RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
आंटी ने दाल डाली ऑर वापिस चेयर पर बैठ गई,,,,मैं नोट किया कि आंटी ने पहले भी दाल ऑर सब्जी थोड़ी थोड़ी डाली थी ऑर अब
दोबारा भी हल्की सी सब्जी ऑर दाल डालके दी थी मुझे,,,,,ये साला इतना कम क्यू खिला रही है मुझे,,,,एक बार ही क्यू नही डाल देती
भरके,,,,,खैर मैं वापिस खाना खाने लगा,,,फिर कुछ देर बाद सब्जी ख़तम हुई तो आंटी उठी ऑर सब्जी डालने के लिए टेबल पर
झुक गई,,,ऑर मुझे खुल कर दर्शन करवाने लगी अपने बूब्स के,,,,,,,मैं समझ गया कि आंटी जान भूज कर मुझे खुश करने
के लिए ऑर ज़्यादा से ज़्यादा अपें बूब्स दिखाने के लिए ऐसी हरकत कर रही थी,,,बार बार हल्की हल्की दाल सब्जी डालने के लिए पूरे टेबल पर झुक जाती थी,,,,
जितना टाइम डिन्नर चलता रहा ये दाल सब्जी का खेल चलता रहा साथ साथ बूब्स का लिवेट्लकास्ट भी ,,,,
डिन्नर ख़तम हुआ तो मैं वापिस करण के रूम मे चला गया ऑर जाते ही लॅपटॉप ऑन करके पॉर्न मूवीस देखने लगा ,,क्यूकी अभी
कुछ देर पहले आंटी एक बूब्स देख देख कर मेरा दीन दयाल पागल हो गया था ,,,इसलिए मैं 1-2 पॉर्न देख कर मूठ मारने
के लिए बाथरूम मे चला गया ऑर आंटी के नाम की मूठ मार कर शवर लेके वापिस बेड पर आके लेट गया,,,,
रात करीब 12 बजे का टाइम हो गया था ,,मुझे नींद नही आ रही थी,,,मूठ मार के सोचा था थक कर सो जाउन्गा लेकिन आंटी के
बड़े बड़े बूब्स अभी भी मेरी नज़रो के सामने घूम रहे थे,,,जब भी आँखें बंद करता तो बूब्स सामने आ जाते ऑर मस्ती
मे नींद उड़ जाती,,मैं अपना लॅपटॉप लेके बाहर हॉल मे आके बैठ गया,मैने देखा कि आंटी के रूम के दरवाजा खुला हुआ था
ऑर अंदर से रोशनी बाहर आ रही थी,,,,शायद आंटी को भी नींद नही आ रही थी उनका भी वही हाल था जो मेरा हाल था,,
खैर मैने लॅपटॉप पर गेम खेलनी शुरू की ऑर सोफे पर लेट गया,,मैं गेम मे पूरी तरह से खो जाना चाहता था ताकि थोड़ा
थक जाउ ऑर आंटी के बड़े बड़े बूब्स का ख्याल मेरे दिमाग़ से निकल जाए ऑर मुझे नींद आ जाए,,,ऑर ऐसा ही हुआ मैं गेम मे
पूरी तरह से खो गया था,,,,,
तभी मेरे सर पर आंटी का हाथ लगा,,,मैं एक दम से डर गया ऑर आंटी की तरफ देखने लगा,,,लेकिन हॉल मे बहुत अंधेरा था
ऑर उपर से मैं काफ़ी टाइम से लॅपटॉप पर गेम खेल रहा था जिस वजह से मेरा पूरा ध्यान लॅपटॉप की तरफ था ,,इसलिए मुझे हॉल मे अंधेरे मे आंटी को देखने मे थोड़ी मुश्किल हो रही थी,,,,
आंटी का हाथ मेरे सर को प्यार से सहला रहा था ,,क्या हुआ बेटा तुम यहाँ क्यू लेटे हुए हो,,नींद नही आ रही क्या,,,
मैं जल्दी से उठकर बैठ गया ओर लॅपटॉप को आंटी की तरफ घुमा दिया जिस से लॅपटॉप की रोशनी आंटी पर पड़े ऑर मैं आंटी को
देख सकूँ,,,,जैसे ही लॅपटॉप की रोशनी आंटी पर पड़ी मेरे होश गुम हो गये,,,आंटी एक वाइट कलर की पारदर्शी नाइटी पहेन
कर मेरे सामने खड़ी हुई थी,,,वो नाइटी उनके घुटनो से भी उपर थी ऑर बूब्स की तरफ से काफ़ी डीप थी,,मैं सोफे पर बैठा
हुआ था फिर भी उनका क्लीवेज़ बहुत ज़्यादा नीचे तक नज़र आ रहा था,मैं आंटी को उपर से नीचे तक बिना किसी डर के घूर
रहा था ,,,डर तो मुझे वैसे भी नही था क्यूकी मुझे पता था वो मेरे से चुदने को तैयार बैठी है लेकिन अभी मेरा लॅपटॉप
उनकी तरफ था ऑर उसकी रोशनी आंटी की तरफ थी जिस से आंटी को पता नही चल रहा था कि मैं उनको घूर रहा हूँ,,,,वैसे पता तो होगा उनको क्यूकी इतनी अच्छी औरत ऐसी सेक्सी नाइटी पहन कर किसी जवान लड़के के सामने होगी तो वो देखेगा ही ,,,
क्या हुआ बेटा कहाँ गुम हो गया तू,,,इतना बोलते ही आंटी ने मेरे हाथ से लॅपटॉप पकड़ा ऑर सामने टेबल पर रख दिया ऑर खुद मेरे पास सोफे पर बैठ गई,,,,मैं तो एक दम से सुध्बुध खो बैठा था,,,,इतना हसीन माल मेरे पास बैठा हुआ था कि दिल
बस मे नही था मेरा,,,
कुछ नही आंटी जी नींद नही आ रही थी तो बाहर आके बैठ गया,,,,सोचा गेम खेल लूँगा तो शायद नींद आ जाए,,,
हाँ बेटा अक्सर नई जगह पर नींद नही आती,,,,बट तू तो पहले कई बार करण के रूम मे रुक चुका है फिर भी तुझे नींद
नही आ रही,,,,तेरे लिए तो वो रूम या फिर ये घर नई जगह थोड़ी है,,,,
नही आंटी जी ऐसी बात नही है,,,वो तो मैं वूओ
तभी आंटी ने मेरी बात को बीच मे रोक दिया,,,,,ओह्ह हां याद आया सरिता दीदी ने बोला था कि तुमको अकेले सोने की आदत नही है
शायद इसी वजह से नींद नही आ रही तुमको,,पहले तो करण होता था तेरे साथ रूम मे इसलिए तू सो जाता था वहाँ लेकिन आज
अकेला है तो सोना मुश्किल लग रहा होगा,,,,,
जी आंटी जी,,,सही कहा आपने,,,,शुरू से माँ के साथ सोता था ऑर जब बड़ा हुआ तो सोनिया ऑर मेरा रूम एक था ,,अब काफ़ी टाइम से सोनिया
ऑर मैं एक रूम मे सोते आ रहे है,,,,करण होता आज तो यहाँ मुश्किल नही थी लेकिन अकेले सोने मे बहुत मुश्किल हो रही थी,,,,
सोचा गेम खेल लूँगा तो थोड़ा थक जाउन्गा तो नींद आ जाएगी,,,,
अरे सोने के लिए गेम की क्या ज़रूरत बेटा,,,,जानती हूँ तुमको अकेले सोने मे मुश्किल हो रही है,,अगर तुम चाहो तो मेरे रूम
मे सो सकते हो,,,,,इतना बोलते टाइम आंटी हल्के से शरमा रही थी,,,,
लेकिन आंटी जी मेरे सोने से आपको कोई प्रोबलम तो नही होगी,,,
अरे बेटा प्रोबलम कैसी,,,,चलो उठो ऑर मेरे रूम मे सो जाओ,,,,आंटी ने इतना बोला ऑर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे से उठा दिया
ऑर अपने साथ रूम की तरफ ले गई,,,,मुझे कुछ नज़र नही आ रहा था बस हॉल मे लॅपटॉप की रोशनी थी ऑर आंटी के रूम से आने
वाली टीवी की रोशनी थी,,,,,लेकिन मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता अगर बिल्कुल अंधेरा भी होता,,,मैं तो बस आंटी एक साथ हाथ मे हाथ डालके कहीं भी जाने को तैयार था,,,,,
आंटी मुझे रूम मे ले गई,,,,चलो तुम यहाँ सो जाओ,,,आंटी ने बेड की तरफ इशारा किया,,,,,
आंटी के रूम मे एक ही बेड था,,,,,,मैं थोड़ा डरा हुआ था,,,,,हल्की बेचैनी हो रही थी मुझे,,,,,
मैं यहाँ सोउंगा तो आप कहाँ सोऑगी आंटी जी,,,,मैने मासूम बनके बोला तो आंटी हँसने लगी,,,,
क्या मतलब मैं कहाँ सोउंगी,,,,मैं भी यही सोउंगी ना बेटा,,इसी बेड पर,,,,,क्यू तुमको कोई प्रोबलम है क्या मेरे साथ सोने
मे,,,,तुमको तो अकेले सोने मे मुश्किल होती है ना,,,क्यूकी सोनिया ऑर तुम्हारा रूम एक है ऑर तुम उसके साथ सोते हो,,,,
जी आंटी लेकिन सोनिया ऑर मेरा बेड अलग अलग है ना ओर यहाँ एक ही बेड,,,
तो क्या हुआ बेटा,,,,तू मेरे बेटे करण जैसा है ऑर तू भी तो मुझे अपनी माँ समझता है ना,,,,,तो माँ के साथ सोने मे कैसी
शरम,,,,,बोल मुझे माँ समझता है या नही,,,,,सरिता दीदी के रूम मे भी तो एक ही बेड है ना तू उनके साथ भी तो एक ही बेड पर सो जाता है ,,,तो मेरे साथ सोने मे क्या मुश्किल है,,,,
जी आंटी जी,,,,आप करण की माँ हो तो मेरी भी माँ ही हुई ना,,,,,
तो बस ठीक है,,,,चल जल्दी से सो जाते है रात बहुत हो गई है,,,,,आंटी ने मेरे को हाथ से पकड़ा ऑर बेड की तरफ कर दिया ऑर खुद घूम कर बेड की दूसरी तरफ चली गई,,,,तब तक मैं बेड पर बैठ गया था,,,
आंटी भी बेड पर दूसरी तरफ आके लेट गई ऑर टीवी का रिमोट उठा कर टीवी ऑफ करने लगी,,लेकिन मैं नही लेता ,,मैं ऐसे ही बैठा रहा,,तभी आंटी बोली,,,,,
क्या हुआ तू लेट क्यू नही रहा,,,अभी भी शर्मा रहा है क्या,,,,,
नही आंटी मैं शर्मा नही रहा लेकिन ववूऊ मैं वउूओ ,मैं जानभूज कर डरने ओर हिचकिचाने का नाटक करने लगा
क्या हुआ बेटा,,,बोल शर्मा क्यूँ रहा है क्या बात है,,,,
आंटी जी मैं रात को सिर्फ़ निक्कर पहन कर सोता हूँ ,,उपर टी-शर्ट नही पहनता ऑर ऐसे आपके साथ सोने मे मुझे ,,,,,
अरे तो इसमे क्या बड़ी बात है,,,करण भी तो ऐसे ही सोता है,,,,तेरे ऑर करण मे कोई फ़र्क तो नही बेटा,,,,जैसे करण वैसे तू है मेरे लिए,,,,
चल निकाल दे टी-शर्ट ओर जैसे सोना है सो जा,,,,अब शरमा नही ओर जल्दी कर,,,रात बहुत हो गई है बेटा,,,,
मैने हल्के से धीरे धीरे अपनी टी-शर्ट निकाली ताकि आंटी को लगे मैं थोड़ा डर रहा हूँ शर्मा रहा हूँ फिर टी-शर्ट निकाल
कर साइड के टेबल पर रख दी ऑर लेट गया,
मेरा ध्यान टीवी पर था आंटी ने अभी तक टीवी ऑफ नही किया था ,,तभी मैने टीवी देखते हुए आंटी की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ
देख रही थी,,टीवी का रिमोट अभी भी उनके हाथ मे था,,,,लेकिन उनका ध्यान मेरी तरफ था वो मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे अभी कच्चा चबा जाएगी मेरे को,,,,
आंटी जी टीवी ऑफ कर दीजिए मुझे नींद आ रही है,,,मेरी आवाज़ से आंटी होश मे आ गई ऑर मेरी तरफ हंस कर ऑर शरमाते हुए एक बार देख कर टीवी ऑफ कर दिया,,,,,टीवी ऑफ होते ही रूम मे एक दम से अंधेरा हो गया,,,,
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