RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
'अरे छोडो छोटे ठाकुर मेरी शादी तो अजय भईया करा के रहेंगे ,ये मछली तो आप के हाथ से गयी ,आह कितना बड़ा है ,पता नहीं शादी के बाद मैं क्या करुँगी ,आःह आअह्ह्ह्ह ठाकुर ,विजय अपना लिंग उसकी बालो से भरी योनी में रगड़ रहा था पर अन्दर नहीं डाल रहा था,वो लडकियों को गरम करने के बाद ही अपना काम करता था,उसने अपने हाथो से उसके ऊपर का कपडा भी खोल दिया ,और उसके शारीर को पीछे से चुमते हुए निचे उस करधन तक आया जो उसने ही रेणुका हो दिया था ,
'आआअह्ह्ह मार डाआआअ लोगे क्या 'विजय अपनी जिब से उसके भारी निताम्भो को चाटने लगा,और मुह आगे बड़ा कर उसके योनी में जीभ घुसा दि ,
'आआह्ह्ह आअह्ह्ह्ह अआह्ह्ह हूमम्म विजय ,'योनी को भरपूर गिला करने के बाद रेणुका को उठा के एक पेड़ के निचे बिछे चादर में ले जा लिटा दिया ,और उसके पैरो को अपने कंधे में रखता हुआ अपना पूरा लिंग एक बार में ही उसके अंदर कर दिया ,
'ईईईईई माँआआअ 'एक चीख पुरे वातावरण में फ़ैल गयी और धक्को की आवाजे सिस्कारियो और चपचप की आवाजे एक लयबद्ध रूप से आने लगी ,ये तूफान तब तक चला जब तक की रेणुका कई बार अपने चरम को पा चुकी थी और विजय अपनी सांड सी ताकत से उस मांसल और बलशाली लड़की के आँखों से आंसू नहीं निकल दिया ,विजय अपने चरम पर उसके उजोरो को अपने दांतों से काट लिया और उसके अन्दर एक लम्बी और गाढ़ी धार छोड़कर उसके ऊपर ही सो गया ,रेणुका के आँखों में आंसू तो थे पर चहरे पर अपरिमित सुख झलक रहा था ,उसने अपने बांहों में विजय को ऐसे पकड़ा था जैसे वो उसे कभी नहीं छोड़ेगी,
विजय जब घर पहुचता है तो वह रेणुका की माँ और लड़के वाले बैठे होते है ,बड़े से कमरे में,बीचो बीच एक बड़े से सोफे पर अजय बैठा होता है,बाकि सब हाथ मोडे छोटी छोटी खुर्सियो में बैठे होते है ,तभी विजय वह पहुचता है,..
विजय लड़के को देखता है ,'साला चुतिया,ये मेरी रेणुका को क्या संतुस्ट करेगा,'विजय मन ही मन उस पतले दुबले से लड़के को देख कर बोलता है,
'तो आप बताइए लड़की आपको पसंद है ना,'अजय लड़के के पिता को देखते हुए कहते है,
'ठाकुर साहब ये आप क्या कह रहे है,आप तो हमारे लिए भगवान है,आपका हाथ जिस लड़की पर है उसे हम कैसे मना कर सकते है,'लड़के के पिता ने थोडा डरते हुए कहा ,
'हम्म्म ठीक है ,तो शादी की तारीख तय कर लो क्यों मौसी क्या कहती हो ,'अजय ने सीता मौसी की तरफ मुह कर पुचा जो उस समय पास के सोफे में बैठी सुपारी काट रही थी ,
'हा कर दो लेकिन एक शर्त है,रेणुका कही नहीं जाएगी ,इस लड़के को यही नौकरी पर रख लो ,अगर ये भी चली गयी तो इसकी माँ का क्या होगा ,बेचारी का पति भी नहीं है,अकेले हो जाएगी क्यों रे,और तेरे तो 3 बेटे है ,ये निकम्मा यहाँ काम भी कर लेगा ,'मौसी ने लड़के के बाप को देखते हुए कहा,
'और ऐसे भी (विजय को देखते हुए ) रेणुका जो काम करती ही वो कोई नहीं कर सकती ना ..' विजय के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी जिसे अजय ने भी देख लिया उसे और मौसी को उसके सभी करतूतों का पता होता था ,पर इसे वो जाहिर नहीं होने देते थे,
'जैसा आप कहे मौसी जी ,ये बनवारी आज से आपका हुआ ,आप जब कहे शादी कर देंगे ,'अजय ने पंडित से तारीख निकलने को कहा और वह से उठ कर चल दिया ,सभी हाथ जोड़े खड़े हो गए ,मौसी को छोड़ ...
'मौसी बहुत बहुत धन्यवाद आपका आपने मेरी बेटी का जीवन सवार दिया,'रेणुका के माँ के आँखों में पानी आ गए थे ,
'अरे तू भी ना रे विमला ,रेणुका मेरी भी तो बेटी है ना,और विजय सारी जिम्मेदारी तुझे ही उठानी है शादी की ,पूरी तयारी अच्छे से होनी चाहिए 'सभी चले जाते है बस विजय और मौसी वह रह जाते है,
विजय मौसी के गोद में जा कर लेट जाता है ,
'मौसी जी थैंक् आपने तो रेणुका को यही रख लिया ,'
'अरे मेरे छोटे ठाकुर ,क्या मुझे पता नहीं की वो तुम्हारी जरुरत है ,और मेरा तो काम ही है तुम्हारी जरूरतों को पूरा करना ,बस अपने भाई के इज्जत में कालिक मत पोतना,नहीं तो अजय सब सहन करेगा पर इज्जत से खिलवाड़ नहीं,जो करना देख के ही करना ,'विजय उठकर मौसी के गालो को चूम लेता है ,और वहा से भागता हुआ चला जाता है ,मौसी हस्ती हुई सुपारी कटते रहती है ,
"पागल लड़का "मौसी के मुह से अनायास ही निकल पड़ता है,
एक शांत कमरा जो अजय ने अपने पढाई के लिए ही बनवाया था,जिम्मेदारियों के भोझ तले वो खुद तो नहीं पढ़ पाया पर उसे पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए उसने अपने घर में एक लिब्रेरी बनवा रखी थी,वो वह बैठ के पढ़ा करता था ,वो चाहता था की उसके छोटे भाई भी वहा पढाई करे पर किसी को इसमें कोई खासी दिलचस्पी ही नहीं थी,अजय बड़े ही मन से एक पुस्तक पढने में लगा था की किसी की पायल की आवाज से उसका धयान भंग हुआ ,वो समझ चूका था की ये निधि ही होगी ,निधि छमछम करते उसके पास आती है उसे देखकर अजय के चाहरे पर एक मुस्कान आ जाती है,निधि एक लहनगा चोली पहने हुए थी ,और किसी गुडिया की तरह सुंदर लग रही थी ,आज जरुर किसी के कहने पर उसने ये रूप लिया होगा ,अजय के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,16 साल की निधि का शारीर अपने यौवन के उचाईयो पर था पर दिल और दिमाग से वो किसी बच्चे की तरह मासूम थी ,खासकर अपने भाइयो के सामने ,उसका मासूम सा चहरा देख अजय के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,वो देख रहा था की कैसे निधि बड़ी मुस्किल से अपने लहंगे को सम्हाल रही थी,वो देहाती लहंगा जो शायद रेणुका का लग रहा था ,उसके लिए आफत ही था पर बड़ी ही उम्मीद से वो उसे पहने हुए अपने भाई को दिखने आ रही थी ,अजय ने अपनी किताब पर एक पेन रख कर उसे बंद किया और उसकी और मुड कर उसे देखने लगा .वो उसके पास पहुची तब तक निधि के चहरे में भी एक मुस्कान ने जन्म ले लिया था,
'भईया देखो मैं कैसे लग रही हु ,'एक उत्सुकता और चंचलता से निधि ने पूछा ,
'ये क्या नया शौक चढ़ा है तुझे ,'अजय उसी मुस्कान से अपनी सबसे लाडली और प्यारी बहन को देखते हुए कहा,
'बताओ ना भाई ,कितने मुस्किल से पहन कर आई हु और आप 'निधि थोड़े गुस्स्से में आते हुए बोली
'अरे मेरी प्यारी बहना ,तू जो भी पहन लेगी वो अच्छा ही होगा ना ,बहुत प्यारी लग रही है ,'अजय उसके गालो पर एक हलकी सी चपत मरते हुए बोला ,निधि उछल पड़ी
'भईया जानते हो मैं ना यही पह्नुगी रेणुका दीदी की शादी में ,'
'हम्म्म अभी से तयारी और ये देहाती वाला लहंगा क्यों पहनेगी मेरी बहन,तेरे लिए तो शहर से डिजायनर लहंगा ला देंगे,खरीददारी करने शहर जाना है ना ,'अजय की बात सुनकर निधि फिर उछल पड़ी ,
'सच्ची भईया,'
'हा और रानी और सोनल को भी तो लाना है ना ,'
'वाओ' निधि उछल कर अजय के गले लग जाती है,जब वो थोड़ी सामान्य होती है तो अजय से दूर होती है ,
'तो भईया इसे मैं दीदी को वापस कर देती हु,'अजय को हसी आ जाती है ,
'तो ये रेणुका का है ,'
'हा तो और क्या मैं भी अब बड़ी हो गयी हु ,मैं भी अब दीदी की शादी में लहंगा पहनूंगी 'निधि फिर से सम्हालते हुए बहार निकलने लगी तभी किशन अंदर आता है ,निधि को ऐसे चलता हुआ देख वो हस पड़ता है ,
'अरे बहना ,पहले ढंग से सम्हाल तो ले फिर शादी में पहनना ,'किशन की बात से निधि को गुस्सा आ जाता है ,
'मैं सम्हाल लुंगी समझे ,बड़े आये आप 'निधि मुह बनाकर वहा से चली जाती है ,किशन हसता हुआ अजय के पास आता है ...
'भईया वो बनवारी के बारे में पता कर लिया है ,सीधा साधा लड़का है ,'
'ह्म्म्म ठीक है फिर उसे भी घर में रख सकते है ,और एक दो दिन में ही शहर जायेंगे,रानी और सोनल को लाने और समान भी खरीद लायेंगे ,सबके कपडे वगेरह ,तू चलेगा ,'
'भईया यहाँ भी तो किसी को रहना पड़ेगा ना ,विजय भईया जाने को कह रहे है तो मैं यही रह जाऊँगा ,
'ठीक है फिर ,दो गाड़िया जाएँगी और दो ड्राईवर ,तीन नौकर और 5-6 पहलवान भी रहेंगे किसे भेजना है देख लेना ,'
'ठीक है भईया ,'अजय फिर से अपने किताब को उठा कर उसमे खो जाता है ....
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