RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने घर का गेट खोला और अंदर चला आया ,,,मैं बहुत परेशान था लेकिन तभी मेरी परेशानी और भी ज़्यादा बढ़
गई थी,,,,घर का गेट तो ठीक था लेकिन घर के मेन डोर का लॉक थोड़ा अजीब लग रहा था ,ऐसे लग रहा था किसी
ने इसको ज़बरदस्ती खोलने की कोशिश की हो ,,,बहुत ज़्यादा निशान पड़े हुए थे इस्पे,,हो ना हो ये उन्ही लोगो का काम
था जो लोग घर के बाहर खड़े हुए थे उस दिन,,,,साला आज नही छोड़ने वाला मैं इन लोगो को,,,मैने गेट खोला
और बाहर जाके देखा तो वो लोग वहाँ नही थे,,,मैने गेट खुला रहने दिया और भाग कर घर के पास वाली पार्क
तक गया,,,मुझे आज रितिका पर बहुत गुस्सा था और जब मुझे करण ने रितिका के साथ देख लिया था उस हालत मे किचन
मे तो मुझे बहुत अजीब लगा था ,,करण को पता था मैं चुदाई के मामले मे बहुत बड़ा कमीना हूँ इसलिए हो
सकता है करण मुझे ही ग़लत समझे और जब मैं करण के घर से निकला था तब रितिका को कुछ ज़्यादा टेन्षन नही
थी इस बात पर कि उसके पति ने उसको किसी गैर मर्द के साथ ऐसी हालत मे देख लिया था ,,शायद उसको करण का डर नही
था या शायद कहीं वो करण से झूठ नही बोल दे कि मैने उसके साथ बदतमीज़ी की थी,,क्यूकी अगर वो ऐसे बोल देती
तो शायद करण उसपे यकीन कर लेता और मैं ज़िंदगी भर के लिए करण की नज़रो मे गिर जाता,,,,मुझे यहीं सब बातों
पर बहुत गुस्सा आ रहा था और अब घर का बिगड़ा हुआ लॉक देखकर मुझे और भी गुस्सा आने लगा था,,,,मैं उन लोगो
का सर फोड़ देना चाहता था इसलिए घर के गेट को खुला छोड़कर मैं पार्क की तरफ भाग कर गया और फिर पार्क
के अंदर भी देखकर आया लेकिन वो लोग कहीं नही थे,,,,
मैं वापिस घर आ गया लेकिन फिर भी मुझे उन लोगो पर बहुत गुस्सा था क्यूकी मुझे पक्का यकीन था क़ि वो लोग
अमित के बाप के आदमी थे,,,,
मैने घर को अच्छी तरह से हर दरवाजा और खिड़की चेक की कहीं कोई अंदर तो नही घुसा था लेकिन दोनो दरवाजे
ठीक थे,,,,फ्रंट वाला भी और बॅक वाला भी,,,,घर मे 2 ही रास्ते थे अंदर आने के ,,,,एक तो आगे से और एक पीछे से
लेकिन तभी मुझे याद आया कि एक रास्ता उपर छत पर भी है,,,,वहाँ से भी कोई आ सकता है इसलिए मैं घर की
छत पर गया तो वो दरवाजा भी अंदर से बंद था,,,,सब कुछ ठीक था कहीं कुछ गड़बड़ नही हुई थी,,,
हालाकी घर मे कोई गड़बड़ नही हुई थी लेकिन करण के साथ मेरी बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई थी और मुझे इस बात पर
बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था,,,,साले ने फोन भी स्विच ऑफ कर दिया था ,,,अब बात करूँ भी तो कैसे करूँ,,
मैं यही सोचता हुआ नीचे वाले फ्लोर पर ही बैठ गया,,,दिमाग़ टेन्षन से फटा जा रहा था तभी टेन्षन को और
ज़्यादा बढ़ाने के लिए सोनिया घर आ गई,,,,
उसने बेल बजाई और मैने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,
कब घर आया तू भाई,,आके मुझे फोन नही कर सकता था क्या,,तुझे बोला था ना घर आके मुझे फोन करने को
उसने घर मे घुसते ही एक दम से बोलना शुरू कर दिया,,
सौरी मैं भूल गया था,,,,
क्या हुआ भाई तू ठीक तो है ना,,,तबीयत ठीक है ना तेरी,,,
हां मैं ठीक हूँ तबीयत भी एक दम दुर्रुस्त है मेरी,,,,,
फिर तू इतना टेन्षन मे क्यूँ लग रहा है ,,इतना परेशान क्यूँ है तू,,किसी से झगड़ा हुआ क्या तेरा,,,,सोनिया से कुछ नही
छुपा था आज तक,,,,,वो मेरी शकल देख कर बता देती थी कि मेरा मिज़ाज कैसा है,,
मैं ठीक हूँ सोनिया ,,किसी से कोई झगड़ा नही हुआ,,,बस सर मे हल्का दर्द है,,,
तभी वो चलके मेरे पास आई और मेरे फोरहेड पर हाथ लगा कर चेक करने लगी,,,,,बुखार तो नही है भाई शायद
मौसम चेंज होने की वजह से सर दर्द होने लगा होगा,,,,,बोलो तो सर दबा दूं भाई,,,,
नही मैं ठीक हूँ तुम जाओ उपर अपने कमरे मे,,,मैने उसका हाथ अपने सर से हटाते हुए बोला और थोड़ा गुस्से
से भी,,,,
गुस्सा मत कर भाई तबीयत ज़्यादा खराब हो जाएगी,,,,अगर बोलो तो कॉफी बना देती हूँ आराम मिलेगा,,,,
बोला ना मुझे कुछ नही चाहिए तू बस जा यहाँ से,,,,मैने फिर से गुस्से मे बोला,,,,मैं गुस्सा नही करना चाहता
था उस पर क्यूकी वो तो मेरी केर करती थी और अभी भी कर रही थी लेकिन मुझे वैसे ही बहुत गुस्सा था जो सब भी
आज हुआ था उस पर,,,,
वो मेरे से दूर हट गई लेकिन अपने रूम मे नही गई ,,वो गई किचन मे और मैं गुस्से से सोफे पर आके लेट गया
सच मे अब मेरा सर दर्द करने लगा था टेन्षन से,,,मैं सोफे पर लेटा हुआ पता नही क्या क्या सोच रहा था तभी
कुछ देर बाद सोनिया वहाँ आ गई उसने एक कप कॉफी रखी टेबल पर और साथ ही एक मॅडिसिन भी रख दी,,,,
भाई कॉफी पे लेना अगर फिर भी आराम नही मिला तो ये गोली खा लेना सर दर्द ठीक हो जाएगा,,,,उसने इतना बोला और
वहाँ से चली गई,,,,
उसकी इस हरकत से अब मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा,,,,ये बेचारी मेरी इतनी केर करती है और मैं बात बात पर
इसको हर्ट करता रहता हूँ,,,फिर भी ये मासूम मेरी केर करने से बाज़ नही आती,,,,
खैर मैं बैठकर कॉफी पीने लगा और जो आज हुआ उसके बारे मे सोचने लगा ,,साला दिमाग़ इतना ज़्यादा खराब हो
गया था कि कॉफी भी टी-शर्ट पर गिर गई ,,शूकर है ख़यालो मे खोया हुआ था जिस वजह से कॉफी थोड़ी ठंडी हो
गई थी अगर कहीं गर्म होती तो गान्ड फॅट जाती मेरी,,,,
मुझे इस बात की खुशी भी थी कि सोनिया को लॉक के बारे मे पता नही चला वर्ना वो स्वाल करती लॉक के बारे मे तो
मैं उसको क्या जवाब देता,,,,अच्छा ही हुआ कि उसने लॉक को नही देखा था,,,
कॉफी पीके सोचा क्यूँ ना ख़ान भाई के पास चला जाए और उनसे कुछ बात की जाए,,इस बहाने मैं घर से बाहर
भी चला जाउन्गा सोनिया से दूर और उसको फिर से हर्ट करने का कोई मोका भी नही होगा मेरे पास,,,आज रात से पहले
मैं घर भी नही आउन्गा ,,,,बाहर ही कहीं टाइम पास कर लूँगा,,,
यही सोच कर मैं उपर रूम मे गया ताकि टी-शर्ट चेंज कर लूँ,,,मैं उपर रूम मे गया तो देखा कि सोनिया
वहाँ नही थी,,,,शायद वो भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे चली गई होगी स्टडी करने के लिए,,,,मैने जल्दी से टी-शर्ट
उतारी और दूसरी टी-शर्ट पहने लगा तो देखा कि कॉफी से चेस्ट कुछ चिपचिपी हो गई थी,,फिर सोचा चलो हल्का शवर
ले लेता हूँ गर्म पानी से शायद कुछ आराम मिले उस से और थोड़ा बेटर फील होने लगे,,,,यही सोच कर मैं शोभा के
रूम मे जाने लगा क्यूकी सोनिया के रूम का बाथरूम ठीक से काम नही करता था,,,
मैं टी-शर्ट उतार चुका ,,मेरा उपर का बदन नंगा था और मैं तेज़ी से चलता हुआ शोभा के रूम की तरफ जाने
लगा कहीं सोनिया मुझे नही देख ले मुझे इस बात का डर था ,,,इसलिए मैं तेज़ी से चलता हुआ शोभा दीदी के रूम
मे चला गया,,,,
जैसे ही मैं रूम मे घुसा मैने देखा कि सोनिया टवल मे शोभा दीदी के रूम मे खड़ी हुई थी,,,वो शायद अभी
नहा कर बाथरूम से बाहर निकली थी,,
मैने दरवाजा इतनी जल्दी से खोला था और इतनी तेज़ी से रूम मे घुसा था कि सोनिया को पता ही नही चला और जब तक पता
चला तब तक देर हो चुकी थी,,वो र्मिरर मे खुद को देखकर अपनी जुल्फे सवार रही थी ,,,उसका हेर ब्रश उसके हाथ
मे पकड़ा हुआ था ,,वो एक दम से मुझे देखकर इतना ज़्यादा डर गई की उसको कुछ समझ ही नही आ रहा था ,,और सबसे
बड़ा पंगा था कि अभी वो टवल मे थी जबकि मेरा भी उपर का जिस्म नंगा था,,,,
कुछ देर पहले मैं बड़ी टेन्षन मे था ,कितनी उलझन मे था,,,कितने सवाल और कितने जवाब घूम रहे थे मेरे
दिमाग़ मे ,,,कभी करण की टेन्षन तो कभी रितिका की,,तो कभी उन लोगो को जिन लोगो ने घर मे घुसने की कोशिश
की थी,,,लेकिन अब सोनिया को देखकर मैं सब कुछ भूल गया था,,,बस अब दिल और दिमाग़ मे वही छा गई थी,,,
उसको देखा तो देखता ही रह गया,,,,,,,डर के मारे उसका हेर ब्रश वाला हाथ उसके बालों मे ही उलझा रह गया
था,,वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी और मिरर मे मुझे देख रही थी,,,मैं भी उसको मिरर मे देख
रहा था,,,,कुछ पल के लिए उसको मिरर मे देखते हुए मैने सोचा क्यूँ ना मैं भी उस मिरर मे घुस जाउ
ताकि सोनिया को करीब से महसूस कर सकूँ,,उसको बाहों मे भर सकूँ जब तक दिल करे,,,,क्यूकी वो खुद तो '
मुझे अपने करीब नही आने देती थी लेकिन शायद उसका अक्स उसकी तस्वीर जो अभी मिरर मे थी उसकी परच्छाई जो अभी
मुझे मिरर मे नज़र आ रही थी वो मुझे उसके करीब जाने दे,,,सोनिया को ना सही उसके अक्स को सही उसकी परच्छाई
को सही बस एक बार अपनी बाहों मे भर लूँ मैं तो शायद इस दिल को कुछ राहत मिले कुछ सकून मिले,,,
यही सोचता हुआ मैं एक कदम आगे बढ़ा सोनिया की तरफ,,,,अब तक मेरे दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी और शायद सोनिया
की भी,,,उसकी हल्की नंगी पीठ पर मुझे पसीना दिखने लगा था,,वो नहा कर निकली थी और सर्दी का मौसम
था इसलिए उसने अच्छी तरह से अपने बदन को पोंच्छा होगा टवल से ,,उसके बाल भी गीले थे लेकिन पानी नही गिर रहा
था बालों से ,,,उसने बालों को भी अच्छी तरफ से पोंच्छ लिया होगा लेकिन फिर भी उसकी पीठ पर शोल्डर के पास से थोड़ी
गीली लग रही थी मुझे,,,,हो ना हो ये घबराहट का पसीना था,,,,
मैं अभी एक कदम उसकी तरफ बढ़ा था कि उसके हाथ मे पकड़ा हुआ हेर ब्रश उसके हाथ से छूट कर नीचे गिर गया
,,,वो घबराकर एक टक मुझे देखती जा रही थी,,मैं भी हल्के कदमो से उसकी तरफ बढ़ता जा रहा था और उसको मिरर
मे देखता जा रहा था,,,,तभी उसने अपने सर को ना मे हिलाना शुरू कर दिया,,,,शायद वो मुझे पास आने से मना
कर रही थी,,,,लेकिन मेरा ध्यान तो उसकी तरफ नही था मैं तो उसके अक्स को देख रहा था मिरर मे ,,,वो अपने सर
को हिला हिला कर मुझे मना करती जा रही थी लेकिन मैं आगे बढ़ता जा रहा था,,,आगे बढ़ते हुए मैं ये भी सोचने
लगा कि सोनिया का अक्स भी मुझे अपने पास आने से रोकने लगा है,,,वो क्या उसका अक्स भी नही चाहता कि मैं उसके पास जाउ,,,
कुछ पल बाद मैं उसकी पीठ पीछे उसके पास पहुँच गया था,,,वो अभी तक मिरर मे मुझे देखती हुई अपने सर
को ना मे हिलाती जा रही थी ,,,उसके पास जाके मैने अपने राइट हॅंड को उसके राइट शोल्डर के पास उसकी नंगी पीठ
पर रख दिया,,,,,उसकी पीठ को टच करते ही एक अजीब मस्ती भर गई मेरे दिल मे मुझे इतना जोरदार झटका लगा कि
जैसे अभी मेरे लंड से स्पर्म निकल जाएगा,,,और उतना ही तेज झटका लगा था सोनिया को,,,इसलिए वो मेरे से आगे बढ़ गई
थी,,,वो आगे बढ़ कर मिरर के बिल्कुल पास जाके खड़ी हो गई थी,,,,
वो मिरर के इतनी पास चली गई थी की उसकी गर्म साँसे मिरर पर पड़ने लगी थी और मिरर पर हल्का कोहरा छाने लगा
था,,,उस कोहरे मे मुझे उसकी परछाई उसका अक्स ,,उसका फेस नज़र आना बंद हो गया था,,,,अब मुझे हल्का डर
लगने लगा था,,,क्यूकी अब तक मैं उसके अक्स को देखकर आगे बढ़ता जा रहा था जिस से मुझे इतना डर नही लग रहा
था लेकिन अब मैं सोनिया के करीब जाने वाला था इस बात से मुझे डर लगने लगा था,,लेकिन फिर भी उसके जिस्म को
देखकर मेरा डर हवा मे उड़ने लगा था,,मैं हिम्मत करके फिर से एक कदम आगे बढ़ा और फिर से अपने हाथ को
उसकी पीठ पर उसके शोल्डर के पास रख दिया,,,और ऐसा करते ही वो फिर से घबराने लगी,,,उसकी साँसे जो गर्म हो
चुकी थी अब आग उगलने लगी थी,,उसने अपने सर को हल्के से पीछे की तरफ टर्न किया और पीछे मूड कर अपनी पीठ पर
पड़े हुए मेरे हाथ को देखने लगी,,
उसका सर हल्का सा एक तरफ टर्न हो गया था ,,,,वो अपने सर को घुमा कर पीछे देख रही थी ,मेरे हाथ की तरफ देख
रही थी जो उसकी पीठ पर राइट तरफ के शोल्डर के पास था,,,जैसे उसकी मखमली पीठ का एहसास मुझे पागल कर
रहा था उसी तरह मेरे हाथ के एहसास से मस्त होके या मेरे से डर के उसकी भी हालत खराब हो गई थी,,,उसको साँस
लेना भी मुश्किल हो गया था,,,सिर्फ़ नाक से साँस लेने मे उसको मुश्किल हो रही थी इसलिए उसने लिप्स को थोड़ा सा खोल
दिया था और मुँह खोलके साँस लेने की कोशिश कर रही थी,,,,मुँह खुलते ही उसके मुँह से गर्म साँसे मुझे उसकी पीठ
पर पड़े हुए अपने हाथ पर महसूस हो रही थी,,मैने मस्ती मे अपने हाथ को थोड़ा उपर करके उसके शोल्डर की
तरफ बढ़ा दिया और उसके शोल्डर को अपने हाथ मे पकड़ लिया,,,मेरे ऐसा करते ही उसने अपनी आँख को तिर्छि करके
मेरी तरफ देखा और फिर से अपने सर को ना मे हिला दिया और मुझे रोकने लगी ऐसा करने से,,,,लेकिन मैं कहाँ रुकने
वाला था,,
मैने अपने दूसरे हाथ को भी उसके दूसरी तरफ के शोल्डर पर रख दिया और उसको अपनी तरफ पलट दिया,,जिस से उसका
फेस मेरी तरफ हो गया,,,मेरी तरफ पलट कर वो फिर से पीछे की तरफ खिसक गई और जाके मिरर से पीठ लगा कर
खड़ी हो गई,,,,उसकी हार्ट बीट काफ़ी तेज थी और उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था,,,उसका टवल जो इसकी छाती पर उसके
बूब्स से थोड़ा उपर बँधा हुआ था वो टवल तेज़ी से साँस लेती उसकी छाती के साथ उपर नीचे होने लगा था और उसके
छोटे छोटे बूब्स भी हल्का हल्का उपर नीचे हो रहे थे,,,मैने दूर खड़े रहके उसको उपर से नीचे तक देखा
,,,वो मिरर से चिपक कर खड़ी हुई थी,,उसकी हालत खराब थी,,उसने अपने दोनो हाथों की उंगलियों को बंद करके
मुट्ठी बना ली थी और उस मुट्ठी मे उसने टवल को कस्के पकड़ा हुआ था दोनो तरफ से,,,लेकिन जैसे ही मेरी नज़रे उसके
पैरो से होती हुई उसके बूब्स के पास नंगी छाती पर जाके टिक गई तो इस बात के एहसास से कि मैं उसकी छाती को देख
रहा हूँ वो थोड़ी परेशान हो गई उसने अपने हाथों से अपने टवल को दोनो साइड से छोड़ा और अपने हाथों को
जल्दी से अपनी छाती के पास लेके आ गई और अपने दोनो हाथों से अपनी नंगी छाती को कवर कर लिया,,,मैं फिर भी
उसकी छाती की तरफ ही देख रहा था,,,
तभी मैने सर उठाकर उसके चेहरा की तरफ देखा तो वो सीधी मेरी आँखों मे देख रही थी,,,,हम दोनो कुछ देर
ऐसे ही खड़े रहे,,,,फिर वो बड़ी धीरे से बोली,,,,,,,,,,,,,सुन्न्ञनी चले जाऊ य्याहहानं ससीई प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़
लेकिन मैने उसकी बात को अनसुना कर दिया और अपने हाथ को उसकी छाती की तरफ बढ़ा दिया,,,,
रुक्क जाऊ सुउउउन्नयी पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़,,वो फिर से डरती हुई बोली,,,,
मैने उसकी कोई बात नही सुनी और हाथ को आगे ले गया,,,फिर मैने अपने हाथ से उसके एक हाथ को पकड़ा और बड़े प्यार
से उसके हाथ को उसकी छाती से हटा दिया,,,उसका एक हाथ उसकी छाती से हट गया,,,,
फिर मैने उसके दूसरे हाथ को उसकी छाती से हटाने के लिए अपने हाथ को आगे किया और उसकी तरफ देखा तो वो डरी हुई
सहमी हुई मुझे ना मे सर हिला कर मना करती जा रही थी,,,,,
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