Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:35 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
दरवाजा बंद करते टाइम भी वो सर झुका कर नीचे की तरफ देख रही थी,,सॉफ पता चल रहा था कि वो मेरे
से शरमा रही है,,,,

वो बाथरूम मे चली गई और मैं वापिस बेड पर आके लेट गया और खो गया अपने ख़यालो मे,,,आज इतना मज़ा
आया था मुझे कि मैं बहुत ज़्यादा खुश था ,,इतना खुश कि मुझे डर था मैं कहीं खुशी से पागल ही नही
हो जाउ कहीं,,,इतनी खूबसूरत लड़की आ गई थी आज मेरी ज़िंदगी मे जिसके बारे मे मैं सपने मे ही सोचता
रहता था अक्सर,,,सपने मे ना जाने कितनी बार उसकी चुदाई की थी मैने लेकिन आज हक़ीक़त मे उसकी चुदाई करके
जो मज़ा आया था उसको मैं शब्दो मे बयान नही कर सकता ,,,

करण ने तो अपनी सुहागरात मना ली थी रितिका के साथ और तबसे मैं भरा बैठा हुआ था,,,हालाकी कामिनी भाभी
की चुदाई भी करली थी मैने लेकिन फिर भी जो मज़ा मुझे कविता के साथ आया था वो कामिनी भाभी के साथ
नही आ सकता था,,,सही मायने मे ये थी मेरी सुहागरात,,मेरी और मेरी प्यारी कविता की सुहाग रात,,,मैं
अपने ही हसीन सपनो मे खोया हुआ था तभी मुझे बाथरूम के दरवाजा खुलने की आवाज़ आई,,,

मैने बाथरूम की तरफ देखा तो कविता वहाँ से बाहर निकल रही थी,,उसने वही कुर्ता पहना हुआ था,,,उस
कुर्ते के नीचे उसने कुछ नही पहना था,,,तभी वो बाथरूम से बाहर आते आते मेरी तरफ देखकर वापिस बाथरूम
मे भाग गई,,,,मैने सोचा इसको क्या हुआ,,,तभी मुझे याद आया कि मैं नंगा हूँ शायद इसलिए वो शरमा
कर वापिस भाग गई होगी,,,,और ऐसा ही हुआ,,,वो शरमा गई थी मुझे नंगा देखकर इसलिए बाथरूम मे वापिस
भाग गई थी मेरे लिए टवल लेने के लिए,,,,

वो टवल को हाथ मे पकड़कर शरमाते हुए बेड के पास आ रही थी,,,उसकी नज़रे झुकी हुई थी,,,उसने बेड के
पास आके टवल को मेरी तरफ फेंका और खुद पलट कर खड़ी हो गई,,,टवल पकड़कर मैं खड़ा हुआ और
टवल को अपनी कमर पर लपेट लिया और लपेट कर हल्का सा खांसने की आवाज़ करदी ताकि उसको पता चल जाए कि
अब मैं नंगा नही हूँ,,,

मेरे खांसने की आवाज़ सुनके वो मेरी तरफ पलटी और मुझे देखने लगी,,,वो अभी भी शरमा रही थी,,,


अब इतना क्यूँ शरमा रही हो,,,और ये टवल किस लिए,,हम दोनो एक दूसरे को बिना कपड़ो के देख चुके है
और बिना कपड़ो के एक जिस्म जो दूसरे जिस्म के साथ करता है वो सब कर चुके है तो भला अब ये शरम कैसी
अब ये परदा कैसा,,,,इतना बोलकर मैं उसके पास गया तभी वो मेरे से दूर हट गई और बेड के दूसरी तरफ चली
गई,,फिर उसने शरमाते हुए बेड पर पड़ी बेडशीट उठा ली जो बहुत ज़्यादा भीग चुकी थी उसकी चूत के पानी
से,,,,वो बेड शीट उठाने लगी तभी मैं बोल पड़ा,,,

अरे ये क्या हुआ,,,इतना पानी किसने गिरा दिया बेड पर,,पूरी शीट गीली हो गई है,,,,

मैने इतना बोला ही था कि उसने पहले मेरी तरफ गुस्से से देखा ,,,और फिर शरमा कर मुस्कुरा कर अपने फेस को
झुका लिया और अपना काम करने लगी,,,,उसने बेडशीट उठाकर साइड पर रख दी फिर न्यू बेडशीट लेके बेड पर
बिछा दी,,,,पहले वाली बेडशीट लाइट कलर की थी लेकिन ये दूसरी वाली डार्क कलर की थी,,,,इस पर भी मुझे
मज़ाक सूझने लगा,,,


हां ये बेडशीट अच्छी है डार्क कलर की,,,जितना भी पानी गिरे जितनी भी गंदी हो किसी को पता नही चलेगा,
मैने इतना बोला तो वो फिर से मुझे गुस्से से देखने लगी,,,,

उसने गुस्से से मुझे देखा तो मैं चुप करके उसकी हेल्प करने लगा बेडशीट सेट करने मे ,,बेड शीट ठीक
तरह से बिछ गई तो उसने एक कंबल लिया और बेड पर लेट गई कंबल लेके,,,,

मैं थोड़ा परेशान था,,,,इसको क्या हुआ ऐसे क्यूँ बिहेव करने लगी ये,,,जैसे कि कुछ हुआ ही नही था,,या शायद
कुछ ज़्यादा ही शरम आ रही थी उसको मेरा सामना करने मे,,,

वो कंबल लेके लेट गई थी जबकि मैं ऐसे ही टवल लपेट कर बेड पर लेट गया,,,,मुझे ठंडी तो नही लग रही
थी और अगर किसी जवान लड़की के साथ इस उमर मे एक ही बेड पर लेटने मे मुझे ज़रा भी ठंडी का एहसास होता
तो लानत थी मेरी जवानी पर,,,,आख़िर जवान खून था मेरा भी और गरम भी,,,,

हालाकी मुझे ठंड नही लग रही थी फिर भी मैं जानभूज कर नाटक करने लगा,,,,,जैसे मुझे बहुत ज़्यादा
ठंड लग रही हो,,,,

आहह कितनी ठंड है यहाँ,,,कोई इस ग़रीब को एक कंबल दे देता तो,,,क्या कोई नही यहाँ जो इस ग़रीब को
ठंड से बचा सके,,मैं इतना बोलता हुआ जानभूज कर काँपने लगा था ताकि मेरे हिलने से बेड भी हिलने
लगे और कविता का ध्यान मेरी तरफ आ जाए,,,,और ऐसा ही हुआ,,,,उसने मेरी तरफ मुँह किया और अपने कंबल को
चारों तरफ से ठीक करके ढक लिया खुद को,,,मुझे तो लगा था ये मुझे अपने कंबल मे बुला लेगी लेकिन'
इसने तो ऐसा नही किया,,,,,,,

तभी वो बोली,,,,,बहुत बेशरम है तू,,,कितना हर्ट करता है,,ज़रा भी तरस नही ख़ाता किसी पर,,,,तेरी यही
सज़ा है कि ठंडी मे लेटा रह तू,,,उसने इतना बोला और हँसने लगी,,,लेकिन उसके हँसने मे भी एक दर्द था जो सॉफ
सॉफ बता रहा था कि उसको चूत मे दर्द हो रहा है,,,फिर भी वो मेरे से मज़ाक करने मे लगी हुई थी,,

उसकी यही बात मुझे अच्छी लगी,,,इसलिए मैं उसके करीब हो गया,,,अच्छा तो मैं बेशरम हूँ,,,तो ठीक है
इतना बोलकर मैने टवल निकाल दिया और साइड मे फैंक दिया,,,,अब मैं बेशरम हूँ तो इसकी क्या ज़रूरत


उसने जल्दी से अपना फेस को कंबल के अंदर कर लिया,,,,सन्नी टवल लपेट ले प्लज़्ज़्ज़ मुझे शरम आ रही है

अच्छा तो अब शरम आ रही है,,तब कहाँ थी शरम जब बिना कपड़ो की मेरी बाहों मे थी,,,इतना बोलकर
मैं उसके करीब हो गया,,तब शरम नही आ रही थी क्या,,,

उसने अपने सर को कंबल से बाहर किया और आँखें बंद करके अपने सर को ना मे हिला दिया और बता दिया कि
'उस टाइम उसको शरम नही आ रही थी,,,

अच्छा शरम नही आ रही थी,,तो क्या मज़ा आ रहा था,,

उसने अपने सर को शरमाते हुए हां मे हिला दिया और जल्दी से कंबल को वापिस सर पर ले लिया,,,

अच्छा अगर तब मज़ा आ रहा था तो भला अब शरमाना कैसा,,,अब ये शरम का परदा कैसा,,हटा दो अब ये
परदा कि अब तो हम बेपर्दा हो चुके है ,,,,

लेकिन वो कुछ नही बोली ना ही कोई इशारा किया,,,,मैने फिर बोला,,,हटा दो ना परदा,,प्लज़्ज़्ज़्ज़

वो फिर चुप रही और कुछ नही बोली,,,,

अच्छा चलो नही हटाओ परदा लेकिन इतना तो बता दो मज़ा आया था क्या,,,और कितना मज़ा आया था,,,,बता ना कविता
प्लज़्ज़्ज़

तभी उसने कंबल को उतारा और हंस कर मुझे देखा,,,,,,,बहुत मज़ा आया,,,यही सुनना है ना तूने सन्नी,,तो सुन
ले ,,बहुत बहुत बहुत मज़ा आया मुझे,,,,तू मेरी लाइफ का पहला मर्द है जिसने मुझे इतना मज़ा दिया है,,

उसने इतना बोला तो मैं बीच मे बोल पड़ा,,,,,पहला मर्द ,,लेकिन तुम तू वर्जिन नही,,,,,,मैं इतना बोलता बोलता
चुप हो गया,,,


और वो भी हँसते हँसते एक दम से उदास हो गई,,,,,उसकी आँखे नम हो गई,,,,शायद वो रोने लगी थी,,,


अरे तू रो मत प्ल्ज़्ज़ मैं तुझे हर्ट नही करना चाहता था,,,मैं तो बस,,,,

मैं जानती हूँ सन्नी तो क्या बोलना चाह रहा है और तू क्या सोच रहा है मेरे बारे मे,,,,तुझे लगता होगा
मैं अच्छी लड़की नही हूँ,,क्यूकी मैं वर्जिन नही हूँ,,,,तुमको नही पता मेरे साथ,,,,अभी वो बोलने ही
लगी थी कि दरवाजा खुला और कामिनी भाभी अंदर आ गई,,,


भाभी के आते ही कविता ने जल्दी से एक पिल्लो मेरे उपर फैंक दिया क्यूकी मैं नंगा था,,,भाभी ने
अंदर आते हुए मुझे हंस कर देखा और बेड पर कविता के पास जाके बैठ गई,,,,,भाभी के हाथ मे एक नकली लंड
था,,,,भाभी ने वो लंड मेरी तरफ किया और बोलने लगी,,,,सन्नी तू पहला मर्द नही जिसने कविता के साथ मस्ती
की है ये रहा वो पहला मर्द जिसके साथ कविता पहले भी मस्ती कर चुकी है,,,यही वो मर्द है जो कविता की
सील खोल चुका है,,,,

भाभी ने इतना बोला तो कविता थोड़े गुस्से से भाभी की तरफ देखने लगी,,,,

अरे गुस्सा क्यूँ करती है,,चूत को चूत नही तो क्या बोलू बता ज़रा,,,,और मैं क्या ग़लत बोल रही हूँ यहीं
है ना वो मर्द जो तेरी चूत मे घुस चुका है पहले और सील खोल चुका है तेरी,,,

मैं थोड़ा हैरान रह गया,,मुझे याद आया कि कुछ देर पहले भाभी इसी रूम से इस नकली लंड को लेके गई
थी,,,,,,,,,,,,,,,,तो क्या तुम इस नकली लंड के साथ मस्ती करती हो कविता,,,मैने इतना बोला तो कविता चुप करके
मुझे देखने लगी,,,


और नही तो क्या सन्नी,,,यही है वो लंड और तू मुझे वो मर्द समझ सकता है जिसने ये लंड घुसाया था इसकी
कुवारि चूत मे,,,इतना बोलकर भाभी ने कविता की टाँगों पर हाथ रख दिया,,,

तभी कविता गुस्से से बोली,,,भाभी ये क्या कर रही हो,,,,

अरे अब गुस्सा क्यूँ करती है,,,,,ओह्ह अच्छा समझ गई सन्नी के सामने तुझे नही टच करूँ मैं,,,ठीक है
जी अब बचपन का प्यार है तेरे पास तो मुझे क्यूँ छूने देगी तू खुद को,,,

भाभी ने इतना बोला तो कविता फिर से भाभी को गुस्सा होने लगी,,भाभी चुप कर जाओ बॅस,,,

अरे अब मैं बोल भी नही सकती क्या,,,तेरा ये बचपन का प्यार इतना अज़ीज़ हो गया कि अपनी दोस्त जैसी भाभी को
चुप करवाने लगी तू,,,,

क्या बोल रही हो भाभी मैं कुछ समझा नही,,,,,,

तू कुछ समझेगा भी नही सन्नी क्यूकी तेरी उमर के लड़के अक्सर बुद्धू होते है,,,ये कविता बचपन से तुझे
लाइक करती है,,,जब देखो घर मे बस तेरी ही बात करती रहती है,,,सन्नी ऐसा है सन्नी वैसा है ,,,मेरे तो
कान पक जाते थे ये सुन सुन कर,,,,देखा ना अब भी तेरे सामने मुझे खुद को टच नही करने दे रही
जबकि अक्सर मेरे साथ ही मस्ती करती है,,और मेरे से ही चूत की सील भी खुलवाई है इसने,,,

बस बहुत हो गया भाभी ,,,अब आप जाओ यहाँ से,,,,कविता चिल्ला कर गुस्से मे बोली तो भाभी बेड से उठकर
दरवाजे की तरफ चली गई,,,,

अच्छा अच्छा जा रही हूँ मैं,,,अब जितना मर्ज़ी प्यार करो तुम दोनो,,,,जब तक दिल करे ऐसे ही मस्ती करते रहो
बेड पर नंगे लेट कर,,,भाभी ने मेरा नंगा जिस्म देखकर ये बात बोली थी,,,मेरे लंड के उपर एक पिल्लो
पड़ा हुआ था बस ,,,


भाभी के बाहर जाते ही कविता उठी और हल्के कदमो से चलके दरवाजे के पास गई और दरवाजे को अंदर से
लॉक कर दिया,,,,और वापिस बेड पर आके बैठ गई,,,


तू इतना भड़क क्यूँ गई थी भाभी पर,,,,,वो क्या झूठ बोल रही थी,,,

नही सन्नी वो बस मैं,,,,

तो क्या भाभी सब सच बोल रही थी,,,तू मुझे लाइक करती है,,,मुझे चाहती है,,,लेकिन कब्से ,,और कभी मुझे
बताया क्यूँ नही तूने,,,


क्या बोलती,,,तुझे खुद पता नही चलता कि एक लड़की जो अपनी जवानी मे है और उसका अभी तक कोई भी बाय्फ्रेंड
नही है,,,बस एक तू ही दोस्त है उसका,,,तेरे सिवा उसने किसी भी लड़के से दोस्ती नही की कभी,,,क्या इतना सब कुछ
होने के बाद भी तुझे बताना कि मैं तुझे प्यार करती हूँ ये ज़रूरी था क्या,,,

देख मैं ठहरा पागल ,,,और तुझे पता है लड़के होते ही पागल है,,,दिल की बात समझने मे हम लड़को को
अक्सर देर हो जाती है,,,और अगर तू एक बार बता देती तो तेरा क्या घिस जाता ,,,एक बार बस इशारा कर देती तो
मैं समझ जाता ना,,,

कितनी बार इशारा किया मैने पर तूने ध्यान ही नही दिया मेरी तरफ,,,तेरा ध्यान पता नही किस तरफ रहता था,,

मेरा ध्यान तो हमेशा ही तेरी तरफ था कविता,,,बस मुझे बताना नही आया,,

मेरी तरफ ध्यान रहता तो बात ही क्या थी सन्नी,,,मैं तो तेरे ध्यान के लिए तरस गई थी,,,तू कभी ध्यान नही
देता था मेरी तरफ,,,

मैं डरता था कविता कहीं तुम गुस्सा कर गई कहीं तुम मुझे लाइक नही करती हुई तो मेरी तो दोस्ती भी ख़तम
हो जाएगी तेरे से,,,मैं तेरे जैसी अच्छी दोस्त को खोना नही चाहता था,,,,

मैं भी अच्छे दोस्त को खोना नही चाहती सन्नी,,,इसलिए तुझे कुछ नही बता सकी कभी,,,क्यूकी अगर बता देती
तो डर था कहीं कोई दोस्त मेरे से दूर नही हो जाए,,,और अब अगर दोस्त करीब है तो मैं उस से कुछ झूठ
भी नही बोलना चाहती,,,,


झूठ कैसा झूठ,,,

अभी जो कुछ भाभी बोलके गई है सब झूठ है सन्नी,,,,,भाभी ने आज तक मुझे हाथ भी नही लगाया और
ना ही भाभी ने उस नकली वाले खिलोने से मेरे साथ कुछ किया था,,,,और उस खिलोने की ज़रूरत मुझे कभी
महसूस भी नही हुई आज तक,,

क्या मतलब ,,,अगर उस नकली लंड से तुम्हारी चूत की सील नही खुली थी तो कैसे खुली थी ,,कॉन था वो मर्द


वो थोड़ा उदास होके,,,,,,,वो मर्द कोई और नही था सन्नी,,,,वो मेरा बाप था,,,,इतना बोलकर वो रोने लगी,,,


मैं थोड़ा हैरान हो गया था,,,ये क्या बोल रही हो तुम कविता,,,

सच बोल रही हूँ सन्नी,,क्यूकी मैं किसी रिश्ते की शुरुआत झूठ से नही करना चाहती,,,मेरा बाप ही था
वो मर्द जिसने मेरे साथ वो सब किया,,,,मैं अपनी ज़िंदगी का पहला सेक्स उसके साथ करना चाहती थी जिस से प्यार
करती हूँ लेकिन मेरे बाप ने अपनी झूठी शान और झूठी मर्यादा की खातिर मेरे सभी सपनो पर सभी
उम्मीदो पर पानी फेर दिया और बर्बाद कर दिया मुझे

तुमको पता है ना कि मेरे भैया सूरज कैसे है,,,,वो बच्चा पैदा नही कर सकते क्यूकी वो नामर्द है,और
मेरे बाप ने ही भाभी के साथ 2 बार वो घटिया हरकत की ताकि हम लोगो के परिवार को एक लड़का मिल सके
एक वारिस मिल सके लेकिन 2 बार लड़की ही हुई ,,,,मुझे कुछ पता नही था इसके बारे मे क्यूकी मुझे किसी ने पता
लगने ही नही दिया था ,,,और जब तीसरी बार वो सब होने लगा तो भाभी ने मुझे सब बता दिया और मैने अपने
बाप के खलाफ भाभी का साथ दिया,,,,तो मेरे बाप ने मेरे साथ ही मुँह कला कर लिया शराब के नशे मे

ना तो माँ कुछ कर सकी और भाई तो वैसे भी कुछ नही कर सकता था अगर भाई कुछ कर सकता होता तो ये
सब नही होता,,,

मैं जानती हूँ तुम्हारे और भाभी के बारे मे ,,तुम्हारे और भाई के बारे मे भी क्यूकी भाभी ने मुझे
सब बता दिया था ,,भाई और डॅड के बारे मे भी,,,,मैं तो सब से अंजान ही थी,,,और जब सब कुछ जाना तो सबकी
सज़ा भी मिली मुझे,,,,,एक बार तो डॅड ने शराब के नशे मे ऐसे हरकत की थी लेकिन बाद मे उनको ये सब
अच्छा लगने लगा,,,उन्होने 4 बार मेरे साथ वो गंदी हरकत की थी,,,,मैं किसी को बता भी नही सकती थी ना ही
पोलीस मे जा सकती थी क्यूकी इस से मेरे ही घर की बदनामी होती,,,,मैने ये बात सोनिया को बता दी थी इसलिए
जब भी डॅड घर पर आते थे मैं उन दिनो सोनिया को अपने घर पर रख लेती थी अपने साथ,क्यूकी मोम और
भाई ने तो कुछ नही करना था लेकिन सोनिया के होते हुए डॅड मेरे पास भी नही आ सकते थे,,,,

वो रो रही थी और सारी बात बता रही थी,,,,


भले ही मेरे बाप ने मेरे साथ सेक्स किया था सन्नी लेकिन एक आग भी लगा दी थी मेरे जिस्म मे,,,तभी तो तेरे
हल्का सा टच करने भर से मैं बहक जाती थी क्यूकी मैं भी उसी के साथ वो सब करना चाहती थी जिसपर
यकीन करती थी और दुनिया मे सबसे ज़्यादा तेरे पर यकीन करती हूँ मैं तेरे से प्यार करती हूँ मैं,,,


जब भी तू मेरे पास आता मुझे टच करता तो मेरे जिस्म मे एक अजीब सी मस्ती छाने लगती और मैं कुछ
ही पॅलो मे बहक जाती थी,,मेरा खुद पर क़ाबू नही रहता था,,,,मैं जवानी का मज़ा ले चुकी थी भले
ही वो मज़ा मेरे साथ ज़बरदस्ती से हुआ था वो भी मेरे बाप ने किया था लेकिन फिर भी मैं उस जवानी के
मज़े को उस मस्ती को पहचान गई थी,,,मैं अब असली मज़ा तेरे साथ करना चाहती थी क्यूकी मैं तुझे बहुत
प्यार करती हूँ सन्नी और तेरे पर ही सबसे ज़्यादा यकीन करती हूँ,,,

लेकिन जब तू मेरी चूत के पास जाता तो मैं डर जाती कि अगर तुझे पता चल गया कि मैं वर्जिन नही हूँ तो
पता नही तू मेरे बारे मे क्या सोचेगा,,,शायद तू मुझे बाकी लड़कियों की तरह ग़लत लड़की समझ लेगा तो मेरा
तो दिल ही टूट जाएगा,,,क्यूकी मैं ग़लत नही हूँ सन्नी,,,वक़्त ने मेरे साथ बहुत कुछ ग़लत किया था,,,वो
बोलती जा रही थी और रोती जा रही थी,,,,

कुछ देर बाद उसके अल्फ़ाज़ ख़तम हो गये लेकिन आँसू अभी भी बहते जा रहे थे,,,,,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 02:35 PM

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