Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 03:14 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
नही सन्नी मैं वो ,,मैं तुुझहही ,,,मैन्न वूऊ ,,सयन्नीयी

उसको कोई बात नही सूझ रही थी,,,,तभी मैं अपना हाथ उसकी पीठ की तरफ ले गया और
उसको अपने करीब कर लिया,,,,मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर था जबकि एक हाथ जिसमे खून
निकल रहा था उस से मैने उसके चेहरे को उपर किया,,,क्यूकी मेरे करीब आते ही उसने अपने
सर को झुका लिया था जल्दी से,,,,,मैने उसके फेस को उपर किया और बोला,,,,,बोल कि तुझे
मेरे से प्यार नही मैं चुप छाप यहाँ से चला जाउन्गा,,,,बोल ना ,,,,बोल तू मेरे से प्यार
नही करती,,,,

वो कुछ नही बोली बस मेरी आँखों मे देखती जा रही थी और साथ साथ अपने हाथ मेरी चेस्ट
पर रखकर खुद को मेरे से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैने उसकी पीठ से
उसको कस कर पकड़ा हुआ था,,,,,हम दोनो एक दूसरे से चिपके हुए थे,,,,,


बोल ना बोलती क्यू नही,,,,बोल तुझे मेरे से प्यार नही,,,,


उसकी हार्टबीट तेज हो गयी थी,,,साँसे तो पहले से भारी-भारी थी उसकी,,,दिल की धड़कन 
भी उसका साथ नही दे रही थी जो काफ़ी तेज हो चुकी थी,,,,सयन्नीयी छ्छूद म्मूउज़्झहही
यईी सब्ब ठीक्क नाहहीी ,,सुउन्नयी छोड़ ना प्लज़्ज़्ज़ क्कू आ जाईगगा ,,सुउन्नययी
प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ छ्छूड्द मुउज़्झहही ककक़कू आ गगयाअ ऊउरर हुउंमी ऐसी दीकखह ल्लीइय्या 
तो कय्या हूग्गा,,,मायन्न तूओ मार्र हिी जोऊनगगीइ ष्हररमम सीई ,,,,छोड़ सुउन्नी
प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़

मैने कुछ नही बोला बस अपने हाथ को उसकी चिन से उठाकर उसके सर के पीछे रखा और उसके
सर को अपने करीब कर दिया जिस से उसके लिप्स मेरे लिप्स के करीब हो गये और मैने कोई देर
नही की और जल्दी से उसके लिप्स को अपने मुँह मे भर लिया वो एक दम से सिहर गयी मेरी इस
हरकत से और ज़ोर लगा कर खुद को मेरे से दूर करने लगी ,,उसके हाथ मेरी चेस्ट पर थे
और वो पूरा ज़ोर लगा रही थी मेरे से दूर होने क लिए लेकिन मेरा हाथ उसके सर पर पूरी
पकड़ बना कर कॅसा हुआ था जिस से उसका सर मेरे से दूर नही हो सकता था ना ही उसके
लिप्स मेरे से दूर हो सकते थे,,,,


उसके सॉफ्ट लिप्स मेरे मुँह मे आते ही मैने उसके लिप्स को चूसना शुरू कर दिया,,मेरा एक हाथ
उसकी पीठ पर और एक हाथ उसके सर पर था,,जो हाथ पीठ पर था मैं उसको हिला नही 
रहा था बस पकड़ बना कर उसको खुद से चिपका रहा था,,, 

उसका मुँह खुल गया था और मेरी ज़ुबान उसके मुँह मे घुस गयी थी और उसकी ज़ुबान से छेड़खानी
करने लगी थी उसके मुँह मे जाके,,वो अपनी ज़ुबान से मेरी ज़ुबान को उसके मुँह से बाहर करने
की कोशिश कर रही थी ,,मैने अपनी ज़ुबान को उसके मुँह से बाहर करना शुरू कर दिया जिस
से ज़ोर लगाती हुई उसकी ज़ुबान मेरे मुँह की तरफ दबने लगी ,,मेरी ज़ुबान उसके मुँह से पूरी
तरह बाहर निकल गयी लेकिन उसकी ज़ुबान नही रुकी,,,शायद वो अभी भी ज़ोर लगा रही थी 
अपनी ज़ुबान से जिस वजह से उसको पता ही नही चला कि उसकी ज़ुबान उसके लिप्स से बाहर 
आ गयी थी और मेरे लिप्स को टच करने लगी थी,,,मैने भी मौका देखा और उसकी ज़ुबान को 
अपने दाँतों मे पकड़ लिया और अपने मुँह मे खींच लिया,,,वो एक दम से घबरा गयी अपनी 
इस ग़लती से और उसके बदन ने झटके खाने शुरू कर दिए,,,,वो खुद को मेरे से दूर
करना चाहती थी,,,,,


मेरे मुँह मे उसकी ज़ुबान घुसते ही मैने उसको अपने दाँतों मे पकड़ लिया और चूसना शुरू 
कर दिया,,,,कुछ देर मैं ऐसे ही उसकी ज़ुबान को चूस्ता रहा और तभी मुझे हैरानी हुई 
उसने ज़ोर लगाना बंद कर दिया और उसके जो हाथ मेरी चेस्ट पर थे वो मेरी पीठ पर चले
गये,,मैं उसकी इस हरकत से खुश हो गया और फिर ज़्यादा ही मस्ती मे उसकी ज़ुबान को चूस्ता
हुआ उसके लिप्स को भी मुँह मे भरने लगा,,,,उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया,,,,

हम दोनो मस्ती मे ,,छत पर सर्दियों की हल्की मीठी धूप मे एक दूसरे से चिपक कर एक
दूसरे के होंठों का रस्सपान करने मे लगे हुए थे और कम से कम 3-4 मिनिट हो गये थे
हम लोगो को ऐसे ही खड़े हुए किस करते हुए,,,आज तो सोनिया भी मेरा साथ दे रही थी,,वो
भी पूरी मस्ती मे मुझे किस करती हुई मेरे लिप्स को चूसने लगी थी मेरे मुँह मे अपनी ज़ुबान
घुसा कर मेरी ज़ुबान से छेड़खानी करने लगी थी,,शायद वो आज पूरी तरह मस्त हो गयी 
थी,,,,


मैं यही सब सोचता हुआ खुश हो रहा था कि वो भी मस्त हो गयी है लेकिन तभी उसने अपने
हाथों को वापिस मेरी चेस्ट पर रखा और ज़ोर से मुझे धक्का दे दिया और खुद से दूर कर
दिया,,,मस्ती मे मैं अपने हाथों की पकड़ को उसके जिस्म पर काफ़ी कमजोर कर चुका था और
उसको इसी बात का इंतजार था शायद इसलिए उसने एक ही झटके मे मुझे खुद से दूर कर 
दिया,,,,झटका इतना जोरदार था कि मैं पीछे हटके ज़मीन पर गिर गया,,,,


मैं ज़मीन पर गिरा हुआ उसकी तरफ देख रहा था और अपने लिप्स पर लगे उसके थूक को सॉफ
कर रहा था अपने हाथ से,,,,,वो दीवार से सॅट के खड़ी हुई खुद की हालत को क़ाबू मे 
करने की कोशिश कर रही थी ,,उसकी तेज उखड़ती हुई साँसे ,,तेज हो चुकी दिल की धड़कन
जिसपे क़ाबू करने मे उसको काफ़ी मुश्किल हो रही थी,,,,लेकिन फिर भी वो खुद पर क़ाबू 
करने की पूरी कोशिश कर रही थी,,,,जब उसकी हालत थोड़ी ठीक हुई तो वो धीरे से थोड़ी 
आगे बढ़ के चली गयी फिर रुक कर मेरी तरफ देखा और बोली,,,,,



सन्नी तेरा और मेरा रिश्ता बहुत अजीब है,,,किसी काँच और पत्थर के जैसा,,,भूल मत जब
काँच से पत्थर टकराता है तो काँच टूट कर बिखर जाता है,,ये रिश्ता भी बिल्कुल 
वैसा ही है जिसमे मैं काँच हूँ और तू पत्थर है,,,तू मुझसे टकराया तो तुझे तो 
कुछ नही होगा शायद लेकिन मैं टूट कर बिखर जाउन्गी ,,प्ल्ज़्ज़ तू मुझसे दूर रहा कर
क्यूकी मैं टूट कर बिखरना नही चाहती,,,प्ल्ज़्ज़ सुउन्नयी तू मुझे टूट कर बिखरने पर
मजबूर मत करना क्यूकी अगर मैं टूट कर बिखर गयी तो मर जाउन्गी,,,प्लज़्ज़्ज़ सुउन्नयी मत
किया कर ऐसी हरकते ,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़ मुझे टूट कर बिखरने मत देना सन्नी,,प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़


इतना बोलकर वो जल्दी से नीचे भाग गयी और मैं वहीं छत पर बैठा हुआ उसकी बातों
के बारे मे सोचने लगा,,,,

मैं कुछ देर तक छत पर ही बैठा रहा और सब बातों के बारे मे सोचने लगा जो अभी
कुछ देर पहले हुई थी सोनिया का साथ,,,,आज सोनिया ने किस का रेस्पॉन्स दिया था मुझे मैं
खुश भी हो गया था उसकी इस हरकत से लेकिन उसका इरादा मुझे बहका कर अपने जिस्म से मेरी
पकड़ को कमजोर करना था ताकि मैं पकड़ कमजोर कर दूं और वो मुझे खुद से दूर कर 
सके,,,वो कामयाब भी हो गयी थी क्यूकी जब उसने मुझे किस करना शुरू किया तो मेरी पकड़
सच मे उसके जिस्म पर कमजोर हो गयी और वो मेरे से अलग हो गयी थी,,,,


फिर मुझे याद आई उसकी वो बात,,,,वो ठीक कह रही थी,,,,,मेरा और उसका रिश्ता अजीब
था,,,काँच और पत्थर जैसा,,,हम दोनो टकराते तो उसका टूट कर बिखर जाना मुमकिन था
क्यूकी वो बहुत मासूम और भोली भाली लड़की थी और मैं पत्थर जैसा था,,मुझे कोई फ़र्क़ 
नही पड़ने वाला था,,,तो क्या मुझे सोनिया से दूर रहना चाहिए,,,क्यूकी मैं नही चाहता
था वो टूट कर बिखर जाए ,,,लेकिन मैं उस से दूर भी नही रह सकता था क्यूकी मैं
उस से बहुत प्यार करता था,,,,लेकिन इसका मतलब ये नही मैं कविता से प्यार नही करता था
मैं कविता से भी उतना ही प्यार करता था जितना सोनिया से,,,,लेकिन क्या ये सही था,,क्या मैं
दोनो से प्यार कर सकता था या सिर्फ़ ये जिस्म का खेल था जो मुझे खेलना था दोनो के साथ


नही नही ये जिस्म का खेल नही मैं दोनो से बहुत प्यार करता था,,,उनके लिए जान भी दे
सकता था,,,


मैं यही सब सोच रहा था कि शाम ढल गयी थी मुझे ठंड लगने लगी,,,मैं उठकर 
नीचे चला आया और रूम मे आके लेट गया,,,आँगन मे कोई नही था ,,,,,गाँव की औरतें भी
अपने घर जा चुकी थी और हवेली का गेट भी बंद हो चुका था ,,,बाकी लोग भी अपने रूम्स
मे चले गये थे शायद,,,,


मैं अपने रूम मे आके लेट गया और फिर से सभी बातों क बारे मे सोचने लगा,,,तभी कुछ
देर बाद मेरे रूम मे कोई आया,,,,मैने देखा तो ये भुआ थी जो खाने की प्लेट लेके रूम 
मे मेरे पास आके खड़ी हुई थी,,,,


कहाँ था तू सन्नी फिर से घूमने गया था क्या,,,सब लोगो ने खाना खा लिया और तू ही रह 
गया खाना खाने के लिए,,,,चल उठ और खाना खा ले,,,,


नही भुआ मुझे भूख नही है,,,आप खाना वापिस ले जाओ,,,,मैने थोड़ा उदास होके बोला


क्या हुआ सन्नी फिर कविता से कोई झगड़ा हुआ क्या तेरा,,,इतना उदास क्यूँ है,,,,

अरे भुआ कोई झगड़ा नही हुआ मेरा किसी से बस सर मे हल्का दर्द है,,और भूख भी नही
है मेरे को,,,,


देख सन्नी बेटा खाने की बेज़्ज़ती नही करते कभी,,,अगर सर मे दर्द है तो बता मैं दबा
देती हूँ और अगर कोई और बात है तो वो भी बता शायद मैं कुछ हेल्प कर सकूँ तेरी और 
तेरी गर्लफ्रेंड की,,,,

अरे भुए कोई बात नही है बोला ना मेरे और कविता की,,,कोई झगड़ा नही हुआ मेरा कविता 
के साथ,,,,


अच्छा नही बताना तो मत बता लेकिन खाना खा ले बेटा,,,,

मुझे लगा भुआ की बातों से बचना है तो बेटा खाना खा ले इसी मे तेरी भलाई है


ठीक है भुआ आप खाना रख दो मैं खा लूँगा,,,,,,

भुआ ने खाने की प्लेट मेरे बेड पर रखी और बाहर चली गयी,,,,

मुझे भूख तो नही थी फिर भी मैने खाना खा लिया और प्लेट रखने किचन मे चला
गया,,,,,अंधेरा हो चुका था,,आँगन खाली पड़ा था,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 03:14 PM

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