Porn Sex Kahani रंगीली बीवी की मस्तियाँ
12-21-2018, 10:45 PM,
#26
RE: Porn Sex Kahani रंगीली बीवी की मस्तियाँ
,उसके प्यारे से मम्मे और नीचे की गोलियां बहुत ही प्यारी लग रही थी ,वो नई नई सी जवान कन्या की तरह लग रही थी ,उसकी उम्र यू तो ज्यादा थी पर फिगर बहुत ही तरसा हुआ और कोमल था,ज्यादा उभर कही भी नही थे ,जैसा की वो अभी अभी जवान हुई हो ...शरीर से वो बस 16-20 साल की लगती थी,बहुत प्यारी सी ….उसे देखकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गयी ,उसने अपने साथ एक बड़ा सा बेग भी रखा था,स्वाभाविक था की वहां तो कुछ मिलता नही तो कुछ खाने पीने की चीजे भी रख ली थी जिसमे एक पूरा बियर का बास्केट था,ऐसा लग रहा था जैसे की हम कही पार्टी करने जा रहे है ,
वो खण्डर बहुत ही पुराना था,सुना था की कोई 1500 साल पहले कोई राजा यहां पर राज करता था उसके बाद उसने अपनी राजधानी कही और बसा ली और ये इलाका वीरान होता गया ...ऐसे तो इसका बहुत ही ऐतिहासिक महत्व था पर बस यहां खण्डर और कुछ भग्न मूर्तिया ही बची थी ….
यहां शायद ही कोई आता हो ,जाने के लिए कच्ची सड़क थी और आसपास बस सुनसान घना जंगल,लेकिन मलीना के लिए ऐसा नही था वो तो उसे देखकर बहुत ही खुस हो गयी …
“वाओ …”मुझे समझ नही आया की इसमें वाओ क्या है…
वो अपने हथियार वगेरह निकल कर बस काम में भीड़ गयी ,और मैं एक लाचार सा बस उसे देखता रहा ,मुझे समझ ही नही आ रहा था की मैं यहां क्या कर रहा हु,साला रघु को भी साथ ला लेना था,कम से कम बैठ के बियर पीते,ये रेणु को बियर पीकर उसे जंगलो में ले जाता….सोचकर मेरा लिंग एक अकड़ मारा ...और मैं एक बियर निकल के पीने लगा..धूप खिली हुई थी और थोड़े सरूर के बाद वो शांत जगह मुझे बहुत ही सुहावनी लग रही थी …..लगभग एक घंटे बाद पूरी जगह घूम कर वो मेरे पास आयी उनके हाथ में भी एक बियर था…
“विजय यार ...क्या जगह है,यहां कोई पहले खोज करने नही आया क्या “
मैंने अपने कंधे उचकाए …
वो एक गहरी सांस लेती है ,
“1500 साल …..ना जाने यहां क्या हुआ होगा की राजा को अपनी राजधानी ही बदलनी पड़ी ...मैं यहां पर खुदाई करवाउंगी ….”
ख़ुदाई करवा या चुदाई करवा पर मुझे छोड़ दे ...मैंने मन में ही कहा …
“ह्म्म्म ऐसे तुम्हे यहां का पता कैसे लगा …”
“मेरे पापा से …”वो बेफिक्र सी बोली 
“अरे वाह वो यहां कब आये “
उसने मुझे देखा,इसबार उसकी आंखों में खुशी गायब था,पता नही क्यो मुझे एक गहरे दर्द का अहसास हो रहा था,मैं उसके कंधे पर अपना हाथ रखा …
“are u ok “
“ya “
वो मेरे कंधे पर अपना सर रख ली ,कुछ तो बात जरूर थी जो वो बताना नही चाह रही थी ,
“क्या हुआ पापा का नाम सुनकर तुम इतनी उदास क्यो हो गयी ,...”उसके आंखों से टपकते आंसुओ का आभास मुझे हुआ,मै उसका चहरा उठाया,किसी बच्ची की तरह वो प्यारी सी लकड़ी यू रोये मुझे बिल्कुल भी अच्छा नही लगा,पता नही क्यो मुझे उसपर इतना प्यार आया की मैं उसके आंसुओ को अपने होठो से पी गया,...वो पहले तो मुझे एक आश्चर्य भरे नजरो से देखी ,पर मेरे चहरे पर कोई भी वासना का भाव ना पाकर वो एक मुस्कान से मेरा आभार व्यक्त किया ,लड़कियों की ये खासियत होती है की वो वासना और प्यार में आसानी से अंतर कर सकती है,अगर वो चाहे तो ….
“you are so cute ,ऐसे रोया मत करो “
“थैंक्स “वो किसी बच्चे की तरह मेरे गले से लग गयी ..
“पापा ने सही कहा था की तुम एक बहुत ही अच्छे इंसान हो इसीलिए उन्होंने तुम्हे मेरे साथ भेजा “
अब शॉक मुझे लगा ,
“वाट पापा ने “मैं आश्चर्य से भर गया था ,और वो बड़ी ही मनमोहक मुस्कान से मुझे देख रही थी …
“हा पापा ने ….मिश्रा जी मेरे पापा है ,मेरे मम्मी के पहले पति और मेरे असली पापा …..”
मेरा दिमाग अब और भी ज्यादा घूम गया ,साला ये कैसे हो सकता है ….एक इंडियन कपल की औलाद गोरी कैसे...मेरे नजरो की कसमकस को वो समझ चुकी थी ,
“वो मेरी मा इंडियन थी और एक एयर होस्टेज थी ,पापा (मिश्रा ) उन्हें बहुत प्यार करते थे पर उन्होंने मेरे पापा को चिट किया और एक इटालियन के साथ …..जब मैं पेट में थी तो उन्होंने ये सब पापा को बताया ,पापा उन्हें इतना प्यार करते थे की उन्होंने इसके बाद भी मेरी मॉम को अपनाया और बहुत प्यार दिया पर वो फिर भी चुपके से उनसे मिलती रही ,जब मैं 2 साल की हो चुकी थी तब उन्होंने डिवोर्स ले लिया ,पापा मुझे बहुत प्यार करते थे और मेरे लिए उन्होंने कानूनी लड़ाई भी लड़ी,पर उस समय वो एक बिजनेस मेन थे और उनके फैमली लाइफ के कारण बहुत ही लॉस में चल रहे थे मेरी कस्टडी मेरी मा को मिल गयी पर मेरी नानी ने मुझे अपने पास रखा वो मेरी मा के इस किये से बहुत दुखी थी वो मेरे पापा को बहुत ही प्यार करती थी ,इस फैसले के बाद ही पापा का मन सबसे उठ गया वो कभी कभी मेरी नानी से और मुझसे मिलने आते थे,उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी समाज के नाम करने का फैसला किया और वो एक IAS ऑफिसर बने और अपनी ईमानदारी के बल पर इतना नाम कमाया…..”मलीना के आंखों में फिर से आंसू थे और मैं बस उसकी बाते सुन रहा था…
“जब मैं 12 साल की थी तो मेरी नानी चल बसी और मा ने मुझे पापा को बिना बताये ही इटली ले गयी ,लेकिन मैं कभी भी उसे अपना पिता नही मान पाई ,,,,पापा ने मुझे ढूंढने की बहुत कोसिस की,मैं भी उन्हें ढूंढने की कोशिस करती रही और जब मैं 20 की थी और कॉलेज में थी तो मैंने पापा को इंटरनेट से ढूंढ ही लिया,उन्हें कोई सम्मान मिला था जिसकी खबर में उनका फ़ोटो भी था,मैं सालो बाद उनसे मिली और अब मैं अपना छोड़कर उनके पास रहने चली आयी ,लेकिन पापा अब भी मा से बहुत प्यार करते है,और उन्होंने मुझे समझा कर वापस भेज दिया ,लेकिन इस बार नही इस बार मैं सबसे झगड़कर आयी हु और अब मैं नही जाने वाली …”
उसके रोते हुए आंखों में आयी चमक ने मुझे खुस कर दिया ,जाने क्यो मुझे उसका ये कहना की अब वो नही जाने वाली बहुत अच्छा लगा और मै फिर से उसके गालो पर लुढक रहे आंसुओ को चुम लिया ,उसके होठो में मुस्कान और भी गहरी हो गयी,इतने कम समय में ही उसके और मेरे बीच एक अजीब सा संबंध बन गया जैसे की हम एक दूसरे को सालो से जानते हो ,मेरे मन में उसके लिए कोई भी बुरे खयाल तो नही थे पर ना जाने क्यो वो मुझे इतनी अच्छी लगने लगी थी की मन करता था की बस उसके पास बैठा मैं उसकी प्यारी बाते सुनता रहू,वो उठाकर खड़ी हुई एक ही घुट में अपना बियर खत्म किया और अपने काम में भीड़ गयी,और मैं बस उसकी बातो को सोचता रहा ,.....
आज मुझे मिश्रा जी के दर्द का अहसास हुआ,इतना जिंदादिल आदमी,इतना पावरफुल क्यो दूसरी शादी नही किया,क्यो वो ऐसे अकेले में रह रहा है,क्यो वो पूरा समय बस समाज के लिए देते है...उनके प्रति मेरा सम्मान और भी बढ़ गया था,लेकिन एक चीज ने मुझे चुभो दिया क्या मेरी काजल भी मुझे यू छोड़कर चली जाएगी ,मिश्रा जी भी अपनी बीवी की गलतियों को नकारते हुए उसे अपना लिए थे ,यहां तक की किसी दूसरे के बच्चे को अपने बच्चे की तरह प्यार दिया पर फिर भी वो चली गयी ,क्या काजल को भी मेरे प्यार की कोई कदर नही होगी…..
“काजल “मेरे मुह से अनायास ही निकल गया….
मुझे नही पता था की मलीना इसे सुन लेगी …
वो मेरे पास आकर मेरे कंधे पर अपना हाथ रखती है…
“वो तुम्हे नही छोड़ेगी ,वो तुमसे बहुत प्यार करती है…”
जैसे उसने मेरे मन की बात पड़ ली हो,मैं अपना सर ऊँचा किये उसे देखा वो बस मुस्कुरा रही थी…...

आज रात काजल को मिश्रा जी के बारे में सब बताया वो भी उसे सुनकर बहुत दुखी हुई पर मुझसे कहा की तुम मलीना का धयन अच्छे से रखना वो बड़ी ही प्यारी है,मैंने भी ये बात मान ली….
वक़्त के काटने के साथ ही मेरे और मलीना के रिस्ते में एक मधुरता आ गयी,उसके साथ रहना बाते करना मुझे बड़ा ही अच्छा लगता था,हम खंडरो में बैठे रहते,घंटो एक दूजे के बांहो में….ना जाने वो क्या क्या कहती पर मुझे कई चीजे समझ ही नही आती ,बस इतना समझ आता था की वो यहां बहुत ही खुस है….एक दिन मुझे ऑफिस जाना था ,मैंने मलीना को कहा वो भी मेरे साथ ही शहर आ गयी उसे कुछ समान खरीदना था साथ ही वो हमारे होटल को भी देखना चाहती थी ,मैंने उसे काम निपटाकर आने को कहा ,मुझे एक मीटिंग लेनी थी जो बहुत देर चलनी थी ,मैंने रघु को उसके साथ भेज दिया ...लगभग शाम 4 बज चुके थे,इतने दिनों की गैरमौजूदगी में जो काम बचा था वो तो पूरा कर ही लिया बल्कि कुछ दिनों बाद करने वाले साइन भी आज ही कर दिया,सभी को इंस्ट्रक्सन देकर मैं कुछ और दिनों के लिए फुर्सत हो गया,मैं रघु को गाड़ी ले के आने के लिए काल किया ,लेकिन ये क्या वो तो मेरे ही ऑफिस के बाहर खड़ा था…
मैं बाहर निकला 
“अरे तू यहां क्या कर रहा है,काजल ने भेजा क्या…”
“नही सर वो मलीना मेडम घर चले गयी ,उन्हें छोड़कर यहां फिर से आया हु ….”
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ ,
“तो वो होटल नही गयी “
“गयी थी सर पर बहुत ही जल्दी वापस आ गयी ,और सीधे घर चलने को कहा ….”
मुझे मामला कुछ समझ नही आ रहा था,मैंने काजल को काल किया,
“काजल क्या मलीना आयी थी “
“नही क्यो आने वाली थी क्या …..”
मेरा माथा ठनक गया 
“कुछ नही बस यू ही ,तुम चल रही हो क्या साथ या मैं निकलू घर “
“आप जाइये मुझे अभी समय लग सकता है”
“ओके जान घर में मिलते है जल्दी से आना “
काजल की हल्की हँसी सुनाई दी 
“लव यू जान ,जल्दी से आ रही हु “और वो हस ही पड़ी 
साथ ही मैं भी हस पड़ा …..
ये आखिर हुआ क्या था की मलीना इतने जल्दी होटल से चली गयी ….मैंने सीधे उसे ही काल लगा लिया 
“मैं आपसे बात में बात करती हु ...कल मिलकर बात करते है मुझे अभी थोड़ा काम है “उसने फोन उठाते ही कहा …
“ओके “
कुछ तो गड़बड़ तो थी...ये मुझे तुम से आप बुला रही है ,अचानक इसे क्या हो गया ...मैं बस अपने ही सोच में था सोचा चलो क्या होता है कल तो मिलेगी ही …
मैं आज जल्दी घर आ गया ,बड़े दिनों बाद ऐसा हुआ की मैं इतनी जल्दी घर आया था,रघु अपने घर चले गया मैं फ्रेश ही हुआ था की रेणु काम करने आयी ,प्यारे कही दिखाई नही दिया शायद अपने रूम में हो ,वैसे भी साला आजकल कम ही दिखाई देता है…
आज तो मौका भी था और दस्तूर भी इतने दिनों से मैं रेणु के ऊपर कुछ भी ध्यान नही दे पाया था,
आज वो मुझे भी अकेला देख थोड़ा सा शर्मा गयी,उसके बदन को देख कर ऐसे भी मेरा सांप अकड़ने लगा था ,

पतले से साड़ी में वो गदराया हुआ देसी बदन कौन नही भोगना चाहेगा ,उसके उजोर तो बस उसके कसे हुए ब्लाउज़ से बाहर आने को छटपटा रहे थे,और कमर का वो हिस्सा जो साड़ी से नही ढका था वो मुझे उसे मसलने को आमंत्रित कर रहा था,वो चुपचाप किचन में जाकर बर्तन धोने लगी,मैं अपने कमरे में जाकर अपने अंडरवियर निकाल फेका मुझे पता था की अभी काजल के आने में बहुत समय है,मेरे पास आराम से 2 घंटे है,इतने समय में तो दो बार उसे भिगो देता,लेकिन आज तो बस मुझे उससे खेलना था,ताकि वो तैयार तो हो सके,मैं अपना लोवर पहन कर किचन में चला गया,...
इतने दिनों से दौड़ाने और योग से मेरी बॉडी में कुछ निखार सा आ गया था,और वो स्टेमिना बिस्तर में भी दिखाई देती थी,कुछ गठीला तो मेरा बदन पहले भी था पर दौड़ाने और योगा से थोड़ी मोड़ी बची चर्बी भी जाती रही ,वो भी जानती थी की मैं उसके पीछे ही खड़ा हु पर वो भी ठहरी एक शादीशुदा नारी ,अपनी मर्यादा को वो कैसे लांघ सकती थी,मैं उसके पास गया मुझे उसकी तेजी से चलने वाली सांसे महसूस हो रही थी ,वो उत्तेजित थी ,किसी अनजान भय से शायद उसकी सांसो की रफ्तार भी बड़ी हुई थी,मैंने उसे दबोचा नही जैसा मेरा दिल कर रहा था ,बल्कि मैं उससे थोड़ा सट गया,मेरा लिंग तो तनकर फूल गया था,वो उसके नितंबो के दीवारों को रगड़ने लगा,वो इससे अनभिज्ञ बनते हुए अपना काम करती रही पर उसकी सांसे उसके मन की स्थिति का बयान कर रही थी ,उसका सीना भी अब ऊपर नीचे होने लगा था,मुझे उसकी ये स्थिति देख बड़ा ही मजा आ रहा था,आजकल मुझे लोगो को तड़फने में बड़ा ही मजा आने लगा है…..
मैं उससे पूरी तरह सट के खड़ा हो गया ,वो अब भी अनजान सी अपना काम कर रही थी ,हालांकि उसके हाथ अब काँपने लगे थे,मैंने बेसिन से पानी की कुछ बूंदे ली और उसके खुले पीठ पर छोड़ दी …
“हाय साहब,क्या कर रहे है …”उसकी आवाज में वासना की मादकता गुली हुई थी ,वो लगभग फुसफुसाने की तरहः बोली ,
मैं अब भी चुप था,वो बूंदे लुढ़कती हुई उसके पीठ से उसके कमर तक आ पहुचा था और उसके साड़ी के बंधन के बीच जाकर समाप्त हो गया….
मैंने} हल्के उंगलियों से उसके पीठ को छूना शुरू किया और जितने आराम से वो बून्द नीचे आया था उतने ही आराम से अपनी उंगलियों को नीचे ले जाने लगा,,,,,
“हाय ,साहब नही …...ओफ़ ...साआ आ आ आ हा आ आ ब …”
उसकी आंखे बन्द हो चली थी सांसे तेज थी और धड़कनों की आवाज मुझतक पहुच रही थी ,और वो हल्के हल्के मादक आहे भर रही थी,मैं भी उसके कमर पर आकर रुक गया ,और अब अपनी उंगलियों को उसके नाभि की ओर ले जाने लगा,वो जैसे जम गई थी पता नही मेरे उंगलियों में इतना जादू कहा से आ गया की वो अवाक सी बस खड़ी हो गयी थी ,बेसिंग का नल चल रहा था और बर्तन धुलने को रखे के रखे रहे पर वो नही हिल पा रही थी ,मेरी उंगलिया जब उसकी नाभि की गहराइयों का मंथन कर रहे थे तब मैंने उसके चहरे को देखा वो आंखे बंद किये शायद मेरे अगले हमले की तैयारी कर रही थी ,पर मैं भी ठहरा घाघ मैं बस वही रुक गया,कुछ ही देर में मुझे कुछ भी ना करता पाकर वो मुड़ी उसका सर मेरे सीने से टकराया,वो हल्के से अपना सर उठाकर देखी मैं हल्के हल्के मुस्कुरा रहा था जिसे देख कर वो बुरी तरह शर्मा गयी ,लेकिन थोड़े पलो में ही उसके चहरे पर भी एक शर्म भारी मुस्कान फैल गयी….
वो नारी सुलभ झूठे गुस्से से मुझे मुक्के से मारी और जैसे ही उसने अपने बर्तनों को हाथ लगाया मैं अपने कमर को नीचे ले जाकर फिर से उसके नितंबो में एक हल्का सा झटका दे दिया …
“आह साहब काम करने दीजिये ना मेडम आ जाएंगी,अभी पूरा काम पड़ा है…”
मैंने अपना हाथ से उसका चहरा आगे किया वो अब भी शर्म से नीचे देख रही थी ,उसके होठो पर एक किस किया पर वो झट से पलट गयी...मैं उसके बड़े मांसल और भरे हुए उजोरो को अपने हाथो में भरकर भरपूर ताकत से दबाया ,की उसकी एक हल्की सी चीख निकल गयी …
“आआआआआआहहहहहह साहब आप बड़े जुल्मी हो ..”
उसकी ये अदा इतनी सेक्सी थी की मेरे लिंग ने एक और जोर का झटका दिया और मैं फिर से उसे एक धक्का लगा दिया ,मुझे पता था की अगर मैं इस पटक के पेल भी दु तो कोई प्रोबलम नही है पर उससे वो मजा मुझे नही मिलता जो अभी मिल रहा था...मुझे काजल ने आजतक कभी जुल्मी नही कहा था,ये देशी शब्द मुझे बड़ा भाया...देशी माल को भोगने का मतलब ही क्या हुआ जब वो देशी शब्द ना बोले …
मैं अब भी अपने हाथो को उसके उजोरो पर हल्के हल्के फिरता रहा और वो बर्तन साफ करती रही ,हल्के हल्के अपनी लिंग को भी उसके नितंबो पर रगड़ता रहा,जिससे मेरा लिंग और अकड़ रहा था और उसे और चहिये था,लेकिन वो साड़ी में थी और मुझे कोई भी काम जल्दबाजी में करना पसंद नही था….
पता नही क्यो पर उसे किस करने का दिल ही नही कर रहा था सच बताऊ तो बस उस पटक के चोदना चाहता था,काजल से मुझे इतना प्यार मिला था की मुझे किसी और की जरूरत ही महसूस नही होती थी,मैं भावनात्मक और शारीरिक तौर पर पूरी तरह से संतुष्ट था,तो ये मैं क्यो कर रहा हु…..इसका जवाब मेरे पास नही था,शायद इसके पीछे वही कारण है जो कारण काजल के वो सब करने के पीछे था,एक नशा सा है ये जिसे जितना करो उतना कम बस तलब बढ़ती जाती है…
काजल की याद आते ही मेरा खड़ा हथियार कुछ मुरझा सा गया,जिसका पता अब रेणु को भी चल चुका था,मैं वहां से निकालकर सोफे में आकर बैठगया ,रेणु मुझे जानती थी जब मेरी शादी नही हुई थी तबसे ,और वो इतना तो समझती ही थी की मैं काजल से दिलोजान से प्यार करता हु,और शायद यही वजह है की मैं सिग्नल क्लियर होने के बावजूद भी रेणु के साथ आगे नही बढ़ रहा था,,,,,
अपना काम खत्म कर वो मेरे पास आयी ,लगभग एक घंटा बीत चुका था ,और मैं बस खयालो में ही खोया था,रेणु उस समय में पूरा खाना बना चुकी थी,वो सभी तैयारी पहले ही करके रखती जो बाख जाय उसे बहुत जल्दी निपटा देती फिर गैरजरूरी कामो में वक़्त देती थी,वो मेरे पास आकर खड़ी हो गयी,उसके चहरे पर कोई भी खुसी के भाव नही थे,उसका गंभीर चहरा देखकर मुझे भी अच्छा नही लगा,मैं एक झूटी मुस्कान में मुस्काया और वो भी वो जाने को हुई शायद उसे यहां और रुकना गवारा नही था …
“रेणु “
वो जाते जाते रुक गयी 
“जी साहब “
“यहां आ “
वो मेरे पास आकर खड़ी हो गयी और मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगी ,मैंने उसे देखा उसका वो मुरझाया चेहरा जो कुछ देर पहले आनंदित था,मैं उसका हाथ पकड़ा और सीधे अपने कमरे में ले गया ,वो मेरे साथ ही खिंची चली आयी ,मैं उसे अपने बिस्तर पर फेक दिया ,वो भी अपने हाथो को फैलाये पड़ी रही ,मैं उसके यौवन को निहार रहा था यही सोचकर की वासना की कोई लहर मेरे शरीर में दौड़े और मैं उसके ऊपर कूद जाऊ पर कोई लहर नही थी ….मैं सचमे एक अजीब से उलझन में था की ये क्या हो रहा है….
उसने मुझे देखा और एक हल्की सी मुस्कान उसके चहरे पर आयी…
“साहब अच्छाई इतनी आसानी से पीछा नही छोड़ती,मुझे पता है की आप मेडम से बहुत ज्यादा प्यार करते है,छोड़िए साहब आप अच्छे ही रहिए क्यो अपने को बिगड़ रहे हो ….”
रेणु की बाते मेरे दिमाग के कोने कोने को हिला कर रख दी ये अजीब सी सच्चाई से उसने मुझे अवगत करा दिया मुझे खुद भी नही पता था की मैं काजल से इतना प्यार करता हु….अबतक रेणु उठकर बैठ चुकी थी मैं भी बिस्तर के एक किनारे पर बैठा हुआ था,वो बड़े ही प्यार से मेरे गालो को सहलाने लगी …
“कितनी भाग्यवान है काजल मेडम की आप सा मर्द मिला उन्हें “
मैं उसे देखा मुझे थोड़ी हँसी आ गयी 
“और तू नही है क्या भाग्यवान ,रघु भी तो कितना अच्छा है और तू है की यहां वहां मुह मार रही है …”
वो मुझे अजीब निगाहों से देखने लगी 
“मुझे पता है तेरे और प्यारे के बारे में ,अरे क्या रखा है उस साले बुड्ढे में जो रघु में नही है “
रेणु की आंखे आश्चर्य से फैल गयी और वो मुझे घूर कर देखने लगी लेकिन अगले ही पल उसके आंखों में एक पीड़ा सी छा गयी….
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