RE: Porn Sex Kahani रंगीली बीवी की मस्तियाँ
इसी बीच इनका काम फिर से बढ़ गया,किसी प्रोजेक्ट के कारण ये बहुत बिजी हो गए थे,मैं अपने को कब तक सम्हाल पाती,और एक दिन अचानक वो हुआ जो नही होना चाहये था,प्यारे हमारे घर का नॉकर था,रातो को जब मुझे नींद नही आती और शराब की तलब लगती तो मैं छटपटा जाया करती थी,मैं बाहर हवा खाने निकल जाती ,एक रात मैं ऐसे ही बाहर निकली और प्यारे के कमरे से आ रही आवाजो ने मेरा ध्यान खिंच लिया ,वहां प्यारे के अलावा कुछ लोग और भी थे,वो हमारा ड्राइवर रघु था ,एक लड़की की भी आवाज आ रही थी,
मैं उसके कमरे की तरफ बढ़ने लगी ,
“आह नही ना ,”
मुझे पायलों और चूड़ियों की आवाज सुनाई दी ,साथ ही लड़की की सिसकारी,मैंने गौर किया ये तो रघु की बीवी रेणु थी, ये लोग यहां क्या कर रहे है,??????????
“आह मेमसाहब “प्यारे ने गरजते हुए कहा ,मैं थोड़ी डर गई,आसपास देखने लगी,कही मैं इन्हें दिख तो नही गई,लेकिन मैं कही से भी इन्हें दिख नही सकती थी वो कमरे के अंदर थे और मैं बाहर ,
“मेमसाहब को याद करके इस रांड को चोद रहा है साले”इसबार रघु था,
मैं चौक गई ,जिनसे मैं इतने अपनेपन से बात किया करती थी वो ही मेरे बारे में ऐसी बाते कर रहे है,उससे ज्यादा मैं इसलिए चौक गई क्योकि रेणु रघु की पत्नी थी और उसे उसके ही सामने प्यारे चोद रहा है…..
मेरी हालत खराब हो गई थी,की आखिर मेरे घर में ये क्या हो रहा है,अगर मैं नार्मल होती तो हो सकता है मैं दरवाजा खटखटा कर अंदर चले जाती ,लेकिन मेरी गर्मी भी इससे बढ़ रही थी,और मैं अब किसी की इज्जत भी थी मैं नॉकरो के मुह नही लगना चाहती थी ,मैंने सुबह होते ही इन्हें बताने का फैसला किया ...
मैं एक झीनी सी नाइटी में थी जिसे मैंने विकाश जी को रिझाने के लीये पहना था,लेकिन काम के बोझ में उन्होंने मेरे साथ कुछ भी नही किया ,मैं भी बेशर्म बनकर उनसे कोई फरमाइस नही करना चाहती थी,वो बड़े प्यार से मुझे देखकर रह गए और किस करके ही रो गए ,मेरी तड़फने बढ़ रही थी,बहुत दिनों के बाद मैंने ऐसे गन्दे शब्द सुने थे ,जिससे मैं बहुत गर्म हो गई थी,
शादी के बाद के लिए मेरी भाभियों ने मुझे कुछ महंगे लेगिंस लेकर दिए थे,उनमे से ही एक मखमली पेंटी मैं पहने हुई थी,जो अब गिला हो गया था,मेरे हाथ भी उसके ऊपर चले गए थे,मैं अपनी पेंटी में हाथ घुसाकर अपनी जांघो के बीच के छेद को सहला रही थी,हल्के हल्के बालो वाली मेरी योनि भीगने के कारण बालो में भी कुछ बून्द पड़ चुके थे,ये शादी के बाद पहली बार था जब मैं विकास जी के अलावा किसी और से उत्तेजित हो रही थी,
उधर से आवाजे बढ़ गई
“बोल ना मादरचोद प्यारे डार्लिंग ,मैं तुम्हारी काजल हु ,और तुम्हारी रंडी हु चोदो मुझे ...बोल “
प्यारे शायद बहुत ही उत्तेजना में था वो जोरो से बोला ,रेणु के कुछ ना कहने पर वो एक झापड़ उसे लगा दिया ,
सच में मुझे उसके ऊपर बहुत ही गुस्सा आ रहा था लेकिन उसके ऐसा बोलने से मेरे अंदर कुछ हो सा गया,इसबार रेणु ने उसकी बात दुहरा दी ,
“हा मादरचोद मैं काजल हु ,तेरी मालकिन काजल ,चोद मुझे जोर से चोद “
“आह काजल,वह काजल मेरी जान ओह ओह “
प्यारे के आवाज ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था,मेरी आंखे बंद हो गई,मुझे शहर के मेरे बॉयफ्रेंड की याद आ गई जो ऐसे ही मेरा नाम लेकर मुझसे सेक्स किया करते थे,मैंने दो उंगलिया अपने गीली हुई योनि के छेद में घुसा दी ,मेरे मुह से भी एक सिसकारी निकली पर वो बहुत ही धीरे थी,
मेरी आंखे बंद हुई और ….उधर से
“काजल मेरी जान ,ओह ओह “
“आह आह चोद मादरचोद अपनी काजल को “
प्यारे की आवाज में मैं खो सी गई थी ,वासना का उफान चरम में था,मैंने आंखे बंद ही किया था की मुझे एक झटका लगा,मेरे आंखों के सामने प्यारे की तस्वीर उभर कर आयी ,उसकी आवाज तो मेरे कानो में आ ही रही थी ,ऐसा लगा की वो अभी मेरे ऊपर चढ़ा मुझे धक्के मार रहा है,मैंने जोरो से अपनी आंखे खोली ...मेरी सांसे बहुत तेज थी ,
मुझे अपनी स्थिति का अहसास होते समय लगा ,लेकिन जैसे ही मुझे समझ आया की मेरे साथ ये क्या हुआ मैं भागती अपने घर में घुस गई,किचन में जाकर पानी पिया और उनके बगल में जाकर सो गई,लेकिन आंख बंद करने पर वही तस्वीर और कानो में वही आवाज……..
मैंने जोरो से योनि में उंगली डालकर हिलाने लगी,तब तक की मैं झर ना गई,लेकिन फिर मुझे याद आया की मैं कौन हु ,मैं अब कोई कालेज की लड़की नही बल्कि एक पत्नी हु जिसका पति अब भी मेरे बाजू में सोया था……..
उस वाकये को याद कर अभी मेरे माथे में पसीना गया यही वो रात थी जंहा से मेरे जिंदगी में आये उस मोड़ की शुरुवात थी जंहा से मैं अपने मालिक विकास जी के लिए भी बेवफा हो गई ….
मैं पुरानी बातो को सोचकर थोड़ी घबरा गई,विकाश जी अभी भी मेरे साथ सोए हुए थे,होटल के इस आलीशान कमरे में ,जिसे मेरे भैया ने किसी खास गेस्ट के लिये बनाया था और जंहा से पूरे शहर का नजारा दिखता था,ऐसे तो अभी तक कोई गेस्ट इसमें रहने नही आया लेकिन अब मैं इसका इस्तमाल किया करती थी,....
मैं उठकर कांच की दीवार के पास आ गई,हाथो में शेम्पियन का एक ग्लास था,प्यारे के बारे में सोचकर मुझे अपने पर गुस्सा आ रहा था ,मैं उस रात में डूबे शहर को देखने लगी और फिर से अपनी यादो में खो गई….
उस रात से मेरा प्यारे को देखने का नजीरिया ही बदल गया था,मैंने पहले तो रात की बात विकास जी को बतानी चाही लेकिन वो काम के कारण मेरी बात बिना सुने ही चले गए वो ऐसे भी बहुत अपसेट थे मैं उन्हें फिर से अपसेट नही करना चाहती थी,लेकिन प्यारे और मेरे बीच कुछ होने लगा,वो मेरे पास आने की कोसीसे तो हमेशा ही करता था,लेकिन अब मुझे पता चल गया था की उसके दिल में मेरे लिए क्या है,
मैं थोड़ी शरारती तो बचपन से थी,और कालेज में नेहा के साथ रहकर मैंने लड़को तो टिस करना भी सिख लिया था,इसमें मुझे और नेहा को बहुत मजा आता जब कोई लड़का हमारी जवानी को देखकर पागल हो जाता लेकिन कुछ भी नही कर पता,उनके चहरे में आये भाव से हम खिलखिलाकर हँस पड़ते,नेहा के जाने के बाद ये सब कम हो गया था,लेकिन पता नही मुझे इस बुड्ढे को जलाने की सूझी ऐसे भी मैं घर में बैठी बैठी बोर हो जाती थी ,सोचा की इससे थोड़ा टाइम पास भी हो जाएगा और इस बुढ्ढे को भी थोड़ा मजा आ जाएगा,साथ ही कही ना कही इससे मुझे भी बहुत मजा आने वाला था,अभी हाल के समय में विकास जी की बेरुखी से मैं थोड़ी बेचैन रहने लगी थी,इसी बहाने मैं भी थोड़े मजे करने की सोची …………..
मुझे कभी कभी रेणु के व्यवहार पर भी शक होता,वो मुझे सेक्सुअली उकसाने की कोसीसे करती,उसे शायद लागता हो की मैं एक नई नई दुल्हन हु और मुझे कुछ भी नही पता,लेकिन उसे नही पता था की जिस खेल के बारे में वो मुझे समझना चाहती है मैं उसने एक्सपर्ट थी,मुझे ये जानना था की रेणु रघु के होते हुए भी प्यारे के साथ क्यो सेकस कर रही थी,और रघु उसका साथ क्यो दे रहा था,मैं प्यारे से अब ज्यादा हँस हँस कर बाते किया करती,मेरे आवाज में एक मदहोशी होती थी,मैं उसे इतना टिस करती की कभी कभी उसके लूस पेंट में उसका लिंग अकड़ जाता ,मैं अकेले में बहुत हस्ती और प्यारे पूरी कसर रेणु के उपर निकाला करता था,
कुछ ही दिन बीते और प्यारे और रेणु भी मुझसे खुलने लगे,रेणु ने धीरे धीरे मुझे प्यारे के बारे में सब कुछ बता दिया,उसका जोर बस इसपर था की प्यारे कितना अच्छा सेक्स करता है और कैसे उसे संतुस्ट करता है इसलिए वो ये सब कर रही है,लेकिन उसने ये नही बताया की रघु भी इस खेल में शामिल था,समझने को मैं सब समाझ रही थी की रेणु असल में प्यारे के बोलने पर ही ये सब मुझे बोल रही है ताकि मेरे अंदर प्यारे के लिए एक उत्सुकता का जन्म हो ,मैं भी भोली भाली सी उसका साथ देती और उसकी बातो को झूठे आश्चर्य से सुनती थी,वो बहुत ही खुस होते और मैं मन में मुस्कुराती ,हम दोस्तो की तरह रहने लगे थे,प्यारे मुझे छूने की हिम्मत तो नही करता लेकिन हमेशा ही मेरे साथ फ्लर्ट करने की कोसीसे करता था,मैं भी उसे मुसका कर जवाब दे देती थी,
इधर विकास जी से प्यार का परवान चढ़ता गया लेकिन साथ ही प्यारे के कारण दिन भर मैं गीली रहने लगी थी,विकास जी से रात में तो सुख मिल जाता था,पर सुबह और दोपहर पूरा समय तो प्यारे ही सामने होता था,
एक दिन मैं रात को जागी,प्यारे आज अकेले ही था,वो भी कमरे के बाहर निकाला हुआ बैठा था,
वो मुझे देखते ही खड़ा हो गया ,
“अरे काका आज नींद नही आ रही आपको “
मेरे चहरे में एक शरारती मुस्कान आ गई ,
“कुछ नही बिटिया मुझे तो अक्सर रातो में नींद नही आती ,”
वो उदास सा कहने लगा,मैं उसके पास जाकर उसके कमरे के चौखट में ही बैठ गई ,ये पहली बार था जब प्यारे मेरे इतने करीब था,मैं और विकास जी अभी अभी ही प्यार के समुंदर में डुबकी लगाए थे ,मेरे शरीर से सेक्स के बाद आने वाली एक मनमोहक खुसबू अभी भी आ रही थी,प्यारे जैसे एक गहरी सांस लिया ,उसका लिंग उसके लुंगी में तन गया,मेरी नजर जैसे ही उसपर गई मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई ,वो थोड़ा नर्वस था,
“आपकी खुसबू बड़ी ही कमाल की है बिटिया “
वो झिझकते हुए कहा और मैं शर्माने की एक्टिंग करने लगी ,
वो इससे बहुत खुस हुआ,
“मैं रातो को अपने को बड़ा अकेला पाता हु,काश मेरी बीवी अब भी जिंदा होती “
वो फिर से एक गहरी सांस लेकर कहता है,साले ने अपना गेम खेलना शुरू कर दिया,जैसे मुझे पता नही की वो कितना अकेला होता है,लेकिन मैं अनजान बनती रही ,
“अरे हम लोग तो है ना आपके साथ “मैंने बड़ी ही मासूमियत से कहा
“हा लेकिन रात को कहा “
“अरे काका रात में भी तो आपके साथ बैठी हु ,आप बोलो तो मैं विकास जी को जगा लाती हु “
मैंने अपना भोलापन कायम रखा था,वो बुरी तरह से चौका
“अरे नही नही …”थोड़ा सा रिलेक्स हुआ
“वो वो साहब को क्यो तकलीफ देती हो ,बेचारे थक जाते होंगे काम से “
“हा थक तो जाते है,ठीक है अब मैं ही आपके पास आकर आपसे बाते किया करूँगी “
प्यारे की तो जैसे बांछे खिल गई ,उसे मेरी बात से इतनी खुसी हुई की उसके गले से कोई शब्द ही नही फुट रहा था,उसे शायद लग रहा था की उसका प्लान कामियाब हो रहा है और मैं भी उसे यही यकीन दिलाना चाहती थी,
“हा बिटिया बिल्कुल बिल्कुल “
“चलिए आपको चाय पिलाती हु ,मैं कालेज के दिनों में रातो को काली चाय पिया करती थी,जब भी मुझे नींद नही आती थी,आपको भी पिलाती हु ,जब आपको नींद नही आया करे मुझे बुला लिया कीजिये ,ये मेरा नंबर है आप मेसेज कर दिया कीजिये मैं अगर जागते रहु तो आ जाऊंगी ..”
शायद प्यारे को ये यकीन ही नही हो रहा था की उसके साथ सचमे ये हो रहा है,इतनी जल्दी उसे ये सब मिल जाएगा उसने नही सोचा होगा,खैर मैं उसे उसके ही रूम में चाय बनाकर पिलाने लगी,हम थोड़ी देर बाते करते जिसमे वो अक्सर अपने अकेले होने का रोना रोता और मैं उसे दिलासा दिलाती ,एक दो दिनों तक यही चलता रहा,अब प्यारे मेरे पास बैठने में झिझकता नही था ,लेकिन अब भी वो मुझसे दूर ही रहता,एक दिन हम ऐसे ही बैठे चाय पी रहे थे…और प्यारे अपने अकेले होने के बात पर रो रहा था,
“अच्छा काका एक बात बताइये ,”
“हा हा बोलो बहु “
“आप हमेशा मुझसे कहते है की आप अकेले है ,लेकिन रेणु तो मुझे कोई अलग ही कहानी सुनाती है,”
प्यारे को पता था की रेणु मुझे क्या कहानी सुनाती है,लेकिन फिर भी वो अनजान बनने लगा
“क्या,क्या कहानी सुनाती है बहुरानी “
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