Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 03:06 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं नीचे आके खुद पर गुस्सा कारने लगा,,कोसने लगा खुद को,,,,आज तक जिस बेहन की आँखों मे आँसू देखकर
दिल रोने लगता था आज उसी बेहन को थप्पड़ मारा मैने वो भी इतनी कस कर कि खून निकलने लगा उसके मुँह से और
वो पगली थप्पड़ ख़ाके भी खुश हो गई थी,,,हँसने लगी थी,,,उसके हंसते हुए चेहरे से मैं थोड़ा और पग्ला गया
और अपने उस हाथ को कस कर दीवार पर दे मारा,,,,एक बार नही बार बार लगातार,,जिस से हाथ पर चोट लग गई और
खून बहने लगा,,जिस दीवार पर हाथ मारा था वहाँ पर भी थोड़ा खून लग गया था,,,वो दीवार घर के मेन
डोर के पास की दीवार थी,,,,

अभी मैं खुद को कोस ही रहा था कि कविता और सोनिया नीचे आ गई,,कविता गुस्से से देख रही थी मुझे जबकि सोनिया
हंसते हुए देख रही थी मेरी तरफ,,,मैने जल्दी से उस दीवार के सामने खड़ा हो गया जहाँ खून लगा हुआ था और
अपने उस हाथ को अपनी पीठ पीछे छुपा लिया जिस से खून बहने लगा था,,,,

सोनिया और कविता मेरे पास से ग़ुजरकर दरवाजा खोलकर घर से बाहर चली गई,,,कविता ने बाहर जाके अक्तिवा स्टार्ट की
मैने उसको दूसरे हाथ से बाइ का इशारा किया लेकिन उसने ध्यान ही नही दिया,,,सोनिया अपने बॅग पकड़कर अक्तिवा के पीछे
बैठ गई थी वो बस चलने ही लगे थे कि सोनिया एक दम से उतर गई कविता की अक्तिवा से और कविता के कान मे कुछ
बोलकर घर के अंदर भाग कर आ गई और उपर चली गई,,,,

उसके अंदर आते ही मैं जल्दी से उस दीवार के सामने खड़ा हो गया जहाँ खून लगा हुआ था,,,फिर वापिस दरवाजे
के पास आ गया और कविता को देखने लगा,,,,

सोनिया उपर गई थी इसलिए मैं बाहर कविता के पास चला गया,,,

सॉरी कविता मैं थोड़ा गुस्से मे था ,,,,सोनिया की वजह से तेरे से भी गुस्से से बात की मैने,,

इट्स ओके सन्नी,,,,,लेकिन मैं इस वजह से गुस्से मे नही हूँ कि तूने मेरे से गुस्से से बात की ,,और ना ही इस बात पर
गुस्सा है कि तूने सोनिया को थप्पड़ मारा,,मुझे तो गुस्सा इस बात पर है कि तू खुद अंदर से जलने लगा है,,खुद पर
गुस्सा करने लगा है,,,मैं जानती हूँ तू मुझे हर्ट नही कर सकता तो सोनिया को कैसे हर्ट कर सकता है,,अभी तूने
उसको थप्पड़ मारा ज़रूर लेकिन उस से ज़्यादा दर्द तुझे खुद को हो रहा होगा,,,,मैने देखा था तेरी आँखों मे वो
दर्द जो तुझे सोनिया को थप्पड़ मारने के बाद महसूस हो रहा था,,,

थन्क्ष्क्ष्क्ष कविता,,,,तू सब जानती है,,,तू मेरी बहुत अच्छी दोस्त है,,,,

हां सन्नी बहुत अच्छी दोस्त हूँ मैं तेरी,,और सब जानती हूँ तेरे बारे मे,,,लेकिन मुझे ये नही पता कि तूने
आज सोनिया से झगड़ा क्यूँ किया,,,,ऐसी क्या बात हो गई थी,,,

वो मैं नही बता सकता सोनिया से पूछ लेना शायद वो बता दे,,,

वो भी कुछ नही बताने वाली मुझे मैं जानती हूँ,,,तूने उसको हर्ट किया है ये बात तो वो कबकि भूल चुकी होगी
और तेरे उस थप्पड़ को भी,,,

थन्क्ष्क्ष्क्ष कविता,,,,वैसे अब ये अंदर क्यूँ गई है,,,,

वो अपना कुछ समान भूल गई है वो लेने गई है,,,,

फिर मैं और कविता इधर उधर की बातें करने लगे तभी कविता मुझे बोली,,,,,,,,,कितना टाइम लगा दिया सोनिया ने
,,सन्नी ज़रा जाओ और भेजो उसको बाहर,,,

नही मैं नही जाउन्गा ,,,,तुम खुद ही बुला लो उसको कविता,,,,

मेरे कहने पर नही आने वाली वो,,,तुम बोलोगे तभी आएगी वो बाहर,,,,

तभी मैं घर के अंदर की तरफ चलने लगा और तभी कविता को मेरे हाथ पर लगी चोट और उसे बहता खून नज़र
आ गया तो उसने पीछे से मेरा हाथ पकड़ लिया,,,,

हयी मैं मर गई ये क्या हुआ सन्नी,,,,,,,,,कविता ने हाथ पकड़ते हुए बोला,,,,

श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे बोल कहीं सोनिया ना सुन ले,,,,ये कुछ नही हुआ बस हल्की चोट लगी है,,,

कविता सब समझ गई थी मेरी आँखों मे देखकर,,,,उसने हंस कर मुझे गले लगा लिया और जल्दी से अपनी अपनी चुनरी से
थोड़ा कपड़ा फाड़ कर उस हाथ पर बाँध दिया,,,,,,,,,,क्यूँ किया ये सब ,,,,जब खुद को हर्ट करना था बाद मे तो
सोनिया को क्यूँ मारा था पहले,,,,ह्म्म्म्मम बता ज़रा,,,,

मैं चुप करके खड़ा रहा,,,,


चल जा जल्दी अंदर जा और सोनिया को भेज बाहर,,,,और ये हाथ छुपा कर रखना उस से,,वरना तेरी शामत आ जाएगी,,,
कविता ने हंस कर इतना बोला और वापिस अक्तिवा पर बैठ गई,,,,

मैं अपने हाथ को पीठ पीछे छुपाकर घर एक अंदर चला गया,,,जैसे ही मैं घर के अंदर गया तो देखा कि
सोनिया दरवाजे के पास उसी जगह पर खड़ी हुई थी जहाँ पर मैने अपने हाथ को दीवार पर मारा था और मेरे हाथ
पर चोट लगने की वजह से थोड़ा खून लग गया था उस दीवार पर,,,,

सोनिया दीवार पर लगे खून को अपनी उंगलियों पर लगा कर ध्यान से देख रही थी,,,,जैसे ही मैं अंदर गया उसका
ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,,


अभी तक उसका चेहरा उदास था लेकिन अभी वो गुस्से मे आ गई थी,,,,वो दीवार पर लगे खून को अपनी उंगली पर
लगा कर ध्यान से देख रही थी फिर उसी उंगली को मेरी तरफ करके बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,ये क्या है सन्नी,,,,

मैने कुछ नही बोला बस चुप करके खड़ा रहा मेरा एक हाथ आगे की तरफ था जबकि एक हाथ पीछे पीठ की तरफ
था उसने आगे बढ़ कर मेरे उसी हाथ को पकड़ा और आगे की तरफ करने लगी,,,,,

मैं उसको रोकना चाहता था लेकिन देर हो गई थी,,,,मेरा वो हाथ उसके सामने आ गया था,,,,मेरे हाथ पर लगी चोट
और उसमे बँधा हुआ था कविता की चुनरी का कपड़ा लेकिन फिर भी उसमे से हल्का खून निकल रहा था,,,

सोनिया ने मेरे हाथ की ओर देखने लगी,,,,देखते देखते ही उसकी आँखें नम हो गई,,,,,फिर उसने मेरी तरफ देखा
मेरा चेहरे झुका हुआ था,,,,

ये क्या किया तूने सन्नी,,,,वो रोते हुए बोल रही थी,,,,,,,बोल सन्नी ये क्यूँ किया,,,,,,,मेरी बात का जवाब दो सन्नी
ऐसा क्यूँ किया तुमने,,,,,

मैं कुछ नही बोला बस सर झुकाकर खड़ा रहा,,,,

तभी उसने मेरे गाल पर हल्के से थप्पड़ मारा,,,,,,,,,जब खुद को हर्ट करना था तो मुझे क्यूँ मारा ,,पहले मुझे
मारा तब भी तू खुद ही हर्ट हुआ और अब फिर से खुद को हर्ट कर लिया भाई,,,,इतना बोलके वो रोने लगी,,,,तूने मुझे
थप्पड़ मारा मुझे उस बात का ज़रा भी दुख नही भाई ,,क्यूकी मैं जानती हूँ तूने मुझे क्यूँ मारा था,,,तू यही
चाहता था कि मैं घर से चली जाउ ताकि तू मुझे और ज़्यादा हर्ट नही कर सके,,,,मेरे ज़्यादा करीब नही आ सके,,
मुझे और ज़्यादा रुसवा नही कर सके,,,,,

बोल यही बात थी ना,,,,बोल अब बोलता क्यूँ नही,,,,

वो मेरे से जवाब माँग रही थी लेकिन मेरे मुँह से एक लफ्ज़ तक नही निकल रहा था,,,

बोल अब ,,,जब खुद को हर्ट करना था तो ये सब क्यूँ किया भाई,,,,इतना बोलते हुए वो मेरे हाथ से पट्टी निकालने लगी
,,,,

ये क्या कर रही हो,,,,,

कुछ मत बोलो अब तुम,,,,बस चुप रहो वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा,,,,,खुदको हर्ट करते हो और मेरी जान
निकाल कर रख देते हो,,,,,,,,अब चुप चाप मेरे साथ चलो और दवाई लगाओ इस्पे,,,,,

मैं उसकी तरफ देखता रह गया,,,,,,,,,,क्या चीज़ है ये लड़की,,,,मैने इसको इतनी ज़ोर से थप्पड़ मारा था कि इसके मुँह
से खून निकल आया था लेकिन ये पगली मेरी चोट देखकर मेरे हाथ से निकलने वाले खून को देखकर दुखी हो
गई थी मायूस हो गई थी रोने लगी थी,,,,इतना दर्द इसको तब भी नही हुआ जब मैने इसको मारा था ,,,,मैं उसकी
मासूमियत देखकर उसके दिल मे अपने लिए इतना प्यार देखकर इतनी केर देखकर थोड़ा कमजोर पड़ने लगा था लेकिन
मुझे पता था कि अगर मैं कमजोर पड़ गया तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी,,,,,


मुझे कोई दवाई नही लगानी ,,,तुम जाओ यहाँ से,,,,इतना बोलकर मैने वो हाथ उस से दूर कर लिया और खुद भी
दूर हो गया,,,

हाँ हां जानती हूँ,,,,ज़्यादा करीब नही आना मेरे सोनिया,,,दूर रहना,,,, यही बोलना है ना अब तूने,,,,,,,तो ठीक
है नही आती तेरे करीब दूर ही रहूंगी और कविता के घर भी चली जाउन्गी,,,,लेकिन पहले तू इस चोट पर दवाई तो
लगा ले सन्नी,,,,,


तुम जाओ मैं लगा लूँगा बाद मे,,,,

पक्का ,,,लगाओगे ना,,,,उसने हंसते हुए बोला

हां बोला ना लगा लूँगा,,,,,अब तू जा यहाँ से ,,,दफ़ा हो,,,,,

मैने इतने गुस्से मे बोला लेकिन उसपे कोई असर ही नही हुआ,,,वो हँसती जा रही थी,,,,

उसने हंस कर मुझे देखा और जल्दी से मेरे गले लग गई और इस से पहले मैं कुछ कर पाता उसने मेरे गाल पर हल्की
किस करदी,,,,,,,,,,,

अब जा रही हूँ मैं,,,,अपना ख्याल रखना,,,,और स्टडी कर लेना ,,,,टीवी मत देखना और ज़्यादा सोना नही,,,और सबसे पहले
अपने इस हाथ पर कुछ मेडिसिन लगा लेना,,,,इतना बोलकर वो फिर से आगे हुई और मेरे गाल पर एक किस करदी और भाग कर बाहर चली गई,,,,

मैं दरवाजे पर खड़ा होके उसको बाहर जाते देखने लगा,,,वो भाग कर जाके अक्तिवा पर बैठ गई,,,कविता ने
अक्तिवा स्टार्ट की और दोनो मेरी तरफ हंस कर देखने लगी,,,,,,,,,

कविता का हँसना समझ मे आया लेकिन सोनिया क्यूँ हंस रही थी,,,अभी कुछ देर पहले इतनी ज़ोर से थप्पड़ मारा था मैने
उसको की खून निकल आया था उसके लिप्स से ,,,,गुस्सा करने की जगह वो उल्टा हँसने लगी थी,,,खुश होने लगी थी,,,

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था इस लड़की का,,,,मेरा दिमाग़ खराब हुआ जा रहा था,,,,,,,

वो दोनो अक्तिवा पर बैठकर चली गई थी और दोनो ही खुश थी,,,जबकि यहाँ मेरा दिमाग़ खराब हुआ जा रहा था,
उनके जाने के बाद मैने गेट बंद किया और घर के अंदर जाने लगा तभी गेट के बाहर मुझे किसी कार या बाइक का
होरन बजने की आवाज़ सुनाई दी,,,,

मुझे लगा शायद कविता और सोनिया वापिस आ गई है और मैने जाके गेट खोला तो थोड़ा परेशान हो गया,,,,घर के
सामने कोई आदमी था बाइक पर,,,,उसने हेल्मेट पहना हुआ था और उसका बाइक जिस अंदाज़ से खड़ा हुआ था उस से लग रहा
था वो बाइक गेट के अंदर करने वाला है,,,,लेकिन मैं थोड़ा परेशान था मुझे नही पता चल रहा था ये कॉन है
क्यूकी हेल्मेट की वजह से मुझे उसका फेस नज़र नही आ रहा था,,,,इसलिए मैं गेट के आगे खड़ा हो गया ताकि वो
अंदर नही आ सके और तभी उसने अपने हेल्मेट का शीशा उपर उठा दिया और मैने देखा ख़ान भाई थे,,,,,,,मैं गेट से साइड हो गया 
ऑर ख़ान भाई ने बाइक अंदर किया ऑर बाइक स्टॅंड पर लगाकर अपना हेल्मेट निकाल दिया,,,

तब तक मैं गेट बंद कर चुका था,,,,अरे ख़ान भाई आप बाइक पर,,ऑर आज अपने वर्दी भी नही पहनी हुई ,,,क्या बात
है मैं तो डर ही गया था कि ये कॉन आ गया बाइक पर वो भी हेल्मेट पहन कर,,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 03:06 PM

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