RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
घर जाके अपने रूम मे अपने बेड पर आराम कर रहा था,,,,,घर मे खूब रोनक थी,,मैं
बाहर निकलना चाहता था लेकिन घर वालो ने मना किया था,,,पार्टी रात को थी इसलिए रात
तक मुझे आराम करने को बोला गया था,,,,,डॉक्टर ने भी ज़्यादा चलने फिरने से मना किया
था क्यूकी जखम अभी भरा नही था,,,टाँके भी अच्छी तरह से सूखे नही थे,,खून
बहने का डर था ज़्यादा चलने फिरने से,,,,,
लेकिन फिर भी मेरे से रहा नही गया,,,टाइम कोई 2-3 बजे के आस पास था,,,मैं नीचे आया
तो देखा घर पूरा सज़ा दिया गया था,,,,फ्रंट गार्डन मे ड्ज लगा था,,,,डॅन्स का प्रोग्राम
वहीं था जबकि पीछे वाले गार्डन मे खाने पीने का बंदोबस्त किया गया था,,,मैं नीचे
घूम ही रहा था तभी मेरी नज़र पड़ी माँ और डॅड के रूम मे,,,,वहाँ रेखा मनोहर और
मामा बैठे हुए थे,,,वो लोग कुछ बात कर रहे थे,,,,मैं आराम से रूम के दरवाजे के
पास जाके खड़ा हो गया और उन लोगो की बातें सुन-ने लगा,,,,
देखने पर तो मुझे मामा रेखा और मनोहर नज़र आ रह थे लेकिन बातों को सुनकर पता
चला माँ भुआ और डॅड भी वहीं थे उस रूम मे,,,,
सुरेंदर,,,,,,अशोक तूने तो मुझे माफ़ कर दिया लेकिन अभी भी किसी से माफी माँगनी है
मुझे,,,,,
अशोक,,,,,,,माफ़ तो करना ही था तुझे सुरेंदर ,,,तूने जो किया उसमे तेरी जितनी ग़लती थी
उतनी ही ग़लती मेरी भी थी,,,सज़ा का हक़दार तो मैं भी हूँ,,,,
गीता ,,,,,हां सुरेंदर ग़लती हम सब से हुई है,,,हर कोई सज़ा का हक़दार है लेकिन अब
इन बातों का कोई फ़ायदा नही,,,,जो होना था हो गया,,,अब हमे आगे की सोचनी है,,,,
सुरेंदर,,,,,आगे की बाद मे पहले मुझे किसी से माफी माँगनी है,,,,
गीता ,,,,,,किस से माफी माँगनी है अब तुझे ,,,,
सुरेंदर,,,,,,,सन्नी से,,,,,,वही रहता है जिसको सब कुछ बताना है और माफी माँगी है
,,,,सोनिया को इस सब के बारे मे कुछ नही पता इसलिए उस से कोई बात नही करनी,,वैसे
है कहाँ सन्नी,,,,,
अशोक,,,,,,अपने रूम मे आराम कर रहा है,,,,अभी कुछ मत बताना उसको,,,पहले से बेचारा
बहुत दुखी है,,,,,आज ही तो हॉस्पिटल से आया है,,,,और वैसे भी आज जशन का माहौल है
घर मे ,,,,अभी कुछ मत बताना ,,सही टाइम आने दो हम सब बता देंगे उसको,,
मनोहर,,,,,,,,,अब आप लोगो को ज़्यादा देर नही करनी चाहिए,,,,सब कुछ सच सच बता
देना चाहिए,,,,क्यूकी सच बताने मे जितनी देर होती है उतना ही बुरा असर होता है लोगो
पर,,,,सच जितनी जल्दी सामने आ जाए उतना ही अच्छा है,,,,मनोहर ये बात रेखा की तरफ
देखकर बोल रहा था,,,,रेखा की आँखों मे आँसू आ गये,,वो मनोहर के गले लग गयी,,,
अरे अब तू क्यूँ रो रही है,,,,,तूने तो सब बता दिया ना मुझे,,,,अब ये रोना धोना किस
बात का,,,,,,चल चुप कर,,,,
सुरेंदर ,,,,,,,ठीक कहा मनोहर ,,,,सच जितनी जल्दी सामने आ जाए उतना अच्छा होता है,
मैं भी जल्दी से अब सब कुछ बता दूँगा ,,,,,बस सन्नी कुछ ठीक हो जाए,,,,
फिर वो लोग कुछ और बातें करने लगे,,,,मैं दरवाजे से हटके जाने ही लगा था कि मेरा
ध्यान गया पीछे की तरफ जहाँ खिड़की पर सोनिया खड़ी हुई थी,,,,वो भी अंदर की सारी
बातें सुन रही थी,,,,
मैने पलट कर उसकी तरफ देखा तो वो अंजान बनते हुए,,,,तू यहाँ क्या कर रहा है चल
उपर जाके आराम कर,,,,डॉक्टर ने ज़्यादा चलने फिरने से मना किया है ना,,,,चल जा उपर
और रात पार्टी के पहले अपने बेड से नही उठना,,,,,
वो अंजान बन-ने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन वो ये भी जान गयी थी कि मैने उसको '
बातें सुनते हुए पकड़ लिया था,,,फिर भी वो अंजान बनती जा रही थी,,अंजान बनते हुए
उसने मेरा हाथ पकड़ा और उपर मेरे रूम मे ले गयी,,,,जहाँ कविता बैठी हुई थी,,
ये ले संभाल अपने सन्नी को,,,,डॉक्टर ने बोला है आराम करने को लेकिन ये पूरे घर मे
घूम रहा है,,,,अब इसको रूम से बाहर नही जाने देना,,,समझी,,,,,,सोनिया ने इतना बोला
तो कविता ने आगे बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर लेटा दिया,,,,
मैं 2 मिनिट के लिए वॉशरूम क्या गयी तू रूम से बाहर चला गया,,,,चल अब आराम कर और
अगर रात से पहले बाहर निकला तो मेरे से बुरा कोई नही होगा,,,,
मैं बेड पर लेट गया,,,,,और सोचने लगा अब ऐसी क्या बात है जो मुझे बताई जानी है'
लेकिन सोनिया को नही,,,,,और ऐसी क्या ग़लती हुई मामा से जिसके बारे मे मुझे बताया जाना
ज़रूरी है,,,ऐसा क्या सच है जो सामने आना ज़रूरी है,,,,,जिसके बारे मे शायद रेखा भी'
जानती है और उसने मनोहर को भी बता दिया,,,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,
मैं रात पार्टी टाइम तक अपने रूम मे ही रहा,,,मामा मनोहर और रेखा मेरा हाल चाल पूछ
कर नीचे चले गये थे किसी ने कोई ज़्यादा बात नही की थी,कोई सच नही बताया था मुझे
,,उन लोगो को सही टाइम का इंतजार था और सही टाइम कब होगा ,,,कॉन जाने,,,,,,
रात करीब पार्टी शुरू होने से पहले 7 बजे के करीब मैं तैयार हो गया,,,,बड़ी मुश्किल
हो रही थी कोट पेंट पहन-ने मे,,,,अभी तो शर्ट के बटन भी बंद नही हो रहे थे
तभी दरवाजे से चलके अंदर की तरफ कविता आ गयी,,
उसने मेरी हेल्प की तैयार होने मे,,,,,शर्ट पहनाई,,,,फिर पेंट भी और शूज भी,,,ऐसे
तैयार कर रही थी मुझे जैसे कोई माँ अपने बच्चे को तैयार करती है या कोई बीवी अपने पति
को,,,,,
मुझे तैयार करके वो खुद चली गयी तैयार होने,,,,,मैं तैयार होके रूम से बाहर आ गया,,
अभी मेहमान तो नही आए थे क्यूकी पार्टी टाइम 10 बजे का था,,,,मैं जल्दी तैयार हो गया
था,,,,,सभी मर्द जल्दी तैयार हो गये थे लेकिन औरतें अभी तैयार हो रही थी और रब जाने
कितना टाइम लगना था इन लोगो को तैयार होने मे,,,मैं नीचे नही गया और उपर के फ्लोर पर
ही घूम रहा था,,,मैं भुआ के ड्रॉयिंग रूम की खिड़की से बाहर फ्रंट गार्डन का नजारा
देख रहा था,,,,
काफ़ी टाइम मैं वहीं खड़ा रहा,,,,फिर दिल किया पीछे वाले गार्डन मे जाके देखने को,
देखु तो सही खाने मे क्या बन रहा है,,,,,बाकी सब की टेन्षन नही थी,,,बस देखना था
चिकन है या नही,,,,वैसे तो हम पंजाबी थे बिना चिकन के पार्टी करना मुश्किल था
हम लोगो के लिए लेकिन फिर भी एक चीज़ ज़रूरी थी,,,तंगड़ी कबाब,,वही देखने के लिए
मैं पीछे की तरफ जा रहा था,,,,तभी मेरी नज़र पड़ी भुआ के रूम मे,,,जहाँ सोनिया
खड़ी हुई थी ड्रैसिंग टेबल के सामने,,,,,
उसने लाल रंग का पेटिकोट पहना हुआ था और साथ मे लाल रंग का ब्लाउस ,,,,वो ब्लाउस की
डोरी को बाँधने की कोशिश कर रही थी जिसमे उसको मुश्किल हो रही थी,,,मेरा ध्यान उसकी
चिकनी पीठ पर टिका हुआ था,,साथ साथ मैं मिरर मे उसके मासूम और खूबसूरत चेहरे
को भी देख रहा था,,,,उसका ध्यान एक दम से मेरी तरफ आ गया,,,,वो थोड़ी परेशान हो
गयी,,,,उसके हाथ अभी भी उसकी पीठ पर थे,,,,वो पीठ पर ब्लाउस की डोरी बाँधती हुई
मेरी तरफ देख रही थी मिरर मे,,,,
उसकी तरफ देखते हुए मेरे कदम आगे रूम की तरफ बढ़ने लगे,,,,वो थोड़ा डर गयी उसने सर
को ना मे हिला कर मुझे अंदर आने से मना किया लेकिन मैं आगे की तरफ बढ़ता गया,,वो
थोड़ा डर गयी,,,वो समझ गयी थी अब मैं उसके करीब आ रहा हूँ,,,वो जल्दी से पलट
गयी और मेरी तरफ देखते हुए मुझे अंदर आने से मना करने लगी,,,,वो अपने सर को ना मे
हिला रही थी लेकिन मैं आगे बढ़ता जा रहा था,,,तभी दरवाजे के पास जाके मैने दरवाजे
की नॉब को पकड़ा और दरवाजा बंद करने लगा,,,,जब मैं दरवाजा बंद कर रहा था तो सोनिया
की तरफ देख रहा था,,,वो मेरी इस हरकत से खुश हो गयी थी,,मैं उसके पास नही गया
था बल्कि दरवाजा बंद करके वहाँ से आगे की तरफ चला गया था,,,,
मैं चलके पीछे वाले गार्डन की तरफ चला गया और छत से नीचे की तरफ देखने लगा
मैं देखने तो कुछ और आया था लेकिन मेरा ध्यान सोनिया की तरफ था,,उसका चेहरे मेरी
नज़रो से दूर ही नही हो रहा था,,,,हालाकी अब उसका हंसता हुआ चेहरा देखकर आया था
लेकिन मुझे उसका उदास चेहरे भी याद रहा रहा था जब माँ ने कविता से मेरी शादी की
बात की थी तो सोनिया उदास हो गयी थी,,,,ये बात नही सोनिया को मेरे और कविता से कोई जलन
थी लेकिन पता नही क्यूँ फिर भी वो उदास थी,,,,,मुझे उसकी उदासी की वजह जान-नी थी,,
मैं यहाँ खड़ा हुआ नीचे देख रहा था तभी डॅड मेरे पास आ गये,,,,,अरे तैयार हो गये
तुम सन्नी बेटा,,,,लेकिन ये क्या,,,,,तूने टाइ क्यूँ नही पहनी,,,,,,
तभी डॅड की नज़र पड़ी कविता पर जो भुआ के रूम से तैयार होके बाहर आ गयी थी,,,अरे
कविता बेटी सुनो ज़रा,,,,
कविता चलके हम लोगो के पास आ गयी,,,,,मैने कविता को देखा तो देखता रह गया,,,उसने
भी लाल रंग की साड़ी पहनी थी जैसी सोनिया पहन रही थी,,,,बाल खुले थे उसके,,हाथ
से लेके एल्बो तक उसकी बाजू चूड़ियों से भरे हुए थे,,,हल्के जेवर भी पहने हुए थे
और हल्का मेक-अप भी किया हुआ था,,,,,लाल रंग की लिपस्टिक भी लगाई हुई थी,,,,मैने
उसको देखा तो नज़र हटाने को दिल नही किया उस पर से ,,
जी अंकल अपने मुझे बुलाया,,,,,,,कविता पास आके बोली,,,
अंकल नही डॅड बोला करो अब तुम,,,,अब तुम इस घर की बहू बन-ने वाली हो,,,
कविता शरमा गयी और सर झुका लिया,,,,जी डॅड अपने मुझे बुलाया,,,,
हां ये हुई ना बात,,,देखो ना बेटी ये तैयार तो हो गया लेकिन टाइ नही पहनी इसने,,तुम ज़रा
इसको टाइ पहना दो,,,,
सौरी डॅड मैं भूल गयी थी,,,,अभी पहना देती हूँ,,,चलो सन्नी मेरे साथ,,,,उसने इतना
बोला तो मैं जैसे दौर पतंग के साथ खींची चली जाती है मैं भी कविता के साथ साथ
खींचा चला गया,,,,
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