RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
सरिता ऑर सन्नी घर मे आते है तो टेबल पर देखते है कि सब्जिया कुछ बर्तन ऑर एक नाइफ पड़ा हुआ था,,,,,तभी सोनिया दरवाजा बंद करके पीछे मुड़ती है ऑर सरिता को ऐसे चलते देख पूछने लगती है,,,,,
क्या हुआ माँ ऐसे क्यूँ चल रही हो,,,,ऑर इतने मे ही सोनिया माँ के करीब आ जाती है,,,
माँ थोड़ा डर जाती है,,,,कुछ नही बेटी वो बाइक पर बैठते टाइम टाँग की नस थोड़ी खिच गई है इसलिए हल्का दर्द
हो रहा है,,,माँ सोनिया की बात का जवाब देते हुए मेरी तरफ पूरे गुस्से से देखती है ,,,मानो आँखों ही आँखों मे
बोल रही हो कि कमिने ये सब तेरी वजह से हो रहा है,,,,,
मैं माँ से नज़रे छुपा कर सोफे पर जाके बैठ गया जल्दी से ऑर टीवी देखने लगा,,,,,
चलो माँ आराम से बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ,,,,,,
नही बेटी उसकी ज़रूरत नही मैं अलका आंटी के घर गई थी उन्होने दवाई लगा दी थी,,,आब मैं ठीक हूँ,,,,,तभी माँ
ने टेबल पर पड़ी सब्जी की तरफ इशारा किया,,,,,,,ये क्या कर रही थी तू बेटी,,,,
माँ रात के खाने का टाइम हो गया था आप अभी तक आई नही थी ऑर ना अभी तक दीदी आई थी तो मैने सोचा क्यू ना खाने का समान तैयार कर देती हूँ ताकि आपको घर आके ज़्यादा काम नही करना पड़े,,,,,आटा गूँथ दिया है मैने ऑर सब्जी
भी बस कटने ही वाली है,,,,
मेरी बेटी कितना ख्याल रखती है मेरा,,,,,चल अब तू टीवी देख भाई के साथ बैठ कर ऑर मैं बाकी की सब्जी काट लेती
हूँ,,,,
लेकिन माँ आपको तो चोट लगी है,,,,,,,
चोट टाँग मे लगी है बेटी हाथ पर नही ,,,तू अब टीवी देख मैं कर लूँगी ये सब,,,,,
ठीक है माँ लेकिन अगर कोई ऑर काम करना है तो बोलो,,,,
नही बेटी तू बस आराम से बैठ जा भाई के साथ ऑर टीवी देख,,,,,
तभी मैने सोनिया की तरफ देखा तो उसने हल्के गुस्से से देखते हुए,,,,,नही माँ मुझे टीवी नही देखना मैं उपर
अपने रूम मे जा रही हूँ ,,डिन्नर बन जाए तो मुझे बुला लेना,,,,वो हलके गुस्से से उपर की तरफ चली गई,,,ऑर मैं
डरे ऑर सहमे दिल से टीवी देखने लगा,,,,
आज रात फिर कुछ ख़ास नही हुआ,,,,क्यूकी आज भी दीदी ऑर मामा बुटीक पर रहे सारा दिन ऑर माँ की तो मैने ऑर
करण ने मिलकर गान्ड फाड़ दी थी ,,,इसलिए आज सबलॉग खाना ख़ाके अपने अपने रूम मे सोने चले गये,,,मैं अपने
रूम मे नही जा सकता था ऑर आज माँ ने भी मुझे अपने साथ नही सोने दिया,,,,मैं भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे जाके
ज़मीन पर लगे मॅट्रेस पर सो गया,,,,
अगले दिन सुबह उठा तो सोनिया कॉलेज जा चुकी थी ऑर शोबा दीदी भी मामा को लेके बुटीक पर चली गई थी,,,,मैं नीचे
आया तो माँ डाइनिंग टेबल से बर्तन उठा रही थी,,,,
आ गया मेरा बेटा,,,आज तू लेट क्यू हो गया उठने मे ,,,काल रात को कॉन्सा किसी पर मेहनत की तूने जो थक गया था ,,वो तो दिन मे ही सारी थकावट हुई थी तेरे को,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी,,,,
वही तो माँ रात को किसी पर मेहनत नही की इसलिए देर रात को नींद आई वो क्या है ना अक्सर बिना मेहनत किए अब मुझे नींद नही आती,,,,,,मैने भी माँ की बात का जवाब उसी अंदाज़ मे दिया,,,,,
तभी बाहर डोर बेल बजी ,,,,,,
माँ के हाथ मे बरतन थे,,,,ज़रा जाके देख तो कॉन आया है सन्नी,,,,,,माँ इतना बोलकर बरतन लेके किचन मे चली
गई ऑर मैं दरवाजा खोलने चला गया,,,,
जैसे ही दरवाजा खोला मैं सामने अलका आंटी को देख कर दंग रह गया ,,आज आंटी ने हल्के ब्राउन कलर की बोलो तो स्किनकलर की साड़ी पहनी हुई थी ,,ब्लाउस एक दम टाइट था जिस वजह से उनके आधे से ज़्यादा बूब्स नज़र आ रहे थे,,,मैं तो उनको बूब्स मे इतना खो गया कि उनको हाई हेलो बोलना भूल ही गया,,,,
हेलो सन्नी बेटा,,,,,आंटी की आवाज़ से मैं होश मे आया ऑर आंटी की तरफ देखने लगा,,,उन्होने मुझे उनके बूब्स
देखते पकड़ लिया था ऑर हँसने लगी,,,,,
हहे हहेहे हेल्ल्ल्लू ऑयंटीयीई,,,,,,,,,,,,,,मेरे तो मूह से आवाज़ ही नही निकल रही थी,,,साला क्या मस्त लग रही थी आंटी मेरी तो बोलती ही बंद हो गई थी,,,तभी मैने करण की तरफ देखा तो वो भी मुझे आंटी के बूब्स की तरफ देखते हुआ हँसके
मेरी तरफ देख रहा था,,,,,
कहाँ खो गया सन्नी बेटा,,,,ठीक तो है ना तू,,आंटी हँसते हुए बोल रही थी,,,,,
जीई ज्जिई आंटीयीई ज्जिई माईंन ठीक हूँ,,अभी भी मेरी ज़ुबान नही खुल रही थी ,,मेरा जिस्म एक दम से सुन्न हो गया था रह रह कर मस्ती की एक लहर उठ रही थी पूरे जिस्म मे जिसने मेरे होश गुम कर दिए थे मेरे से तो ठीक से बोला भी नही जारहा था,,,,
तभी मैने ऑर कुछ ना बोलते हुए दरवाजा अच्छी तरह खोल दिया ऑर आंटी को अंदर आने का इशारा किया तो आंटी मेरे
करीब से होकर अंदर चली गई ,,,,जब वो मेरे पास से गुज़री तो उनके जिस्म की खुश्बू ने बचे कुचे होश की भी
माँ चोद कर रख दी,,मैं तो दरवाजे पर गिरने वाला हो गया था,,,
तभी करण मेरे करीब आया,,,,अबे साले इतना क्यू घूर रहा था मेरी माँ के बूब्स को,,अगर वो देख लेती तो पंगा हो
जाता ,,,,
मैने करण को जल्दी से बाहों मे भर लिया,,,,,थॅंक्स्क्स भाई सुबह सुबह अपनी माँ के दर्शन करवाने के लिए,,,क्या लग
रही है वो ,,,,,मैं तो देख कर गुम्म हो गया था,,,,,
साले तेरी देख कर ये हालत है तो सोच ज़रा मेरा क्या हाल होगा ,,मैं तो उसको बाइक पर अपने साथ लेके आया हूँ,,,इतना
बोलकर करण ने मुझे अपने लंड की तरफ इशारा किया जो पॅंट मे तंबू बनाकर खड़ा हुआ था,,,तो मैने भी करण
'को अपने लंड की तरफ इशारा कर दिया ऑर ये बता दिया बेटा कि तू साथ मे लेके आया तो तेरा ये हाल है मेरा तो बस एक झलक देख कर ही बुरा हाल हो गया,,,,
हम दोनो ही कमिने है सन्नी भाई ऑर होते भी क्यू नही ,,हम दोनो की माँ है ही इतना मस्त ऑर भरा हुआ माल,,,मैं ऑर
करण दोनो हँसने लगे,,,
चल आजा अंदर,,,,,मैने करण को अंदर आने को बोला,,,,
नही सन्नी भाई मुझे जाना है लेट हो रहा हूँ,,,,
तो साले 2 मिनिट रुक ना मैं भी तेरे साथ चलता हूँ ,,एक ही बाइक पर चलते है वैसे भी तो तूने कॉलेज से आंटी को
वापिस लेने आना है,,,,
भाई मैं कॉलेज नही जा रहा ,,,कुछ ज़रूरी काम है वो करने जा रहा हूँ,,,,तू खुद अपनी बाइक पर कॉलेज जा ऑर हाँ
माँ को मत बताना कि मैं कॉलेज नही जा रहा,,,,
कहाँ जा रहा है तू,,,,
थोड़ा काम है भाई,,,,अभी नही बता सकता ,,बाद मे बता दूँगा,,,,
इस से पहले मैं कुछ ऑर बात करता करण से वो जल्दी से अपने बाइक की तरफ गया ऑर बाइक स्टार्ट करके वहाँ से चला गया,,,,,
मैं समझ गया कि ये साला उसी लड़की को मिलने जा रहा होगा,,,,मैं साले की खातिर इतना कुछ कर चुका हूँ ऑर ये मुझे
उस लड़की के बारे मे कुछ भी नही बता रहा,,,,कोई बात नही बेटा आज तेरा दिन है कल मेरा दिन भी आएगा,,,मैं हल्के
गुस्से से दरवाजा बंद करके घर के अंदर आ गया,,,,
तब तक माँ ऑर अलका आंटी सोफे पर बैठ गई थी ऑर बाते करने लगी थी,,,,
करण कहाँ है सन्नी,,,,माँ ने मेरे से पूछा,,,,साली कितनी बेचैन हो गई करण को ना देख कर,,,,
माँ उसको जल्दी थी वो चला गया है,,,,लेट हो रहा था कॉलेज से,,,,
तू नही गया उसके साथ,,,दोनो एक बाइक पर ही चले जाते,,,,,
नही माँ मैं नही जा रहा आज कॉलेज ,,,तबीयत ठीक नही लग रही थोड़ी,,,माँ समझ गई कि मैं अलका आंटी की वजह से
नही जा रहा,,,,,,
तभी मा सोफे से उठी ओर किचन मे चली गई,,,,तुम बैठो अलका मैं कॉफी लेके आती हूँ,,,,,,,,
मैं अभी वहीं खड़ा हुआ था,,,ऑर अलका आंटी की तरफ देख रहा था ,,,मैं उनके बड़े बड़े बूब्स मे खो गया था
ये बात उनको भी पता थी इसीलिए वो अपना सर झुका कर बैठी रही ऑर मुझे उनके बूब्स देखने का मोका देती रही उनको
पता था कि अगर वो सर उपर उठा लेगी तो मैं डर जाउन्गा ऑर उनकी तरफ नही देखूँगा,,,
तभी मुझे माँ की आवाज़ आई किचन से,,,,,सन्नी बेटा ज़रा ये डिब्बा तो उतार दे चीनी वाला,,,मैं माँ की आवाज़ सुनके होश
मे आया ऑर किचन की तरफ चला गया,,,,
कॉन्सा डिब्बा उतारना है माँ ,,,,,तभी माँ ने मेरे करीब आके मेरे मूह पर हाथ रख दिया,,,,,
कोई डिब्बा नही उतारना मैने तो इसलिए बुलाया है कि तुम कुछ देर हम लोगो के साथ बैठ कर कॉफी पीना ऑर बाद मे ये
बोलकर उपर अपने रूम मे चले जाना कि तबीयत ठीक नही है ऑर तुम मेडिसिन लेके आराम करने लगे हो,,,ऑर ये भी बोल देना कि मुझे डिस्टर्ब मत करना,,,,मैं कुछ बोला नही बस माँ की बात के जवाब मे हां मे सर हिला दिया,,,,
ठीक है अब जाओ ऑर अलका के पास बैठ जाओ ऑर ज़ी भरके उसके बड़े बड़े बूब्स के दर्शन कर्लो,इतना बोलकर माँ हँसने
लगी,,,,आख़िर वो मेरी माँ थी उस से कुछ छुपा नही था अब तक,,,,
मैने माँ की बात सुनी ऑर बाहर आके सोफे पर अलका आंटी के साइड पर बैठ गया ऑर रिमोट उठा कर टीवी ऑन कर लिया ,,,मैं टीवी देखते हुए बार बार नज़रे बचा कर आंटी के बूब्स की तरफ देख रहा था आंटी को भी ये पता था इसलिए वो एक-टक टीवी पर नज़रे जमा कर बैठी हुई थी,,,,,
कुछ देर बाद माँ कॉफी लेके आ गई ऑर हम सब कॉफी पीने लगे,,माँ ऑर आंटी इधर उधर की बातें करने लगी
जबकि मैं टीवी देखता रहा ऑर बीच बीच मे आंटी के बूब्स भी,,,
|