Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:09 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मालकिन साहिबा आप आते ही शुरू हो गई अगर मैं भी शुरू हो गया तो रुकना मुश्किल हो जाएगा,,,,,मैने हँसते हुए बोला तो
कविता भी हँसने लगी लेकिन उसने शरमाते हुए चेहरा भी झुका लिया,,,

अच्छा अच्छा सॉरी बाबा,,,,,,,,लेकिन आंटी जी कहाँ है ये तो बता,,,,,,

माँ अलका आंटी के घर पर रुक गई बोल रही थी थोड़ा काम है,,,,,ऑर बोल रही थी जब तूने जाना होगा तब माँ को कॉल कर देना
ताकि माँ घर पर आ जाए सोनिया के पास,,,,,

मुझे अभी नही जाना मैं तो शाम तक हूँ यहाँ,,घर पे बोलकर आई हूँ,,,वैसे जब जाना होगा मैं कॉल कर दूँगी आंटी
जी को,,

मैं घर के अंदर आ गया ,,,,शोबा दीदी कहाँ है ,,,,कहीं गई है क्या,,,,,,,,

दीदी बुटीक पर चली गई,,,,बोल रही थी ज़रूरी काम है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैं समझ गया ,,,,,,आज तो सब मिलकर मस्ती करने वाले है,,,,,,,,,,करण ऑर शिखा पहले से वहाँ है अब मैं माँ को
भी वहाँ छोड़कर आया हूँ ऑर अब शोबा भी वहाँ चली गई है,,,,,,,लेकिन मैं कन्फ्यूज़ था,,,अलका आंटी के घर जाउ
मैं या घर पे रुकु क्यूकी शाम तक कविता यहाँ पर है,,,अलका आंटी के साथ तो अभी कुछ नही हो सकता आज लेकिन कोशिश
तो आज से शुरू करनी होगी,,,,,ऑर इधर कविता के साथ कोशिश कर चुका हूँ वो शायद तैयार भी हो जाएगी लेकिन सोनिया घर]पे
है ऑर उसने मुझे कविता के साथ देख लिया तो मेरी मौत पक्की है,,,,,,कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,मैं सोच मे डूब
गया,,,,

क्या हुआ सन्नी क्या सोच रहे हो तुम,,,,

कुछ नही बस कॉफी पीने का दिल कर रहा है ,,,,क्या तू बना देगी कॉफी,,,,

अभी तो पे थी तूने कॉफी कुछ देर पहले अब फिर दिल करने लगा,,,,,

क्या करू पागल इंसान हूँ मैं ,,,,कॉफी नही पीता तो कुछ ना कुछ गुस्ताख़ी करने का दिल करने लगता है,,,,,

कविता हँसने लगी,,,,वो तो कॉफी पीने के बाद भी करता होगा तेरा दिल,,,इतना बोलकर वो वहाँ से उपर की तरफ चली गई,,,,ऑर जाते
जाते एक जगह रुक गई,,,,,,,,,,लेकिन मैं तुझे गुस्ताख़ी नही करने दूँगी,,,,,,,,याद रखना,,,,,,,वो हस्ती हुई उपर भाग
गई,,,,,,,

मैं भी यहाँ नीचे खड़ा हुआ उसकी तरफ देख कर खुश हो गया,,,,ऑर सोचने लगा कि ये तो लाइन पर आ गई शायद,,,लेकिन
थोड़ी मुश्किल है,,,,,,,,कहीं ये सब मेरे साथ मज़ाक तो नही कर रही,,,,क्यूकी दिखने मे तो ये मासूम लगती है लेकिन जब
मुझे किस किया था तो ये काफ़ी तेज लग रही थी मुझे,,,,,,

खैर अभी इसके साथ कुछ नही कर सकता था मैं,,,,क्यूकी वो उपर भाग गई थी सोनिया के रूम मे ऑर वहाँ तो कुछ हो ही
नही सकता था तो मैं अपने कुछ कपड़े लिए बॅग मे ,मैं रूम मे गया ऑर कविता को बोला,,,,,,,,,,,,कविता मैं कुछ दिन अपने दोस्त के घर रहने वाला हूँ,,,माँ को
मैं बता दिया था ,,,,,अब तुझे बता रहा हूँ तुम बाकी लोगो को बता देना,,,,मैं जब बोल रहा था सोनिया मुझे गुस्से से
ही देख रही थी जैसे हमेशा देखती थी,,,,

मैं वहाँ 4-5 दिन रहने वाला हूँ ऑर वैसे भी यहाँ रहके क्या करूँगा,,,बीमार लोगो की सेवा भी करूँगा तो भी गाली
ही मिलेगी खाने को,,,,,,,मैने इतना बोला तो कविता हँसने लगी लेकिन जब सोनिया ने गुस्से से देखा तो वो चुप हो गई,,,

सच मे जा रहे हो सन्नी,,,,,सोनिया ने हल्की आवाज़ मे बोला,,,,लेकिन मैं उसको बात का जवाब नही दिया,,,,,,,,,,

ओके बाइ कविता,फिर मिलते है,,,,,ऑर हां याद से जाने से पहले माँ को कॉल कर देना,,,,,,मैं इतना बोला तो सोनिया गुस्से मे आ
गई क्यूकी मैं कविता से बात की थी ओर उसकी बात का कोई जवाब नही दिया,,,,,,

ओक्क्क्क कविता ,,बयीई,,,,,,,,,,,,,

बयए सन्नी,,,,,,,,,,

कविता ने मुझे बाइ बोला तो मैं सोनिया की तरफ देखा उसकी आँखों मे गुस्सा था लेकिन चेहरे पर उदासी थी,,,लेकिन उस से
भी ज़्यादा उदास लग रही थी मुझे कविता,,,,,,मन तो नही कर रहा था जाने का क्यूकी कविता थी यहाँ लेकिन भुआ ऑर डॅड के
आने से पहले मुझे अलका आंटी के साथ सेट्टिंग करनी थी वर्ना वो लोग आ जाते ऑर करण को बुटीक पर रहना मुश्किल हो जाता,,,
मेरे पास टाइम कम था तो मैं इन दो खूबसूरत लड़कियों को उदास छोड़के वहाँ से चला गया,,,,
उदास लड़कियों को छोड़ कर मैं चला अलका आंटी के पास ,,मेरे पास दिन बहुत काम थे इन्ही दिनो मे मुझे अलका आंटी
को तड़पाना था तरसाना था ऑर बेड तक लेके आना था,,,ऑर साथ मे खुद भी तड़पना था,,,,,,अलका आंटी भी तैयार थी ऑर मैं तो
कब्से तैयार हूँ लेकिन माँ के कहने पर मुझे ये सब करना पड़ रहा था,,,,पता नही माँ ऐसा क्यू कर रही थी,,,,,खैर
मैं अलका आंटी के घर की तरफ चल पड़ा ,,अभी मैं कुछ दूर ही था कि मुझे किसी की कॉल आई ,,,,,,मैं बाइक को साइड पर रोका
ऑर देखा तो कोई अननोन नंबर से कॉल आ रही थी,,,,,,,मैं कॉल पिक की तो आवाज़ से मैं सामने वाले को पहचान गया,,,,

ये कॉल थी सूरज भैया की,,,,,

हेलो सन्नी,,,,,,,,

हेलो भैया,,,,,,हाउ आर यू,,,,,,

मैं ठीक हूँ सन्नी तुम सूनाओ,,,,,,,,ऑर क्या कर रहे हो आज कल,,,,

मैं भी ठीक हूँ भैया ,,,,,,,कुछ खास नही कर रहा बस बोर हो रहा हूँ,,,,,,,,

अरे हमारे होते हुए बोर होने की क्या ज़रूरत,,,,,,आ जाओ मस्ती करते है,,ना तुमको बोर होना पड़ेगा ऑर ना हमको,,,,

नही भैया अभी नही आ सकता थोड़ा काम है,,,,,,,,फिर कभी,,,,,साला मैं मना तो कर दिया लेकिन मेरा दिल बहुत कर रहा
था सूरज की गान्ड मारने को,,,,ऑर साथ मे भाभी की भी,,,,

अच्छा भाई ठीक है मत आओ,,,,,,,,लेकिन एक छोटा काम तो कर सकते हो हमारा,,,,,ताकि हम तुम्हारी तरह बोर ना हो ऑर खुल
कर मस्ती कर सके,,,,,

क्या काम बोलो अभी कर देता हूँ सूरज भाई,,,,,,,,,,,,,

यार वो जो स्ट्रॅप-ऑन देके गया तू कामिनी को वो बहुत अच्छा लगता है ऑर मुझे भी,,,लेकिन वो पतला बहुत है,,हमे एक दूसरा वाला
चाहिए ,थोड़ा छोटा हो लेकिन थोड़ा मोटा भी हो,,,,,समझ रहा है ना,,,,,

हाँ भैया समझ गया,,,,,मैं अभी कुछ देर मे आता हूँ घर पे ऑर दे जाता हूँ,,,,,,,,ठीक है भैया,,,,

नही घर पे नही सन्नी मेरे ऑफीस मे आना अभी मैं वहीं हूँ,,,

ठीक है भैया अभी आता हूँ,थोड़ी देर मे,,,,,

इसके बाद भैया ने फोन कट कर दिया ओर मैं भी अपने फोन को पॉकेट मे डाला ऑर करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,

कुछ देर मे मैं करण के घर पहुँच गया,,,,,

मैं बेल बजाई तो अलका आंटी ने गेट खोला ऑर मुझे देख कर आँखें चमक गई उनकी,,,,वो इतनी ज्याद खुश हो गई कि
पूछो मत,,,,,

आ गये बेटा,,,,,बड़ी जल्दी आ गया तू बेटा,इतना बोलते हुए आंटी ने गेट को ऑर भी ज़्यादा खोल दिया ऑर मैं घर के अंदर जाने
लगा,,,,,,,,,,,,,,

आप बोलो तो मैं वापिस चला जाता हूँ आंटी जी कुछ देर बाद आ जाउन्गा,,,मैं हँसते हुए मज़ाक मे बोला,,,,

अरे नही नही बेटा अच्छा किया तू जल्दी आ गया ,,वैसे तुझे तो ऑर भी जल्दी बुला लेती मैं लेकिन,,,आंटी बोलती हुई चुप कर
गई,,,,

मैं अंदर गया ऑर आंटी भी गेट लॉक करके अंदर आ गई,,,,

कुछ खाने पीने को चाहिए तो बता दे बेटा,,,,ऑर ला ये बॅग मैं करण के रूम मे रख देती हूँ,,,,

आप रहने दीजिए मैं खुद रख देता हूँ आंटी जी,,,,,,आप अपना काम कीजिए ऑर हो सके तो मुझे भी कोई काम बता
दीजिए वर्ना मैं बोर हो जाउन्गा,,,,,,,,,,

अरे तुम तो घर के मेहमान हो ऑर मेहमान से काम नही करवाया जाता बेटा,,,,,,,,,,

ये बता ग़लत है आंटी जी,,,,,,,,,आप मेरी माँ जैसी हो ओर मैं भी तो आपके बेटे जैसा हूँ फिर भला मेहमान क्यू बोल रही
हो आप मुझे,,,क्या आप मुझे अपना बेटा नही समझती,,,,

अरे बेटा गुस्सा क्यू करता है,,,,,,तू तो मेरा रज़ा बेटा है,,,जैसे करण वैसे ही तू,,,,इतना बोलकर आंटी मेरे करीब आ गई ऑर
मुझे बाहों मे भर लिया,,,,,,,,,,मैं भी इसी मोके की तलाश मे था,,,,,,,,,जैसे ही आंटी मे मुझे गले से लगाया मैने भी
आंटी को अपनी बाहों मे जकड लिया लेकिन ज़्यादा ज़ोर नही लगाया क्यूकी माँ ने बोला था जल्दबाज़ी नही करनी,,,,

ऐसा बोल तो दिया था माँ ने लेकिन माँ को क्या पता मेरी इस वक़्त क्या हालत थी ओर मेरे से भी ज़्यादा बुरा हाल तो था अलका आंटी
का,,,,,

अच्छा बता अब मेरा बेटा क्या खाएगा,,,,,,,,,,आंटी ने मेरे से दूर होते हुए पूछा,,,

अभी कुछ नही खाना मुझे आंटी जी,,,,मैं नाश्ता करके आया हूँ घर से,,,,,

अरे बेटा नाश्ता किए तो बहुत टाइम हो गया होगा तुझे,,,,,देख अब तो लंच टाइम हो रहा है,,,,,आंटी ने मुझे वॉल
क्लॉक की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,,,,

अभी भूख नही है आंटी जी,,,,,

ठीक है बेटा जब भूख लगे तो बता देना ,,,ओर दिल करे तो खुद ही फ्रिड्ज से कुछ निकाल कर खा लेना,,,शरमाना नही
ऑर इसको अपना ही घर समझना,,,,


जी आंटी जी ,,,,,,,,,,,,लेकिन अभी भूख नही है ,जब भूख लगेगी तो बता दूँगा फिलहाल तो मुझे थोड़ा काम से भी जाना है,,,,,,,,

आंटी उदास होके बोली,,,,,,,,,,,कहाँ जाना है तूने अभी,,,,,

कविता के भाई सूरज के ऑफीस जाना है थोड़ा काम है लेकिन उस से पहले माल मे जाना है कुछ समान लेके आना है,,,,,

जाना तो मुझे भी है माल लेकिन मुझे शाम को जाना है,ठीक है अभी तू जा ,,

अगर आपको भी जाना है तो अभी चलते है साथ मे आंटी,,,,,,,,,,,,,,आप भी शॉपिंग कर लेना ऑर मैं भी अपना काम कर लूँगा,,

ये भी ठीक है बेटा,,,,,,,,चल तू रुक मैं अभी तैयार होके आती हूँ,,,,,,,,,,

मैने मन ही मन सोचा कि तैयार होने की क्या ज़रूरत है आप तो अभी भी एक दम मस्त लग रही हो,,,,आंटी मेरे करीब से
गुजर कर अपने रूम की तरफ जाने लगी गान्ड मटकाति हुई,,,,,,,मैं नोट किया कि आज आंटी कुछ ज़्यादा ही मटक मटक
कर चल रही थी,,,,,पक्का माँ ने बोला होगा ऑर आंटी तभी ऐसे चल रही थी मुझे खुश करने के लिए ताकि मेरा ध्यान जाए
उनकी मटकती गान्ड पर,,,,

मैं करण के रूम मे गया ऑर अपना बॅग वहीं रख दिया फिर बाथरूम मे जाके हल्का सा मूह हाथ धो लिया फिर बाहर
आके सोफे पर बैठ गया लेकिन तभी मेरी नाजर पड़ी आंटी के रूम की तरफ जिसका दरवाजा खुला हुआ था,,,,,,मैने सोचा
कि आंटी दरवाजा खोलकर तैयार हो रही है क्या,,इसी उत्सुकता मे मैं आंटी के रूम के पास चला गया ऑर जैसे ही मैं
वहाँ पहुँचा तो अंदर का नजारा देख कर खुश हो गया,,,,,आंटी ने एक ग्रीन कलर की साड़ी पहनने की तैयारी की थी
लेकिन अभी तक साड़ी पहनी नही थी,,,,सारी से मॅचिंग पेटिकोट पहना हुआ था जो उनके पेट पर बँधा हुआ था नाभि से
हल्का सा नीचे ओर उनका वो पेट देख कर मुझे झटका लगने लगा बहुत तेज मस्ती भरा झटका,,,,आंटी अपने हाथ पीछे
करके ब्लाउस की डोरी बाँध रही थी ,,उनका ब्लाउस पीछे से फुल ओपन था ऑर एक पतली सी डोरी थी जो अभी वो बाँध ही रही थी
उनकी पूरी पीठ नंगी थी जो मेरा दिमाग़ खराब कर रही थी ,,मेरे से क़ाबू नही हो रहा था ओर मैं पता नही कब रूम
के अंदर चला गया,,मेरे कदम खुद-ब-खुद आगे चलने लगे थे,,,,

पता तो मुझे तब चाल जब आंटी की आवाज़ पड़ी मेरे कनों मे,,,,,तुम क्या कर रहे हो यहाँ सन्नी बेटा,,,,

मैं एक दम नींद से जगा,,कुछ नही आंटी जी बस आपको देखने आया था कि आप तैयार होने मे इतना टाइम क्यू लगा रही हो,,

आंटी ने शरमाते हुए नज़रे झुका ली,,,,क्यूकी आंटी अभी भी डोरी को बाँध रही थी,,,उनके हाथ पीठ की तरफ थे,,,

अरे आंटी जी आप शर्मा क्यू रही हो,,भला कोई माँ अपने बेटे से शरमाती है क्या,,,ऑर मैं भी तो आपके लिए करण जैसा
हूँ,,,क्या आप उस से शरमाती हो कभी,,,,

आंटी ने हल्के से शरमाते हुए अपने फेस को उपर किया ऑर मेरी तरफ देखने लगी,,,,उनके हाथ अभी भी उनकी पीठ पर
थे,,,,,,

ओहफू आंटी जी एक डोरी बाँधने मे इतना टाइम,,,,दीजिए मैं बाँध देता हूँ,,,,मैं इतना बोलकर आगे बढ़ा ऑर उनके पास
जाके उनकी पीठ की तरफ चला गया,,,

नही बेटा मैं बाँध लूँगी लेकिन मैं नही माना ऑर डोरी को अपने हाथ मे पकड़ लिया,,तभी आंटी मिरर की तरफ फेस करके
खड़ी हो गई वही हाथ जो अभी उनकी पीठ पर थे वो उनकी छाती पर चले गये ऑर वो छाती को कवर करके मिरर मे खुद
को देख कर शरमाने लगी,,,उनके हाथ छाती पर थे लेकिन फिर भी मुझे उनके बूब्स हल्के हल्के नज़र आ रहे थे
क्यूकी उनके बूब्स थे ही बहुत बड़े बड़े,,,,वो पूरी कोशिश कर रही थी उनको छुपाने की लेकिन इसी कोशिश मे उनके बूब्स
ज्याद उभर कर बाहर निकल रहे थे,,,,,,,आंटी ने मिरर मे पीछे मेरी तरफ देखा तो मैने अपना ध्यान डोरी बाँधने
पर केंद्रित्त कर दिया ऑर अंजान बनके डोरी बाँधने लगा ,,जैसे मेरे मन मे कुछ नही मैं तो बस डोरी बाँध रहा
हूँ लेकिन बीच बीच मे मैं आंटी की तरफ देख लेता था नज़रे बचा कर,,,,जब भी डोरी बाँधते टाइम मेरे हाथ आंटी
की पीठ से लगते तो एक तूफान उठने लगता था मेरे दिल मे,,लेकिन मैं खुद पर क़ाबू करके डोरी बंद रहा था,,लेकिन
आंटी के खुद पर क़ाबू नही हो रहा था ,,,जब भी मेरा हाथ हल्के से उनकी पीठ पर टच करता वो एक दम से सिहर
जाती ऑर शरमाने लगती,,,,मैने जल्दी ही डोरी बाँध दी लेकिन आंटी के लिए वो एक दो पल का टाइम बहुत लंबा था,,,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 02:09 AM

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