनल को आँख मार दिया ,रानी उसका मतलब समझ कर शर्मा गयी विजय को एक मुक्का मार कर झूठा गुस्सा दिखाते हुए वहा से चली गयी वही सोनल की हसी छुट गयी ,रानी के जाते ही सोनल विजय की बांहों में आ गयी ,विजय सोफे में बैठा था और सोनल उसपर झुक बैठ गयी थी विजय ने उसे अपने बांहों में भर लिया ,और उसके सर को किस किया ,
"निधि कितनी लकी है ना विजय की घर में ही रहती है ,और एक हम है जो अपने भाइयो से मिलने के लिए भी तडफते रहते है ,कितने दिन हो गए तेरी बांहों में नहीं सोयी हु,मुझे तो निधि से जलन होती है कभी-कभी, हमेशा भईया से चिपकी रहती है और हम है भाई के गले लगने के लिए भी सोचते है ,और उनसे डरते है ,
विजय उसके सर को सहलाता है
"भईया से गले लगने को तो मैं भी तडफता हु मेरी जान ,वो देवता है उनकी पूजा करो पर प्यार ना दिखाओ ,और निधि तो बच्ची है ,प्यारी सी गुडिया "सोनल उसे कस लेती है
"हा वो तो अब भी तुम्हारी प्यारी सी गुडिया है ,तुम्हारी प्यारी गुडिया के हर चीज बड़े हो रहे है कभी देखा भी है "विजय उसे एक चपात उसके सर में मार देता है की सोनल आऊ कर जाती है ,
"मैं अपनी गुडिया के देखूंगा ,कामिनी कही की "सोनल फिर हस देती है
"हा हा मेरा राजा भाई तो बहुत शरीफ है ना ,जैसे उसे कुछ पता ही नहीं गाव की ना जाने कितनी लडकियों को तुमने ,....और अभी सरीफ बन रहा है ,हां अब तो तू रेणुका का ही देखता होगा मैं तो भूल गयी थी ,"विजय उसे जोर से जकड लेता है की सोनल के मुह से आह निकल जाती है और वो छूटने के लिए छटपटाने लगती है ,
"आजकल बहुत बोल रही है ,और वो आयटम कौन थी मस्त थी क्या नाम था हा खुसबू ,"सोनल अपना सर उठा के देखती है
"कमीने वो भाभी है तेरी समझे ,"
"अच्छा जैसे भईया उसे घास भी डालेंगे "
"क्यों नहीं डालेंगे ,मैं उसकी मदत करुँगी ना भईया को पटाने में,कब तक मेरे भईया हमारी जिम्मेदारियों के बोझ में दबे रहेंगे हमें भी तो उनके लिए कुछ करना चाहिए ना,और खुसबू से अच्छी कोई हो सकती है क्या ,और मैंने खुसबू की निगाहों में देखा है वो तो बस पगला गयी है भाई को देखकर ,"
"अरे हमारे भईया किसी हीरो से कम है क्या ,चल ठीक है हम भी मदद करेंगे और उसके चरण धो के पियूँगा अगर भईया ने उसे हमारी भाभी मान लिया तो ,चल जान अब सोना है कल भाई जल्दी उठा देंगे पापा के किसी दोस्त से मिलने जाना है ,"
"ओके पर मेरे और रानी के साथ ही सोयेगा तू ,कितने दिन हो गए तुझसे लिपट के सोये हुए ,और जबसे ये रेणुका जवान हुई है मेरे भाई को ही छीन ली "सोनल हलके गुस्से से बोली
"अरे मेरी जान रेणुका क्या कोई भी लड़की मेरे बहनों की जगह नहीं ले सकती समझी चल अब चलते है ,"सोनल मुस्कुरा कर अपने भाई के बांहों से निकलती है और उसके गालो में प्यारी सी पप्पी दे देती है ,विजय भी मुस्कुरा देता है ,
"और ये कोण दोस्त है पापा के जिससे मिलने जाना है ,"
"अरे है कोई बड़ा अजीब नाम है ,बाली काका ने कहा है की मिलके आ जाना ,क्या नाम है ....
हा डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले "सोनल आँखे फाडे देखती है
"डॉ चुतिया "
"डॉ चुतिया ये कैसा नाम है "
"अरे बहुत नाम है उनका इस शहर में उन्हें सब चुतिया डॉ कहते है ,कल मिल लेना तुम्हे भी पता चल जायेगा ..."सोनल मुस्कुराती हुई विजय का हाथ पकडे अपने रूम में जाती है ....
अजय और विजय डॉ चुतिया के क्लिनिक पहुचाते है ,जाने से पहले उन्होंने सभी को तैयार रहने के लिए कहा था ताकि जल्द ही सारी शोपिंग करके पूरा काम निपटा लिया जाय,वो क्लिनिक पहुचते है,एक छोटा सा क्लिनिक था उनका अंदर जाने पर वह कोई भी मरीज नहीं दीखता ,डॉ अपने केबिन में बैठे हुए थे ,अजय केबिन के बहार से ही दरवाजा खोलता है और अंदर झाकता है,डॉ उसे अपने लेपटोप में कुछ काम करते हुए दिखाई देते है,
"क्या मैं अंदर आ सकता हु,"डॉ बिना डॉ उठाये ही कहते है
"हा हा आ जाओ अजय ,"अजय और विजय दोनों आश्चर्य से अंदर जाते है ,एक सावले रंग का पतला दुबला सा शख्स चेयर पर बैठा होता है ,चहरे की आभा उसके ज्ञान को बतला रही थी ,उम्र कोई 40-45 की वही एक 29-30 साल की महिला जो दिखने में सेकेटरी जैसे पोसख पहने थी ,जिसके उन्नत वक्ष उसके तने हुए कपड़ो से बहार आने को बेताब थे और कुलहो के उभार ऐसे थे जिसे देख कर विजय के मुह में पानी आ गया वही अजय थोडा असहज सा हो गया ,
"हा बैठो बैठो "डॉ ने सर उठाते हुए कहा ,
"वाह तो तुम अजय हो और तुम विजय ,बिलकुल अपने बाप पर गए हो ,वीर ठाकुर साले की क्या पर्सनाल्टी थी ,बिलकुल तुम्हारी तरह और बाली तुम तो उसके जीरोक्स लगते हो विजय ,"दोनों डॉ को आश्चर्य से देख रहे थे ,की पापा और चाचा को इतने अच्छे से जानने वाले शख्स को ये जानते ही नहीं ,
"वो डॉ साहब काका ने आपसे मिलने को कहा था ,कोई काम था क्या ,"
"ह्म्म्म काम तो नहीं था बस मैं तुमसे मिलना चाहता था,वीर के जाने के बाद मैं वह कभी नहीं आ पाया ,सोचा उसके बच्चो से ही मिल लू,और तुम्हारी बहने कैसी है ,यही कॉलेज में पड़ती है ना,बाली ने मुझे बताया था,"
"जी यही है ,"अजय ने एक छोटा सा उत्तर दिया वही विजय नजर बचा के उस महिला को देख रहा था जिसे डॉ ने भाप लिया .
"ये मेरी सेकेटरी है ,मेरी मारलो "विजय को खासी आ गयी ,
"कोई बात नहीं इसका नाम सुनकर सभी को ऐसा ही होता है ,ऐसे तुम इसे मेरी बुला सकते हो,मेरी विजय को थोडा बहार ले जाओ और पानी पिला देना ,देखो पानी ही पिलाना "डॉ और मेरी के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी वही अजय को चिंता होने लगी क्योकि वो विजय को अच्छे से जानता था और ये उनका गाव नहीं था,उनके जाते ही डॉ अजय के तरफ मुखातिब हुआ,
"अजय बात कुछ ऐसी है की मैं तुम्हे विजय के सामने नहीं बता सकता,बात असल में ये है और ऐसी है की मैंने आज तक बाली से भी ये बार छुपा के रखी थी,अब तुम बड़े हो चुके हो और मेरा मानना है की तुम अब समझदार हो तो तुम्हे ये बात बता सकता हु,पर मेरी बात को बड़े ही धयन से सुनना और इसका जिक्र किसी से नहीं करना ,"अजय के चहरे पर चिंता के भाव गहरा गया था,जिस वक्ती को उसने कभी देखा नहीं था वो उसे क्या बताने वाला है जो उसने इतने दिनों तक छिपा रखा था,
"अजय देखो जिस दिन तुम्हारे पापा मम्मी का एक्सीडेंट हुआ था वो मेरे पास ही आ रहे थे "अजय चौक गया ,
"हा अजय बात ऐसी है की ये कोई हादसा नहीं था ,बल्कि सोची समझी चाल थी ,और ये एक मडर था,वो दोनों अकेले ही शहर के लिए निकले है ये बात किसी ने उन्हें बताई थी ,और उन्हें प्लानिंग से एक्सीडेंट कराया गया था,"अजय की आँखे लाल हो चुकी थी वो जानता था की किसने ये बताया होगा और किसने उनका एक्सीडेंट कराया होगा ...
"मैं जानता हु डॉ ये किसने किया होगा ,ये मेरी ही चाची और तिवारियो की मिली भगत होगी "डॉ उसे लाल होते देख थोडा घबराया पर उसने उसे शांत रहने को कहा ,
"अजय पहले तो मुझे भी ऐसा ही लगा था,इसलिए मैं तुम्हे शांत रहने को कह रहा हु,जल्दबाजी में लिया गया फैसला कई जिन्दगिया बर्बाद कर सकता है,और अब तुम अकेले तो नहीं हो तुम्हारे ऊपर कई जिम्मेदारिय भी तो है,"डॉ की बात से अजय चौक गया और डॉ को घूरने लगा
"डॉ हमारे परिवार का एक ही दुसमन है और वो है तिवारी,उनके सिवाय ये काम कौन कर सकता है ,और आपने ये फैसला कैसे किया की वो गुनाहगार नहीं है,आप जानते ही क्या है हमारे परिवार के बारे में ,"अजय के चहरे से मनो खून उतर आया हो लेकिन डॉ शांत थे और उनकी शांति ही अजय को शांत रहने को मजबूर कर रही थी,वो चाह कर भी अपने को बेकाबू नहीं कर पा रहा था,ये कैसे हो रहा था ये तो उसे भी नहीं पता था बस उसे लग रहा था की जैसे कोई ताकत उसे शांत कर रही थी ,ये डॉ का ही ओरा था ,उनका ही प्रभाव था की अजय कुछ नहीं कर पा रहा था,
"हा अजय मैं तुम्हारे परिवार की स्तिथि को नहीं जानता ,इसलिए मैं इतने सालो से तुम्हारे माँ पिता के कातिलो को ढूँढ रहा हु,तुमने सही कहा की मेरा तुम्हारे परिवार से कोई रिश्ता नहीं है है ना,इसलिए तुम्हारे परिवार को बचाने के लिए मैं बाली से सच छिपा के रखा था,मैंने सोचा था की तुम समझदार होगे ,अगर तुम्हे मेरे बात पर भरोषा नहीं है तो ठीक है ,जाओ मार दो अपनी चाची को और बहा दो खून की नदिया तिवारियो के लेकिन असली गुनाहगार का क्या ,जो आज भी तुम्हारे परिवार को बर्बाद करने की सपथ लिए बैठा है,तुम्हे क्या लगता है, तुम्हारी बहनों पर यहाँ कोई भी खतरा नहीं है,तुम और तुम्हारा परिवार आज भी खतरे में है ये समझ लेना तुम ,मैं सालो से तुम्हारे परिवार पर नजर रखे हु,जब वीर जिन्दा था तब भी मैंने उसे आगाह किया था की तुमपर खतरा है,मेरे बच्चे जो गलती तुम्हारे पिता ने की वो तुम मत करो "डॉ की बाते सीधे अजय के दिल में लगी उसे डॉ के अहसानों का मतलब समझ आया वो उठा और डॉ के चरणों में बैठ गया ,अब उसकी आँखों मर आंसू था ,
"अंकल मुझे नहीं पता की मैं क्या करू पर आपने जो कहा अगर वो सच है तो मैं उसे तबाह कर के रहूँगा जिसने मेरे परिवार को उजड़ने की कोसिस की है ,कोण है वो "
डॉ ने उसे उठाया और फिर से उसे खुर्सी में बैठाया
"यही तो पता नहीं चल पा रहा है ,मैंने जीतनी जाच अभी तक की है उसमे इतना ही पता चल पाया है की वो ना तो तिवारी है ना तुम्हारी चाची,इनफोर्मेसन देने वाला कोण है ये पता नहीं चल रहा पर हा एक्सीडेंट जिस ट्रक से हुआ था उसका ड्राइवर से मैं मिला उसकी अब मौत हो चुकी है ,उसे बस किसी ने अच्छे खासे पैसे दिए थे वो कोण था ये उसे नहीं पता,"
"पर आपको कैसे पता चला की तिवारियो का इसमें कोई हाथ नहीं है,"
"जब तुम्हारे पापा जिन्दा थे तभी से हमने तिवारियो के यहाँ अपने आदमी बिठा के रखे थे ,उन्होंने ही मुझे ये बताया था की उस दिन कोई भी कही नहीं गया और ना ही उसके कुछ दिन पहले ही कोई ऐसी हरकत हुई की कोई शक उनपर जाए ,माना वो लोग तुम लोगो के सबसे बड़े दुसमन है ,पर तुम्हारी माँ उस घर्र की ही तो बेटी है ,और रामचंद्र कभी अपनी इकलौती बेटी को नहीं मार सकता ,वो तो आज भी उसे बहुत प्यार करता है ,और तुम लोगो को भी वरना उसके बेटे यु चुप रहने वालो में से तो नहीं है ,"अजय को डॉ की बात पर भरोषा होने लगा
"पर अंकल अब हम क्या करेंगे "डॉ के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी
"कुछ भी नहीं ,बस इन्तजार ....ताकि वो कुछ करे और हमारे हत्थे चढ़े ..."डॉ एक शून्य आकाश में देखते हुए बोला ...
तभी एक चीख आई वो चीख मेरी की थी,अजय और डॉ अपने खयालो से निकले अजय जैसे ही उठने को हुआ डॉ ने अपनी जगह से उठकर उसे रोक लिया और उसका हाथ पकड़ कर मुस्कुरा दिया ...
"डॉ साहब सॉरी वो विजय "
"कोई बात नहीं आज मेरी को भी कोई असली मर्द मिल ही गया जो उसकी चीख निकल सके "अजय ने अपना सर निचे कर लिया और डॉ के पैर पढ उनसे आशीर्वाद लिया
"अंकल हमें जाना होगा वो बहाने भी वेट कर रही होंगी "डॉ कुछ नहीं बोले और अपने सिट पर बैठ गए ,अजय अपना सर निचे किये ही कमरे से बाहर आया
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