Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 03:28 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
हम दोनो एक दूसरे से चिपक गये थे,,मेरा लेफ्ट हॅंड गले मे पहनी हुई पट्टी से लटककर
मेरे सीने पर था जो अब मेरे और सोनिया के सीने के बीच दबने लगा था,,उसके दोनो
हाथ मेरे गले मे थे और मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ पर,,,उसका चेहरा मेरे राइट तरफ 
के शोल्डर के पास था लेकिन वो अपने सर को मेरे और ज़्यादा करीब करने से डर रही थी
तभी मैने अपने हाथ को उसकी पीठ से सहलाते हुए उसके सर पर रखा और उसके सर को अपने
शोल्डर पर रख दिया,,,,वो थोड़ा बेचैन हो गयी मेरी इस हरकत से,,,,,

मेरा हाथ उसके सर से वापिस उसकी पीठ पर चला गया,,,,,

हम दोनो एक दूसरे से चिपके हुए हल्के हल्के इधर उधर हिलते हुए स्लो डॅन्स कर रहे 
थे,,,,हम दोनो इतने करीब थे इसलिए हम दोनो की हालत खराब होने लगी थी,,,तभी
मेरा हाथ उसकी पीठ पर थिरकने लगा,,,,उसकी पीठ की तरफ डॅड और कविता डॅन्स कर रहे
थे लेकिन डॅड की पीठ थी हम लोगो की तरफ वो हमे नही देख सकते थे,,लेकिन कविता
हमे देख सकती थी,,,,मेरा हाथ सोनिया की पीठ पर थिरकने लगा था,,,,सोनिया की हालत
खराब हो रही थी,,,कविता भी ये जान गयी थी इसलिए मुझे मना कर रही थी ऐसा करने
से,,,,उसको पता था कि अगर हम लोग बहक गये तो कोई ग़लती कर देंगे लेकिन अब देर हो 
गयी थी,,मैं कविता की बात सुन ही नही रहा था,,,

बाकी लोग भी मेरी पीठ पीछे डॅन्स कर रहे थे इसलिए मेरा हाथ सोनिया की पीठ पर हिलता
हुआ नही देख सकते थे,,,,,


कविता मुझे मना करती जा रही थी इशारे मे लेकिन मैं उसकी बात नही सुन रहा था,तभी
सोनिया मेरे कान के पास अपने लिप्स करके बोली,,,,,,



मात्त्तत्त काररर सुउनययी कूिइ दीकख लीगगाअ,,,,अहह सामाजज़ता क्यउउूउ ंहिि
तुउुउउ,,,,मात्तत्त कार्ररर नाअ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़

उसकी साँसे उखाड़ने लगी थी,,गर्म होने लगी थी जिसका एहसास मुझे अपने कान पर हो रहा
था,,,,उसके दिल की धड़कनें भी काफ़ी तेज हो गयी थी,,,जो मुझे उस हाथ पर महसूस हो 
रही थी जो मेरे और सोनिया के बीच मे दबा हुआ था,,,,मेरा वो हाथ उसके छोटे छोटे बूब्स
पर टच हो रहा था,,,,,



म्यूज़िक चल रहा था इसलिए किसी को शक़ नही हो रहा था जो हम इतनी करीब होके बातें
कर रहे थे,,,,


उसका गाल मेरे गाल को टच कर रहा था,,,,उसके लिप्स मेरे कान के पास थे,,


माअत्त्त कारर नाआ सुन्नयी प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़,,कूविइ डीएकखह लीएगगाआ,आहह तुउुउउ
संमज़्ज़तताअ क्कक्यउउुउउ ंहिईीईई,,,,हमम्म्ममममममममम माअत्त्त काररर नाआआअ प्लज़्ज़्ज़


कोई देखता है तो देखने दे,,,मुझे डर नही ,,,,मैं तुझे प्यार करता हूँ,,,,तुझे हाँसिल
करना चाहता हूँ,,,,और तुझे हाँसिल करने के लिए मुझे किसी से डरने की ज़रूरत नही,,


प्याररर माऐईन्न बहीी कर्र्त्ती हून्न्न तुउज्झ्ही लेक्किन्न दार्र लग्गतता हाीइ म्मूउजझी
और्र्रर तूऊ वाईससी बहिि मुउज़्झहही हँससिल्ल कारर्र छुक्का हाईईइ टू भ्हाल्ला यी सब
क्क्ययउउू कार रहहा हाई,,,,मेररी ल्लीइयईी टुउन्ने अप्प्पंनी जीिस्सम्म पार गूल्लीइी खाइइ
हाीइ एब्ब बल्ला और्र कय्या राहह गया मुउजझी हँसिल्ल कररननी मी,,,तू अब पुउर्रीई
तरराहह सी मुउज़्झहही हँसिल्ल्ल कारर्र छुक्का हाीइ,,,अब माइिईन्न मुउर्रीई त्तररहह सी
टीएरर्र्रृिइ हूऊंणन्न् सुउन्नयययी,,,,,,,


नही पूरी तरह से नही अभी तो तुझे दिल से हाँसिल किया है,,,,अभी कुछ और हाँसिल करना
बाकी है,,,,लेकिन तू डर रही है,,,


हान्ं मुउजझी दरर्र लग्गतता हाीइ सुउन्न्णी,,,कययुउककीी यईी सब्बब गग्ग्गाल्लत्ट हाीइ
अहह माट्त्ट कार्ररर प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ कययउउू तद्डप्पा रहहा हाई मुउज़्झहही मॅट कार
ना प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़


तडपा मैं नही रहा ,,तू तडपा रही है मुझे भी और खुद को भी,,,जब मुझे कोई डर नही
तो भला तू क्यूँ डर रही है,,,,


क्युक्कीी मैईन्न तेर्रीइ बहहानं हूंन तेरीई मशहूओक़्क़ नाहहिईिइ कववीितता कििई तररहह
,,,,,अहह हात्त जा नाअ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ दीकख मुउुज्झहहस्सी आब्ब्ब औरर्र नाहहिि रुउक्का
जेया राहहा इश्स सी पहल्ली कू गल्लतीीई हूओ जययी और मैईन्न अपपननीी गल्लतीीई पार
रुसववा हू जौउउन्न्ञन् मत्त कार रुक्क्क जा तुउज़्झहही मेरि कासामम




सोनिया ने इतना बोला और अपनी कसम दी तो मैं एक पल मे रुक गया और तभी म्यूज़िक ऑफ हो गया
हम दोनो एक दूसरे से दूर हट गये,,,,,उसकी हालत बहुत खराब हो गयी थी,,,


तभी भुआ बोली,,,,वन्स मोर वन्स मोर,,,,,,लेकिन सोनिया पीछे हट गयी,,,,,,मैं थक गयी 
हूँ चलो ना सो जाते है,,,,



तभी कविता उसकी हालत समझ गयी,,,,हां हां मैं भी बहुत थक गयी चलो सो जाते है


डॅड भी मान गये और सब लोग घर के अंदर जाने लगे,,,,तभी कामिनी भाभी और सूरज भाई
कविता को लेके अपने घर जाने लगे तो माँ बोली,,,


अरे बेटा यहीं रुक जाओ सुबह चले जाना,,,,,

नही आंटी जी,,,,सुबह ऑफीस जाना है,,,,,अभी नही रुक सकता,,,,


ठीक है तो बेटा,,,,लेकिन जब टाइम मिले तो आना ,,और कामिनी को भी साथ लेके आना,,तुमसे
ज़रूरी बात करनी है,,,,


मैं समझ गया आंटी जी,,,,,कविता और सन्नी की शादी की बात करनी है ना,,,,मैं माँ से
बात कर लूँगा और आपको बता दूँगा,,,,फिर माँ को लेके ही आपके घर आउन्गा,,,,


कविता और मेरी शादी की बात होने वाली थी,,,,कविता शरमा रही थी,,सब लोग खुश थे
लेकिन सोनिया खुश नही थी,,,,,वो सबके साथ मिलके हंस तो रही थी लेकिन उसकी उदासी 
मेरे से छुपि नही थी,,,,और शायद कविता से भी नही,,,,वो भी सोनिया की तरफ देख रही
थी,,,

मैं भी एक तक सोनिया की तरफ देख रहा था,,तभी मेरा ध्यान गया भुआ की तरफ जो मुझे
सोनिया की तरफ देखते हुए देख रही थी,,,,, 

पार्टी ख़तम हो गयी,,,,,सब लोग अपने घर चले गये,,,,शोभा भी गयी अपने ससुराल,,,आज
कविता भी अपने घर चली गयी क्यूकी पिछले 8-10 दिन ये वो यहीं थी,,,,


नीचे माँ भुआ डॅड और सुरेंदर मामा सो गये,,,,और उपर भुआ के रूम मे मनोहर और रेखा सो
गये,,,,,मैं जब अपने रूम मे गया तो सोनिया कपड़े चेंज करके बेड पर बैठी हुई थी,,,,

मैं अंदर पहुँचा और अपने कपड़े चेंज करने लगा,,,,मेरे गले मे पट्टी बँधी हुई थी
जिस से मैने अपने लेफ्ट हॅंड को सहारा दिया हुआ था,,,मैने अपना हाथ पट्टी मे से निकाला और
कोट निकालने लगा,,,,,मुझे कोट निकालने मे थोड़ी परेशानी हो रही थी,,ये बात सोनिया भी
समझ गयी थी,,,,


तभी सोनिया बोली,,,,,कविता कहाँ है भाई,,,,,


वो चली गयी अपने घर,,,,,अब क्या हमेशा यहीं रहेगी,,,,,


हां भाई यहीं तो रहने वाली है वो हमेशा,,,,तेरी शादी जो होने वाली है उसके साथ

ये बात बोलते हुए वो नकली हँसी लिए हुए मुझे एसा दिखा रही थी जैसे वो खुश है,बट
मैं उसको अच्छी तरह से जानता था,,,,,उसके चहरे की उदासी मेरे से कभी छुपि नही थी


हां अब क्या कर सकते है,,,माँ ने भी सूरज भाई को बात करने क लिए बुला लिया है,अब
तो लगता है शादी होके ही रहेगी,,,,

होके रहेगी मतलब,,,तू शादी नही करना चाहता क्या कविता से,,,,उसने थोड़ा सवालिया नज़रो
से देखते हुए पूछा,,,,

क्यू नही करना चाहता ,,,,मैं तो मरा जा रहा हूँ उस से शादी करने के लिए,,,,लेकिन अब
उस से ज़्यादा मरा जा रहा हूँ ये कोट उतारने के लिए,,,,मेरे शोल्डर मे दर्द हो रहा था
ये बात सोनिया जान गयी थी,,,,


तभी वो अपने बेड से उठी और मेरे करीब आके मेरा कोट उतारने लगी,,,,,कोट उतारते ही
मैने शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए,,,,वो थोड़ा पीछे हट गयी,,जब शर्ट के बटन
खुल गये तो उसने आगे बढ़ के शर्ट निकालने मे भी मेरी हेल्प की,,,अब मैं बनियान मे था और
पेंट निकालने वाला था,,,,लेकिन अभी मैने पैरो मे जूते पहने हुए थे,,,,सोनिया ने मुझे
बेड पर बैठने को बोला और मैं बैठ गया फिर वो ज़मीन पर घुटनो के बल बैठकर मेरे
जूते निकालने लगी,,,,,जूते निकल गये तो मैं खड़ा होके पेंट निकालने लगा तो वो एक दम 
से पलट कर खड़ी हो गयी,,,,,वो मुझे इस हालत मे देखना नही चाहती थी,,,,तभी मैं
भी एक दम से रुक गया,,,क्यूकी मैने पेंट के नीचे अंडरवेअर जो नही पहनता था,,,,घर मे
चुदाई की वजह से ये आदत पड़ी थी मुझे,,,,,
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