RE: Porn Sex Kahani रंगीली बीवी की मस्तियाँ
प्यारे ने फिर से मुझे प्रश्न भरी नजरो से देखा जैसे पूछ रहा हो की क्या करना है ,दशहत उसकी आंखों में साफ झलक रही थी और अब मुझे इसमें मजा आने लगा था ,लेकिन मेरा गुस्सा अभी भी बाकी था वो गुस्सा प्यारे या रेणु के लिए नही था वो तो मिश्रा के लिए था,उसका नाम याद आते ही मैं मुड़कर उसकी ओर देखी ,वो भी घबराए हुए सोफे में बैठे थे ,अपनी भोली भाली सी काजल को ऐसी हरकत करते देखते ,उस दिन उन्होंने मेरा एक रूप देखा था जब रोबर्टो ने मेरी जवानी ली थी ,लेकिन उस दिन की बात और थी आज बात और है ,उन्हें देखते ही मेरे दिमाग में जैसे शैतान सवार हो गया ,और होठो में एक शैतानी मुस्कान आयी ,
मैं जाकर उनकी गोदी में बैठ गई ….
“मेरा सोना बाबू ,इतने दिनों से मुझसे अलग था,....अब मैं आपको वो मजा दूंगी जो आप हमेशा से चाहते थे,”मैं मिश्रा जी के गालो में उंगली घुमाई ,मेरे बदले व्यवहार से वो और भी ख़ौफ़ में आ गए ,मैं प्यारे की तरह देखने लगी ,
“तू मुझे चोदने के सपने देखता है ना ,आज तेरा वो सपना पूरा होगा ,आजा तुझे जन्नत की सैर कराती हु “
मैं उंगलियों के इशारे से प्यारे को अपने पास बुलाया ,मिश्रा के शरीर में डर की एक ठंडी दौड़ गई वही प्यारे अब भी मुझे आश्चर्य से देख रहा था ,
“मादरचोद समझ नही आता तुझे इधर आ “मैं जोरो से चिल्लाई मैं अभी भी मिश्रा जी की गोद में बैठी थी ,
“नही काजल ,तुम ये क्या कर रही हो “उनकी काँपती हुई आवाज मेरे कानो में आयी
“आपको खुस करने की कोसीस कर रही हु बाबू …”
मैं प्यार से उनसे कहा और उनके होठो में अपने होठो को घुसा दिया ,मिश्रा जी के आंखों में आंसू आ गए ये क्यो आये थे मुझे नही पता लेकिन इससे मेरे दिल को बहुत ही सुकून मिल रहा था,उनकी जीभ अब भी हरकत में नही आयी थी लेकिन मैं उनके होठो को चूसे जा रही थी ,अब प्यारे भी हमारे पास आ कर खड़ा हो गया था ,मैंने से नीचे बैठने का इशारा किया वो घुटनो के बल मेरे पैर के पास बैठ गया था ,उसका चहरा जमीन को देख रहा था,शायद वो मेरे पल पल बदलते हुए मूड से घबरा गया था ,पता नही की मैं अगले पल क्या कर जाऊ,मैं मिश्रा जी के होठो से अपने को हटाया और प्यारे के बालो को पकड़ा ,उसे अपने एड़ियों के पास ले गई ,
“चाट इसे “
मैं उसके चहरे पर अपने पैर की उंगलियों को रगड़ने लगी ,मैं रेणु को भी अपने पास बुलाया और प्यारे के लिंग की तरफ इशारा कर के कहा ,
“इसे चाटना तेरा काम है ….”रेणु बेचारी मेरे बात को समझ तो नही पाई लेकिन वो भी अपने घुटनो के बल बैठ गयी प्यारे अब भी मेरे एड़ी और उंगली के पास अपना मुह टिकाए बस देख रहा था ,घबराहट में उसके दिल की धड़कने इतनी बढ़ गई थी की उसकी आवाज मुझतक पहुच रही थी ,मैंने रेणु को उसके लिंग को निकाल कर चूसने का इशारा किया वो बेचारी किसी रोबोट की तरह मेरे इशारे पर नाचने लगी थी ,वो झुककर प्यारे के लिंग को उसके पैजामे से निकलने का प्रयास कर रही थी ,मैंने प्यारे के कपड़े निकाल देने का आदेश दिया कुछ ही पल में वो मेरे सामने नंगा बैठा था ,रेणु झुककर बडी मुश्किल ने उसके मुरझाए हुए लिंग तक पहुच पा रही थी ,मैंने अपना पैर उठा लिया ताकि वो सीधा बैठ पाए और रेणु को उसके लिंग को अपने मुह में डालने में कोई परेशानी ना हो,अब प्यारे सीधा बैठा था,वो अब भी अपने घुटनो पर था और मैं
उसके मुह में अपने पैरो की उंगलियों को रगड़ने लगी ,जैसे ही प्यारे के लिंग में रेणु का नरम होठ स्पर्श हुआ ,उसके मुह से एक आह निकली और उसने मेरे उंगली को अपने होठो के अंदर ले लिया ,मिश्रा जी अब भी बुत बनकर खड़े थे,प्यारे मेरी उंगली को धीरे धीरे चूसने लगा था,और उसका लिंग भी रेणु के मुह में खड़ा होने लगा था,रेणु की लार उसे भिगो रही थी,प्यारे उत्तेजित होने लगा और उसका सर जोर जोर से मेरे उंगलियों पर चलने लगा ,मैं उसके सर को वहॉ से हटा कर अपने पैरो पर ले आयी ,वो धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था,मेरे दोनो पैरो को चूमते हुए वो एड़ियों तक पहुचा मैंने अपनी साड़ी घुटनो तक उठा ली,इससे प्यारे का जोश और भी बढ़ गया था,मैं मिश्रा जी के ऊपर खुद को पूरी तरह से छोड़ दिया और उनके हाथ को पकड़कर अपने उरोजों में टिका दिया ,इसका कोमल अहसास शायद मिश्रा जी को पसन्द आया उनके हाथो ने भी अपना काम करना शुरू कर दिया ,मैंने अपना पल्लू नीचे गिरा दिया,अब मेरे स्तनों को मिश्रा जी साफ तौर से देख रहे थे,जिसका नतीजा उनके पेंट में मुझे अहसास होने लगा ,उनके हाथ अब भी आराम से मेरे उजोरो को सहला रहे थे,प्यारे ने मेरे एड़ी तज का सफर पूरा किया और मैंने रेणु को रुकने को कहा दोनो ने पहली बार मुझे ऊपर उठाकर देखा,मेरी नजर थोड़ी बंद हो चुकी थी ,मेरे जिस्म में आग बढ़ गई थी और मैं अब ठंडा होना चाहती थी,मेरी नजारे नशीली हो चुकी थी ,मिश्रा जी का हाथ मेरे उजोरो को अंदर से छूने को बेताब हो रहा था वो मेरे ब्लाउज के अंदर हाथ घुसने का प्रयास कर रहे थे,मैंने उनका साथ देते हुए अपने ब्लाउज़ के ऊपर के दो बटन खोल दिए और प्यारे के सर को पकड़कर अपनी साड़ी के अंदर धकेला,मैंने अपनी टांगे जरा फैला दी ताकि प्यारे आराम से अंदर जा सके वो मेरी साड़ी उठाने को हुआ मैंने उसका हाथ वही रोक दिया ,
“जितना कहा जाय उतना कर “
मैंने अपनी सांसो को काबू में करते हुए कहा ,वो अपने हाथो को तुरंत ही पीछे ले लिया ,मैंने उसके सर को अपनी साड़ी में घुसा दिया वो मेरी जांघो को चाटने लगा ,
“आह आआआआआ हहहहहहह “ मेरी सांसे तो तेज हो ही चुकी थी अब आहे भी निकलने लगी थी ,मैं बार बार आहे ले रही थी ,वही मिश्रा जी को जैसे जन्नत मिल गई हो वो मेरे ब्लाउज़ के अंदर अपने हाथ ले जाकर मेरे उरोजों को मसल रहे थे मैं थोड़ा हटकर अपने हाथ पीछे कर के अपने ब्रा को भी खोल दिया लेकिन अभी मैंने ब्लाउज़ को और ना ही ब्रा को अपने शरीर से अलग किआ था,मिश्रा जी का हाथ उनके अंदर से ही मेरे नंगे स्तनों को मसलने लगा था,मेरे जोश की इंतहा हो रही थी ,प्यारे अब मेरे जांघो के बीच तक पहुच गया था,वो मेरे योनि को पेंटी के ऊपर से चाट रहा था,मैं जोरो जोरो से आहे भर रही थी ,उसके लार और मेरे कामरस से मेरी पेंटी पूरी तरह से भीग चुकी थी ,मैं अपने पैरो को फैला कर और प्यारे के सर को और भी जोरो से अपने जांघो के बीच दबाने लगी थी वो भी किसी कुत्ते के तरह इसे चाटा जा रहा था,वो अपने हाथ उठकर मेरी पेंटी को साइड करने की कोसीसे कर रहा था लेकिन मैं उसे बार बार रोक देती थी ,उसने इसके लिए अपने दांतो का प्रयोग किया ,मैंने उसे मना नही किया लेकिन वो ज्यादा सफल नही हो पाया था,वो अपने दांतो से मेरे पेंटी के एक साइड को पकड़कर उसे हटाने लगा ,अपने दांतो और नाक की मदद से वो थोड़ा कामियाब हुआ और उसने अपनी जीभ मेरी योनि में ऊपरी दीवारों में सीधे रगड़ दी ,मेरे लिए ये अंतिम क्षण था मैं जोरो से झड़ी, मैं प्यारे के सर को जोरो से दबाया,शायद वो सांस भी नही ले पा रहा था वो छटपटाया लेकिन मुझे इसकी कोई परवाह नही थी ,,...थोड़ी देर में ही मैं मर्दो जैसी मिश्रा जी की छाती में गिर गई,मिश्रा जी अब भी मेरे स्तनों को दबा रहे थे और आहे ले रहे थे ,वही प्यारे अब भी मेरे योनि का रस पी रहा था,और रेणु ये सब बस खड़े होकर देख रही थी,थोड़ी ही देर में मेरी आंखे खुली और मुझे अपने होने का अहसास हुआ,सच में मैं शांत हो गई थी ,बड़ी गहरी शांति थी ,मेरी आग शांत हो चुकी थी,मैं आंखे खोली और प्यारे का सर हटाने लगी लेकिन उसपर तो अभी पागलपन सवार था वो मेरी योनि को नही छोड़ा ,मैंने अपने को थोड़ा अरजेस्ट किया और एक जोर का लात उसकी छाती में लगाया ,मैं कराटे में चैंपियन थी और ताकत से भरपूर थी,भले ही मेरा शरीर कोमल लगे लेकिन उसमे ताकत बहुत थी और साथ ही था टेक्निक ,इससे प्यारे थोड़ा दूर जा गिरा और रोनी सी सूरत बनाकर मुझे देखने लगा ,उसे देखकर मिश्रा जी भी जल्दी से अपना हाथ निकाल कर बैठ गए,इससे मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गई ,मैं वहां के उठाकर अपने कमरे में आयी मेरी नजर विकास जी और और मेरे फ़ोटो पर पड़ी मेरा पूरा श्रृंगार बिखर गया था ,मैंने खुदको थोड़ा संवारा और जाकर विकास जी के फ़ोटो को किस किया,
“मुझे माफ कर देना जान लेकिन मैं खुद को अब इससे नही रोक पाऊंगी ,मैं मजबूर हु अपनी आग के हाथो,ना जाने कब ये भड़क जाय और मैं अपने जिस्म के हाथो में मजबूर हो जाऊ,लेकिन वादा है मेरा आपको प्यार करने में मैं कभी भी कमी नही करूँगी….मैंने फिर से उसे चूमा और अपने बाथरूम में चली गई,मैं जब निकली पता नही मिश्रा जी प्यारे और रेणु वंहा थे या नही मैं इतनी थक चुकी थी की मैं सीधे बिस्तर में पड़ी और मेरी नींद ही लग गई…….
वर्तमान में
मेरे हाथो में अब भी शराब का ग्लास था,मैंने एक नजर विशाल जी पर डाली समय देखा अभी 3 बज चुके थे,
मेरी योनि से फिर से रिसाव शुरू हो चुका था,प्यारे मिश्रा और रेणु ….मैं उस कांच की दीवार को देखते हुए फिर से उन अतीत की यादो में खो गई अब एक नाम मेरे जेहन में आया रॉकी…
रॉकी से मिलने से पहले की कुछ और बातें थी जैसे अब मैं और रेणु और प्यारे खुल चुके थे,ये हमारे रोज का काम था,कभी कभी मैं रातो को प्यारे के पास जाती थी ,लेकिन मैं उससे कभी भी शारीरिक संबंध स्थापित नही किया,वो मेरी चाटने में ही खुस था,उस दिन के बाद से मिश्रा जी फिर से कभी मेरे घर नही आये,लेकिन उनका खयाल अब भी मेरे दिमाग में था,प्यारे अक्सर मेरा नाम लेकर रेणु के साथ सेक्स करता था,मैं भी वँहा मौजूद होती थी बस यही मेरे लिए मजा था(ऐसे ही एक रात की आवाज विकास ने सुनी थी ,प्यारे काजल का नाम लेकर रेणु से सेक्स कर रहा था और काजल भी अपनी आवाज से उसे और भी उत्तेजित कर रही थी लेकिन विकास को लगा की प्यारे कजल के साथ सेक्स कर रहा है ),मेरा अतीत जो भी था लेकिन अब मैं विकास जी को धोखा नही देना चाहती थी ,लेकिन मेरी जिंदगी में फिर से मोड़ उस समय आया जब मेरे जीवन में रॉकी आया ,मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके गयी हुई थी,मैंने भइया को बताया की मैं घर में बोर हो जाती हु ,उन्होंने कहा की तेरे ही इलाके में कुछ दूरी पर एक पुराना होटल बिक रहा है उसे देख लो ,पसंद आये तो उसमे काम करा कर उसे फिर से शुरू कर लेंगे ,मुझे आईडिया जम गया लेकिन मैं विकास जी से बात करना चाहती थी ,भइया वँहा के ही किसी बंदे को मेरे साथ काम में रखना चाहते थे ,तभी उन्हें मिश्रा जी का ध्यान आया और उन्होंने उसे रॉकी की बारे में बताया,रॉकी मेरे भैया का भी परिचित था तो भइया ने हा कह दिया,मैं मायके में थी और उसी समय ना जाने क्यो विकास जी का विहेवियर मेरे लिए बदल रहा था,मुझे कुछ समझ नही आया लेकिन वो ना मुझे काल करते ना ही मेसेज ,मैं इस बात से थोड़ी दुखी तो थी लेकिन फिर भी घर के माहौल में मेरा वो दुख भूल गया ,लेकिन एक दिन भइया को पता चला की विकास जी अपने किसी दोस्त के साथ बार में बैठे शराब पी रहे थे तो मैं चौकी क्योकि अभी तक मुझे उनके शराब पीने का पता नही था,साथ ही उन्होंने ये भी बताया की वो थोड़े चिंतित लग रहे थे ,मेरे दिमाग में पहली बात यही आयी की कही विकास जी को मेरे और प्यारे के बारे में पता तो नही चल गया है,पूरा परिवार उन्हें फोन लगा था लेकिन उन्होंने किसी का काल नही उठाया और मैं बेचैन हो गई हम रात में ही घर के लिये निकल गए,लेकिन वँहा उनका कोई भी पता नही था,जब वो आय तो उन्हें देखकर या उनके व्यवहार को देखकर ये तो नही लगा की वो मुझसे गुस्सा है ,बल्कि हमारा प्यार और भी बढ़ गया था,
दिन बीते और मैंने प्यारे से हर रिस्ते तोड़ लिया यहां तक की मैंने रेणु को भी बार बार घर आने से मना कर दिया ,प्यारे इस बात को लेकर छटपटाया लेकिन वो मेरा गुस्सा जानता था , मैं रॉकी से होटल के सिलसिले में मिली और पहली ही बार एक दूसरे को देखते हुए हम अवाक रह गए ,
रॉकी मेरे उन सब लड़को में से एक था जिसके साथ मेरे शाररिक संबंध थे,,ऐसे तो एक दूसरे को देखे और मिले काफी वक्त हो चुका था ,और हम दारू के नशे में 2-3 बार ही मिले थे लेकिन हमे एक दूसरे को पहचानने में बिल्कुल भी देर नही लगी ,लेकिन वो भी समझदार निकला उसने कोई भी एक्सप्रेसन अपने चहरे में नही लाया,यंहा तक की पुरानी बातो को वो तब भी बीच में नही लाया जब हम अकेले होते,लेकिन कब तक ,उसे देखकर मेरे अंदर भी कोई आग उठ जाती थी ,और वो भी थोड़ा नर्वस हो जाता था,लेकिन हम आगे नही बढ़ रहे थे,लेकिन धीरे धीरे रॉकी थोड़ा आगे बढ़ने की कोसीसे करने लगा ,मुझे भी ये अच्छा लगता था और मैं भी उसका साथ देने लगी थी ,उसके लिए इतना खाफी था ,आग जब लग जाती है तो कोई भी प्यार ,समाज ,धर्म की समझ दिमाग में नही आती वही मेरे साथ हो रहा था,रॉकी एक जवान और बहुत ही खूबसूरत लड़का था,गठीले बदन का मालिक ,वो मुझे बहुत आकर्षित करता था,वो मुझे जिम में एक्सरसाइज करने को इनवाइट किया ,वो मेरा पहला दिन था ,उसने मेरे लिए एक स्पोर्ट टीशर्ट खरीदा था ,साथ ही एक स्पोर्ट टाउसर ,वो इतने कसे हुए थे की मेरे एक एक अंग उससे झांकने को बेताब होते,
“ये क्या लेकर दे दिया है तुमने “
मैंने रॉकी को झूठे गुस्से से कहा
“एक बात तो सच है काजल तुम इसमें बहुत सेक्सी लग रही हो ,शरीर तो तुम्हारा पहले से ही कमाल का है बस थोड़ा और कस जाय तो मजा आ जाए ,”
“अच्छा तुम्हे क्या मजा आने वाला है इसमें “
वो मुझे ऊपर से नीचे तक ऐसी हवस भरी नजरो से देखा की मुझे भी शर्म आ गई
“क्या हम वो नही कर सकते जो कभी हमारे बीच हुआ था”
मेरी नजर उसके नजर से मिली ,वो सीरियस था,हवस की आग उसके चहरे पर साफ झलक रही थी ,वो लाल हुआ जा रहा था,मैंने अपना सर ना में हिलाया
“क्यो “
मैंने बिना कुछ बोले ही उसे अपना मंगलसूत्र दिखाया ,
“सच में काजल किसी को पता नही चलेगा “मेरी हँसी छूट गई
“अच्छा तो तुम मुझे मेरे पति से धोखा करने कह रहे हो “
मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा …
“नही काजल जब तक चोर पकड़ा नही जाता तब तक वो चोर नही होता,और हमारे बारे में किसी को कभी पता नही चलेगा “वो मेरे पास आने लगा लेकिन मैंने उसे रोक दिया
“मेरी आत्मा को तो ये बात पता रहेगी ना रॉकी ,उससे कैसे छुप जाएगा “
रोकी के चहरे में एक अजीब सी मुस्कान खिल गई
“तुम्हे क्या लगता है की मुझे पता नही की तुम क्या चाहती हो ,तुमने अपने नीचे शायद गौर नही किया ,तुम्हारी चुद इतनी गीली हो गई है की तुम्हारे टाउसर को भी भीगा दी रही है ,”वो तो हँसने लगा लेकिन मुझे अपने पर बहुत गुस्सा आया ,वो टाउसर था ही इतना कसा हुआ की मेरी पेंटी से पूरी तरह से चिपक गया था,मुझे तोड़ी शर्म आने लगी ,
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