RE: Porn Sex Kahani रंगीली बीवी की मस्तियाँ
मिश्रा ने मेरे प्रस्ताव को टुकड़ा दिया लेकिन मेरे जिद करने पर वो भी सोचने पर मजबूर हो गए लेकिन नेहा इसके खिलाफ थी वो कभी नही चाहती थी की मैं उस दलदल में फंसु जंहा वो है ,वो खुद इस मिशन का हिस्सा बनने की जिद करने लगी थी आखिर में ये डिसाइड हुआ की दोनो ही अलग अलग रूप से इस मिशन में जुड़ेंगे,नेहा की सेक्स की भूख भी शायद यहां जाने से शांत रहे लेकिन मुझे कुछ ना हो इसके लिए मुझे कुछ अलग तरह के काम सौपे गए,मुझे ड्रग्स और सेक्स दोनो से दूर रहना था,लेकिन वक़्त क्या गुल खिलाने वाला था किसे पता था,हमारे सुरक्षा और सहयोग के लिए कुछ अंदर कवर एजेंट नियुक्त किये गए थे ,जो अलग अलग विभाग से चुने गए थे,हमे जगहों का पता लगाना था और जो लोग इसमें इन्वॉल्व है उन्हें गिरफ्तार करवाना था,ऐसे तो ये मिशन ज्यादा बड़ा नही था लेकिन उसे सफाई से करना बहुत जरूरी था,....
हमरी शुरुवात तो धमाके दार हुई जूही सचमे कमाल की थी ,उसके तीखे नयन नख़्स से लोग इतने जल्दी उसके दीवाने हो जाते की सारे सीक्रेट उगल देते,वही नेहा भी कमाल की साबित हुई और सबसे अच्छी बात ये हुई की वो इस काम से बहुत संतुस्ट थी उसने ड्रग्स लेना कम कर दिया था और वो खुस रहने लगी थी ,मेरा काम कुछ खास नही था,मैं बस निगरानी करने,इन्फॉर्म करने और वक़्त पड़े तो लड़ाई करने का काम करती थी,हमने 2 सप्ताह में ही कुल 20 लोगो को गिरफ्तार करवाया ,नेहा को पहले से सेक्स रैकेट के एजेंटों का पता था वो इसका फायदा उठा फिर से इस काम में निकल पड़ी और उसके इनफार्मेशन के बेस में जगह जगह छापे पड़ने लगे,इधर जो लोग इसमें इन्वॉल्व थे वो बौखला से गए थे,इतने छापे कई करोड़ो के ड्रग्स पकड़े गए थे,हम अपने शहर तक ही सीमित नही थे हम दूसरे जगहों पर भी जाते,कई फार्म हाउस में छापे पड़े,मैं सभी की नजरो से हमेशा ओझल ही रही लेकिन जूही और नेहा को स्पॉट कर लिया गया,इससे कोई खासा फर्क तो नही पड़ा और कई अधिकारियों को भी हमने गिरफ्तार करवाया,लेकिन जिसे मैं जानना चाहती थी वो अभी तक हमारे सामने नही आया था की आखिर इन सबके पीछे है कौन वो एक व्यक्ति जिसने पूरा जाल बिछाया है……..
कुछ समय बाद ऐसा लगने लगा की हमारा काम पूरा हो गया ,कही कोई भी वारदात नही ,ड्रग्स से पीड़ित लोगो के लिए केंद्र भी खोले गए जिसमे नेहा भी जाने लगी थी,किसी पार्टी में उस ड्रग्स का नामोनिशान नही मिलता था,आखिर 2 महीने के मेहनत के बाद शासन ने भी सोच लिया की उनका काम खत्म हो गया है,हमारी टीम को पुरुस्कार देने की बात होने लगी लेकिन मैं सामने नही आना चाहती थी ना ही नेहा,पूरा श्रेय अकेले जूही को मिला और साथ ही मिला उसे प्रमोशन ,............
लेकिन कहानी अभी खत्म नही हुई थी,असली गुनहगार बस इसी तलाश में बैठा था की कब हम शांत हो जाय और वो अपना वॉर करे ...
मैं अब भी नेहा के साथ ही रहा करती थी ,नेहा की हालत में काफी सुधार हो गया था लेकिन फिर भी उसके सेक्स का नशा गया नही था,वो कम लेकिन फिर भी क्लबो में जाया करती थी,उसके पेरेंट्स को इसके बारे में कुछ भी नही पता था,लेकिन कुदरत कभी कभी जब दुख देने में आती है तो तोड़कर ही रख देती है और ऐसा ही नेहा के साथ भी हुआ उसके माता पिता का एक एक्सीडेन्ट में देहांत हो गया ,वो इससे अंदर के टूट गई थी ,और अब वो थोड़ा चुप ही रहा करती,उसकी उदासी मुझे भी दुखी करने लगी थी,
इधर मेरे और मिश्रा जी के बीच कुछ होने लगा था,वो मेरे लिए प्यार का पहला आभास था,वो एक अजीब सी कुलबुलाहट मेरे अंदर होने लगी थी,हम दोनो को ही पता था की हमारे बीच ये सब थोड़ा अजीब था,लेकिन फिर भी मिश्रा जी का भी व्यवहार मेरे प्रति बदल रहा था,वो मुझे कभी कभी छू लिया करते और मैं जानती थी की उनकी इस छुवन में वो बात नही है जो एक अभिभावक के छूने में होती है,इम्की छुवन मेरे अंदर कुछ हिला सा देती थी,मैं अब उनके सामने बहुत शर्माने लगी थी ,मुझे लगता की मिश्रा जी मुझे देखेंगे तो उन्हें कैसा लगेगा वो क्या सोचेंगे,मैं अब कभी कभी उन्हें खुश करने के लिए ही सजने लगी थी,नेहा को अपनी उदासी ,और दुख में मेरे कारण खुस होने की एक वजह मिल गई थी,वो मुझे मिश्रा जी के नाम से छेड़ती थी,कभी कभी मिश्रा जी के सामने भी इस बात को निकाल देती हम दोनो ही इस बात को लेकर नर्वस हो जाते थे,तब वो खिलखिला कर हँसती,उसकी उस मासूम हँसी में मैं खुस हो जाती ,मिश्रा जी से नजदीकियां बढ़ाने को वो हमेशा ही जिद किया करती थी ,लेकिन मैं डरती थी वो डर एक अनजान सा डर था,उम्र की ये दूरियां,उनकी मेरे इतनी ही एक बेटी थी जिसके बारे में मिश्रा जी ने मुझे बताया था,मैं उनके बेटी के उम्र की थी और उनके साथ रिलेसन रखना ,एक डर तो था,लेकिन मिश्रा जी के अलावा किसी और की बात दिमाग में ही नही आती,लेकिन उस रात कुछ हुआ……………..
मैं और नेहा एक पार्टी में गए थे कालेज के दोस्तो के साथ बहुत दिनों के बाद हम पार्टी कर रहे थे ,बारिस का मौसम था और बारिस अपने पूरे सबाब पर थी,हम दोनो ही शराब के नशे में थे ,नेहा को सेक्स का भूत चढ़ गया,हमारे ही क्लास का एक लड़का जिससे नेहा के पुराने रिलेसन थे वो नेहा को रुकने की जिद करने लगा,पार्टी उसके ही घर हो रही थी ,नेहा भी आज पूरी तरह से तैयार थी बस मेरे हा कहने का इंतजार था,दोनो ही मुझसे परमिशन मांग रहे थे,मैं लड़के को जानती थी और नेहा भी अपने माता पिता की मौत के बाद आज खुस लग रही थी ,मैं चाहती थी की वो भी अपने नार्मल जिंदगी में वापस आ जाय,मैंने उसे हा कह दिया लेकिन मैं वहां नही रुकना चाहती थी,और मैंने मिश्रा जी को बुला लिया,मिश्रा जी ने गाड़ी भेजने की बात कही ,हम सभी दोस्त बारिश में खूब नाचे थे,
मेरी गाड़ी आयी और मैं घर की तरफ चल दी,मैं जानती थी की हो ना हो मिश्रा जी भी आज मेरे रूम में होंगे …
मैं एक लाल कलर की साड़ी में लिपटी हुई थी,बदन और कपड़े दोनो ही भीगे हुए थे,नई नई जवानी आयी थी और मादकता अपने चरम पर थी,शरीर में अभी अभी भराव आने शुरू हुए थे,मैं एक अनखिली फूल थी…
मिश्रा जी के दरवाजा खोलते उनकी नजर मेरे पूरे बदन पर गई ,उनके बेटी की उम्र की लड़की आज उनके सामने खड़ी थी अपने जवानी के उफनते शैलाब को भीगे हुए कपड़ो में छुपाते हुए,लेकिन सच तो ये था की जिस्म की मादकता भीगने पर और निखर कर आ रही थी,
वो आंखे फाड़े मुझे घूर रहे थे और मैं शर्म से मरी जा रही थी,मैं भी शराब के सुरूर में थी लेकिन इतनी बेआबरू नही थी की बहक जाऊ,मैं अंदर आने को हुई मिश्रा जी ने मुझे रास्ता दिया मैं सीधे अपने कमरे में चली गई ,मिश्रा जी ने ही हमे ये 2 bhk का फ्लेट दिलवाया था,वो कभी कभी ही आते थे,लेकिन उनके लिए एक कमरा बुक था,शराब के नशे में मैंने एक गलती कर दी ,मैं अंदर तो आ गई लेकिन कमरे को बंद करना भूल गई,दरवाजा सरकता हुआ खुल गया था जब मैं दर्पण के सामने खड़े अपने यौवन को निहार रही थी,मेरा पल्लू सरका हुआ था और मेरे बड़े तरबूज मेरे कसे ब्लाउज़ से बाहर आने को बेताब थे,दरवाजा जब सरका तो मैं उन्हें ही हाथो में पकड़े थी और मुस्कुरा रही थी ,मिश्रा जी सामने ही खड़े थे और।मुझे आश्चर्य से घूर रहे थे,ना जाने उन्होंने क्या देख लिया था लेकिन उनकी आंखों में विस्मय के बहाव साफ साफ झलक रहा था,मुझे भी इसका आभास हुआ और मैं मुस्कार उनकी तरफ देखने लगी,हमारी आंखे मिली और मैं शर्म से मूर्ति की तरह खड़ी की खड़ी रह गई,जब मुझे होश आया की मैं क्या कर रही हु मैं भागते हुए गेट को बंद करने गयी लेकिन मिश्रा जी की सब्र की सीमा तब तक टूट चुकी थी,वो आगे बढ़कर गेट तक पहुचे और मुझे उसे बंद करने से रोक लिया वो अब मेरे कमरे में थे,वो मुझे देखते ही रहे और मेरी नजर जमीन को ……..
मेरा पल्लू अभी भी गिरा हुआ था,उन्होंने अपना हाथ मेरे कमर पर रखा,गिले बदन में जैसे आग लग गई हो,मैं एकदम से कांप गई ,वो मुझे अपनी ओर खिंचे और मैं किसी गुड़िया की तरह उनसे जाकर चिपक गई ,उन्होंने अभी एक बनियाइन और निकर डाल रखी थी ,उनके छाती के घने बाल में मेरा चहरा रगड़ खा रहा था,मेरे कान उनके धड़कनों की आवाज सुन सकते थे,उनके हाथ काँपते हुए मेरे बदन को सहला रहे थे ,हम दोनो की सांसे इतनी भारी थी की इसका अहसास दोनो की कर सकते थे,लेकिन दोनो ही आगे बढ़ने से डर रहे थे,एक अजीब से फीलिंग थी ,पहली बार किसी ने मुझे इस तरह से और इस मकसद से छुवा था,मैं कुछ भी नही करना चाहती थी बस चाहती थी की बस ऐसे ही उनके सीने में सर रखे पड़ी रहू,
लेकिन कब तक वासना की आग तो दोनो में धधक रही थी ,ये वासना था या प्यार????
कहा नही जा सकता ,लेकिन वासना हम पर हावी थी,एक दूजे से सटे रहने का कारण जरूर प्यार ही था ,वो प्यार जो सालो से हमारे बीच पल रहा था आज उसे अंजाम मिलने वाला था,लेकिन अभी तो हम जिस्म की उस आग के गिरफ्त में थे जिसने हमे जला दिया था,
उनके हाथ अब मेरे कमर से होते मेरे नितंबो पर पड़े मेरी सांसे रुक गई,और उनके हाथ भी मेरी इतनी भी हिम्मत नही हो रही थी की मैं उनसे अलग हो सकू,या उन्हें रोक सकू,या उन्हें आगे बढ़ने को कहु मैं क्या चाहती थी वो तो मुझे भी नही पता था,बस पता था तो ये पल,ये पल सचमे बड़ा ही खूबसूरत था और मैं बस यही रहना चाहती थी इसके सिवा कुछ भी जो हो रहा था ,मैं उसके अहसास में ही खोये रहना चाहती थी ,मैं उनके हाथो को अपने नितंबो के ऊपर महसूस किया और मेरे मुह से एक सिसकारी अनायास ही निकली,
“आह ,”
ये सिसकारी शायद मेरे इस खेल को इजाजत देने का प्रमाण था,मिश्रा जी को वो मिल गया था जो वो चाहते है,उन्होंने हल्के से नितम्भो को दबा दिया,
“आआआ हहहह “
इस बार मेरी सिसकी थोड़ी लंबी थी,
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