RE: Porn Sex Kahani रंगीली बीवी की मस्तियाँ
काजल की आवाज पहले से थोड़ी तेज थी शायद वो भी प्यारे को हमारे प्यार की गहराई से अवगत कराना चाहती थी ,
“मजा आ रहा है मेरी रानी “
मैंने धक्कों को और जोर से किया और काजल की आहे पूरे कमरे में गूंजने लगी
“हाँ जान आह आह आह और जोर से और जोर से “
काजल कमर उठकर मेरे साथ ताल से ताल मिलाने लगी थी,दोनो की कमर के टकराव से एक ताल सी उत्पन्न हो रही थी और वो संगीत शायद ही किसी को पसन्द ना हो ,वो चिपचिपे से द्रव्यों के मिलान से उत्पन्न होने वाला संगीत जिसमे कमर के टकराने की आवाज भी मिली हो उस मादकता का क्या कहना ,साथ ही मिला हो एक सौदर्य की प्रतिमा की आहे और सिसकिया ….
बिस्तर भी हमारे प्यार को सलाम करता हुआ आवाजे करने लगा था ,आज मैं जानवर हो गया था और काजल भी जानवरो की तरह मुझे अपने अंदर ले रही थी ,वो सिसकिया नही बल्कि दहाड़ सी थी ,,,
प्यारे का क्या हाल हो रहा था ये तो मुझे नही पता पर मुझे तो बहुत ही मजा आ रहा था और फिर वो धार निकली जिसका निकल जाना प्यार का अंत होता है ,मेरे वीर्य ने किसी जवालामुखी की तरह काजल की गुफा को भिगो दिया वही काजल भी एक जोरो की धार छोड़ते हुए मुझे कसकर पकड़ ली ,
“आआहहहहहहह मेरी जान,आह ओ…”
काजल के नाखून मेरी पीठ पर गहरे से निशान छोड़ चुके थे वही काजल के वक्षो को मैंने अपने दांतो से लाल कर दिया था………
काजल और मैं एक दूजे को जोरो से पकड़े हुए बस उस गीलेपन के अहसास में दुबे हुए थे ,सांसे अब भी तेज थी और मन में एक अजीब सा सुकून था,दोनो एक दूजे से जुदा होना ही नही चाहते थे ,वीर्य और काजल के प्यार के रस की धार मिलकर बिस्तर पर फैल रही थी …..
मैंने हल्के से दरवाजे की ओर देखा प्यारे शायद वहां से जा चुका था ,हम ऐसे मगन हुए थे की हमे उसका आभास भी नही रहा ...और मैंने मन में सोचा …
“माँ चुदाये “
ख्वाब जैसे मेरी बांहो में सोई थी काजल,जब मेरी आंखे खुली….उसके मासूम से चहरे को देखता हुआ मैं उसके नाज़ुकता को छूने लगा,वो हल्के से कसमसाई और अनजाने ही उसके चहरे पर एक मुस्कान सी खिल गयी…
बेहद प्यारी ,बेहद नाजुक पर मेरी….शरीर से नही जिस्म के इस्तमाल से नही ,बल्कि वो मेरी थी अपने मन से अपने दिल की गहराइयो से…
उसके नरम होठो को छुते ही मुझे एक झुनझुनी का अहसास हुआ और मेने उसके होठो पर अपने होठो को रख कर एक हल्की सी चुम्मन दे दी ,उसको जल्दी से उठाकर हम गार्डन की ओर चल पड़े,वो अपने स्किन टाइट कपड़ो को देख रही थी ,
“क्या हुआ जान पहन भी लो ,आज लेट हो गए है चलो जल्दी “
“वो इसे पहन कर गार्डन जाना थोड़ा अजीब लगता है,लेकिन इसमें एक्सरसाइज करना कंफेटेबल होता है,”
“तो पहन लो ना ,और जैसे कल ऊपर जैकेट पहना था वैसे ही आज भी डाल लेना,”
उसने हाँ में सर हिलाया,
फिर वही अंकल आंटी और बाकी वही लौण्डे,वही काजल को सबका रुककर देखना,लड़को का वही आहे भरना,
कभी कभी तो मुझे गुस्सा भी आता वही कभी अपने को मैं इतना नाशिबवाला मानता था की मुझे ऐसी लड़की मिली है जिसपर कितने लोग फिदा हो गए ...कभी तो जलन होती तो कभी मैं उत्तेजित हो जाता ,
काम का इतना प्रेसर बढ़ रहा था की मैं परेशान ही हो गया,ऐसे तो मैं कोई भी गपला नही किया था ,पर अधिकारियों के गपलो को छुपाना पड रहा था,उनकी सभी बकचोदी मुझे सहनी पड़ रही थी ,दो दिन बीत गया और मैं काजल से ढंग से बात भी नही कर पता,दिमाग में इतना टेंशन हो रहा था की मैं घर पहुचते बहुत ही थक जाता था,वही हाल काजल का भी था ,पता नही वो रॉकी से कुछ करा रही थी या नही पर ये तो है की उसके भी चहरे पर वही थकान दिखती थी जो मेरे चहरे पर ,कुछ ही दिनों की बात थी,चलो देखते है,लेकिन तीसरे दिन काजल से रहा नही गया,
मैं जब आफिस से आया तो वो पहले से ही आ चुकी थी ,अधिकतर वो मेरे बाद ही आती थी ,वो आज थोड़ी कम थकी हुई लग रही थी ,आज रेणु को भी उसने जल्दी ही भेज दिया था…
जैसे ही हम बैडरूम में गए उसने मुझे जोरो से भीच लिया..
“जान थक गया हु ,सोते है ना “
“सुनिए ना मैं ये इनॉगरेशन का प्लान केंसिल करना चाहती हु “
मुझे एक झटका लगा ,
“क्यो जान “
“अरे देखो ना आपका भी अभी इतना वर्क लोड हो जा रहा है और मेरा भी ,क्या मतलब की हम ऐसे घर आये और मैं आपकी कुछ सेवा भी नही कर पा रही हु …”उसका चहरा सचमे उदास हो गया था,
“अरे क्या सेवा करना चाहती हो मेरा तुम ,.............अरे यार तुम पागल हो गयी हो क्या ,तुम्हे इतना अच्छा मौका मिला है वो तुम कैसे जाने दे सकती हो ,मेरे कारण तुम्हे ऐसे जगह पर रहना पड़ रहा है,जहा तुम्हारा कोई भी अच्छा फ्यूचर नही है ,अब अगर तुम ये भी नही की तो मुझे भी बुरा लगेगा ,मैं तुम्हे खुश देखना चाहता हु मेरी जान ……...और उसके लिए मैं कोई भी सेक्रिफाइस कर सकता हु…”मेरे बोल मेरे दिल से निकल कर सीधे काजल के दिल तक पहुच रहे थे.
उसकी आंखों में भी मेरा ये प्यार देखकर आंसू आ गए और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया,थका होने के बावजूद भी हमने प्यार भरा एक राउंड लगा ही लिया ,उसके बाद तो सोने का मजा ही अलग होता है….
10 दिन पूरे हो चुके थे,आखिरकार मुख्यमंत्री को आना था,काजल के तीनो भाई और भाभियां काजल के स्पोर्ट के लिए एक दिन पहले ही आ गए थे मैं भी अपने काम से खुस था ,कम से कम मैं तो अपने आफिस से डांट नही खाने वाला था,
पहले मेरे आफिस का काम हो गया और मुख्यमंत्री जी शाम तक काजल के होटल पहुचने वाले थे ,मेरे पास बहुत टाइम था की मैं इनॉगरेशन में पहुच सकू...मुख्यमंत्री जी ने मेरी सबके सामने बहुत ही तारीफ की जिससे मेरे कुछ ऑफिसर भी जल गए ,खैर मुझे कुछ फर्क नही पड़ना था क्योकि वो मेरा कुछ भी नही उखाड़ने वाले थे ,और मंत्री जी के तारीफ की असली वजह भी मुझे पता चल चुकी थी वो थी ,काजल के बड़े भी और मिश्रा साहब की मेरे लिए की गयी सिफ़ारिशें,मुझे आज ही मिश्रा जी और भैया ने कहा था की हमने तेरे बारे में मंत्री जी से बात कर ली है हो सके तो तेरा प्रमोशन भी हो जाएगा,और हुआ भी वही मुझे प्रमोशन का वादा भी मिल गया.अब मैं शहर में बैठने वाला था ,मतलब जिस शहर में काजल का होटल था ,वही मेरा ऑफिस भी होने वाला था,मुझे इसकी खुसी थी ,लेकिन शायद मुझे उसी बंगले में रहना था जहा मैं अभी रहता हु .मेरे लिए कोई भी परेशानी नही थी क्योकि सरकारी गाड़ी भी थि और सरकारी ड्राइवर भी ,और बंगाला भी बहुत अच्छा था,
इधर मैं जल्दी से काजल के होटल पहुचा,मुझे वहां देखकर सभी बहुत खुश हो गये खासकर काजल ,वो तो मुझे देखकर रो ही डाली और मेरे बांहो में खुद को डालते हुआ बहुत इमोशनल हो गयी ,
“मुझे तो लगा था की आप नही आ पाओगे “
“अरे जान मंत्री जी तो शाम तक आएंगे ,और ये मिश्रा जी और भइया के कारण हुआ है की उन्होंने मेरी बहुत सिफारिश कर दी तो मुझे जल्दी से छुट्टी मिल गयी आज “
काजल ने मुझे और जोरो से कसा और फिर उसे जगह की नजाकत समझ आयी और वो मुझसे अलग हो गयी ,सभी भाभियां उसका मजाक उड़ाने लगी और भइया थोड़ा मुस्कुराने लगे,वही काजल शर्मा गयी और रॉकी ,,,,,,,,,,वो बेचारा क्या करता चुप चाप खड़ा देख रहा था…
मिश्रा जी अपनी मंडली के साथ पहुच चुके थे ,और फिर मंत्री जी भी आ गए ,ये न्यूज़ लोकल अखबारों की हेड न्यूज़ बन चुकी थी ,इसलिए बहुत संख्या में लोग भी जुट गए और कल भी ये मुख्यपृष्ट की खबर होनी थी इसलिए बहुत से पत्रकार भी वहां मौजूद थे मंत्री जी तो आधे घंटे में ही अपना काम निपटा कर चले गए माहौल तो अभी गर्म हुआ था,पत्रकार काजल और रॉकी का इंटरव्यू ले रहे थे ,वो अपने होटल और खासकर हेल्थसेन्टर की जोरो से खुबिया गिना रहे थे,और मैं खड़ा बोर हो रहा था ,क्योकि वहां सभी भैया या मिश्रा जी या काजल और रॉकी के इन्विटेड गेस्ट थे,और सभी अपने गेस्ट के साथ बाते कर रहे थे , तभी एक शख्स की इंट्री हुआ और उसे देखकर मेरे चहरे पर भी एक मुस्कान सी आ गयी ,वो थे डॉ चुतिया ,
मैं उसके पास जाकर उनसे गले मिला …
“साले अभी आ रहा है”
“हां यार वो …”उसने एक नजर घुमाई
“साला क्या होटल बनाया है बे तूने,इतना पैसा कहा से आया बेटा”
“अरे यार काजल के भइया ने इन्वेस्ट किया है ,”
मैं उसे काजल की फेमिली से मिलने ले गया ,डॉ उसके भाइयो को पहले से जानता था वो भी उसे अच्छे से जानते थे तो उसे वहां घुलते हुई ज्यादा समय नही लगा ,लेकिन डॉ फिर से मेरे पास आ गया ,
“अपने घर से किसी को नही बुलाया है क्या “
“बुलाया तो था यार पर मैं ही फ्री नही था वरना जा कर ले आता ,माँ आना चाहती थी पर उसे पता चला की काजल के मां बाप नही आ रहे है तो वो भी नही आयी …”
“ह्म्म्म “डॉ ने रॉकी को देखा
“ये हेंडसम को है ,लग तो ऐसे रहा है की यही होटल का मालिक हो “
मुझे हँसी आ गयी और मैंने रॉकी के बारे में सब कुछ बता दिया बस उसके और कजल के रिलेशन को छोड़कर
“हम्म यानी ये भी काजल की ले रहा है ,”
मैंने डॉ को घूर के देखा
“साले मेरी बीवी को तू समझता क्या है ,”
डॉ कुछ नही बोला पर हसने लगा
“क्या हस रहा है”
“कुछ नही लगता है उसे भी देखकर तू बहुत मजे ले रहा है ….साले तेरे चहरे पर लिखा है की तू उनके रिलेशन से खुस है,”
मेरे चहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी ,.....
सब कुछ खुशहाली से चल रहा था,होटल का काम जोरो में था काजल की खुशी बिस्तर में भी दिखाई देती थी,उसका गार्डन में योगा क्लास भी चालू हो चुका था,और लोग रॉकी और काजल को ही कपल समझते थे ,क्योकि दोनो ही सबको सिखाते थे ,मैं तो सीखने वालो के साथ ही खड़ा रहता था,योग,एरोबिक,आदि आदि की थोड़ी मोड़ी जानकारी वहां दी जाती थी और इससे वहां से कई लोग उसके हेल्थसेन्टर को भी जॉइन कर रहे थे,खासकर के नवजवान लड़के ,रॉकी को देखकर सबको बॉडी बनाने की हसरत पैदा हो जाती और काजल का मस्ताना और मादक शरीर उन्हें सेंटर जॉइन करने पर मजबूर कर देता ये बात मुझे पता चली जब मैं शहर में अपनी ड्यूटी जॉइन की ,वहां मुझे कोई भी नही पहचानता था ,हा काजल के चर्चे तो फैले ही हुए थे ,लेकिन कोई उसे रॉकी की गर्लफ्रैंड कहता तो कोई उसकी वाइफ और मुझे भी इसमें कोई भी इंटरेस्ट नही था की कोई क्या कहता है ,मेरे लिए तो यही अच्छा था की मैं किसी के नजर में ना आउ,...
शहर बड़ा था,लेकिन काजल की चर्चा हर जगह हो रही थी ,उसके और रॉकी के बड़े बड़े पोस्टरों से पूरा शहर लदा हुआ था,खासकर उन जगहों पर जहा पर युवकों की भीड़ हो…
एक दिन मैं जब ऐसे ही अपने ऑफिस से कुछ दूर टहलता हुआ चाय पीने चला गया ,ऐसे भी वहां काम तो कुछ खास होता नही था,जो भी काम हो वो वहां के छोटे कर्मचारी करते थे ,फील्ड का काम अब मेरा रह नही गया था और मैं दिन भर कुर्सियां तोड़ता हुआ बोर हो जाता था,
पास के ही चाय ठेले काम टापरी में पहुचा वहां वो टापरी वाला मुझे पहचान लिया….
“अरे सर आप, आप तो नए साहब हो ना वन विभाग वाले “
“हा एक चाय पिलाओ ,और एक सिगरेट” मैंने मुस्कुराते हुए कहा,
“साहब आप क्यो तकलीफ की हमे बुला लिया होता,छोटू को बोल कर” छोटू वहां का एक चपरासी था ,जिसका काम ही था लोगो के लिए समान लाना,सरकारी ऑफिस का एक टिपिकल सा चपरासी...मुह में पान और रिस्वत लेने को हमेशा तैयार …
“क्यो मैं आ गया तो तुम्हे पसंद नही आया क्या “
“अरे नही सर बैठिए ना “
उसने एक ख़ुर्शी आगे की ,वहाँ अधिकतर सभी सरकारी कर्मचारी चाय पीने आते थे ,पास में ही एक दो कॉलेज भी था ,जिसके अधिकतर लड़को के लिए वो अड्डा हुआ करता था,इसलिए वहां थोड़ी भीड़ भी होती थी,चाय वाला भी मेरी ही उम्र का रहा होगा शायद मुझसे कुछ कम ही रहा होगा और उसकी कमाई शायद मुझसे भी ज्यादा ,
वहां का माहौल देखकर मुझे मेरे कॉलेज के दिन याद आ गए,कॉलेज गोइंग लड़को की वहां भीड़ लगी थी ,जो लगभग हमेशा लगी रहती थी ,इसलिए उसे पोलिश और नगर निगम के लोगो को भी पैसे खिलाने पड़ते थे,
“यार मेरे लिए तू लेमन टी बना ,अच्छी मसाला वाली “
“जैसा आप कहे सर “
मैं चाय और सिगरेट पीता हुआ फिर से उन्ही कालेज के दिनो में पहुच गया ,की मेरी नजर रोड के उस पर लगे एक बड़े से फ्लेक्स पर पड़ी,बड़ा सा बेनर लगा था जिसमे काजल के होटल की एडवरटाइजिंग थी,साथ ही रॉकी और काजल का वही पोश जो मैंने उस दिन होटल के बाहर देखा था,आदित्य इंटरनेशनल एंड फ़इटनेश सेंटर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था,आदित्य काजल के बड़े भैया का नाम था ,पूरा पैसा उनका ही लगा था और काजल को 50% का शेयर मिला हुआ था,ऐसे तो भैया अपना नाम नही यूज़ करना चाहते थे और साथ ही 100% शेयर काजल के नाम से रखना चाहते थे पर काजल माने तब ना ,उसकी जिद थी की होटल का नाम बड़े भईया के नाम से ही होगा और वो बस 50% शेयर लेगी,बाकी के 40% आदित्य भैया के नाम से और 10% मेरे नाम से था,रॉकी को रेगुलर पेमेंट में रखा गया था,जो मेरी सेलरी से भी ज्यादा थी ,पर ये फैसला मुझे सही लगा क्योकि इससे वो हमारे कंट्रोल में ही रहता ,शेयर में हिस्सेदारी देने से वो आज नही तो कल हमारे ऊपर चढ़ने की कोशिस करता ,काजल के पास बिजनेस का दिमाग तो बहुत जायद था,उसने मुझे भी 10% दिला के रखा था जबकि मुझे इससे कोई भी मतलब नही था...इसका रीजन मुझे कुछ समझ नही आया पर ठीक है,क्या फर्क पड़ता है…
,मैं काजल के फ़ोटो को निहार रहा था की वो चायवाला बोल पड़ा ,
“अरे सर इसने तो तबाही ही मचा दी है यहां आकर जो लौण्डे कभी जिम के नाम सुनकर भी मुह बनाते थे साले सजधज कर जिम जाते है ,और साथ ही लडकिया भी जाती है ,इसने तो यह बवाल ही मचाया हुआ है ,साली रांड कही की “
मेरा दिमाग फिर गया ,इस मादरचोद की इतनी औकात की ये मेरे सामने मेरी ही बीवी को ….लेकिन थोड़ी ना पता होगा की ये मेरी बीवी है नही तो ये हिमाकत वो नही करता..
“तमीज से बात करो ,एक औरत है वो …”मेरे चहरे पर गुस्से के भाव साफ जिसे देखकर वो डर ही गया …
“अरे साहब आप तो गुस्सा हो गए मेरा वो मतलब नही था ,असल में मैं एक छोटे से जगह से आया हुआ हु और यहां इतने सालो से मैं ये काम कर रहा हु पहली बार ये हुआ है की कोई लड़की ऐसे कपड़ो में देखा हु,और इसके जिम में तो बाकी लडकिया भी ऐसे ही कपड़ो में जाती है,अब आप ही बताओ ना साहब ,सभी लड़के उसे गुरते रहते है ,कोई कही टच कर रहा है तो कोई कही ,सब कुछ तो इसके कपड़ो से दिखता है ,इतना ज्यादा फीस लेती है फिर भी साले मेरा उधारी तो देते नही लेकिन वहां पहुच जाते है,सिर्फ उसे देखने ...लड़कियों को क्या ये सब सोभा देता है और साथ में ये और लड़कियों को भी बिगड़ रही है ,जिम नही साला रंडी खाना बना के रखा है “
उसकी इतनी छोटी सोच ने मेरा दिमाग ही घूम दिया ,मैं वहां से उठा और उसका कांच का गिलास जोरो से फोड़ दिया,उसके पसीने छूटने लगे,वो भी जनता था की मैं एक सरकारी अधिकारी हु,,और उसका ये टपरी सरकारी महकमे के कृपा से ही चल रहा है ,मैं अगर चाहू तो एक कंप्लेन से ही उसका ये टापरी उखाड़ सकता था,
“साहब गलती हो गयी ,दो जूते मार लो पर माफ कर दो ऐसे गुस्सा मत हो साहब “
“गुस्सा मैं तुझपर नही तेरी सोच पर हु,इसीलिए हमारी औरते अपनी मर्जी से कही जा नही सकती ,कुछ पहन नही सकती ,वो तो अच्छा काम करना चाहती है पर तुम जैसी सोच के लोगो के कारण बेचारियों को हर जगह बस ताने मिलते है और साथ में छेड़छाड़ का शिकार होती है ,वो जो भी पहने मुझे ये बाता जो वहां देखने जाते है वो गलत हुए या जो पहनती है वो ….साले देखना ही बन्द कर दो ना तुम्हे देखना भी घूर कर है और साथ ही दोष भी तुम लड़कियों पर ही लगते हो ...आज के बाद तेरे मुह से ऐसे शब्द सुना तो तू और तेरा टपरी दोनो उठवा दूंगा “
मेरे इस कदम से वहां लोगो की भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी ,मैंने आगे कहा,इस बार मेरी आवाज थोड़ी धीरे और समझने वाले लहजा था ,
“देखो लड़की को देखना गुनाह नही है ,ये तो स्वाभाविक है,लेकिन ऐसी धरना बहुत गलत है...हमे अपने को देखना चाहिये की हम क्या करते है...हा यार उसकी फिगर सेक्सी है (मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,वो भी मुझे अजीब नजरो से देखन लगा ) लेकिन इसका मतलब ये नही की वो रंडी है ,और हा हो सकता ही की वो लड़को को उत्तेजित कर देती हो ,और उन्हें टीस करती हो पर यार अपनी भाषा सुधारो और कम से कम लड़कियों का सम्मान करना सीखो ,क्योकि तुम्हारी भी बेटी, माँ ,बीवी,बहन होगी ...जब तुम ही लड़कियों का सम्मान नही करोगे तो तुम दुसरो से कैसे आशा कर सकते हो की वो सम्मान करे ,,और इसी सोच के कारण तुम अपनी बहनों को भी अच्छा काम करने से रोकते हो क्योकि तुम्हे लगता है की दूसरे उन्हें इन्ही नामो से बुलाएंगे जबकि तुम्हे भी पता है की वो गलत नही है,,तो पहले खुद को सुधार लो फिर दुसरो से उम्मीद करना ,चल अब एक और चाय बना और एक सिगरेट दे “
मैं हल्के से मुस्कुरा दिया ,किसी का धंधा खराब करना मेरा मकसद बिल्कुल भी नही था ,मेरे चहरे पर मुस्कान देख कर वो भी थोड़ा सा रिलेक्स हुआ और डरते हुए मुझे एक चाय दी….
“तेरा नाम क्या है “ मै उससे पूछा
“साहब भुवन “
“हम्म अच्छा है ,डरने की जरूरत नही है ,और यार बात तो तेरी सही है ऐसी सेक्सी लड़की बवाल तो मचा ही देगी “
वो हल्के से हँसा पर अभी भी थोड़ा सा डर रहा था ...
मैं फिर से चाय पीता हुआ काजल को निहारने लगा………………
तभी मेरा फोन बजा ,
“हलो “
“हलो विकास मैं ,मिश्रा बोल रहा हु “
मिश्रा जी की आवाज तो मैं पहचान गया था,पर उनका नम्बर मेरे पास नही था,
“प्रणाम मिश्रा सर “
“अबे क्या सर सर लगा के रखा है अब मैं कोई अधिकारी नही हु “
मैं हल्के से मुस्कुराया ,
“जी कहिए “
“हम्म असल में मैंने तुझे इसलिए फोन किया है क्योकि मेरी एक पुरानी जान पहचान की बंदी आ रही है यहां पर मैं चाहता हु की तुम उसे पिकउप कर लो ,वो वही ट्रेन से उतरेगी वहां से मेरे घर छोड़ देना ,मैं रॉकी को कहने वाला था पर वो लोग देर से आते है और वो लड़की अभी कुछ देर बाद 4:30 को ही पहुच जाएगी ,”
“पर सर मेरा ऑफिस “
“अबे मैं जानता हु की तू कितना काम करता है,”
मिश्रा जी की बात तो सही थी और हम दोनो ही हँस पड़े ,
“अब बड़ा अधिकारी बन गया है ,बड़े अधिकारी काम करते नही करवाते है ,मेरे साथ रह मैं सब सीखा दूंगा…”
“जी ठीक है सर ,लेकिन मैं उसे पहचानूंगा यानी नाम या नम्बर “
“अरे ये स्टेशन कितना बड़ा है,ऐसे नाम है उसका मलीना और पहचानना आसान होगा क्योकि वो एक विदेशी है महिला है ,तो तुझे स्टेशन में जो भी विदेशी महिला दिखे उसे उठा लेना “
मिश्रा जी फिर जोरो से हँसे मैं भी हस पड़ा ,
“जी ठीक है मिश्रा जी “
मिश्रा जी थे बड़े ही कमाल के आदमी और ऐसे आदमी की दोस्ती कौन छोड़ता ,बड़े ही पावरफुल थे पर बड़े ही खुशमिजाज ,जिनके नाम से कभी बड़े बड़े अधिकारियों की हालात खराब हो जाया करती थी पर जिनसे वो दोस्ती निभाते उसे कभी कोई भी प्रॉब्लम नही आने देते ,चाहे वो अधिकारी हो या कोई मंत्री उनकी इज्जत सभी करते थे ,और ऐसे आदमी को ना बोलना मेरी औकात से बाहर था,और जब वो प्यार से बोले तो क्या फर्क पड़ता है,चलो आज जल्दी ही चल देंगे ….
मैं 4:15 को ही स्टेशन पहुच गया ,गाड़ी रुकते ही मैंने देखा की एक नवजवान सी युवती ,भूरे रंग की लेकिन काले बाल हाथ में बड़ा सा बेग लिए मैं और रघु दौड़कर उसके पास पहुचे ,उसके पास और भी लगेज था,मुझे पता नही था की ये इतना लगेज ले की आई है वरना किसी और को भी लाता अब सारा लगेज मुझे और रघु को ही पकड़ना पड़ता ….
“हैल्लो मेडम “ मैं उसके पास पहुचा
“विकास राइट “
“या वेलकम वेलकम “
“मिश्रा जी ने मुझे बताया था,प्लीज् ये समान उतारने में मेरी मदद करो “वो बड़े ही प्यार से लेकिन मुश्किल से इतना बोल पाई ,मुझे लगान के कैप्टन की याद आ गयी ,’दुगुना लगान देना पड़ेगा ‘
“ओह स्योर “ मैं और रघु जल्दी से सारा समान उठा कर चलने लगे वो एक छोटा सा पर्श पकड़े आगे आगे चल रही थी ,
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