RE: Porn Sex Kahani रंगीली बीवी की मस्तियाँ
अरे जान मैंने ही बुलाया है ,वो नींद नहीं आ रही थी तो और अपने कसम दि थी ना की बहार मत जाना तो इन्हें घर में बुला लिया,आप गुस्सा क्यों कर रहे हो,'इतनी प्यारी आवाज साला मैं पागल हु या इसका दीवाना या महा बेवकूफ हो इसकी बातो में प्यार सा आ जाता है,
मैं कहा गुस्सा कर रहा हु ,'मैंने थोडा सम्हाल के कहा,
अच्छा एक खिलखिलाती आवाज जो मेरे कानो को भेद कर मेरे दिल तक चली गयी,उसका हसता चहरा क्या बेवफा भी इतनी प्यारी इतनी निर्भीक इतनी मासूम होती है,
गुस्सा नही कर रहे तो क्यों चिल्ला रहे हो ,'चलो जाओ सो जाओ मैं आ रही हु,काका आप जाइये ये चाय ले जाइये,मैं इनका गुस्सा शांत करती हु,'प्यारे तो चला गया,पर मैं भी सर पटक के अपने रूम में जाकर सोने का नाटक करने लगा जाने क्यों मैं कुछ खुलकर नहीं कह पा रहा था,काजल आई मुझसे लिपट कर सो गयी सायद ऐसे जैसे मुझे मना रही हो .....
मैं बेचैन था ,पर बेकाबू नहीं मैं कुछ करना तो चाहता था पर क्या करू ये मुझे भी पता नहीं था,अब तो ऑफिस भी जाने का मन नहीं करता था ,साला मैं ऑफिस में होऊंगा और यहाँ घर पर मेरी बीवी ,...............मैं जलकर भूंज जाता ,बहाने बना बना कर घर आ जाता ,काजल भी मेरा बहुत ध्यान रख रही थी ,कुछ दिनों से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिससे मुझे दुःख पहुचे पर मैं कब तक अपनी पत्नी की रखवाली करता रहूँगा ,जब उसने ही मन बना लिया है और वो भी इसका मजा ले रही है तो मैं कब तक उसे रोक पाऊंगा,.......मैं क्या करू तलाक ......
तलाक का नाम दिमाग में आते ही मेरे तन बदन में एक झुनझुनाहट सी दौड़ गयी ,नहीं मैं काजल से दूर नहीं रह सकता था ,तो ट्रान्सफर करा लू...ताकि इस प्यारे से छुटकारा मिल जाय ,इसमें भी तो समय लगेगा ,मुझे सोचने को समय चाहिए था ,ताकि मैं कुछ अच्छा सा फैसला कर पाऊ,मैंने काजल को उसके मायके भेजने की सोची,वो भी ख़ुशी ख़ुशी तैयार ही गयी ,साले प्यारे की सूरत उसके जाने पर रोनी सी हो गयी थी ,काजल भी मेरे ही सामने उसे सांत्वना दे रही थी ,की काका जल्द ही आ जाउंगी ना .........
उसके जाने से मुझे कुछ शांति सी महसूस हुई कुछ दिनों से इतना तनाव था की मैं पागल सा हो रहा था ,तभी मेरे दिमाग में एक नाम गूंजा ,,,,,,,,,,,,डॉ चुतिया ...जी हा मेरे स्कूल का दोस्त था ,पूरा नाम था चुन्नीलाल तिवारी यरवदावाले ...बचपन में साला बहुत हु चुपचाप और सबसे अलग रहने वाला था ,और पड़ी में बड़ा ही कमजोर था पर ना जाने ऐसा क्या हुआ की 12 th के बाद उसके व्यक्तित्व में गजब का सुधार हुआ वो M.B.B.S.,डॉ बन गया उसके बाद ना जाने क्या क्या डिग्रिय और चीजे सीखता रहा ,शहर में उसने प्रक्टिस भी शुरू कर दि,पर वो लोगो के परेशानियों के हल ढूंढने में माहिर था ,सायकोलोजी की उसे गहरी जानकारी थी ,इसके साथ ही ना जाने क्या क्या ,,,,क्या उसे सब बताना ठीक रहेगा ?????मेरे दिमाग में एक ही बात आई ,साला दोस्त भी है और डॉ भी कही कमीनापण ना कर दे ,लेकिन मैंने उसका सीधा साधा और सबकी मदद करने और सबके दुःख में साथ देने वाला रूप भी देखा था मैंने हिम्मत की और फैसला किया की मैं उसे सब कुछ बताऊंगा और उसे काल किया ...
"क्या चुन्नीलाल कैसे हो ,"
"आप कौन बोल रहे है "
"अबे मैं विकास , "
"अबे साले तू है ,इतने दिनों बाद कॉल किया ,शादी के बाद तो भूल ही गया दोस्तों को ...और बता भाभी कैसी है ,"मैं थोडा उदास सा हो गया ,
"ठीक है अभी मायके में है ,"
"अच्छा तभी तुझे हमारी याद आई साले "
"नहीं भाई बात कुछ खास है ,क्या तू मुझे मिल सकता है ,यार थोड़ी परेशानी में चल रहा हु "
"क्यों क्या हुआ "
"फोन में नहीं आकर मिलता हु ,तू मुझे अपने क्लिनिक का पता msg कर दे मैं कल ही मिलता हु "
"हा हा बिलकुल कभी भी आजा "
"अच्छा चल यार रखता हु ,बाय "
"ओके दोस्त बाय "..............
मैं डॉ के क्लिनिक पंहुचा वहा कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था ,मैं केबिन के अंदर झाका चुन्नी मुझे अपने कुर्सी पर बैठा कुछ पड़ता हुआ दिखाई दिया ,मुझे देखते ही वो खड़ा हुआ और मेरे पास आकर मेरे गले से लग गया ,मैं भी बड़ी ही आत्मीयता से उससे मिला ,हम बैठे इधर उधर की बाते होने लगी फिर मैंने मुद्दे की बात करने की सोची मैंने गंभीरता से उसे सभी मामला बताया और वो बड़ी ही गंभीरता से उसे सुनने लगा,...मुझे आश्चर्य हुआ की उसे मेरी बातो से जादा आश्चर्य नहीं हुआ वो बड़े ही आराम से मेरी बात सुन रहा था जैसे मैं उसका दोस्त नहीं कोई क्लाईंट हु...
"हम्म्म्म तो ऐसी बात है ,कोई बात नहीं भाई ,मैंने जब पहली बार तेरी शादी में काजल को देखा था तभी मुझे लगा की कुछ तो गड़बड़ है पर क्या है ये मुझे अब समझ आ रहा है ,"
मैं उसे आँखे फाडे देखने लगा ,क्या गड़बड़ है ..........
"पूरी बात तो मैं उससे मिल कर ही बता पाउँगा पर अभी जितना तुमने मुझे बताया ,मुझे वो एक सेक्स एडिक्ट लग रही है ,"
डॉ की बात सुनकर मेरा माथा घूम गया ,सेक्स एडिक्ट मेरी बीवी ,
"भाई तू क्या बोल रहा है ,वो बहुत अच्छे घर की बेटी है और इतनी पढ़ी लिखी भी है यार ,,,,"मैं लगभग रुवासु हो चूका था ,ऐसा लग रहा था जैसे अभी जोर जोर से रो पडूंगा ,पर मैंने अपने को सम्हाला ,मुझे देखकर चुतिया हसने लगा ,मुझे लगा की वो मेरा मजाक उड़ा रहा है ,
"नाम मेरा चुतिया है और काम तेरा चुतियो जैसा है ,साले की बीवी दूसरो से चुद्वाती है ,हा हा हा "डॉ के ये वचन मेरे दिल को झल्ली झल्ली कर रहे थे ,मैं उसे मरना चाहता था ,मेरा ही दोस्त ,इतना बड़ा काउंसलर होकर भी वो ऐसी बाते कर सकता है मुझे यकीं नहीं आ रहा था ,मुझे अपने पर ही गुस्सा आया की मैं यहाँ क्यों आ गया ,मैं वहा से उठाकर जाने लगा ,उसने मुझे रोका भी नहीं ,मैं और भी गुस्से में आ चूका था ,मैं बाहर निकला ,बाहर रघु गाड़ी लेकर खड़ा था ,मैं अपनी ऑफिस की गाडी से वहा आया हुआ था ,उसे देखकर मैंने खुद को सम्हाला ,
"चलना है क्या साहब "रघु ने बड़े ही प्यार से पूछा
"हा मादरचोद ,मैं यहाँ नाचने आया हु क्या ,जायेंगे नहीं तो और क्या करेंगे ,दीखता नहीं क्या तुझे ,"मेरे इस बात से रघु भी घबरा गया था ,उसने मुझे कभी भी ऐसे रूप में नहीं देखा था वो जल्दी से ड्राईवर सिट पर बैठा और मैं पीछे बैठने ही वाला था की किसी ने मेरा हाथ पकड़कर बहार खीच लिया ,मैं उसे देखकर और भी गुस्से में आ चूका था वो डॉ था ,............
"चल तुझे कुछ और भी बताना है "डॉ के चहरे पर अब भी एक मुस्कुराहट थी ,मैंने अपना हाथ छुड़ाया ,
"मुझे कुछ नहीं जानना "
"सोच ले ,अबे चल सॉरी अब तो आजा ,यु ड्राईवर के सामने क्यों तमाशा कर रहा है ,ये हम दोस्तों की आपस की बात है ,चल ना यार ,"
मैं रघु के सामने सचमे कोई भी तमाशा नहीं करना चाहता था ,मैं उसे ये भी पता नहीं लगने देना चाह्त्ता था की मैं यहाँ क्यों आया हु,मैं चुपचाप अंदर चला गया ,फिर उसी केबिन में
"क्या हुआ ,जल्दी बता "
"भाई मुझे माफ़ कर दे की मैंने ये सब किया ,पर ये जरुरी था ,तेरे प्रश्न का उत्तर है ये ,की काजल क्यों सेक्स एडिक्ट हो गयी ,और क्यों कोई इस रोग में पड़ जाता ही ,"मुझे उसकी बाते कुछ भी समझ नहीं आ रही थी ,मैंने उसे बड़े ही आश्चर्य से देखा ,वो मुझे आराम से रहने और बैठने को कहा ,
"देख तुझे रोना आया पर तू मेरे सामने नहीं रो पाया ठीक ,"
"हा तो उससे क्या "
"बताता हु ,फिर तुझे मुझपर गुस्सा आया पर तूने गुस्सा दबा लिया ,और वो गुस्सा किसपर निकला तेरे ड्राईवर पर ,है ना "
"हा तो "
"बता की ये गुस्सा ड्राईवर पर क्यों निकला "
मैं उसे अनजान सा देखने लगा ,
"क्योकि तू मुझपर तो गुस्सा नहीं कर सकता था पर अपने ड्राईवर पर कर सकता था ,तूने कभी भी अपने ड्राईवर को ऐसे नहीं कहा होगा पर आज तुझे क्या हुआ ,तूने कहा गलती कर दि "
मैं उसके बातो को समझने का प्रयास कर रहा था ,
"तूने मुझपर गुस्सा नहीं करके और अपने रोने और गुस्से को दबाकर गलती कर दि ,दबा हुआ गुस्सा ड्राईवर पर फूटा वहा नहीं फूटता तो कही और और ही फूटता शायद और भी बढ़कर "
"तू कहना क्या चाह रहा है "
चुतिया ने एक गहरी साँस भरी
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