RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
ऐसा कर अब तू इन्ही लोगो के साथ चला जा ,,ऑर कुछ दिन तक वहीं छुपके रहना,,,कॉलेज के आस-पास
भी नज़र नही आना वर्ना सुरेश के बाप ने तेरा जीना मुश्किल कर देना है,,,,ऑर साथ ही अमित ने भी
सुरेश एक बाप का नाम सुनके ऑर अमित के बारे मे सुनके सुमित डर गया,,,,,
लेकिन भाई मैं रहूँगा कहाँ,,,,वो डर के बोल रहा था,,,,
तू इसकी टेन्षन मत ले ,,,बस इन लोगो के साथ चला जा ऑर कुछ दिन वहीं चुपके रहना ,,जब तक ये मामला
कुछ ठंडा नही हो जाता,,,,
लेकिन भाई आप क्या करोगे,,,,अब भी कहीं छुपने वाले हो क्या,,,,
अबे में क्यू छुपने लगा,,,मैने कॉन्सा कुछ किया ,,मैं तो फाइट वाली जगह से भी काफ़ी दूर था
अब ज़्यादा बातें नही कर ऑर जा इन लोगो के साथ,,,ये तेरा पूरा ख्याल रखेंगे,,,,
सुमित उन लोगो के साथ चला गया ऑर मैं वापिस कॉलेज मे आ गया,,,,
ये सब मेरा ऑर ख़ान सर का प्लान था,,,हम ऐसा ही चाहते थे,,,सुमित उन लोगो से पंगा करे ऑर कुछ
दिन के लिए कहीं गायब हो जाए,,क्यूकी अगर वो अमित या सुरेश एक बाप एक हाथ लग जाता तो वो लोग उसकी
जान ले लेते,,,,लेकिन हम लोगो के प्लान के लिए अभी सुमित का ज़िंदा रहना ज़रूरी था,,,
कॉलेज मे वापिस गया तो देखा कि फाइट वाली जगह पर बहुत खून गिरा हुआ था सारी जगह खून से लाल
हो गई थी,,,उन लोगो ने बहुत बुरी तरह मारा था सुरेश ऑर उसके दोस्तो को,,कॉलेज का कोई भी स्टूडेंट
उन लोगो की हेल्प करने के लिए आगे नही आया,,,प्रिन्सिपल चिल्लाता रहा लेकिन कोई आगे नही आया,,क्यूकी सारा
कॉलेज चाहता था कि वो लोग मर जाए,,,,
तभी कुछ देर मे 2-3 आंब्युलेन्स वहाँ आ गई ऑर साथ मे पोलीस की कुछ गाड़ियाँ ऑर उन लोगो के साथ
8-10 गाड़ियाँ आई रेड-लाइट वाली,,,,हो ना हो ये सुरेश ऑर अमित के बाप की गाड़ियाँ थी,,,जो पोलीस को अपने
साथ लेके आया था,,,
गाड़ियों मे से कुछ लोग निकल कर सुरेश ऑर बाकी ज़ख्मी लोगो की तरफ भागे ऑर उनको आंब्युलेन्स मे
पहुँचाने लगे,,,मैं भी जल्दी से आगे हो गया ऑर उन लोगो की हेल्प करने लगा,,उन लोगो मे से सब के सब
बेहोश थे ,,किसी को भी होश नही था,,,,
उन लोगो को आंब्युलेन्स मे डालके वो आंब्युलेन्स वहाँ से चली गई जबकि रेड-लाइट वाली कार से एक मोटा
सा बंदा उतरा था जिसने प्रिन्सिपल को उसकी गर्दन से पकड़ा ऑर साइड पर ले गया,,,ऑर गुस्से मे उस से बात
करने लगा ऑर कुछ देर बाद वहाँ से अपनी रेड-लाइट वाली कार मे बैठ कर वहाँ से चला गया ऑर साथ
मे बाकी की गाड़ियाँ ऑर पुलिस की गाड़ियाँ भी चली गई,,,,
हो ना हो वो आदमी सुरेश का बाप था जो प्रिन्सिपल को गर्दन से पकड़ कर बात कर रहा था,,क्यूकी वो
बहुत गुस्से मे था उसके गुस्से से प्रिन्सिपल भी डर गया था,,प्रिन्सिपल की हालत देख कर हँसी आ रही
थी,,ना सिर्फ़ मुझे बल्कि सारे कॉलेज को भी,,,,ऑर प्रिन्सिपल को गुस्सा था सारे कॉलेज पर क्यूकी उसके बुलाने
पर भी कोई उनकी हेल्प करने नही आया था,,,
प्रिन्सिपल गुस्से से सबकी तरफ देखता हुआ ऑर माथे से डर की वजह से आया पसीना सॉफ करता हुआ
वहाँ से अपने ऑफीस की तरफ चला गया,,,,
कुछ देर बाद भीड़ भी अपने अपने रास्ते चली गई ऑर मैं खुश होता हुआ बाइक लेके कॉलेज से
निकल गया,,,,,मैं बहुत खुश था क्यूकी मेरा प्लान काम कर रहा था,,,,,
मैं बाइक चलाता खुशी खुशी से करण के घर की तरफ जाने लगा,,,,मैं आज बहुत खुश था क्यूकी
मेरी दिली तमन्ना थी सुरेश ऑर उसके दोस्तो को मारना,,हालाकी मैने अपने हाथों से नही मारा उन लोगो
को लेकिन उस सब के पीछे मेरा ही हाथ था,,,,,,आज मुझे मेरा प्लान कामयाब होता नज़र आ रहा था,,
क्यूकी आज मैं अपने प्लान के एक कदम करीब पहुँच गया था,,,,मैं बहुत ज़्यादा खुश था लेकिन
करण एक घर पहुँच कर मेरी खुशी डबल हो गई,,,क्यूकी मेरे बेल बजाने पर अलका आंटी ने गेट
खोला था ऑर वो पूरी तरह से पानी से भीगी हुई थी,,,उनका पतला सा सूट पूरा भीग कर उनकी बॉडी से
चिपका हुआ था,,,ऑर उनकी बॉडी के तो क्या कहने ,,,,बड़े बड़े बूब्स डीप कट सूट से तो बाहर निकले हुए
थे लेकिन भीगे हुए सूट की वजह से अब पूरे के पूरे बूब्स नज़र आ रहे थे,,,मैने आंटी की
तरफ देखा तो बस देखता ही रह गया,,,,आंटी को भी पता था मैं क्या देख रहा हूँ इसलिए वो अपने
बूब्स को कवर करने की जगह अपने सूट को अड्जस्ट करके मुझे ऑर भी ज़्यादा अपने बूब्स दिखाने लगी
मैं तो एक दम से खो सा गया था आंटी के बूब्स मे ,,
अब सारा दिन यहीं गेट पर खड़े रहना है क्या सन्नी बेटा,,अंदर नही आना क्या,,,
मेरा ध्यान एक दम से आंटी के फेस की तरफ गया और वो शरमाते हुए मुझे अंदर आने का बोलने लगी
मेरा भी शरम से फेस हल्का लाल हो गया ऑर मैं जल्दी से अंदर चला गया,,,,,मेरे पीछे पीछे आंटी
भी गेट बंद करके अंदर आ गई,,,,
आंटी जी आप इतना भीगी क्यू हुई हो,,,
कुछ नही बेटा,,,आज काम वाली नही आई ऑर उपर से वॉशिंग मशीन भी खराब हो गई,,,सारे कपड़े
हाथ से धोने पड़ रहे है मुझे,,इतना बोलते टाइम भी आंटी अपने डीप कट सूट की कमीज़ को खींच
कर नीचे कर रही थी ताकि उनकी कमीज़ ऑर नीचे हो जाए ऑर मुझे ज़्यादा से ज़्यादा बूब्स के दर्शन
हो जाए,,,लेकिन मुझे तो उनके सारे के सारे बूब्स वैसे ही नज़र आ रहे थे,,,क्यूकी आंटी का सूट तो
भीगा ही हुआ था साथ मे ब्रा भी भीग गई थी,,,,मुझे उनके बड़े बूब्स नंगे ही लग रहे थे कपड़ो
के होने के बावजूद,,,आंटी सूट को नीचे खींच खींच कर अपने ज़्यादा से ज़्यादा बूब्स दिखा तो
रही थी लेकिन ऐसी हरकत करते हुए आंटी बहुत ज़्यादा डर रही थी शरमा रही थी शरम से उनके गाल
लाल हो गये थे ,,,,मुझे पता था वो ऐसा इसलिए कर रही है क्यूकी चूत की आग ने उनको मजबूर कर
दिया है ऑर बाकी का काम मेरी माँ ने किया है,,,,,,,
कुछ चाहिए तो बता दे बेटा ,,,फिर मुझे कपड़े धोने है,,,
मैने दिल ही दिल मे बोला कि चाहिए तो बहुत कुछ लेकिन अभी थोड़ा इंतेज़ार करते है,,क्यूकी इंतेज़ार का भी अपना
ही अलग मज़ा होता है,,,,,,,,,जी नही आंटी जी मुझे कुछ नही चाहिए आप अपना काम कर लीजिए,,ऑर अगर
आपको मेरी कोई हेल्प चाहिए तो बता दीजिए,,,,,
अरे कैसी बात करता है,,अब तेरे से कपड़े थोड़ी धुल्वाउँगा मैं,,,आंटी ने हँसते हुए बोला ऑर अपने
सूट की अड्जस्ट करने लगी,,,,,,,,,,,,तो ठीक है बेटा अगर कुछ खाने को दिल किया तो बता देना,,,अब मैं चली
बहुत काम है मुझे,,,,,इतना बोलकर आंटी अपनी मोटी गान्ड मटकाती हुई वहाँ से बाथरूम की तरफ
चली गई ऑर मैं उनके पीछे से उनकी गान्ड को देख कर लंड मसलता रह गया,,,,,
फिर मैं करण के रूम मे गया ऑर जाके कपड़े चेंज करके आराम से लेट गया लेकिन आराम कहाँ था
मुझे ऑर वैसे भी इस उमर मे आराम हराम होता है,,,,,,आंटी के भीगे हुए बदन ने एक आग लगा दी
थी पूरे जिस्म मे ,,,,पल पल उनके बड़े बड़े बूब्स नज़रो के सामने आ रहे थे,,,,खुद पर क़ाबू करना
मुश्किल हो गया था,,,,मैं जल्दी से बेड से उठा ओर आंटी के पास बाथरूम मे चला गया,,,
अंदर जाके देखा तो आंटी ज़मीन पर टाँगे खोल कर बैठी हुई थी ऑर आराम से कपड़े धो रही थी
उनको ये भी नही पता था कि मैं वहाँ आ गया हूँ ऑर मैं इसी बात का फ़ायदा उठा कर उनके बूब्स के
दर्शन करने लगा जो अब भी पूरे के पूरे नंगे नज़र आ रहे थे,,,तभी मेरा हाथ दरवाजे पर
लगा ओर आंटी का ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,
अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो,,आंटी ने अपने सूट को ठीक करते हुए हल्के से मुस्कुरा कर पूछा,,,
कुछ नही आंटी जी,,,,आराम करने को दिल नही किया तो सोचा क्यू ना आपकी हेल्प कर दूं कपड़े धोने मे,,
इतना बोलकर मैं भी ज़मीन पर बैठने लगा,,,,,
नही नही बेटा ,,तुम तो मेहमान हो ऑर महमानों से घर के काम थोड़ी करवाए जाते है,,,,
ये क्या आंटी जी,,पहले मुझे करण के जैसे अपना बेटा बोलती हो ओर कभी मुझे मेहमान बना देती हो,,
मैं क्या मेहमान हूँ इस घर मे,,,मैं हल्के नखरे से गुस्सा करते हुए बोला,,,,
नही बेटा तू मेहमान नही तू तो मेरा बेटा है,,लेकिन तेरे से काम करवाते मुझे अच्छा नही लगता,,,,
काम नही करूँ तो क्या करूँ,,,,आराम करने को दिल नही कर रहा था मेरा,,ऑर कुछ करने के लिए है नही
मेरे पास,,,,तो मैं आपके साथ कपड़े धोने मे आपकी हेल्प करूँगा,,,,
नही कपड़े धोने मे नही तू बस यही खड़ा रह मैं कपड़े खुद धो लूँगी,,,,,
तो मैं क्या करूँगा आंटी जी,,,,,
तुम यहीं खड़े रहो ऑर जब कपड़े धूल जाए तो तुम मेरी हेल्प करना कपड़े निचोड़ने मे,,,
ठीक है आंटी जी,,,,,,,
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