Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:42 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
अंदर जाते ही शिखा सीधा अपने रूम मे ले गई मुझे और उसने करण को भी साथ चलने को बोला लेकिन करण रितिका
से डरता था शायद उसने जाने से सॉफ इनकार कर दिया,,,,लेकिन मैं चला गया शिखा के साथ तो शिखा ने करण को
बाहर पहरेदारी करने को बोल दिया,,,,करण वहीं शिखा के रूम के पास खड़ा हो गया और पहरेदारी करने लगा,,

अंदर रूम मे घुसते ही शिखा ने किस करते हुए मेरे लंड को पॅंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाल लिया था ,,,और
कुछ देर किस करने के बाद ज़मीन पर घुटनो के बल बैठकर लंड को मुँह मे भरके चूसने लगी थी,,हयी
रीए सन्नी कितना बड़ा है तेरा ,,,मुँह मे लेती हूँ तो मुँह मे नही घुसता ,,चूत मे लेती हूँ तो वहाँ भी
नही घुसता और जब गान्ड मे लेती हूँ तो फाड़ कर रख देता है गान्ड को,,,,आहह सन्नी मस्ती मे पागल
हो चुकी शिखा पता नही क्या क्या बोले जा रही थी और मेरे लंड को चुस्ती जा रही थी ,,मैं भी उसकी बातों को
अनसुना करके लंड चुसाइ का मज़ा ले रहा था,,,पहले उसका किस करने का अंदाज़ इतना निराला था कि मैं उसको लंड
तक पहुँचने से रोक नही पाया और अब लंड चूसने का अंदाज़ तो जान लेने लगा था मेरी ,,,वो बड़े प्यार से लंड
को मुँह मे लेके चूस रही थी और मुझे मस्त कर रही थी लेकिन मुझे डर था कहीं रितिका नही आ जाए ,,अलका
आंटी आती तो मुझे डर नही था लेकिन रितिका का डर था इसलिए मैं जल्दी से जल्दी झड़ना चाहता था ,,क्यूकी अगर
इतनी मस्ती के बाद पानी नही निकला लंड का तो मुश्किल होगी इसलिए मैने पानी जल्दी निकालने के लिए अपनी कमर को आगे
पीछे हिलाना शुरू कर दिया ताकि जल्दी से पानी निकाल दूं अपने लंड का,,,,,


इस बात का एहसास शिखा को भी हो गया था इसलिए उसने भी अपने सर को थोड़ी तेज़ी से आगे पीछे करना शुरू कर दिया
था,,,,उसने आधे लंड को मुँह मे भर लिया था जबकि आधे लंड पर अपने हाथ से मूठ मारने लगी थी वो भी पूरी
तेज़ी से,,,मैं बस खड़ा खड़ा आह आ करता जा रहा था ,,,शिखा भी मस्ती के लिए अपने एक हाथ से अपनी चूत को
मसल रही थी और उंगली कर रही थी चूत मे,,,करण दरवाजे के बाहर खड़ा हुआ था और हम दोनो को देखकर
वो भी मस्त हो चुका था लेकिन वो डर रहा था लेकिन मस्ती डर पर हावी हो गई थी इसलिए उसका हाथ पॅंट के उपर
से उसके लंड पर चला गया था और उसने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,

इधर शिखा को लंड चूस्ते काफ़ी देर हो गई थी और अब मुझे और भी ज़्यादा डर लगने लगा था क्यूकी मैं झड़ने के
करीब था इसलिए मैने शिखा के हाथ को लंड से हटा दिया और अपने हाथों से उसको ज़मीन से उठा दिया और पकड़
कर बेड के पास ले गया और फिर उसको बेड के पास ज़मीन पर बिठा दिया और उसके सर को बेड पर रखके उसकी गर्दन
को पीछे बेड की तरफ मोड़ दिया जिस से उसके सर को बेड का सहारा मिल गया और उसकी गर्दन बेड पर टिक गई और मैने
जल्दी से अपने लंड को उसके मुँह मे डाला और आगे बढ़ कर अपने हाथ बेड पर रखे और बेड पर झुक गया और बेड का
सहारा लेके तेज़ी से शिखा के मुँह को चोदने लगा,,,मेरी स्पीड एक दम से बहुत तेज हो गई थी और मेरा धक्का भी
जोरदार था ,,,

मेरा लंड तेज़ी से शिखा मे मुँह मे गले से नीचे तक घुसने लगा था और वो भी पूरा का पूरा ,,मेरी बॉल्स उसके
लिप्स से टकरा रही थी ,,,वो भी मेरी गान्ड पर हाथ रखकर मुझे तेज़ी से उपर नीचे होके उसके मुँह को चोदने
का इशारा कर रही थी,,तभी कोई 4-5 मिनट बाद मेरी सिसकियाँ निकलने लगी थी ,,,मेरा लंड शिखा के गले से नीचे
घुसा हुआ था और 2 इंच लंड बाहर था मैने उसी 2 इंच लंड को अंदर बाहर करते हुए तेज़ी से सिसकियाँ लेते हुए
अपने लंड के पानी को शिखा के गले से नीचे उतारना शुरू कर दिया और जब मेरे लंड का पानी निकल गया तो मैने
लंड को शिखा के मुँह से बाहर निकाल लिया और सिखा ने जल्दी से मेरे लंड को मुँह मे भर लिया और जो थोड़ा बहुत
स्पर्म लगा हुआ था उसको भी चाट कर सॉफ कर दिया,,,,तभी उधर से करण की सिसकियाँ शुरू हो गई तो मैने पॅंट
की ज़िप लगाते हुए देखा कि करण अपने लंड को पॅंट से बाहर निकाल कर मूठ मार रहा था और शायद झड़ने वाला
ही था और तभी शिखा उठी और जल्दी से करण की तरफ चली गई और करण भी हल्के कदमो से उस रूम के अंदर आ
गया ,,


शिखा ने करण के पास जाके उसके लंड को मुँह मे भर लिया और जैसे ही लंड उसके मुँह मे घुसा लंड से स्पर्म की
पिचकारी लगनी शुरू हो गई और करण सिसकियाँ लेता हुआ झड गया अपनी बेहन के मुँह मे,,,,जब करण झड रहा था
तब मैं जल्दी से दरवाजे के पास चला गया था क्यूकी अब बाहर पहरेदारी करने वाला कोई नही था,,,

जब करण भी झड गया तो उसने अपने लंड को वापिस अपनी पॅंट मे घुसा लिया और कपड़े ठीक करने बाहर आ गया और
फिर हम तीनो उपर छत की तरफ जाने लगे,,,,मैं बहुत हल्का महसूस कर रहा था और करण भी लेकिन शिखा
अभी भी थोड़ी मस्ती मे थी क्यूकी वो अभी तक झड़ी नही थी,,,,,वो सीडियों पर जाते हुए फिर से मस्ती से कभी
मुझे तंग कर रही थी तो कभी करण को,,,


बस करो ना शिखा दीदी अब हो गया ना,,करण ने थोड़ा चिड़ते हुए बोला,,असल मे वो चिड नही रहा था उसको डर
था कहीं रितिका कुछ देख नही ले,,,,


हां हां अब तो ऐसा ही बोलोगे तुम लोग,,अपने लंड जो हल्के हो गये और मेरी इस चूत का क्या जो भरी हुई है

शिखा ने ताना मारा था करण को और साथ मे मुझे भी गुस्से से देखा था,,,,

अरे दीदी मुझे क्यूँ ऐसे देख रही हो,,कल का भूल गई क्या ,,कितनी मस्ती की थी बुटीक पर,,,

भूली नही हूँ सब याद है उसी को याद करके तो दोबारा से मस्त हो गई हूँ मैं,,सिखा फिर से मेरी तरफ
लपकी लेकिन करण से उसको टोक दिया,,,,बस करो दीदी ,,,हम लोग उपर आ गये है,,,

हम लोग सीडियों से उपर गये तो देखा कि अलका आंटी और रितिका दोनो धूप मे बैठी हुई थी,,,

अभी करण और हम लोग उपर आए ही थे कि रितिका ने मुझे हेलो बोला और करण को कुछ इशारा किया और नीचे चली
गई और उसके जाते ही करण भी नीचे की तरफ वापिस चला गया,,,,


मैं अलका आंटी के पास गया और उनको हेलो बोला,,,,लेकिन अलका आंटी अपनी चारपाई से खड़ी होके मेरे गले लग्के
मिली,,,,अरे क्या सन्नी बेटा ये दूर दूर से हेलो करते रहते हो,,,पास आके गले लग्के मिला करो तब चैन मिलता है
मेरे कलेजे को,,,,आंटी ने मुझे बाहों मे भर लिया और उनके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से दब गये और तभी
आंटी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा और हल्के से दबा दिया,,,,

अरे आराम से आंटी जी दर्द होता है,,,,

अभ कहाँ दर्द होने वाला तुझे सन्नी अभी तो हल्का होके आया है,,,,मैं आंटी की बात से हैरान रह गया इनको
कैसे पता चला मैं हल्का होके आया हूँ,,,

आपको कैसे पता आंटी जी,,मैं ये पूछने ही वाला था कि आंटी बोल पड़ी,,,,,,,ये देख शिखा के चेहरा की मुस्कान
बता रही है की कुछ ना कुछ तो हुआ है,,,,

हां माँ कुछ नही बहुत कुछ हुआ है ,,,,और अभी बहुत कुछ होना बाकी है,,,,,,,,,,इतना बोलकर अलका आंटी और
शिखा हँसने लगी,,लेकिन मैं डर गया ,,,,अब क्या होने वाला है ,,अब कहीं माँ बेटी उपर छत पर कुछ पंगा
तो नही करने वाली मेरे साथ वो भी मुझे नंगा करके,,,

अभी मैं डर ही रहा था कि रितिका उपर आ गई ,,उसने अलका आंटी और शिखा दीदी को हंसते हुए देखा तो बोली,,क्या
हुआ माँ इतना क्यूँ हंस रही हो आप लोग,,,,

रितिका को देखकर शिखा और अलका एक दम से चुप हो गई,,शायद वो थोड़ा डर गई थी,,,,,,,कुछ नही बेटी ये सन्नी
ने बहुत अच्छा जोक सुनाया जिसस से हँसी आने लगी,,,,

हां हां जानती हूँ माँ इसकी तो आदत है जोक सुनाने की और जोक बनाने की,,,इतना बोलकर रितिका ने मुझे गुस्से
से देखा ,,,,

फिर कुछ देर तक सब चुप हो गये ,,मुझे तो समझ आ गया था रितिका क्या बोल रही थी लेकिन शिखा और अलका आंटी
को कुछ समझ नही आया था शायद,,,

तभी अलका आंटी बोली,,,चल आजा सन्नी बैठ यहाँ और संतरे खा ले,,,,आंटी ने चारपाई पर पड़ी हुई प्लेट की
तरफ इशारा किया जिसमे 3-4 संतरे पड़े हुए थे,,

अरे वाह संतरे ,,मुझे बहुत अच्छे लगते है संतरे और सर्दी की धूप मे बैठकर संतरे खाने का मज़ा ही
कुछ और है,,,मैं जल्दी से बैठ गया रो संतरे खाने लगा,,अलका आंटी और शिखा भी बैठ गई लेकिन रितिका खड़ी
रही,,,मुझे तो संतरे वैसे भी बहुत अच्छे लगते थे,,,,वो भी बड़े बड़े 40 के साइज़ वाले,,


अरे भाभी आप भी बैठो ना,,संतरे खाओ बैठकर,,,,शिखा ने रितिका को बैठने को बोला,,,

मैं संतरे नही खाती शिखा दीदी ,,मुझे इनका जूस पीना ज़्यादा अच्छा लगता है,,

रितिका बेटी तुझे बोला था ना जूस निकाल कर पीने को अभी तक पिया या नही,,,ये बात बोली थी अलका आंटी ने

नही माँ अभी नही पिया,,वो जूसर उपर वाली शेल्व पर पड़ा हुआ है ना,,,अभी तक नीचे नही उतारा उसको

तो उतार लो ना बेटी,,कब उतारोगी,,,,

माँ वो बहुत उपर है वहाँ तक मेरा हाथ नही जाता,,,,शिखा दीदी आप उतार दो ना,,,

ना बाबा ना ,,वो बहुत भारी है और वैसे भी मेरा हाथ भी नही जाता उपर वाली शेल्व तक ,,तुम करण को बोलो
ना भाभी,,,,और वैसे भी मैं बहुत थक गई हूँ,,,


करण तो अभी थोड़ा काम से गया है बाहर,,कुछ समान लेने के लिए,,,

तो ये सन्नी कब काम आएगा,,,अलका आंटी ने इतना बोला ,,,,अरे सन्नी बेटा तुम जाओ ना भाभी के साथ और किचन की
शेल्व से वो जूसर उतार दो,,,

मैं मना नही कर सका ,,,वैसे मुझे रितिका के साथ अकेले नीचे नही जाना था लेकिन अलका आंटी ने बोला तो मुझे
जाना पड़ा,,

मैं आगे आगे चलने लगा सीडियों पर और रितिका मेरे पीछे थी,,,

हम लोग किचन मे गये तो रितिका ने सबसे उपर वाली शेल्व की तरफ इशारा किया जहाँ जूसर पड़ा हुआ था,,,मैने
देखा कि वो शेल्व बहुत उपर थी वहाँ तक मेरा हाथ भी नही जाने वाला था तभी रितिका बाहर गई और एक छोटा
टेबल लेके आ गई,,उसने टेबल रखा तो मैं टेबल पर चढ़ गया और जूसर उतार लिया ,,,जैसे ही मैने जूसर को हाथों
मे लिया तो पता चला कि ये तो सच मे बहुत भारी था,,शायद पुराने ज़माने का था इसलिए इतना वजनी था,,मैने
जूसर को हाथों मे पकड़ कर खड़ा हुआ था और फिर जूसर को नीचे किया ताकि भाभी को पकड़ा दूं जूसर लेकिन
फिर सोचा कि ये तो बहुत वजनी है भाभी इसका वजन नही संभाल पाएगी इसलिए मैने भाभी की तरफ देखा ताकि
और इशारा किया टेबल पकड़ने को क्यूकी मुझे डर था इतने वजन से कहीं मैं गिर नही जाउ टेबल से,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 02:42 PM

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